
गुजरात हाईकोर्ट ने 33 हफ्ते की गर्भवती 13 साल की दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग को अबॉर्शन की मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा- अबॉर्शन चीफ मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में किया जाए। 33 हफ्ते की गर्भवती नाबालिग को गर्भपात की मंजूरी देना, संभवत: देश का पहला मामला है, जब कोर्ट ने गर्भावस्था के सबसे ज्यादा हफ्ते के गर्भपात की अनुमति दी है। इससे पहले 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 32 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी थी। पीड़ित परिवार ने बेटी के गर्भपात की मंजूरी मांगी थी। डॉक्टर की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने मंजूरी दे गई। नाबालिग का उसके पड़ोसी युवक ने शारीरिक शोषण किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ POCSO के तहत केस दर्ज किया है। गुजरात हाईकोर्ट ने 2 साल में 16 रेप पीड़ितों को गर्भपात की परमिशन दी है। इनमें 13 नाबालिग शामिल हैं। आज का मामला भी इसमें शामिल है। एनीमिया से भी पीड़ित है नाबालिग
हाईकोर्ट ने राजकोट के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल को नाबालिग की मेडिकल जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग का भ्रूण 1.99 किलोग्राम का है। गर्भपात के दौरान उसे आईसीयू की भी आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि वह एनीमिया से भी पीड़ित है। साथ ही डॉक्टर्स के पैनल से कोर्ट से कहा कि गर्भपात के समय एक विशेषज्ञ डॉक्टर को भी उपस्थित रहना होगा। इस पर अदालत ने आदेश दिया कि ऑपरेशन के दौरान रक्त की व्यवस्था की जाए और विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहे। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 32 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी थी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गर्भवस्था के सबसे ज्यादा हफ्ते के गर्भपात की अनुमति 2017 में दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की एक 32 सप्ताह की बलात्कार पीड़िता के गर्भपात की अनुमति दी थी। इस नाबालिग के साथ उसके पिता के किसी परिचित ने बलात्कार किया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साल 2024 में भी एक 14 साल की लड़की को 30 सप्ताह की गर्भावस्था में गर्भपात की अनुमति दी थी। गर्भपात कानून क्या कहता है?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत, किसी भी विवाहित महिला, बलात्कार पीड़िता, विकलांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 सप्ताह तक के गर्भपात की अनुमति है। यदि गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का हो तो गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड की सलाह पर न्यायालय से अनुमति लेनी होती है। वर्ष 2020 में एमटीपी एक्ट में बदलाव किया गया था।
गुजरात हाईकोर्ट ने 33 हफ्ते की गर्भवती 13 साल की दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग को अबॉर्शन की मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा- अबॉर्शन चीफ मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में किया जाए। 33 हफ्ते की गर्भवती नाबालिग को गर्भपात की मंजूरी देना, संभवत: देश का पहला मामला है, जब कोर्ट ने गर्भावस्था के सबसे ज्यादा हफ्ते के गर्भपात की अनुमति दी है। इससे पहले 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 32 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी थी। पीड़ित परिवार ने बेटी के गर्भपात की मंजूरी मांगी थी। डॉक्टर की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने मंजूरी दे गई। नाबालिग का उसके पड़ोसी युवक ने शारीरिक शोषण किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ POCSO के तहत केस दर्ज किया है। गुजरात हाईकोर्ट ने 2 साल में 16 रेप पीड़ितों को गर्भपात की परमिशन दी है। इनमें 13 नाबालिग शामिल हैं। आज का मामला भी इसमें शामिल है। एनीमिया से भी पीड़ित है नाबालिग
हाईकोर्ट ने राजकोट के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल को नाबालिग की मेडिकल जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग का भ्रूण 1.99 किलोग्राम का है। गर्भपात के दौरान उसे आईसीयू की भी आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि वह एनीमिया से भी पीड़ित है। साथ ही डॉक्टर्स के पैनल से कोर्ट से कहा कि गर्भपात के समय एक विशेषज्ञ डॉक्टर को भी उपस्थित रहना होगा। इस पर अदालत ने आदेश दिया कि ऑपरेशन के दौरान रक्त की व्यवस्था की जाए और विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहे। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 32 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी थी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गर्भवस्था के सबसे ज्यादा हफ्ते के गर्भपात की अनुमति 2017 में दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की एक 32 सप्ताह की बलात्कार पीड़िता के गर्भपात की अनुमति दी थी। इस नाबालिग के साथ उसके पिता के किसी परिचित ने बलात्कार किया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साल 2024 में भी एक 14 साल की लड़की को 30 सप्ताह की गर्भावस्था में गर्भपात की अनुमति दी थी। गर्भपात कानून क्या कहता है?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत, किसी भी विवाहित महिला, बलात्कार पीड़िता, विकलांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 सप्ताह तक के गर्भपात की अनुमति है। यदि गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का हो तो गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड की सलाह पर न्यायालय से अनुमति लेनी होती है। वर्ष 2020 में एमटीपी एक्ट में बदलाव किया गया था।