
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे की 40 साल बाद शिफ्टिंग शुरू हो गई है। बुधवार रात 9 बजे 12 कंटेनर 337 मीट्रिक टन कचरा लेकर पीथमपुर की ओर रवाना हुए हैं। कचरे को कड़ी सिक्योरिटी और 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा जा रहा है। कचरा भरे कंटेनर्स के आगे-पीछे 2 किमी तक ट्रैफिक रोका गया है। ये व्यवस्था पूरे रूट पर बनाई गई है। कंटेनर्स के आगे पुलिस की 5 गाड़ियां चल रही हैं। कंटेनर्स के लिए बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर की वजह से जगह-जगह जाम के हालात बने हैं। सीहोर में क्रिसेंट चौराहा पर करीब दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया। वहीं आष्टा के पास भी करीब 4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। जिससे लोग परेशान होते नजर आए। 4 दिन पैक किया गया 337 मीट्रिक टन कचरा
कचरे की शिफ्टिंग की प्रोसेस रविवार दोपहर से शुरू हुई थी। 4 दिन बैग्स में 337 मीट्रिक टन कचरा पैक किया गया। मंगलवार रात से इसे कंटेनर्स में लोड करना शुरू किया। बुधवार दोपहर तक प्रोसेस पूरी कर ली गई और रात में इसे पीथमपुर की ओर रवाना कर दिया गया। यूनियन कार्बाइड के इस रासायनिक कचरे को पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। कचरे को ले जाते समय 100 पुलिसकर्मी तैनात हैं। हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इस जहरीले कचरे को हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करना है। ग्रीन कॉरिडोर की वजह से बनी जाम की स्थिति
भोपाल से यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री से जहरीले कचले को लेकर पीथमपुर जा रहे कंटेनर्स के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। इसकी वजह से कई जगह जाम की स्थिति बनी है। सीहोर के क्रिसेंट चौराहा पर एक एंबुलेंस जाम में फंस गई। इसके बाद आष्टा में भी यही स्थिति दिखी। यहां भी करीब 4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। दरअसल, हर टोल पर गाड़ियों को आधे घंटे के लिए रोक जा रहा है, ताकि कचरे से भरे ट्रक आगे आसानी से मूव कर सकें। ग्रीन कॉरिडोर इसी तरह काम कर रहा है। इस रास्ते पीथमपुर पहुंच रहा कचरा हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर है। ये ट्रक कंटेनर जिस रूट से निकलेंगे, उसकी सूचना जिला प्रशासन और पुलिस को दे दी जाएगी। कंटेनर करोंद मंडी, पीपुल्स मॉल, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए पीथमपुर जा रहे हैं। यह रूट इसलिए चुना गया है, क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है। 40-50 किमी/घंटे की स्पीड से चल रहे कंटेनर
कचरा ले जाने वाले विशेष कंटेनर लगभग 40 से 50 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चल रहे हैं। रास्ते में कुछ देर के लिए रोका भी जाएगा। कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पॉन्स टीम मौजूद हैं। हर कंटेनर में दो ड्राइवर हैं। धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट
एमपी में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक और अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है। यहां पर कचरे को जलाने काम किया जाता है। यह प्लांट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है। 9 साल पहले हो चुका ट्रायल रन, हर घंटे जलाया गया था 90 किलो कचरा
पीथमपुर स्थित इंसीरेनेटर में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा निष्पादन के लिए भेजा गया था। तब ट्रायल रन के तौर पर 3 दिन इसे जलाया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान इंसीरेनेटर में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने अब राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे पैक किया गया जहरीला कचरा
जहरीला कचरा भरते हुए विशेष सावधानी बरती गई। फैक्ट्री में 3 जगह एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए गए। इनसे पीएम 10 और पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड की जांच की गई। कचरा जिस स्थान पर रखा था, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ कंटेनरों के जरिए भेजी गई है। फैक्ट्री के अंदर 337 टन जहरीला कचरा थैलियों में रखा था। इसे खास जंबो बैग में पैक किया गया। ये एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर के बने हैं। इसके मटेरियल में कोई रिएक्शन नहीं हो सकता। बैग में कचरा भरने के लिए 50 से ज्यादा मजदूरों को लगाया गया। ये सभी पीपीई किट पहने रहे। मजदूरों की टीम को हर 30 मिनट में बदला गया। जैसे ही वे पीपीई किट उतारते, उनका हेल्पचेकअप किया जाता था। अस्थाई अस्पताल में डॉक्टर्स की टीम मौजूद रही। यहां पर उनके खाना-खाने और नहाने तक के इंतजाम किए गए थे। यहां पर मजदूर और अफसरों ने जिन बोतलों में पानी पिया, उसे भी ले जाया गया। कचरे का निष्पादन कैसे होगा?
कंटेनर को भेजने से पहले वजन हुआ। पीथमपुर में पहुंचने पर भी वजन किया जाएगा। पीथमपुर में कचरे को रखने के लिए लकड़ी का प्लेटफॉर्म बनाया गया है। यह प्लेटफार्म जमीन से 25 फीट ऊपर है। इस कचरे को कब जलाना है, यह फैसला सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम करेगी। किस मौसम में, कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाया जाए, यह फैसला लेने से पहले सैंपल टेस्टिंग भी होगी। पहले 37 टन कचरा जलाया जाएगा। कचरा जलाने में इतना लगेगा समय
रामकी एनवायरो में 90 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से कचरे को जलाने में 153 दिन यानी 5 महीने 1 दिन का समय लगेगा। 270 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से नष्ट करते हैं, तो इसे खत्म करने में 51 दिन का वक्त लगेगा। पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध भी 10 से ज्यादा संगठनों का 3 जनवरी को बंद का आह्वान
कचरा जलाने के विरोध में 10 से ज्यादा संगठनों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान किया है। पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच, पीथमपुर ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति, मध्यप्रदेश किसान सभा सहित कई संगठनों का कहना है कि भोपाल का कचरा अमेरिका भेजा जाए। पीथमपुर बचाओ समिति 2 जनवरी को दिल्ली के जंतर – मंतर पर प्रदर्शन करने की तैयारी में है। इंदौर के डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल एल्युमिनी एसोसिएशन ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। एसोसिएशन के सदस्य डॉ. संजय लोढ़े व अन्य सदस्यों द्वारा लगाई गई इस याचिका में बिना ट्रायल और रिसर्च के कचरा निपटान पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय नागरिकों ने भी इसका विरोध किया है। दुनिया की बड़ी गैस त्रासदी 40 साल पहले हजारों लोग मारे गए थे
भोपाल गैस त्रासदी में 3 हजार से ज्यादा लोग मौके पर मारे गए थे। 30 हजार से ज्यादा लोगों ने बाद में दम तोड़ा। त्रासदी 40 साल 1 महीने पहले 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई थी। गूगल सर्च इंजन भी मानता है कि दुनिया में इससे पहले और इसके बाद आज तक ऐसा कोई भी इंडस्ट्रियल डिजास्टर नहीं हुआ है। इस घटना को करीब से देखने वाले और कवर करने वाले बताते हैं कि लाशें ही लाशें थीं, जिन्हें ढोने के लिए गाड़ियां कम पड़ गईं। चीखें इतनी कि लोगों को आपस में बातें करना मुश्किल हो रहा था। धुंध इतनी कि पहचानना ही चैलेंज था उस रात। गैस त्रासदी एक नजर में
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे की 40 साल बाद शिफ्टिंग शुरू हो गई है। बुधवार रात 9 बजे 12 कंटेनर 337 मीट्रिक टन कचरा लेकर पीथमपुर की ओर रवाना हुए हैं। कचरे को कड़ी सिक्योरिटी और 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा जा रहा है। कचरा भरे कंटेनर्स के आगे-पीछे 2 किमी तक ट्रैफिक रोका गया है। ये व्यवस्था पूरे रूट पर बनाई गई है। कंटेनर्स के आगे पुलिस की 5 गाड़ियां चल रही हैं। कंटेनर्स के लिए बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर की वजह से जगह-जगह जाम के हालात बने हैं। सीहोर में क्रिसेंट चौराहा पर करीब दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया। वहीं आष्टा के पास भी करीब 4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। जिससे लोग परेशान होते नजर आए। 4 दिन पैक किया गया 337 मीट्रिक टन कचरा
कचरे की शिफ्टिंग की प्रोसेस रविवार दोपहर से शुरू हुई थी। 4 दिन बैग्स में 337 मीट्रिक टन कचरा पैक किया गया। मंगलवार रात से इसे कंटेनर्स में लोड करना शुरू किया। बुधवार दोपहर तक प्रोसेस पूरी कर ली गई और रात में इसे पीथमपुर की ओर रवाना कर दिया गया। यूनियन कार्बाइड के इस रासायनिक कचरे को पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। कचरे को ले जाते समय 100 पुलिसकर्मी तैनात हैं। हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इस जहरीले कचरे को हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करना है। ग्रीन कॉरिडोर की वजह से बनी जाम की स्थिति
भोपाल से यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री से जहरीले कचले को लेकर पीथमपुर जा रहे कंटेनर्स के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। इसकी वजह से कई जगह जाम की स्थिति बनी है। सीहोर के क्रिसेंट चौराहा पर एक एंबुलेंस जाम में फंस गई। इसके बाद आष्टा में भी यही स्थिति दिखी। यहां भी करीब 4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। दरअसल, हर टोल पर गाड़ियों को आधे घंटे के लिए रोक जा रहा है, ताकि कचरे से भरे ट्रक आगे आसानी से मूव कर सकें। ग्रीन कॉरिडोर इसी तरह काम कर रहा है। इस रास्ते पीथमपुर पहुंच रहा कचरा हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर है। ये ट्रक कंटेनर जिस रूट से निकलेंगे, उसकी सूचना जिला प्रशासन और पुलिस को दे दी जाएगी। कंटेनर करोंद मंडी, पीपुल्स मॉल, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए पीथमपुर जा रहे हैं। यह रूट इसलिए चुना गया है, क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है। 40-50 किमी/घंटे की स्पीड से चल रहे कंटेनर
कचरा ले जाने वाले विशेष कंटेनर लगभग 40 से 50 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चल रहे हैं। रास्ते में कुछ देर के लिए रोका भी जाएगा। कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पॉन्स टीम मौजूद हैं। हर कंटेनर में दो ड्राइवर हैं। धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट
एमपी में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक और अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है। यहां पर कचरे को जलाने काम किया जाता है। यह प्लांट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है। 9 साल पहले हो चुका ट्रायल रन, हर घंटे जलाया गया था 90 किलो कचरा
पीथमपुर स्थित इंसीरेनेटर में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा निष्पादन के लिए भेजा गया था। तब ट्रायल रन के तौर पर 3 दिन इसे जलाया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान इंसीरेनेटर में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने अब राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे पैक किया गया जहरीला कचरा
जहरीला कचरा भरते हुए विशेष सावधानी बरती गई। फैक्ट्री में 3 जगह एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए गए। इनसे पीएम 10 और पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड की जांच की गई। कचरा जिस स्थान पर रखा था, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ कंटेनरों के जरिए भेजी गई है। फैक्ट्री के अंदर 337 टन जहरीला कचरा थैलियों में रखा था। इसे खास जंबो बैग में पैक किया गया। ये एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर के बने हैं। इसके मटेरियल में कोई रिएक्शन नहीं हो सकता। बैग में कचरा भरने के लिए 50 से ज्यादा मजदूरों को लगाया गया। ये सभी पीपीई किट पहने रहे। मजदूरों की टीम को हर 30 मिनट में बदला गया। जैसे ही वे पीपीई किट उतारते, उनका हेल्पचेकअप किया जाता था। अस्थाई अस्पताल में डॉक्टर्स की टीम मौजूद रही। यहां पर उनके खाना-खाने और नहाने तक के इंतजाम किए गए थे। यहां पर मजदूर और अफसरों ने जिन बोतलों में पानी पिया, उसे भी ले जाया गया। कचरे का निष्पादन कैसे होगा?
कंटेनर को भेजने से पहले वजन हुआ। पीथमपुर में पहुंचने पर भी वजन किया जाएगा। पीथमपुर में कचरे को रखने के लिए लकड़ी का प्लेटफॉर्म बनाया गया है। यह प्लेटफार्म जमीन से 25 फीट ऊपर है। इस कचरे को कब जलाना है, यह फैसला सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम करेगी। किस मौसम में, कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाया जाए, यह फैसला लेने से पहले सैंपल टेस्टिंग भी होगी। पहले 37 टन कचरा जलाया जाएगा। कचरा जलाने में इतना लगेगा समय
रामकी एनवायरो में 90 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से कचरे को जलाने में 153 दिन यानी 5 महीने 1 दिन का समय लगेगा। 270 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से नष्ट करते हैं, तो इसे खत्म करने में 51 दिन का वक्त लगेगा। पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध भी 10 से ज्यादा संगठनों का 3 जनवरी को बंद का आह्वान
कचरा जलाने के विरोध में 10 से ज्यादा संगठनों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान किया है। पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच, पीथमपुर ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति, मध्यप्रदेश किसान सभा सहित कई संगठनों का कहना है कि भोपाल का कचरा अमेरिका भेजा जाए। पीथमपुर बचाओ समिति 2 जनवरी को दिल्ली के जंतर – मंतर पर प्रदर्शन करने की तैयारी में है। इंदौर के डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल एल्युमिनी एसोसिएशन ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। एसोसिएशन के सदस्य डॉ. संजय लोढ़े व अन्य सदस्यों द्वारा लगाई गई इस याचिका में बिना ट्रायल और रिसर्च के कचरा निपटान पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय नागरिकों ने भी इसका विरोध किया है। दुनिया की बड़ी गैस त्रासदी 40 साल पहले हजारों लोग मारे गए थे
भोपाल गैस त्रासदी में 3 हजार से ज्यादा लोग मौके पर मारे गए थे। 30 हजार से ज्यादा लोगों ने बाद में दम तोड़ा। त्रासदी 40 साल 1 महीने पहले 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई थी। गूगल सर्च इंजन भी मानता है कि दुनिया में इससे पहले और इसके बाद आज तक ऐसा कोई भी इंडस्ट्रियल डिजास्टर नहीं हुआ है। इस घटना को करीब से देखने वाले और कवर करने वाले बताते हैं कि लाशें ही लाशें थीं, जिन्हें ढोने के लिए गाड़ियां कम पड़ गईं। चीखें इतनी कि लोगों को आपस में बातें करना मुश्किल हो रहा था। धुंध इतनी कि पहचानना ही चैलेंज था उस रात। गैस त्रासदी एक नजर में