
जगह : कोखराज
तारीख : 6 मार्च
समय : सुबह 3.30 बजे UP STF और पंजाब पुलिस ने कौशांबी में कोखराज के जंगल से बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) और ISI मॉड्यूल के संदिग्ध एक्टिव आतंकी लाजर मसीह को अरेस्ट किया। लाजर अमृतसर के कुरलियान गांव का रहने वाला है। वह BKI के जर्मन बेस्ड मॉड्यूल के प्रमुख स्वर्ण सिंह उर्फ जीवन फौजी का राइट हैंड है। लाजर मसीह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में भी था। वह अभी कौशांबी की जेल में है। आतंकी महाकुंभ क्षेत्र से 50km दूर कोखराज के जंगल में मांद (गुफा) बनाकर 45 दिन तक छिपा रहा। उससे पूछताछ के लिए सोमवार को UP पुलिस और पंजाब पुलिस ने अलग-अलग मामले में कोर्ट में रिमांड की अर्जी दी। लाजर मसीह ढाई फीट चौड़ी मिट्टी की मांद में कैसे रहा? उसके बारे में क्या कोई और भी शख्स जानता था? जिन लोगों ने उसे देखा, वो उसे पागल क्यों समझते थे? इनके जवाब तलाशने दैनिक भास्कर डिजिटल टीम प्रयागराज जिला मुख्यालय से कोखराज के जंगल पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले चरवाहा की बात, जिसने आतंकी को पहली बार देखा… चरवाहा बोला- मांद से निकलकर सरपट भागा था
कानपुर-प्रयागराज हाईवे से होकर हम कोखराज के जंगलों में पहुंचे। यहां की भौगोलिक स्थिति को समझते हुए हमारी मुलाकात एक चरवाहे से हुई। वह बकरी चराते हुए वहां तक पहुंचा था। हमने पूछा- क्या यहां से कुछ दिन पहले किसी आतंकी को पकड़ा गया है? चरवाहे ने बताया- उस दिन भोर में पूरा गांव जुटा था। सबके सामने ही तो पुलिसवाले उसको पकड़कर ले गए थे। जब पुलिस वाले आए तो वह आदमी मांद से निकलकर सरपट भागा था। उसकी चाल बहुत तेज थी। हमने पूछा- क्या पहले भी कभी उसको देखा था? चरवाहे ने कहा- मवेशी चराते हुए डेढ़ महीने में कई बार उस पागल (लाजर मसीह) को देखा था। कभी कटहल के पेड़ पर दिखता, कभी मिट्टी खोदता रहता वह कहते हैं- यह जंगल करीब 500 मीटर दायरे में फैला है। इसके चारों तरफ कोखराज-बरीपुर-अलीगंज और पुरवा तलरी गांव है। यह एरिया ठीक बीचों-बीच है। वह यहीं पर दिखता था। पागल जैसी हरकतें करता था। उसकी बहुत डरावनी सी शक्ल थी। कई बार तो वह ऐसी हरकत करता कि लगा कि वह भूख-प्यास से तड़प रहा है। मेरे पास पानी रहता है, मैंने उससे बात करने की कोशिश की, मगर वह किसी बात का जवाब नहीं देता था। बाद में भी अक्सर जंगल में दिखता था। कभी कटहल के पेड़ पर चढ़कर बैठा रहता। कभी टीलेनुमा जमीन को खोदता दिखता। वह पागलों जैसी हरकत करता रहता, इसलिए उसके करीब कोई नहीं जाता था। हमने पूछा- कोई तो आता ही होगा जंगल की तरफ? चरवाहा बोले- नहीं…कोई इधर नहीं आता। क्योंकि जंगल की तरफ जुआरी और शराबी रहते हैं तो उसी तरह के लोग आते हैं। बाकी कोई नहीं…। आसपास के किसान भी इस सन्नाटे में नहीं आते थे। अगर कोई मवेशी भटकता हुआ इधर आ जाए तो हम जैसे चरवाहों को उन्हें पकड़ने आना पड़ता है। अब मांद को समझिए… मांद के अंदर 2 रास्ते, एग्जिट सिर्फ 1 हम चरवाहा के साथ उस स्पॉट तक पहुंचे, जहां संदिग्ध आतंकी छिपा हुआ था। वह हमें जंगल के बीच में एक टीले नुमा जगह पर ले गया। वहां एक गुफा जैसी दिखाई दी। दीवारों पर ताजा खोदे जाने के निशान थे। करीब जाने पर अंदाजा लगा कि वह बाहरी हिस्से में करीब 3 फीट चौड़ी और 12 फीट तक गहरी है। अंदर जाने पर सभी जगह यह ढाई फीट चौड़ाई में खोदी गई थी। गुफानुमा मांद के अंदर का हिस्सा 2 संकरे रास्ते में दिखाई पड़ा। मांद के दूसरी तरफ का रास्ता संकरा था, जिसे पेड़ की टहनी रखकर ढका गया था। इसकी एक वजह यह भी रही होगी कि इस तरफ से कोई जंगली जानवर अंदर न आ सके। मांद को इस तरह से खोदा गया था कि कुछ दिन कोई शख्स इसके अंदर आराम से रह सके। खास बात यह है कि इस बंकरनुमा मांद को कुछ ऐसे तैयार किया गया था कि अगर सामने से कोई खतरा अंदर महसूस हो तो दूसरी तरफ से निकलकर भागा जा सके। कोई टॉर्च की रोशनी डाल पर देखने की कोशिश करे तो उसका ध्यान भटकाने के लिए गुफा में अंदर 2 रास्ते बनाए गए हैं। जबकि दोनों रास्तों में एक रास्ते से ही दूसरी तरफ निकालने का रास्ता है। पुलिस से बात करते हुए 3 सवाल के जवाब ढूंढे… 1. आतंकी ने जंगली इलाके को ही क्यों चुना?
आतंकी लाजर मसीह ने इस जंगल को कुछ खास वजह से चुना था। दरअसल, यह जगह नेशनल हाईवे–2 से 1 किमी दूर है। एक पतली डामर की सड़क इस जंगल के करीब से गुजरती है। अगर खेतों के रास्ते हाईवे तक जाना चाहे तो सिर्फ 500 मीटर पैदल चलना होगा। 2. लोगों को गुमराह करने की स्ट्रैटजी क्या थी?
मिट्टी की खोदी गई मांद में लाजर ने तिरपाल से अपने कपड़े और बिस्तर छिपाए हुए थे। लोगों ने बताया कि उसको जब भी देखा, फटे हुए कपड़ों में देखा। उसके हाथ में गंदा झोला रहता था। लोग अगर बात करने की कोशिश करते तो वह जैसे काटने को दौड़ता था। अक्सर एक ऊंचे कटहल के पेड़ पर चढ़कर सड़क की तरफ देखा करता। लोग कहते हैं कि इस दौरान भी वह कुछ बड़बड़ाता रहता था। 3. लाजर खाने–पीने की व्यवस्था कैसे करता था?
इस सवाल के जवाब के लिए हमने नेशनल हाईवे–2 के किनारे बने ढाबे और होटल के लोगों से बात की। आतंकी के बारे में सवाल सुनते ही सब बात करने से कतराने लगे। काफी देर इंतजार करने पर एक होटल कर्मचारी ने बताया- वह पागल (आतंकी) शाम होते ही यहां आसपास दिखाई पड़ता था। देर तक बैठा रहता, कभी खाना मांगता तो कभी लोगों के बच्चों की जूठन को इकट्ठा करके खाता दिखता। अपने साथ पॉलिथीन में लेकर भी जाता था। अब जंगल से हाईवे तक का माहौल समझिए… जंगल से हाईवे तक पूरा इलाका वीरान
दिमाग में उठ रहे सवालों के जवाब तलाशते हुए हम आतंकी लाजर की पनाहगार गुफा से निकलकर कच्चे रास्ते से होकर नेशनल हाईवे की तरफ चल पड़े। रास्ते में एक ईदगाह मिली। मौजूदा समय में ईदगाह और उसके आसपास का इलाका वीरान मिला। पास में खेतों में पानी की सिंचाई के लिए एक नलकूप दिखाई पड़ा, वह भी बंद था। आगे चलकर हम नेशनल हाईवे–2 के उस रास्ते पर पहुंचे, जहां से कोखराज पुलिस थाना एक किमी था। यहां से सिर्फ 800 मीटर दूर महाकुंभ के वाहनों की पार्किंग बनाई गई थी। इस पॉइंट से कानपुर से बनारस, प्रयागराज महाकुंभ की तरफ रास्ता जाता है। इसकी दूरी करीब 50 Km से ज्यादा है। सकाड़ा चेकपोस्ट से आगे नहीं बढ़ सका आतंकी
महाकुंभ के सुरक्षा घेरे का पहला पड़ाव कौशांबी का सकाड़ा चेक पॉइंट बनाया गया। यह दिल्ली-कानपुर-प्रयागराज रूट पर पड़ता है। यहां मॉडर्न हथियार से लैस सुरक्षाकर्मी दिन-रात चौकसी करते थे। चेक पॉइंट पर CCTV, बख्तरबंद गाड़ियां और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात रहती थी। पुलिस ने कहा कि लाजर कई बार इस स्पॉट से अंदर घुसने के लिए यहां तक पहुंचा, लेकिन एंट्री पॉइंट को पार नहीं कर सका। चरवाहे के मुताबिक एक दिन लाजर महाकुंभ एंट्री पॉइंट पार करके मूरतगंज कस्बे मे पैदल टहलता दिखाई पड़ा था। ATS पूछताछ में सामने आए फैक्ट पढ़िए… लखनऊ रूट से नहीं जा सका, तब कौशांबी की तरफ आया
ATS और पुलिस ने बब्बर खालसा (इंटरनेशनल) के आतंकी लाजर मसीह से पूछताछ की। आतंकी ने महाकुंभ में दाखिल होने के रास्ते के बारे में भी जानकारी दी है। सूत्र बताते है कि आतंकी लखनऊ के रास्ते प्रयागराज महाकुंभ पहुंचना चाहता था। वह खुद को छिपाते हुए कौशांबी तक तो आ गया, लेकिन सकाड़ा चेक पॉइंट से आगे नहीं बढ़ सका। एजेंसियां अब आतंकी मसीह के मोबाइल फोन को डीकोड कर उसके वर्क चैट और उस सिग्नल ऐप की पड़ताल कर रही हैं, जिसके जरिए वह अपने दूर बैठे आकाओं से संपर्क करता था। जांच एजेंसी उसके मददगार लोगों की तलाश कर रही हैं, जिन्होंने उसे 3 हैंड ग्रेनेड, विदेशी पिस्टल, कारतूस और सफेद पाउडर (विस्फोटक) मुहैया करवाया। जेल में CCTV से निगरानी, एजेंसियां पूछताछ कर रहीं
जिला जेल के अधीक्षक अजितेश मिश्रा ने कहा- आतंकी लाजर मसीह को जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। CCTV से निगरानी कर रहे हैं। आतंकी को दिए जाने वाले खाने को चेक करने के बाद ही दिया जा रहा है। उससे पूछताछ करने वाली एजेंसी के लोगों को बिना जेल दस्तावेजों के मिलने की अनुमति नहीं है। DIG जेल भी प्रयागराज की जिला जेल में पहुंचे थे। .—————————————————— आतंकी लाजर मसीह से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…
महाकुंभ के एंट्री-पॉइंट पर गुफा बनाकर रह रहा था आतंकी:हर दिन हैंडग्रेनेड लेकर निकलता था; हाई सिक्योरिटी की वजह से ब्लास्ट नहीं कर सका महाकुंभ पर आतंकी हमले की साजिश थी। पहले अमृत स्नान (14 फरवरी) से एक दिन पहले बब्बर खालसा का आतंकी लाजर मसीह महाकुंभ एंट्री पॉइंट से सिर्फ 1 KM दूर था। वह एक मिट्टी के टीले में गुफा बनाकर रह रहा था। पढ़िए पूरी खबर…
जगह : कोखराज
तारीख : 6 मार्च
समय : सुबह 3.30 बजे UP STF और पंजाब पुलिस ने कौशांबी में कोखराज के जंगल से बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) और ISI मॉड्यूल के संदिग्ध एक्टिव आतंकी लाजर मसीह को अरेस्ट किया। लाजर अमृतसर के कुरलियान गांव का रहने वाला है। वह BKI के जर्मन बेस्ड मॉड्यूल के प्रमुख स्वर्ण सिंह उर्फ जीवन फौजी का राइट हैंड है। लाजर मसीह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में भी था। वह अभी कौशांबी की जेल में है। आतंकी महाकुंभ क्षेत्र से 50km दूर कोखराज के जंगल में मांद (गुफा) बनाकर 45 दिन तक छिपा रहा। उससे पूछताछ के लिए सोमवार को UP पुलिस और पंजाब पुलिस ने अलग-अलग मामले में कोर्ट में रिमांड की अर्जी दी। लाजर मसीह ढाई फीट चौड़ी मिट्टी की मांद में कैसे रहा? उसके बारे में क्या कोई और भी शख्स जानता था? जिन लोगों ने उसे देखा, वो उसे पागल क्यों समझते थे? इनके जवाब तलाशने दैनिक भास्कर डिजिटल टीम प्रयागराज जिला मुख्यालय से कोखराज के जंगल पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले चरवाहा की बात, जिसने आतंकी को पहली बार देखा… चरवाहा बोला- मांद से निकलकर सरपट भागा था
कानपुर-प्रयागराज हाईवे से होकर हम कोखराज के जंगलों में पहुंचे। यहां की भौगोलिक स्थिति को समझते हुए हमारी मुलाकात एक चरवाहे से हुई। वह बकरी चराते हुए वहां तक पहुंचा था। हमने पूछा- क्या यहां से कुछ दिन पहले किसी आतंकी को पकड़ा गया है? चरवाहे ने बताया- उस दिन भोर में पूरा गांव जुटा था। सबके सामने ही तो पुलिसवाले उसको पकड़कर ले गए थे। जब पुलिस वाले आए तो वह आदमी मांद से निकलकर सरपट भागा था। उसकी चाल बहुत तेज थी। हमने पूछा- क्या पहले भी कभी उसको देखा था? चरवाहे ने कहा- मवेशी चराते हुए डेढ़ महीने में कई बार उस पागल (लाजर मसीह) को देखा था। कभी कटहल के पेड़ पर दिखता, कभी मिट्टी खोदता रहता वह कहते हैं- यह जंगल करीब 500 मीटर दायरे में फैला है। इसके चारों तरफ कोखराज-बरीपुर-अलीगंज और पुरवा तलरी गांव है। यह एरिया ठीक बीचों-बीच है। वह यहीं पर दिखता था। पागल जैसी हरकतें करता था। उसकी बहुत डरावनी सी शक्ल थी। कई बार तो वह ऐसी हरकत करता कि लगा कि वह भूख-प्यास से तड़प रहा है। मेरे पास पानी रहता है, मैंने उससे बात करने की कोशिश की, मगर वह किसी बात का जवाब नहीं देता था। बाद में भी अक्सर जंगल में दिखता था। कभी कटहल के पेड़ पर चढ़कर बैठा रहता। कभी टीलेनुमा जमीन को खोदता दिखता। वह पागलों जैसी हरकत करता रहता, इसलिए उसके करीब कोई नहीं जाता था। हमने पूछा- कोई तो आता ही होगा जंगल की तरफ? चरवाहा बोले- नहीं…कोई इधर नहीं आता। क्योंकि जंगल की तरफ जुआरी और शराबी रहते हैं तो उसी तरह के लोग आते हैं। बाकी कोई नहीं…। आसपास के किसान भी इस सन्नाटे में नहीं आते थे। अगर कोई मवेशी भटकता हुआ इधर आ जाए तो हम जैसे चरवाहों को उन्हें पकड़ने आना पड़ता है। अब मांद को समझिए… मांद के अंदर 2 रास्ते, एग्जिट सिर्फ 1 हम चरवाहा के साथ उस स्पॉट तक पहुंचे, जहां संदिग्ध आतंकी छिपा हुआ था। वह हमें जंगल के बीच में एक टीले नुमा जगह पर ले गया। वहां एक गुफा जैसी दिखाई दी। दीवारों पर ताजा खोदे जाने के निशान थे। करीब जाने पर अंदाजा लगा कि वह बाहरी हिस्से में करीब 3 फीट चौड़ी और 12 फीट तक गहरी है। अंदर जाने पर सभी जगह यह ढाई फीट चौड़ाई में खोदी गई थी। गुफानुमा मांद के अंदर का हिस्सा 2 संकरे रास्ते में दिखाई पड़ा। मांद के दूसरी तरफ का रास्ता संकरा था, जिसे पेड़ की टहनी रखकर ढका गया था। इसकी एक वजह यह भी रही होगी कि इस तरफ से कोई जंगली जानवर अंदर न आ सके। मांद को इस तरह से खोदा गया था कि कुछ दिन कोई शख्स इसके अंदर आराम से रह सके। खास बात यह है कि इस बंकरनुमा मांद को कुछ ऐसे तैयार किया गया था कि अगर सामने से कोई खतरा अंदर महसूस हो तो दूसरी तरफ से निकलकर भागा जा सके। कोई टॉर्च की रोशनी डाल पर देखने की कोशिश करे तो उसका ध्यान भटकाने के लिए गुफा में अंदर 2 रास्ते बनाए गए हैं। जबकि दोनों रास्तों में एक रास्ते से ही दूसरी तरफ निकालने का रास्ता है। पुलिस से बात करते हुए 3 सवाल के जवाब ढूंढे… 1. आतंकी ने जंगली इलाके को ही क्यों चुना?
आतंकी लाजर मसीह ने इस जंगल को कुछ खास वजह से चुना था। दरअसल, यह जगह नेशनल हाईवे–2 से 1 किमी दूर है। एक पतली डामर की सड़क इस जंगल के करीब से गुजरती है। अगर खेतों के रास्ते हाईवे तक जाना चाहे तो सिर्फ 500 मीटर पैदल चलना होगा। 2. लोगों को गुमराह करने की स्ट्रैटजी क्या थी?
मिट्टी की खोदी गई मांद में लाजर ने तिरपाल से अपने कपड़े और बिस्तर छिपाए हुए थे। लोगों ने बताया कि उसको जब भी देखा, फटे हुए कपड़ों में देखा। उसके हाथ में गंदा झोला रहता था। लोग अगर बात करने की कोशिश करते तो वह जैसे काटने को दौड़ता था। अक्सर एक ऊंचे कटहल के पेड़ पर चढ़कर सड़क की तरफ देखा करता। लोग कहते हैं कि इस दौरान भी वह कुछ बड़बड़ाता रहता था। 3. लाजर खाने–पीने की व्यवस्था कैसे करता था?
इस सवाल के जवाब के लिए हमने नेशनल हाईवे–2 के किनारे बने ढाबे और होटल के लोगों से बात की। आतंकी के बारे में सवाल सुनते ही सब बात करने से कतराने लगे। काफी देर इंतजार करने पर एक होटल कर्मचारी ने बताया- वह पागल (आतंकी) शाम होते ही यहां आसपास दिखाई पड़ता था। देर तक बैठा रहता, कभी खाना मांगता तो कभी लोगों के बच्चों की जूठन को इकट्ठा करके खाता दिखता। अपने साथ पॉलिथीन में लेकर भी जाता था। अब जंगल से हाईवे तक का माहौल समझिए… जंगल से हाईवे तक पूरा इलाका वीरान
दिमाग में उठ रहे सवालों के जवाब तलाशते हुए हम आतंकी लाजर की पनाहगार गुफा से निकलकर कच्चे रास्ते से होकर नेशनल हाईवे की तरफ चल पड़े। रास्ते में एक ईदगाह मिली। मौजूदा समय में ईदगाह और उसके आसपास का इलाका वीरान मिला। पास में खेतों में पानी की सिंचाई के लिए एक नलकूप दिखाई पड़ा, वह भी बंद था। आगे चलकर हम नेशनल हाईवे–2 के उस रास्ते पर पहुंचे, जहां से कोखराज पुलिस थाना एक किमी था। यहां से सिर्फ 800 मीटर दूर महाकुंभ के वाहनों की पार्किंग बनाई गई थी। इस पॉइंट से कानपुर से बनारस, प्रयागराज महाकुंभ की तरफ रास्ता जाता है। इसकी दूरी करीब 50 Km से ज्यादा है। सकाड़ा चेकपोस्ट से आगे नहीं बढ़ सका आतंकी
महाकुंभ के सुरक्षा घेरे का पहला पड़ाव कौशांबी का सकाड़ा चेक पॉइंट बनाया गया। यह दिल्ली-कानपुर-प्रयागराज रूट पर पड़ता है। यहां मॉडर्न हथियार से लैस सुरक्षाकर्मी दिन-रात चौकसी करते थे। चेक पॉइंट पर CCTV, बख्तरबंद गाड़ियां और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात रहती थी। पुलिस ने कहा कि लाजर कई बार इस स्पॉट से अंदर घुसने के लिए यहां तक पहुंचा, लेकिन एंट्री पॉइंट को पार नहीं कर सका। चरवाहे के मुताबिक एक दिन लाजर महाकुंभ एंट्री पॉइंट पार करके मूरतगंज कस्बे मे पैदल टहलता दिखाई पड़ा था। ATS पूछताछ में सामने आए फैक्ट पढ़िए… लखनऊ रूट से नहीं जा सका, तब कौशांबी की तरफ आया
ATS और पुलिस ने बब्बर खालसा (इंटरनेशनल) के आतंकी लाजर मसीह से पूछताछ की। आतंकी ने महाकुंभ में दाखिल होने के रास्ते के बारे में भी जानकारी दी है। सूत्र बताते है कि आतंकी लखनऊ के रास्ते प्रयागराज महाकुंभ पहुंचना चाहता था। वह खुद को छिपाते हुए कौशांबी तक तो आ गया, लेकिन सकाड़ा चेक पॉइंट से आगे नहीं बढ़ सका। एजेंसियां अब आतंकी मसीह के मोबाइल फोन को डीकोड कर उसके वर्क चैट और उस सिग्नल ऐप की पड़ताल कर रही हैं, जिसके जरिए वह अपने दूर बैठे आकाओं से संपर्क करता था। जांच एजेंसी उसके मददगार लोगों की तलाश कर रही हैं, जिन्होंने उसे 3 हैंड ग्रेनेड, विदेशी पिस्टल, कारतूस और सफेद पाउडर (विस्फोटक) मुहैया करवाया। जेल में CCTV से निगरानी, एजेंसियां पूछताछ कर रहीं
जिला जेल के अधीक्षक अजितेश मिश्रा ने कहा- आतंकी लाजर मसीह को जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। CCTV से निगरानी कर रहे हैं। आतंकी को दिए जाने वाले खाने को चेक करने के बाद ही दिया जा रहा है। उससे पूछताछ करने वाली एजेंसी के लोगों को बिना जेल दस्तावेजों के मिलने की अनुमति नहीं है। DIG जेल भी प्रयागराज की जिला जेल में पहुंचे थे। .—————————————————— आतंकी लाजर मसीह से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…
महाकुंभ के एंट्री-पॉइंट पर गुफा बनाकर रह रहा था आतंकी:हर दिन हैंडग्रेनेड लेकर निकलता था; हाई सिक्योरिटी की वजह से ब्लास्ट नहीं कर सका महाकुंभ पर आतंकी हमले की साजिश थी। पहले अमृत स्नान (14 फरवरी) से एक दिन पहले बब्बर खालसा का आतंकी लाजर मसीह महाकुंभ एंट्री पॉइंट से सिर्फ 1 KM दूर था। वह एक मिट्टी के टीले में गुफा बनाकर रह रहा था। पढ़िए पूरी खबर…