
मस्क का रुख
बेहतर करियर की तलाश में अमेरिका का रुख करने वालों के लिए H-1B वीजा सबसे बड़ी उम्मीद है। अभी वॉशिंगटन ने इस पर कैपिंग कर रखी है। हर साल 65 हजार लोगों को ये वीजा इशू किए जाते हैं। 2006 से अतिरिक्त 20 हजार प्रोफेशनल्स को भी यह वीजा दिया जा रहा है। 2023 में 75 लाख से ज्यादा H-1B वीजा होल्डर थे। हालांकि अमेरिकी इंडस्ट्री में प्रोफेशनल्स की मांग को देखते हुए यह संख्या भी कम है। यही वजह है कि ट्रंप के सहयोगी एलन मस्क ने बड़े वीजा सुधार की जरूरत बताई थी। मस्क के बयान के बाद ही ट्रंप का ताजा रुख सामने आया है।
गलत नजरिया
अमेरिका हर साल जितने H-1B वीजा जारी करता है, उनमें करीब 70% संख्या भारतीयों की होती है। इस वजह से इससे जुड़ा कोई भी डिवेलपमेंट सबसे ज्यादा भारतीयों पर असर डालता है। दुर्भाग्य से ट्रंप ने इस बार सत्ता में वापसी प्रवासियों के प्रति कड़े रुख के साथ की। उन्होंने विजन रखा ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA) और इसके लिए नौकरियों में अमेरिकियों को प्राथमिकता व अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती की बात की। चूंकि सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं, तो ट्रंप के परंपरागत वोटर्स ने अपने नेता के स्टैंड को भारतीय विरोधी नजरिये में बदल दिया।
खत्म होगा विवाद
ट्रंप ने जब से श्रीराम कृष्णन को AI के लिए नीति सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है, तब से अमेरिका में कुछ लोग प्रवासी भारतीयों को लेकर गुस्से का इजहार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर एक बहस छिड़ी हुई है, जिसकी दिशा भारतीय विरोधी होती जा रही है। ट्रंप के बयान से बेकार का यह विवाद खत्म होना चाहिए।
प्रवासियों की अहमियत
अगर प्रवासी भारतीयों या दूसरे देशों के नागरिकों को अमेरिका की जरूरत है, तो अमेरिका को भी इन प्रवासियों का सहारा चाहिए। मस्क इस बात को समझते हैं क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में जन्म लेने वाले मस्क H-1B वीजा का लाभ ले चुके हैं। उन्हें पता है कि अमेरिका को खासतौर पर टेक्नॉलजी की दुनिया में शीर्ष पर लाने वालों में प्रवासियों की कितनी बड़ी भूमिका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा का समर्थन किया, जिससे भारतीयों और अमेरिकी कंपनियों को लाभ होगा। एलन मस्क ने भी वीजा सुधार की जरूरत पर जोर दिया। हालांकि, ट्रंप के प्रवासी विरोधी रुख और MAGA नीति ने भारतीयों के प्रति विवाद बढ़ाया। उनका बयान इस विवाद को शांत कर सकता है।