
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि रोहिंग्या बच्चे सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं। एडमिशन देने से मना किए जाने पर वे हाईकोर्ट जा सकते हैं। कोर्ट ने यह आदेश UNHRC कार्ड रखने वाले शरणार्थी रोहिंग्या बच्चों के लिए दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव नाम के NGO की याचिका पर आदेश दिया है। याचिका में कहा गया था कि रोहिंग्या शरणार्थियों के पास आधार कार्ड न होने की वजह से उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। वे शरणार्थी हैं, उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। उनके पास UNHRC कार्ड हैं। सुप्रीम कोर्ट 12 फरवरी को भी इसी तरह की एक याचिका पर ऐसी ही आदेश दे चुका है। तब कोर्ट ने कहा था कि शिक्षा हासिल करने में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को शहर में रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पताल की सुविधा दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। रोहिंग्याओं की मदद करने वाले नेटवर्क पर कार्रवाई के आदेश
गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को भारत में घुसने में मदद करने वाले नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। शाह ने शुक्रवार को दिल्ली के लॉ एंड ऑर्डर पर हुई समीक्षा बैठक में यह आदेश दिया।
बैठक में उन्होंने कहा- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को देश में घुसने, उनके दस्तावेज बनवाने और यहां रहने में मदद करने वाले पूरे नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद, दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा समेत कई सीनियर अधिकारी भी शामिल थे। केंद्र का हलफनामा- हमें अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने की जरूरत
करीब साल भर पहले रोहिंग्याओं से जुड़े एक मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर केंद्र ने कहा था कि भारत में अवैध तरीके से दाखिल हुए रोहिंग्याओं को देश में रुकने की इजाजत देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है। भारत विकासशील देश होने के साथ ही दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाली देश भी है। ऐसे में हमें अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर डिटेंशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्यों को रिहा करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। उन रोहिंग्यों को फॉरेनर्स एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में डिटेंशन सेंटर में रखा गया था। कौन हैं रोहिंग्या
रोहिंग्या एक जाति समुदाय है, जिसमें अधिकतर मुस्लिम हैं। ये म्यांमार के रखाइन राज्य में रहते हैं। म्यांमार में साल 1982 में इनको देश का नागरिक न मानने वाला एक कानून पास किया गया। इसके बाद रोहिंग्या लोगों के पास स्कूल, हेल्थ सर्विस और देश में कहीं भी आने-जाने का खत्म हो गया। लगातार हो रही हिंसा से परेशान होकर हजारों रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश और भारत में शरण ली। ————————————– रोहिंग्या मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… फारूक बोले- रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी-बिजली मुहैया कराएंगे; केंद्र सरकार ने उन्हें बसाया, हमने नहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि रोहिंग्या बच्चे सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं। एडमिशन देने से मना किए जाने पर वे हाईकोर्ट जा सकते हैं। कोर्ट ने यह आदेश UNHRC कार्ड रखने वाले शरणार्थी रोहिंग्या बच्चों के लिए दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव नाम के NGO की याचिका पर आदेश दिया है। याचिका में कहा गया था कि रोहिंग्या शरणार्थियों के पास आधार कार्ड न होने की वजह से उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। वे शरणार्थी हैं, उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। उनके पास UNHRC कार्ड हैं। सुप्रीम कोर्ट 12 फरवरी को भी इसी तरह की एक याचिका पर ऐसी ही आदेश दे चुका है। तब कोर्ट ने कहा था कि शिक्षा हासिल करने में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को शहर में रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पताल की सुविधा दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। रोहिंग्याओं की मदद करने वाले नेटवर्क पर कार्रवाई के आदेश
गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को भारत में घुसने में मदद करने वाले नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। शाह ने शुक्रवार को दिल्ली के लॉ एंड ऑर्डर पर हुई समीक्षा बैठक में यह आदेश दिया।
बैठक में उन्होंने कहा- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को देश में घुसने, उनके दस्तावेज बनवाने और यहां रहने में मदद करने वाले पूरे नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद, दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा समेत कई सीनियर अधिकारी भी शामिल थे। केंद्र का हलफनामा- हमें अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने की जरूरत
करीब साल भर पहले रोहिंग्याओं से जुड़े एक मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर केंद्र ने कहा था कि भारत में अवैध तरीके से दाखिल हुए रोहिंग्याओं को देश में रुकने की इजाजत देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है। भारत विकासशील देश होने के साथ ही दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाली देश भी है। ऐसे में हमें अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर डिटेंशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्यों को रिहा करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। उन रोहिंग्यों को फॉरेनर्स एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में डिटेंशन सेंटर में रखा गया था। कौन हैं रोहिंग्या
रोहिंग्या एक जाति समुदाय है, जिसमें अधिकतर मुस्लिम हैं। ये म्यांमार के रखाइन राज्य में रहते हैं। म्यांमार में साल 1982 में इनको देश का नागरिक न मानने वाला एक कानून पास किया गया। इसके बाद रोहिंग्या लोगों के पास स्कूल, हेल्थ सर्विस और देश में कहीं भी आने-जाने का खत्म हो गया। लगातार हो रही हिंसा से परेशान होकर हजारों रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश और भारत में शरण ली। ————————————– रोहिंग्या मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… फारूक बोले- रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी-बिजली मुहैया कराएंगे; केंद्र सरकार ने उन्हें बसाया, हमने नहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। पूरी खबर पढ़ें…