
कोटपूतली में बोरवेल में फंसी चेतना को निकालने के लिए एनडीआरएफ के 2 जवान 170 फीट गहराई में उतरे हैं। यहां से वे 10 फीट की सुरंग खोद रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ ने नए प्लान के लिए 6 जवानों को तैयार किया है। वे दो-दो के बैच में नीचे जाकर खुदाई करेंगे। वहीं, जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दावा किया है कि ये राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन है। इससे पहले प्रशासन के बार-बार बदलते प्लान और अब बारिश ने रेस्क्यू को लंबा कर दिया है। परिवार-ग्रामीणों ने भी प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। चेतना के ताऊ शुभराम ने शनिवार सुबह कहा कि- अधिकारी जवाब नहीं देते हैं। ज्यादा पूछो तो कहते हैं-कलेक्टर मैम बताएंगी, अभी वो सो रही हैं। वे अब तक परिवार से मिलने तक नहीं आई हैं। चेतना की मां धोली देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। वो बार-बार हाथ जोड़कर बच्ची को बाहर निकालने की गुहार लगा रही हैं। 120 घंटे बाद नहीं हो सका रेस्क्यू दरअसल, किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी की चेतना सोमवार (23 दिसंबर) को 700 फीट गहरे बोरवेल में 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं। मासूम करीब 120 घंटे से भूखी-प्यासी है और चार दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। अधिकारी उसकी कंडीशन को लेकर अब कुछ भी कहने से बच रहे हैं। वहीं, चेतना का परिवार लगातार प्रशासन पर अनदेखी और लापरवाही के आरोप लगा रहा है। कलेक्टर ने बताया नए प्लान में क्या कर रहे? जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि बोरवेल के पास समानांतर गड्ढा खोदकर एल आकार की सुरंग के जरिए चेतना तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। गड्ढे में उतरे 2 एनडीआरएफ जवान मैनुअल ड्रिल कर रहे हैं। हम उन्हें कैमरे पर देख रहे हैं। वे नीचे से जिन उपकरणों की डिमांड कर रहे हैं वे उन्हें भेजे जा रहे हैं। जहां ड्रिल किया जा रहा है वहां पर्याप्त ऑक्सीजन है। टीम के संपर्क में हैं। नीचे की परत हार्ड है। कितनी देर लगेगी, कहा नहीं जा सकता। फिर भी सात से आठ घंटे लग सकते हैं। हमारे पास रेस्क्यू के लिए पर्याप्त और एक्सपर्ट लोग हैं। जैसे ही ये लोग थकेंगे, दूसरे दो जवानों की टीम को उतारा जाएगा। नीचे कैसी परिस्थितियां हैं वो किसी को पता नहीं होता, मौसम भी खराब है। ये राजस्थान का अब तक का सबसे गहराई वाला और मुश्किल ऑपरेशन है। अब देखिए रेस्क्यू से जुड़े PHOTOS…
कोटपूतली में बोरवेल में फंसी चेतना को निकालने के लिए एनडीआरएफ के 2 जवान 170 फीट गहराई में उतरे हैं। यहां से वे 10 फीट की सुरंग खोद रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ ने नए प्लान के लिए 6 जवानों को तैयार किया है। वे दो-दो के बैच में नीचे जाकर खुदाई करेंगे। वहीं, जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दावा किया है कि ये राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन है। इससे पहले प्रशासन के बार-बार बदलते प्लान और अब बारिश ने रेस्क्यू को लंबा कर दिया है। परिवार-ग्रामीणों ने भी प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। चेतना के ताऊ शुभराम ने शनिवार सुबह कहा कि- अधिकारी जवाब नहीं देते हैं। ज्यादा पूछो तो कहते हैं-कलेक्टर मैम बताएंगी, अभी वो सो रही हैं। वे अब तक परिवार से मिलने तक नहीं आई हैं। चेतना की मां धोली देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। वो बार-बार हाथ जोड़कर बच्ची को बाहर निकालने की गुहार लगा रही हैं। 120 घंटे बाद नहीं हो सका रेस्क्यू दरअसल, किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी की चेतना सोमवार (23 दिसंबर) को 700 फीट गहरे बोरवेल में 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं। मासूम करीब 120 घंटे से भूखी-प्यासी है और चार दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। अधिकारी उसकी कंडीशन को लेकर अब कुछ भी कहने से बच रहे हैं। वहीं, चेतना का परिवार लगातार प्रशासन पर अनदेखी और लापरवाही के आरोप लगा रहा है। कलेक्टर ने बताया नए प्लान में क्या कर रहे? जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि बोरवेल के पास समानांतर गड्ढा खोदकर एल आकार की सुरंग के जरिए चेतना तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। गड्ढे में उतरे 2 एनडीआरएफ जवान मैनुअल ड्रिल कर रहे हैं। हम उन्हें कैमरे पर देख रहे हैं। वे नीचे से जिन उपकरणों की डिमांड कर रहे हैं वे उन्हें भेजे जा रहे हैं। जहां ड्रिल किया जा रहा है वहां पर्याप्त ऑक्सीजन है। टीम के संपर्क में हैं। नीचे की परत हार्ड है। कितनी देर लगेगी, कहा नहीं जा सकता। फिर भी सात से आठ घंटे लग सकते हैं। हमारे पास रेस्क्यू के लिए पर्याप्त और एक्सपर्ट लोग हैं। जैसे ही ये लोग थकेंगे, दूसरे दो जवानों की टीम को उतारा जाएगा। नीचे कैसी परिस्थितियां हैं वो किसी को पता नहीं होता, मौसम भी खराब है। ये राजस्थान का अब तक का सबसे गहराई वाला और मुश्किल ऑपरेशन है। अब देखिए रेस्क्यू से जुड़े PHOTOS…