
देश के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए राजघाट पर जगह न देने से सिख नेता भड़क उठे हैं। पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस सांसदों ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह केंद्र का सिखों के साथ सौतेला व्यवहार है। अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल ने कहा कि परिवार की मांग को ठुकराकर केंद्र सरकार ने उन्हें चौंका दिया है। यह मांग देश की परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों के अनुरूप थी। केंद्र के इस फैसले के चलते अब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सामान्य श्मशान घाट (निगमबोध घाट) पर किया गया। केंद्र की तरफ से जारी लेटर, जिसमें निगमबोध घाट पर अंतिम सस्कार की बात कही गई…. पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल की 4 अहम बातें… 1. मनमोहन के परिवार का अनुरोध ठुकराना निंदनीय
सुखबीर बादल ने कहा कि ये फैसला चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार की उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने देश के इस महान नेता के अंतिम संस्कार और अंतिम क्रियाकर्म के लिए एक ऐतिहासिक और उपयुक्त स्मारक बनाने की जगह मांगी थी। 2. राजघाट पर अंतिम संस्कार होना चाहिए था
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार का स्थान राजघाट होना चाहिए था। यह पुरानी प्रथा और परंपरा के अनुरूप होता जो पहले से चली आ रही है। यह समझ से परे है कि सरकार इस महान नेता के प्रति ऐसा असम्मान क्यों दिखा रही है, जो सिख समुदाय के पहले और एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का गौरव प्राप्त किया। 3. केंद्र सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति
सुखबीर बादल ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। भाजपा सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति इस स्तर तक जा सकती है। जहां वह डॉ. मनमोहन सिंह के वैश्विक कद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आदर और सम्मान के पात्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 4. राजनीतिक मतभेद अपनी जगह, मनमोहन पूरे राष्ट्र के हैं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह को हमेशा राजनीति और पार्टी सीमाओं से परे देखा गया है। वह पूरे राष्ट्र के हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के साथ सिख और पंजाब से जुड़े मुद्दों पर बड़ी संवेदनशीलता और करुणा दिखाई। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से अपील करते हैं कि इस निंदनीय फैसले को बदला जाए। सुखबीर बादल की सोशल मीडिया पोस्ट… कांग्रेस सांसद बोले- सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया
कांग्रेस सांसद व पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी ने भारत सरकार से राजघाट के पास एक स्मारक बनाने के लिए स्थान देने की मांग की थी। मगर, सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के महान कद और पुरानी परंपरा को नजरअंदाज करते हुए सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया है। यह फैसला सिख समुदाय में असंतोष और निराशा पैदा कर सकता है। कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा की सोशल मीडिया पोस्ट…. डॉ. दलजीत चीमा- भारत सरकार का निर्णय दुखद
प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए एक सम्मानजनक जगह और स्मारक निर्माण की मांग को ठुकरा दिया गया। सिख समुदाय से आने वाले पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि अल्पसंख्यकों को सम्मान और मूल्यवान महसूस हो, हमारा नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। ———————– मनमोहन सिंह से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने, क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से पुराना नाता रहा। उन्होंने यहां स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से पढ़ाई की और इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1952 में इकोनॉमिक्स में बैचलर और 1954 में मास्टर डिग्री हासिल की थी। पूरी खबर पढ़ें…
देश के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए राजघाट पर जगह न देने से सिख नेता भड़क उठे हैं। पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस सांसदों ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह केंद्र का सिखों के साथ सौतेला व्यवहार है। अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल ने कहा कि परिवार की मांग को ठुकराकर केंद्र सरकार ने उन्हें चौंका दिया है। यह मांग देश की परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों के अनुरूप थी। केंद्र के इस फैसले के चलते अब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सामान्य श्मशान घाट (निगमबोध घाट) पर किया गया। केंद्र की तरफ से जारी लेटर, जिसमें निगमबोध घाट पर अंतिम सस्कार की बात कही गई…. पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल की 4 अहम बातें… 1. मनमोहन के परिवार का अनुरोध ठुकराना निंदनीय
सुखबीर बादल ने कहा कि ये फैसला चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार की उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने देश के इस महान नेता के अंतिम संस्कार और अंतिम क्रियाकर्म के लिए एक ऐतिहासिक और उपयुक्त स्मारक बनाने की जगह मांगी थी। 2. राजघाट पर अंतिम संस्कार होना चाहिए था
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार का स्थान राजघाट होना चाहिए था। यह पुरानी प्रथा और परंपरा के अनुरूप होता जो पहले से चली आ रही है। यह समझ से परे है कि सरकार इस महान नेता के प्रति ऐसा असम्मान क्यों दिखा रही है, जो सिख समुदाय के पहले और एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का गौरव प्राप्त किया। 3. केंद्र सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति
सुखबीर बादल ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। भाजपा सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति इस स्तर तक जा सकती है। जहां वह डॉ. मनमोहन सिंह के वैश्विक कद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आदर और सम्मान के पात्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 4. राजनीतिक मतभेद अपनी जगह, मनमोहन पूरे राष्ट्र के हैं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह को हमेशा राजनीति और पार्टी सीमाओं से परे देखा गया है। वह पूरे राष्ट्र के हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के साथ सिख और पंजाब से जुड़े मुद्दों पर बड़ी संवेदनशीलता और करुणा दिखाई। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से अपील करते हैं कि इस निंदनीय फैसले को बदला जाए। सुखबीर बादल की सोशल मीडिया पोस्ट… कांग्रेस सांसद बोले- सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया
कांग्रेस सांसद व पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी ने भारत सरकार से राजघाट के पास एक स्मारक बनाने के लिए स्थान देने की मांग की थी। मगर, सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के महान कद और पुरानी परंपरा को नजरअंदाज करते हुए सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया है। यह फैसला सिख समुदाय में असंतोष और निराशा पैदा कर सकता है। कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा की सोशल मीडिया पोस्ट…. डॉ. दलजीत चीमा- भारत सरकार का निर्णय दुखद
प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए एक सम्मानजनक जगह और स्मारक निर्माण की मांग को ठुकरा दिया गया। सिख समुदाय से आने वाले पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि अल्पसंख्यकों को सम्मान और मूल्यवान महसूस हो, हमारा नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। ———————– मनमोहन सिंह से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने, क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से पुराना नाता रहा। उन्होंने यहां स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से पढ़ाई की और इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1952 में इकोनॉमिक्स में बैचलर और 1954 में मास्टर डिग्री हासिल की थी। पूरी खबर पढ़ें…