
हिमाचल प्रदेश में बनी 27 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मानकों पर ये दवाइयां खरी नहीं उतरीं। CDSCO ने इसे लेकर ड्रग अलर्ट जारी किया है। स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने इन दवाइयां को बनाने वाले कंपनियों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। नोटिस का जवाब मिलने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। हिमाचल से बनने वाली दवाइयां देशभर में सप्लाई होती हैं। सैंपल फेल होने के बाद ड्रग कंट्रोलर ने इन फार्मा कंपनियों से दवाओं का स्टॉक वापस मंगाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मानकों पर खरा न उतर पाने वाली ये दवाइयां लोगों तक न पहुंच सकें। देश में नवंबर माह में कुल 111 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें 27 दवाएं हिमाचल में बनी हैं। जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उनमें अधिकांश दवाइयां हृदय रोग के उपचार, हाई बीपी, दर्द, एंटीबायोटिक व एलर्जी सहित अन्य बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं। एक कंपनी के पहले भी सैंपल फेल हो चुके
CDSCO के अनुसार ज्यादातर दवाएं हार्ट, बीपी, एंटीबायोटिक, किडनी और एलर्जी जैसी बीमारियों से संबंधित हैं। इनमें ज्यादातर दवाएं बद्दी बरोटीवाला व नालागढ़ (बीबीएन) में बनी हैं। सोलन और कालाअंब की कंपनियों की दवाओं के सैंपल भी फेल हुए हैं। केंद्रीय लैब में हिमाचल के 16 और स्टेट लैब में 11 दवाओं के सैंपल फेल पाए गए। बीबीएन की मार्टिन एंड ब्राउन कंपनी की तीन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। हैरानी इस बात की है कि इसी साल पहले भी इस कंपनी की चार दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। इस कारण फेल होते हैं दवाओं के सैंपल
दवाओं के फेल होने का सबसे बड़ा कारण तापमान व लेबल की कमी रहती है। जानकारी के अनुसार दवाओं के उत्पादन के समय एरिया व स्टोरेज एरिया तापमान फिक्स करके रखा जाता है। इसके बाद ट्रांसपोर्ट के समय तापमान में उतार-चढ़ाव के होने से भी दवाओं की क्वालिटी पर असर पड़ जाता है। वहीं, इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण मिस ब्राडेड भी रहता है, जिसका मतलब लेबल की कमी है। कई बार उत्पादन के समय कैमिक्ल व रॉ मैटेरियल की गुणवत्ता ठीक न होने से दवाओं की क्वालिटी खराब हो जाती है। ड्रग कंट्रोलर बोले- नियमों के तहत कार्रवाई करेंगे
स्टेट ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि जिन कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं उन पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इन सभी दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में बनी 27 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मानकों पर ये दवाइयां खरी नहीं उतरीं। CDSCO ने इसे लेकर ड्रग अलर्ट जारी किया है। स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने इन दवाइयां को बनाने वाले कंपनियों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। नोटिस का जवाब मिलने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। हिमाचल से बनने वाली दवाइयां देशभर में सप्लाई होती हैं। सैंपल फेल होने के बाद ड्रग कंट्रोलर ने इन फार्मा कंपनियों से दवाओं का स्टॉक वापस मंगाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मानकों पर खरा न उतर पाने वाली ये दवाइयां लोगों तक न पहुंच सकें। देश में नवंबर माह में कुल 111 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें 27 दवाएं हिमाचल में बनी हैं। जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उनमें अधिकांश दवाइयां हृदय रोग के उपचार, हाई बीपी, दर्द, एंटीबायोटिक व एलर्जी सहित अन्य बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं। एक कंपनी के पहले भी सैंपल फेल हो चुके
CDSCO के अनुसार ज्यादातर दवाएं हार्ट, बीपी, एंटीबायोटिक, किडनी और एलर्जी जैसी बीमारियों से संबंधित हैं। इनमें ज्यादातर दवाएं बद्दी बरोटीवाला व नालागढ़ (बीबीएन) में बनी हैं। सोलन और कालाअंब की कंपनियों की दवाओं के सैंपल भी फेल हुए हैं। केंद्रीय लैब में हिमाचल के 16 और स्टेट लैब में 11 दवाओं के सैंपल फेल पाए गए। बीबीएन की मार्टिन एंड ब्राउन कंपनी की तीन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। हैरानी इस बात की है कि इसी साल पहले भी इस कंपनी की चार दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। इस कारण फेल होते हैं दवाओं के सैंपल
दवाओं के फेल होने का सबसे बड़ा कारण तापमान व लेबल की कमी रहती है। जानकारी के अनुसार दवाओं के उत्पादन के समय एरिया व स्टोरेज एरिया तापमान फिक्स करके रखा जाता है। इसके बाद ट्रांसपोर्ट के समय तापमान में उतार-चढ़ाव के होने से भी दवाओं की क्वालिटी पर असर पड़ जाता है। वहीं, इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण मिस ब्राडेड भी रहता है, जिसका मतलब लेबल की कमी है। कई बार उत्पादन के समय कैमिक्ल व रॉ मैटेरियल की गुणवत्ता ठीक न होने से दवाओं की क्वालिटी खराब हो जाती है। ड्रग कंट्रोलर बोले- नियमों के तहत कार्रवाई करेंगे
स्टेट ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि जिन कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं उन पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इन सभी दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।