
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के चौथे दिन सांसद-लेखक शशि थरूर ने कहा- हिंदुत्व और हिंदुइज्म दो अलग-अलग चीजें हैं। मैंने हिंदू धर्म की जितनी किताबें पढ़ी हैं, उनसे हिंदुत्व से कोई मेल नहीं है। यह सिर्फ एक राजनीतिक हथियार है। हिंदुत्व, हिंदुइज्म को सीमित करता है। यह हिंदुइज्म को एक ईश्वर, एक मंदिर, एक नेता से लेकर एक देश, एक चुनाव तक में सीमित करता है। जब इंडिया अलायंस बना था, तब भी यह साफ था कि यह राज्यों में काम नहीं करेगा। दिल्ली में हम लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर साथ थे, अब नहीं हैं। यह राज्यों के पॉलिटिकल कैरेक्टर पर निर्भर करेगा। इसलिए न इंडिया अलायंस का मर्सिया (शोक गीत) पढ़ा जाना चाहिए, न इस बात का जश्न मनाया जाना चाहिए कि अब इंडिया अलायंस के दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन ‘पुरुषार्थ: द फोर वे पार्ट’ सत्र के दौरान लेखक-सांसद शशि थरूर और लेखक फ्रांसेस्क मिराल्स ने पल्लवी अय्यर के साथ हिंदू धर्म, भक्ति और आधुनिक समय में प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता पर चर्चा की। थरूर बोले- हिंदू धर्म सभी को अपनाने वाला होता है
थरूर ने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा- जिसे कोई शिव कहता है, कोई अल्लाह कहता है, कोई ईसा कहता है। सब एक ही हैं। हिंदू धर्म में किसी एक मार्ग को सर्वोत्तम बताने की कोई जगह नहीं है। इसे शंकराचार्य ने भी बताया है। गीता में भी कर्म को प्रधान बताया है। कर्म करो फल कि इच्छा न करो। महात्मा गांधी भी इसे ही मानते थे और मैं भी। और एक अवधारणा सावरकर की भी थी। हिंदू धर्म सभी को अपनाने वाला होता है, लेकिन देश में इन दिनों एक मसला रोहिंग्या का भी चल रहा है। दर्द बांटने वालों की जरूरत थी, मीडिया ने निशाने पर लिया
शशि थरूर ने रविवार शाम को ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ सेशन में पत्रकार वीर संघवी के साथ रोचक बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा- जिस वक्त मुझे दर्द बांटने वालों की जरूरत थी, ऐसे वक्त में भी मुझे मीडिया ने निशाने पर लिया था। मेरी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के समय मीडिया ने मुझे ट्रोल किया। थरूर ने कहा- जब मैं संयुक्त राष्ट्र में अध्यक्ष कॉफी अन्नान के साथ था तो उन्होंने कहा था कि शार्क के काटने पर खून नहीं बहाया जाता। शार्क को पता चला तो उस व्यक्ति को खा जाती है। इस बात का अर्थ मुझे भारत के मीडिया के ट्रायल पर समझ में आ गया। अब मैं खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने से बेहतर लिखना और पढ़ना जरूरी समझता हूं। अमोल पालेकर ने सुनाया बीआर चोपड़ा से झगड़े का किस्सा इससे पहले बॉलीवुड एक्टर अमोल पालेकर ने फिल्म निर्देशक बीआर चोपड़ा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया। बकाया पैसे मांगने पर चोपड़ा ने अमोल को इंडस्ट्री से बाहर फेंक देने की धमकी दी थी। अमोल ने जवाब में कहा था- फिल्म इंडस्ट्री आपका बंगला नहीं, मैं यहां अपने दम पर टिका हूं। मामला फिर भी ठंडा नहीं हुआ। बात आगे बढ़ती गई। अमोल ने भी हार नहीं मानी और मामला कोर्ट तक ले गए। उन्हें जीत मिली। ब्याज के साथ पैसे वापस हुए तो उन्होंने पूरी राशि दान कर दी थी। फोटो में देखिए… जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
JLF की ये खबरें भी पढ़िए… मोहिंदर अमरनाथ बोले- BCCI को मेरे सरनेम से दिक्कत थी:अगरकर का नाम लिए बिना कहा- मजबूत सिलेक्टर ही रोहित-विराट पर फैसला लेगा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) की गुरुवार से शुरुआत हो गई है। 5 दिवसीय इस फेस्टिवल में दुनिया भर से 600 से अधिक स्पीकर्स हिस्सा लेंगे। फेस्टिवल में पहले दिन सुधा मूर्ति, जावेद अख्तर, कैलाश सत्यार्थी समेत कई लोगों के सेशन हुए। (पूरी खबर पढ़ें) कैलाश खेर बोले -MBA टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं:जो ज्यादा कन्फ्यूज, वे सीईओ बन जाते हैं; JLF के मंच पर दो एक्टर में विवाद जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन सिंगर कैलाश खेर का ‘तेरी दीवानी शब्दों के पार’ सेशन हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा- एमबीए टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं, जो ज्यादा कन्फ्यूज होते हैं, वे सीईओ बन जाते हैं। (पूरी खबर पढ़ें) नारायण मूर्ति की बेटी ने पूछा-बर्थडे-पार्टी क्यों नहीं करने दी?:मां सुधा बोलीं-मैंने फ्रूटी-समोसा दिया; 3000 सेक्स वर्कर्स की जिंदगी बदली, उन्होंने मुझ पर टमाटर फेंके सुधा मूर्ति बोलीं- मैंने-बेटी ने बच्चों के लिए करियर छोड़ा: अक्षता मूर्ति ने मां से पूछा बचपन में पार्टी क्यों नहीं करने दी, मुझे बुरा लगा था (पूरी खबर पढ़ें)
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के चौथे दिन सांसद-लेखक शशि थरूर ने कहा- हिंदुत्व और हिंदुइज्म दो अलग-अलग चीजें हैं। मैंने हिंदू धर्म की जितनी किताबें पढ़ी हैं, उनसे हिंदुत्व से कोई मेल नहीं है। यह सिर्फ एक राजनीतिक हथियार है। हिंदुत्व, हिंदुइज्म को सीमित करता है। यह हिंदुइज्म को एक ईश्वर, एक मंदिर, एक नेता से लेकर एक देश, एक चुनाव तक में सीमित करता है। जब इंडिया अलायंस बना था, तब भी यह साफ था कि यह राज्यों में काम नहीं करेगा। दिल्ली में हम लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर साथ थे, अब नहीं हैं। यह राज्यों के पॉलिटिकल कैरेक्टर पर निर्भर करेगा। इसलिए न इंडिया अलायंस का मर्सिया (शोक गीत) पढ़ा जाना चाहिए, न इस बात का जश्न मनाया जाना चाहिए कि अब इंडिया अलायंस के दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन ‘पुरुषार्थ: द फोर वे पार्ट’ सत्र के दौरान लेखक-सांसद शशि थरूर और लेखक फ्रांसेस्क मिराल्स ने पल्लवी अय्यर के साथ हिंदू धर्म, भक्ति और आधुनिक समय में प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता पर चर्चा की। थरूर बोले- हिंदू धर्म सभी को अपनाने वाला होता है
थरूर ने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा- जिसे कोई शिव कहता है, कोई अल्लाह कहता है, कोई ईसा कहता है। सब एक ही हैं। हिंदू धर्म में किसी एक मार्ग को सर्वोत्तम बताने की कोई जगह नहीं है। इसे शंकराचार्य ने भी बताया है। गीता में भी कर्म को प्रधान बताया है। कर्म करो फल कि इच्छा न करो। महात्मा गांधी भी इसे ही मानते थे और मैं भी। और एक अवधारणा सावरकर की भी थी। हिंदू धर्म सभी को अपनाने वाला होता है, लेकिन देश में इन दिनों एक मसला रोहिंग्या का भी चल रहा है। दर्द बांटने वालों की जरूरत थी, मीडिया ने निशाने पर लिया
शशि थरूर ने रविवार शाम को ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ सेशन में पत्रकार वीर संघवी के साथ रोचक बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा- जिस वक्त मुझे दर्द बांटने वालों की जरूरत थी, ऐसे वक्त में भी मुझे मीडिया ने निशाने पर लिया था। मेरी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के समय मीडिया ने मुझे ट्रोल किया। थरूर ने कहा- जब मैं संयुक्त राष्ट्र में अध्यक्ष कॉफी अन्नान के साथ था तो उन्होंने कहा था कि शार्क के काटने पर खून नहीं बहाया जाता। शार्क को पता चला तो उस व्यक्ति को खा जाती है। इस बात का अर्थ मुझे भारत के मीडिया के ट्रायल पर समझ में आ गया। अब मैं खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने से बेहतर लिखना और पढ़ना जरूरी समझता हूं। अमोल पालेकर ने सुनाया बीआर चोपड़ा से झगड़े का किस्सा इससे पहले बॉलीवुड एक्टर अमोल पालेकर ने फिल्म निर्देशक बीआर चोपड़ा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया। बकाया पैसे मांगने पर चोपड़ा ने अमोल को इंडस्ट्री से बाहर फेंक देने की धमकी दी थी। अमोल ने जवाब में कहा था- फिल्म इंडस्ट्री आपका बंगला नहीं, मैं यहां अपने दम पर टिका हूं। मामला फिर भी ठंडा नहीं हुआ। बात आगे बढ़ती गई। अमोल ने भी हार नहीं मानी और मामला कोर्ट तक ले गए। उन्हें जीत मिली। ब्याज के साथ पैसे वापस हुए तो उन्होंने पूरी राशि दान कर दी थी। फोटो में देखिए… जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
JLF की ये खबरें भी पढ़िए… मोहिंदर अमरनाथ बोले- BCCI को मेरे सरनेम से दिक्कत थी:अगरकर का नाम लिए बिना कहा- मजबूत सिलेक्टर ही रोहित-विराट पर फैसला लेगा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) की गुरुवार से शुरुआत हो गई है। 5 दिवसीय इस फेस्टिवल में दुनिया भर से 600 से अधिक स्पीकर्स हिस्सा लेंगे। फेस्टिवल में पहले दिन सुधा मूर्ति, जावेद अख्तर, कैलाश सत्यार्थी समेत कई लोगों के सेशन हुए। (पूरी खबर पढ़ें) कैलाश खेर बोले -MBA टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं:जो ज्यादा कन्फ्यूज, वे सीईओ बन जाते हैं; JLF के मंच पर दो एक्टर में विवाद जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन सिंगर कैलाश खेर का ‘तेरी दीवानी शब्दों के पार’ सेशन हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा- एमबीए टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं, जो ज्यादा कन्फ्यूज होते हैं, वे सीईओ बन जाते हैं। (पूरी खबर पढ़ें) नारायण मूर्ति की बेटी ने पूछा-बर्थडे-पार्टी क्यों नहीं करने दी?:मां सुधा बोलीं-मैंने फ्रूटी-समोसा दिया; 3000 सेक्स वर्कर्स की जिंदगी बदली, उन्होंने मुझ पर टमाटर फेंके सुधा मूर्ति बोलीं- मैंने-बेटी ने बच्चों के लिए करियर छोड़ा: अक्षता मूर्ति ने मां से पूछा बचपन में पार्टी क्यों नहीं करने दी, मुझे बुरा लगा था (पूरी खबर पढ़ें)