
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के दरबार हॉल में आज दैनिक भास्कर की ओर से 8वां ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को दिया गया। उन्हें सम्मान में 2 लाख रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र दिया गया। सम्मान समारोह में दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर एलपी पंत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं गीतकार बनने नहीं निकला था। मैं कुछ भी बनने नहीं निकला था, बस बनता चला गया। गीतकार स्वानंद किरकिरे ने ‘ओ री चिरैया’, ‘नवराई माझी’, ‘बावरा मन देखने’, ‘आल इज वेल’, ‘तू किसी रेल सी’ जैसे कई कालजयी गाने दिए हैं। चांद को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करता हूं
स्वानंद किरकिरे ने कहा- बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इस लिस्ट में मुझे शामिल किया गया है, मैं बहुत खुश हूं। स्वानंद किरकिरे ने कहा- मैं कोई गीतकार बनने नहीं चला था, बस मैं बनता चला गया। मैं जावेद अख्तर साहब का बहुत बड़ा फैन हूं। मुझे अमिताभ भट्टाचार्य का काम बहुत अच्छा लगता है। गुलजार साहब ने चांद को बहुत अलग-अलग तरीके से देखा, इसलिए मैं भी चांद को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करता हूं। मैं इंदौर से हूं। मेरे माता-पिता भी संगीत फैमिली से जुड़े थे, लेकिन गीतकारों में पहली मुलाकात मेरी गुलजार साहब से हुई। गुलजार साहब के गीत मेरे कानों पर कुछ अलग तरीके से पड़े। उनके गीतों ने मेरे मन पर एक अलग तरीके की छाप छोड़ी। गुलजार साहब के गीतों में जिस तरीके के शब्दों का चयन होता है। उन्हें देखकर लगता है कि यह बड़ा इंटरेस्टिंग है। इसे देखकर मेरा संगीत की तरफ इंटरेस्ट जागा। मैं कोई गीतकार बनने नहीं निकला था। मैं कुछ बनने ही नहीं निकला था। मैं जो बना, वह बनता चला गया। गुलजार साहब के सारे गीत मुझे ऐसे लगते हैं कि यह मेरे लिए ही हैं। मैं बहुत प्यार से गीतकारों को सुनता हूं। मेरा शुरुआती गीत बावरा मन देखने चला एक सपना है। गुलजार साहब का गीतों के प्रति प्रेम बड़ा ही मजेदार है। दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत ने बताया कि दैनिक भास्कर हर साल जेएलएफ में ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ समारोह आयोजित करता है। हम सभी जानते हैं कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य की क्या बेचैनियां रहती हैं। इस बार हमने गीतकार व प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ दिया है। 2016 में हुई थी सम्मान की शुरुआत
जेएलएफ के मंच से श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान की शुरुआत 2016 में हुई थी। प्रभात रंजन, यतींद्र मिश्र, सत्य व्यास, दीपक रमोला, मनोज मुंतशिर शुक्ला, इरशाद कामिल और अमीश त्रिपाठी जैसे दिग्गजों को अब तक यह सम्मान दिया जा चुका है। दैनिक भास्कर ने हिंदी के लेखकों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सम्मान की शुरुआत की थी। —— जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की ये खबर भी पढ़ें… कैलाश खेर बोले-MBA टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं:जो ज्यादा कन्फ्यूज, वे सीईओ बन जाते हैं; JLF के मंच पर दो एक्टर में विवाद जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन सिंगर कैलाश खेर का ‘तेरी दीवानी शब्दों के पार’ सेशन हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा- एमबीए टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं, जो ज्यादा कन्फ्यूज होते हैं, वे सीईओ बन जाते हैं। (पढ़ें पूरी खबर)
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के दरबार हॉल में आज दैनिक भास्कर की ओर से 8वां ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को दिया गया। उन्हें सम्मान में 2 लाख रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र दिया गया। सम्मान समारोह में दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर एलपी पंत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं गीतकार बनने नहीं निकला था। मैं कुछ भी बनने नहीं निकला था, बस बनता चला गया। गीतकार स्वानंद किरकिरे ने ‘ओ री चिरैया’, ‘नवराई माझी’, ‘बावरा मन देखने’, ‘आल इज वेल’, ‘तू किसी रेल सी’ जैसे कई कालजयी गाने दिए हैं। चांद को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करता हूं
स्वानंद किरकिरे ने कहा- बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इस लिस्ट में मुझे शामिल किया गया है, मैं बहुत खुश हूं। स्वानंद किरकिरे ने कहा- मैं कोई गीतकार बनने नहीं चला था, बस मैं बनता चला गया। मैं जावेद अख्तर साहब का बहुत बड़ा फैन हूं। मुझे अमिताभ भट्टाचार्य का काम बहुत अच्छा लगता है। गुलजार साहब ने चांद को बहुत अलग-अलग तरीके से देखा, इसलिए मैं भी चांद को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करता हूं। मैं इंदौर से हूं। मेरे माता-पिता भी संगीत फैमिली से जुड़े थे, लेकिन गीतकारों में पहली मुलाकात मेरी गुलजार साहब से हुई। गुलजार साहब के गीत मेरे कानों पर कुछ अलग तरीके से पड़े। उनके गीतों ने मेरे मन पर एक अलग तरीके की छाप छोड़ी। गुलजार साहब के गीतों में जिस तरीके के शब्दों का चयन होता है। उन्हें देखकर लगता है कि यह बड़ा इंटरेस्टिंग है। इसे देखकर मेरा संगीत की तरफ इंटरेस्ट जागा। मैं कोई गीतकार बनने नहीं निकला था। मैं कुछ बनने ही नहीं निकला था। मैं जो बना, वह बनता चला गया। गुलजार साहब के सारे गीत मुझे ऐसे लगते हैं कि यह मेरे लिए ही हैं। मैं बहुत प्यार से गीतकारों को सुनता हूं। मेरा शुरुआती गीत बावरा मन देखने चला एक सपना है। गुलजार साहब का गीतों के प्रति प्रेम बड़ा ही मजेदार है। दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत ने बताया कि दैनिक भास्कर हर साल जेएलएफ में ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ समारोह आयोजित करता है। हम सभी जानते हैं कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य की क्या बेचैनियां रहती हैं। इस बार हमने गीतकार व प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ दिया है। 2016 में हुई थी सम्मान की शुरुआत
जेएलएफ के मंच से श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान की शुरुआत 2016 में हुई थी। प्रभात रंजन, यतींद्र मिश्र, सत्य व्यास, दीपक रमोला, मनोज मुंतशिर शुक्ला, इरशाद कामिल और अमीश त्रिपाठी जैसे दिग्गजों को अब तक यह सम्मान दिया जा चुका है। दैनिक भास्कर ने हिंदी के लेखकों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सम्मान की शुरुआत की थी। —— जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की ये खबर भी पढ़ें… कैलाश खेर बोले-MBA टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं:जो ज्यादा कन्फ्यूज, वे सीईओ बन जाते हैं; JLF के मंच पर दो एक्टर में विवाद जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन सिंगर कैलाश खेर का ‘तेरी दीवानी शब्दों के पार’ सेशन हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा- एमबीए टाइप के लोग कन्फ्यूज होते हैं, जो ज्यादा कन्फ्यूज होते हैं, वे सीईओ बन जाते हैं। (पढ़ें पूरी खबर)