
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए पैरोल दे दी है। ताहिर को ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चुनाव में 4 दिन बचे हैं, उसे चुनाव प्रचार के लिए जल्द अंतरिम जमानत दी जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक दिन के समय (जेल मैनुअल के अनुसार 12 घंटे के लिए) चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने हुसैन को 2 लाख 07 हजार 429 रुपए की अग्रिम राशि जमा करने का निर्देश दिया है। यह 2 दिनों का पुलिस सुरक्षा खर्च है। कोर्ट ने ताहिर को केस को लेकर टिप्पणी नहीं करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि ताहिर अपने घर (कथित तौर पर वह जगह जहां दंगे हुए) नहीं जाएंगे, जो मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र के पास है। हुसैन और अधिकारी किसी होटल में ही रुकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के वकील से पूछा कि इसके अलावे और कितने मामले है जिसमें जमानत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि दो मामलों में जमानत के लिए निचली अदालत में उसकी अर्जी लंबित है। अगर कोर्ट अंतरिम जमानत देता है तो वे घर नहीं जाएगा, होटल में रुकेगा। इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से ASG एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा- उस पर IB अधिकारी की हत्या का आरोप है। दिल्ली में दंगा फैलाने का आरोप है। इस दंगे में 56 लोगों की मौत हुई थी। बेंच ने उनसे पूछा कि आप 29 जनवरी को 2 बजे तक बताएं कि जमानत देने पर फोर्स और बाकी चीजों के लिए कितना खर्च आएगा। हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को कस्टडी पैरोल दी, जमानत से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को मुस्तफाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए ताहिर को कस्टडी पैरोल दी थी और चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही है। ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के आरोप में 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं। 22 जनवरी को ताहिर की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच में सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी। जस्टिस मित्तल ने कहा था- जमानत देने से भानुमति का पिटारा खुल जाएगा
जस्टिस मित्तल ने कहा था कि अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी तो इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। पूरे साल चुनाव होते हैं। हर कैदी दलील लेकर आएगा कि उसे चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाए। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा था कि आरोपी मार्च 2020 से जेल में है। उसे प्रचार के लिए जमानत देनी चाहिए। दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट में कहा था कि ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग में भी आरोपी है। इस मामले में जमानत मिलने के बाद भी उसे जेल में ही रहना होगा, क्योंकि UAPA केस में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं मिलती है। सुप्रीम कोर्ट- जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगे
इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। ताहिर की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने 21 जनवरी को कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था। तब जस्टिस मित्तल ने कहा था- अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी
ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है। इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है। ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वह अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार है। उसे अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है। हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आया और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चला गया था। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जानें क्या है दिल्ली दंगा
दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को शुरू हुआ दंगा 25 फरवरी को जाकर रुका था। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था। इस दंगे में कुल 520 लोगों पर FIR दर्ज की गईं थीं। दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप
दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में 2 चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था। ताहिर के अलावा उसके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी। ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी। ————————————- दिल्ली दंगों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 4 साल बाद भी 85% केस कोर्ट में अटके, आरोपी इशरत बोलीं- बिना सबूत मुझे देशद्रोही बनाया पार्षद रह चुकीं इशरत जहां 2020 के दिल्ली दंगे में हिंसा भड़काने की आरोपी हैं। आरोप तय हो गए हैं, लेकिन अभी जमानत पर हैं। इशरत से जुड़ा मामला 26 फरवरी, 2020 का है। तब दिल्ली के खजूरी खास में लोग प्रोटेस्ट के लिए जुटे थे। तभी हिंसा भड़क गई। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए पैरोल दे दी है। ताहिर को ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चुनाव में 4 दिन बचे हैं, उसे चुनाव प्रचार के लिए जल्द अंतरिम जमानत दी जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक दिन के समय (जेल मैनुअल के अनुसार 12 घंटे के लिए) चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने हुसैन को 2 लाख 07 हजार 429 रुपए की अग्रिम राशि जमा करने का निर्देश दिया है। यह 2 दिनों का पुलिस सुरक्षा खर्च है। कोर्ट ने ताहिर को केस को लेकर टिप्पणी नहीं करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि ताहिर अपने घर (कथित तौर पर वह जगह जहां दंगे हुए) नहीं जाएंगे, जो मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र के पास है। हुसैन और अधिकारी किसी होटल में ही रुकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के वकील से पूछा कि इसके अलावे और कितने मामले है जिसमें जमानत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि दो मामलों में जमानत के लिए निचली अदालत में उसकी अर्जी लंबित है। अगर कोर्ट अंतरिम जमानत देता है तो वे घर नहीं जाएगा, होटल में रुकेगा। इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से ASG एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा- उस पर IB अधिकारी की हत्या का आरोप है। दिल्ली में दंगा फैलाने का आरोप है। इस दंगे में 56 लोगों की मौत हुई थी। बेंच ने उनसे पूछा कि आप 29 जनवरी को 2 बजे तक बताएं कि जमानत देने पर फोर्स और बाकी चीजों के लिए कितना खर्च आएगा। हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को कस्टडी पैरोल दी, जमानत से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को मुस्तफाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए ताहिर को कस्टडी पैरोल दी थी और चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही है। ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के आरोप में 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं। 22 जनवरी को ताहिर की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच में सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी। जस्टिस मित्तल ने कहा था- जमानत देने से भानुमति का पिटारा खुल जाएगा
जस्टिस मित्तल ने कहा था कि अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी तो इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। पूरे साल चुनाव होते हैं। हर कैदी दलील लेकर आएगा कि उसे चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाए। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा था कि आरोपी मार्च 2020 से जेल में है। उसे प्रचार के लिए जमानत देनी चाहिए। दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट में कहा था कि ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग में भी आरोपी है। इस मामले में जमानत मिलने के बाद भी उसे जेल में ही रहना होगा, क्योंकि UAPA केस में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं मिलती है। सुप्रीम कोर्ट- जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगे
इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। ताहिर की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने 21 जनवरी को कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था। तब जस्टिस मित्तल ने कहा था- अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी
ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है। इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है। ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वह अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार है। उसे अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है। हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आया और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चला गया था। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जानें क्या है दिल्ली दंगा
दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को शुरू हुआ दंगा 25 फरवरी को जाकर रुका था। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था। इस दंगे में कुल 520 लोगों पर FIR दर्ज की गईं थीं। दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप
दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में 2 चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था। ताहिर के अलावा उसके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी। ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी। ————————————- दिल्ली दंगों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 4 साल बाद भी 85% केस कोर्ट में अटके, आरोपी इशरत बोलीं- बिना सबूत मुझे देशद्रोही बनाया पार्षद रह चुकीं इशरत जहां 2020 के दिल्ली दंगे में हिंसा भड़काने की आरोपी हैं। आरोप तय हो गए हैं, लेकिन अभी जमानत पर हैं। इशरत से जुड़ा मामला 26 फरवरी, 2020 का है। तब दिल्ली के खजूरी खास में लोग प्रोटेस्ट के लिए जुटे थे। तभी हिंसा भड़क गई। पूरी खबर पढ़ें…