
सुप्रीम कोर्ट ने सांप काटने से मौतों में बढ़ोतरी पर सोमवार को केंद्र सरकार से जरूरी उपाय करने को कहा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इसी मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान बेंच ने कहा- यह मुकदमेबाजी का मसला नहीं है। आप राज्यों की मदद ले सकते हैं क्योंकि यह समस्या पूरे देश में है। सभी राज्यों के साथ बैठक करके मामले में कुछ करने की कोशिश कीजिए। याचिका में कहा गया है कि सांप के जहर के एंटी-वेनम की कमी से देश पब्लिक हेल्थ क्राइसिस का सामना कर रहा है। दुनिया भर में सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। यहां हर साल करीब 58 हजार लोग सांप काटने से जान गंवाते हैं। मामलें में केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा- सरकार इस मामले में उठाए गए कदमों का रिकॉर्ड पेश करेगी। वहीं, कुछ राज्यों के वकीलों ने कहा कि वे अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी। डॉक्टरों को स्पेशल ट्रेनिंग देने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 13 दिसंबर को मामले में केंद्र और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मौतों के बावजूद देश में एंटी-वेनम की कमी है। देश के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में एंटी-वेनम का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। इससे इलाज में देरी होती है। इसमें सरकारी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों को स्पेशल ट्रेनिंग देने, इलाज की अलग यूनिट स्थापित करने, अस्पतालों में पर्याप्त एंटी-वेनम उपलब्ध कराने और ग्रामीण इलाकों में जन जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश देने की मांग की गई है। हर सांप के काटने के बाद अलग लक्षण
डॉ. त्रिशला सिंघवी बताती हैं कि सांपों की कई प्रजातियां होती हैं। अलग-अलग प्रजातियों के सांपों का जहर भी अलग होता है। हर सांप के डसने के बाद लक्षण अलग हो सकते हैं। ये लक्षण उसके जहर पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर सांपों के जहर को दो भागों में बांटा जाता है, न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक। न्यूरोटॉक्सिक जहर हमारे दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। नर्वस सिस्टम हमारे शरीर के अहम कार्यों जैसे चलने, बोलने और अन्य गतिविधियों को कंट्रोल करता है। कोबरा और करैत जैसे सांपों यह जहर पाया जाता है। वहीं, हीमोटॉक्सिक जहर ब्लड और हार्ट से जुड़े कामों को प्रभावित करता है। सांप के बारे में पता न होने पर इलाज कठिन
डॉ. त्रिशला बताती हैं कि सांप के जहर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित को किस सांप ने काटा है। अगर सांप के बारे में पता नहीं है तो इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में डॉक्टर्स सांप के काटने के निशान और लक्षणों पर ध्यान देते हैं। करैत जैसे सांप में न्यूरोटॉक्सिक जहर मिलता है। इसके काटने से शरीर में पैरालिसिस, लंग कोलैप्स, सांस फूलना, बेहोशी जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे ज्यादातर मामलों में वेंटिलेटर और आर्टिफिशियल ऑक्सीजन की जरूरत होती है। न्यूरोटॉक्सिक जहर तुरंत असर करता है। इसका इलाज जल्द-से-जल्द होना चाहिए। वहीं, हीमोटॉक्सिक जहर में सूजन, शरीर के ऊपरी अंग में दर्द बढ़ना, ब्लड क्लॉटिंग और मांसपेशियों में जकड़न के साथ दर्द होता है। हीमोटॉक्सिक जहर धीरे-धीरे फैलता है। ————————————- मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सांपों की दहशत, पहरा दे रहे लोग, हर साल होती हैं 670 मौतें; सरकार देती है 4 लाख मुआवजा यूपी में सांप डसने से होने वाली मौत का आंकड़ा डराने वाला है। देशभर में सांप के काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में ही होती हैं। हर साल यूपी में करीब 670 लोगों की मौत सांप के काटने से होती है। इसका एक बड़ा कारण अंधविश्वास के चलते समय पर इलाज न कराना भी है। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने सांप काटने से मौतों में बढ़ोतरी पर सोमवार को केंद्र सरकार से जरूरी उपाय करने को कहा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इसी मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान बेंच ने कहा- यह मुकदमेबाजी का मसला नहीं है। आप राज्यों की मदद ले सकते हैं क्योंकि यह समस्या पूरे देश में है। सभी राज्यों के साथ बैठक करके मामले में कुछ करने की कोशिश कीजिए। याचिका में कहा गया है कि सांप के जहर के एंटी-वेनम की कमी से देश पब्लिक हेल्थ क्राइसिस का सामना कर रहा है। दुनिया भर में सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। यहां हर साल करीब 58 हजार लोग सांप काटने से जान गंवाते हैं। मामलें में केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा- सरकार इस मामले में उठाए गए कदमों का रिकॉर्ड पेश करेगी। वहीं, कुछ राज्यों के वकीलों ने कहा कि वे अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी। डॉक्टरों को स्पेशल ट्रेनिंग देने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 13 दिसंबर को मामले में केंद्र और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मौतों के बावजूद देश में एंटी-वेनम की कमी है। देश के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में एंटी-वेनम का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। इससे इलाज में देरी होती है। इसमें सरकारी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों को स्पेशल ट्रेनिंग देने, इलाज की अलग यूनिट स्थापित करने, अस्पतालों में पर्याप्त एंटी-वेनम उपलब्ध कराने और ग्रामीण इलाकों में जन जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश देने की मांग की गई है। हर सांप के काटने के बाद अलग लक्षण
डॉ. त्रिशला सिंघवी बताती हैं कि सांपों की कई प्रजातियां होती हैं। अलग-अलग प्रजातियों के सांपों का जहर भी अलग होता है। हर सांप के डसने के बाद लक्षण अलग हो सकते हैं। ये लक्षण उसके जहर पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर सांपों के जहर को दो भागों में बांटा जाता है, न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक। न्यूरोटॉक्सिक जहर हमारे दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। नर्वस सिस्टम हमारे शरीर के अहम कार्यों जैसे चलने, बोलने और अन्य गतिविधियों को कंट्रोल करता है। कोबरा और करैत जैसे सांपों यह जहर पाया जाता है। वहीं, हीमोटॉक्सिक जहर ब्लड और हार्ट से जुड़े कामों को प्रभावित करता है। सांप के बारे में पता न होने पर इलाज कठिन
डॉ. त्रिशला बताती हैं कि सांप के जहर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित को किस सांप ने काटा है। अगर सांप के बारे में पता नहीं है तो इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में डॉक्टर्स सांप के काटने के निशान और लक्षणों पर ध्यान देते हैं। करैत जैसे सांप में न्यूरोटॉक्सिक जहर मिलता है। इसके काटने से शरीर में पैरालिसिस, लंग कोलैप्स, सांस फूलना, बेहोशी जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे ज्यादातर मामलों में वेंटिलेटर और आर्टिफिशियल ऑक्सीजन की जरूरत होती है। न्यूरोटॉक्सिक जहर तुरंत असर करता है। इसका इलाज जल्द-से-जल्द होना चाहिए। वहीं, हीमोटॉक्सिक जहर में सूजन, शरीर के ऊपरी अंग में दर्द बढ़ना, ब्लड क्लॉटिंग और मांसपेशियों में जकड़न के साथ दर्द होता है। हीमोटॉक्सिक जहर धीरे-धीरे फैलता है। ————————————- मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सांपों की दहशत, पहरा दे रहे लोग, हर साल होती हैं 670 मौतें; सरकार देती है 4 लाख मुआवजा यूपी में सांप डसने से होने वाली मौत का आंकड़ा डराने वाला है। देशभर में सांप के काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में ही होती हैं। हर साल यूपी में करीब 670 लोगों की मौत सांप के काटने से होती है। इसका एक बड़ा कारण अंधविश्वास के चलते समय पर इलाज न कराना भी है। पूरी खबर पढ़ें…