
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के ठाणे में भिवंडी शहर के एक कॉलेज में गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद दिए भाषण में कहा- बंधुभाव ही असली धर्म है। यह बात डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान देते समय अपने भाषण में भी समझाई है। भागवत ने कहा- समाज आपसी सद्भावना के आधार पर काम करता है। इसलिए मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए। प्रकृति भी हमें विविधता देती है। विविधता के कारण भारत के बाहर संघर्ष हो रहे हैं। हम इसे जीवन का हिस्सा मानते हैं। उन्होंने कहा कि आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन आपको एक-दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अगर आप जीना चाहते हैं, तो आपको एक साथ रहना चाहिए। भागवत के भाषण की बड़ी बातें… 1971 के युद्ध और पोखरण के परीक्षणों के बाद बढ़ा भारत का सम्मान भागवत ने कॉलेज में मौजूद छात्रों से कहा- आजादी के बाद शुरुआती दौर में राष्ट्रीय गौरव और सम्मान अनिश्चित थे। खासकर चीन के साथ 1962 के युद्ध में मिली हार के बाद। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता के बाद भी संदेह बना रहा। चीन के खिलाफ युद्ध में हमें पीछे हटना पड़ा और हमारे लिए सम्मान खत्म हो गया। लेकिन 1971 के युद्ध और पोखरण के सफल परीक्षणों के बाद हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी और दुनिया ने फिर से हमारा सम्मान करना शुरू कर दिया। —————————————– भागवत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… हर दिन मंदिर-मस्जिद विवाद उठाया जा रहा, ये सही नहीं; कुछ लोग सोचते हैं ऐसा करके हिंदुओं के नेता बन जाएंगे दिसंबर 2023 में पुणे में सहजीवन व्याख्यानमाला में भारत विश्वगुरु पर व्याख्यान दे रहे थे। इस दौरान मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई। भागवत ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। पढ़ें पूरी खबर… अहंकार दूर रखें, नहीं तो गड्ढे में गिरेंगे: संघ प्रमुख ने कहा- सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 16 दिसंबर को कहा कि व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। पुणे में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी है। हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान ईश्वर होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है। पढ़ें पूरी खबर…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के ठाणे में भिवंडी शहर के एक कॉलेज में गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद दिए भाषण में कहा- बंधुभाव ही असली धर्म है। यह बात डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान देते समय अपने भाषण में भी समझाई है। भागवत ने कहा- समाज आपसी सद्भावना के आधार पर काम करता है। इसलिए मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए। प्रकृति भी हमें विविधता देती है। विविधता के कारण भारत के बाहर संघर्ष हो रहे हैं। हम इसे जीवन का हिस्सा मानते हैं। उन्होंने कहा कि आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन आपको एक-दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अगर आप जीना चाहते हैं, तो आपको एक साथ रहना चाहिए। भागवत के भाषण की बड़ी बातें… 1971 के युद्ध और पोखरण के परीक्षणों के बाद बढ़ा भारत का सम्मान भागवत ने कॉलेज में मौजूद छात्रों से कहा- आजादी के बाद शुरुआती दौर में राष्ट्रीय गौरव और सम्मान अनिश्चित थे। खासकर चीन के साथ 1962 के युद्ध में मिली हार के बाद। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता के बाद भी संदेह बना रहा। चीन के खिलाफ युद्ध में हमें पीछे हटना पड़ा और हमारे लिए सम्मान खत्म हो गया। लेकिन 1971 के युद्ध और पोखरण के सफल परीक्षणों के बाद हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी और दुनिया ने फिर से हमारा सम्मान करना शुरू कर दिया। —————————————– भागवत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… हर दिन मंदिर-मस्जिद विवाद उठाया जा रहा, ये सही नहीं; कुछ लोग सोचते हैं ऐसा करके हिंदुओं के नेता बन जाएंगे दिसंबर 2023 में पुणे में सहजीवन व्याख्यानमाला में भारत विश्वगुरु पर व्याख्यान दे रहे थे। इस दौरान मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई। भागवत ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। पढ़ें पूरी खबर… अहंकार दूर रखें, नहीं तो गड्ढे में गिरेंगे: संघ प्रमुख ने कहा- सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 16 दिसंबर को कहा कि व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। पुणे में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी है। हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान ईश्वर होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है। पढ़ें पूरी खबर…