
अरुण त्रिसल
कठुआ , 26 दिसंबर:कटरा में प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट के खिलाफ स्थानीय लोगों के व्यापक विरोध ने एक बार फिर विकास और आजीविका के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है। माता वैष्णो देवी के भक्तों को सुगम यात्रा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस परियोजना की योजना बनाई गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि इसका सीधा असर उनकी रोजी-रोटी पर पड़ेगा।

लाठीचार्ज और गिरफ्तारी का विरोध
रोपवे परियोजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। जन जागृति मंच ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देश में अपनी आवाज उठाना हर नागरिक का अधिकार है। मंच ने प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई को अत्याचार करार देते हुए इसे जन विरोधी कदम बताया।
रोपवे परियोजना और स्थानीय लोगों की चिंताएं
स्थानीय संगठनों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रस्तावित रोपवे परियोजना से करीब 40,000 लोगों की आजीविका समाप्त हो जाएगी। कटरा के छोटे व्यवसायी, पोनी मालिक, पिट्ठू और अन्य पर्यटन-आधारित रोजगार में लगे लोग इस परियोजना के कारण आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं। उनका आरोप है कि सरकार इस परियोजना को थोपने की कोशिश कर रही है और स्थानीय निवासियों की चिंताओं को अनदेखा कर रही है।
72 घंटे का बंद
रोपवे के खिलाफ कटरा में 72 घंटे के बंद का आह्वान किया गया, जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाया कि वे इस परियोजना को वापस लें या स्थानीय लोगों के साथ न्याय करें।

जन जागृति मंच की मांगें
जन जागृति मंच ने इस मुद्दे पर सरकार से मांग की है:
- रोपवे परियोजना के खिलाफ उठ रही स्थानीय चिंताओं को गंभीरता से सुना जाए।
- प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के आदेश देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
- स्थानीय लोगों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए ठोस समाधान पेश किए जाएं।
यह विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि विकास परियोजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब वे जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाएं। कटरा के लोग इस परियोजना को अपनी आजीविका और अस्तित्व पर खतरे के रूप में देख रहे हैं, और उनकी मांगें सरकार से उचित संवाद और समाधान की अपेक्षा करती हैं।
जन जागृति मंच के सदस्यों का प्रदर्शन कठुआ में एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करता है। प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनी मांगों को उठाते हुए, उन्होंने प्रशासन और सरकार के रवैये की निंदा की। उनके अनुसार, लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है, और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज या हिरासत जैसी घटनाएं न केवल इस अधिकार का हनन करती हैं बल्कि यह प्रशासनिक अत्याचार को भी दर्शाती हैं।

मंच ने एलजी को दिल्ली वापस बुलाने की मांग करते हुए कहा कि इस घटना में शामिल अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें उनके पद से बर्खास्त किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने जम्मू और कठुआ के लोगों से अपील की कि वे एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ खड़े हों और कटरा में हो रहे भेदभाव का विरोध करें।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह केवल कुछ अमीर लोगों के हितों को प्राथमिकता दे रही है, जबकि आम जनता के अधिकारों की उपेक्षा कर रही है। जन जागृति मंच ने सभी लोगों से आग्रह किया कि वे पार्टी-आधारित राजनीति से ऊपर उठकर जम्मू-कश्मीर के हितों की रक्षा करें।
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि लोगों के अधिकारों और उनके लिए लड़ने की आवश्यकता आज भी कितनी महत्वपूर्ण है। प्रशासन को चाहिए कि वह जनता की आवाज को सुने और उनकी समस्याओं का समाधान करे।