राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे। डॉ. हेडगेवार पर भी हंसते थे, कहते थे नाक साफ नहीं कर सकते। ऐसे बच्चों को लेकर यह राष्ट्र निर्माण करने चले हैं। इस तरह का उपहास होता था। विचार भी अमान्य था। लोग कहते थे हिंदू संगठन मेंढक तोलने जैसी बात है, हो नहीं सकता है। हिंदू को काहे जगा रहे हो, मृत जाति है। काम करने के लिए शरीर चले, इसकी भी व्यवस्था नहीं थी। वहीं आज संघ का काम चर्चा और समाज के स्नेह का विषय बना हुआ है। संघ के स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने क्या-क्या किया है, इसका डंका बज रहा है। भागवत ने रविवार को जयपुर में ये बातें कही। RSS सरसंघचालक मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन में राजस्थान के दिवंगत प्रचारकों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘और यह जीवन समर्पित’ के विमोचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। मोहन भागवत ने कहा- उस समय कोई प्रचारक बने, ऐसी भी कोई परिस्थिति नहीं थी। सामने सब अंधेरा ही था। ऐसे में प्रचारक बनना, मतलब अंधेरे में कूदना। अपने भविष्य पर अपने ही हाथ से मिट्टी पोत देना था, लेकिन एक भाव था। मेरी भारत माता के लिए मैं ना करूं तो कौन करेगा। उस समय प्रचारक निकले, देशभर में गए। काम खड़ा किया, कार्यकर्ता खड़े किए। इतनी सुदृढ़ नींव बनाकर वो गए। समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, डंके बज रहे
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- आज संघ की परिस्थिति में बहुत बड़ा अंतर आया है। आज संघ का काम चर्चा और समाज के स्नेह का विषय बना हुआ है। संघ के स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने क्या-क्या किया है, इसके डंके बज रहे हैं। उन्होंने कहा- सौ साल पहले कौन कल्पना कर सकता था कि ऐसे ही शाखा चलाकर राष्ट्र का कुछ होने वाला है? लोग तो कहते ही थे कि हवा में डंडे घुमा रहे हैं। कुत्ते भी मारने के ये काम नहीं आएंगे। ये क्या राष्ट्र की सुरक्षा करेंगे? आज संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है और समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। संघ की प्रतिस्पर्धा में कई लोगों ने शाखाएं चलाई, 15 दिन भी नहीं चली
संघ के कार्य के बारे में जानकारी देते हुए भागवत ने कहा- संघ स्वयंसेवकों के भाव-बल और जीवन-बल पर चलता है। मानसिकता से हर स्वयंसेवक प्रचारक ही हो जाता है। संघ की यही जीवन शक्ति है। संघ यानी हम लोग स्वयंसेवक हैं। संघ यानी स्वयंसेवकों का जीवन और उनका भावबल है। आज संघ बढ़ गया है। कार्य की दृष्टि से अनुकूलताएं और सुविधाएं भी बढ़ी हैं, परंतु इसमें बहुत सारे नुकसान भी हैं। हमें वैसा ही रहना है, जैसा हम विरोध और उपेक्षा के समय थे। उसी भावबल से संघ आगे बढ़ेगा। यह खबर भी पढ़ें… मोहन भागवत बोले- विकास हर व्यक्ति तक नहीं पहुंचा:4% जनसंख्या 80% संसाधनों का उपयोग करती है; अमीर और अमीर हो रहा, गरीब और गरीब
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे। डॉ. हेडगेवार पर भी हंसते थे, कहते थे नाक साफ नहीं कर सकते। ऐसे बच्चों को लेकर यह राष्ट्र निर्माण करने चले हैं। इस तरह का उपहास होता था। विचार भी अमान्य था। लोग कहते थे हिंदू संगठन मेंढक तोलने जैसी बात है, हो नहीं सकता है। हिंदू को काहे जगा रहे हो, मृत जाति है। काम करने के लिए शरीर चले, इसकी भी व्यवस्था नहीं थी। वहीं आज संघ का काम चर्चा और समाज के स्नेह का विषय बना हुआ है। संघ के स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने क्या-क्या किया है, इसका डंका बज रहा है। भागवत ने रविवार को जयपुर में ये बातें कही। RSS सरसंघचालक मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन में राजस्थान के दिवंगत प्रचारकों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘और यह जीवन समर्पित’ के विमोचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। मोहन भागवत ने कहा- उस समय कोई प्रचारक बने, ऐसी भी कोई परिस्थिति नहीं थी। सामने सब अंधेरा ही था। ऐसे में प्रचारक बनना, मतलब अंधेरे में कूदना। अपने भविष्य पर अपने ही हाथ से मिट्टी पोत देना था, लेकिन एक भाव था। मेरी भारत माता के लिए मैं ना करूं तो कौन करेगा। उस समय प्रचारक निकले, देशभर में गए। काम खड़ा किया, कार्यकर्ता खड़े किए। इतनी सुदृढ़ नींव बनाकर वो गए। समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, डंके बज रहे
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- आज संघ की परिस्थिति में बहुत बड़ा अंतर आया है। आज संघ का काम चर्चा और समाज के स्नेह का विषय बना हुआ है। संघ के स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने क्या-क्या किया है, इसके डंके बज रहे हैं। उन्होंने कहा- सौ साल पहले कौन कल्पना कर सकता था कि ऐसे ही शाखा चलाकर राष्ट्र का कुछ होने वाला है? लोग तो कहते ही थे कि हवा में डंडे घुमा रहे हैं। कुत्ते भी मारने के ये काम नहीं आएंगे। ये क्या राष्ट्र की सुरक्षा करेंगे? आज संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है और समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। संघ की प्रतिस्पर्धा में कई लोगों ने शाखाएं चलाई, 15 दिन भी नहीं चली
संघ के कार्य के बारे में जानकारी देते हुए भागवत ने कहा- संघ स्वयंसेवकों के भाव-बल और जीवन-बल पर चलता है। मानसिकता से हर स्वयंसेवक प्रचारक ही हो जाता है। संघ की यही जीवन शक्ति है। संघ यानी हम लोग स्वयंसेवक हैं। संघ यानी स्वयंसेवकों का जीवन और उनका भावबल है। आज संघ बढ़ गया है। कार्य की दृष्टि से अनुकूलताएं और सुविधाएं भी बढ़ी हैं, परंतु इसमें बहुत सारे नुकसान भी हैं। हमें वैसा ही रहना है, जैसा हम विरोध और उपेक्षा के समय थे। उसी भावबल से संघ आगे बढ़ेगा। यह खबर भी पढ़ें… मोहन भागवत बोले- विकास हर व्यक्ति तक नहीं पहुंचा:4% जनसंख्या 80% संसाधनों का उपयोग करती है; अमीर और अमीर हो रहा, गरीब और गरीब