अंबाला जिले से काम की तलाश में रूस गए युवक के लापता होने से परिजन सदमे में हैं। युवक रूस में मजदूरी के लिए गया था, लेकिन वहां एक कर्नल की बातों में आकर वह रूसी सेना में शामिल हो गया। प्रशिक्षण के कुछ दिनों बाद ही उसे बॉर्डर पर भेज दिया गया। अब 23 दिनों से उसका कोई अता-पता नहीं है। परिवार ने भारत सरकार से अपने बेटे को जल्द से जल्द खोजकर वापस लाने की गुहार लगाई है। बता दें कि हरियाणा के अन्य जिलों से भी रूस गए कई युवाओं को जबरन वहां की आर्मी में भर्ती करने और यूक्रेन युद्ध में झोंकने की खबरें आ चुकी हैं। हिसार जिले के गांव मदनहेड़ी के रहने वाले 28 वर्षीय जवान सोनू की वहां युद्ध हो चुकी है और 10 दिन पहले ही उसका शव भारत पहुंचा था। मदनहेड़ी का ही एक और युवक अमन भी अभी रूस में ही फंसा है। रूस में नौकरी के लिए गया था जावेद अंबाला का रहने वाला 32 वर्षीय मोहम्मद जावेद अगस्त 2025 में बेहतर कमाई की उम्मीद लेकर रूस गया था। वह अपने परिवार का एकमात्र सहारा था। घर पर बूढ़ी मां, पत्नी, तीन छोटे बच्चे और एक बहन हैं। शुरुआत में जावेद ने रूस में मजदूरी का काम किया, लेकिन कुछ समय बाद ज्यादा पैसों के लालच में वह एक एजेंट के संपर्क में आया। जिसने उसे “रूसी आर्मी में खोदाई (बंकर डिगिंग)” का काम दिलाने का झांसा दिया। रूसी कर्नल ने भर्ती करवाया, 15 दिन की ट्रेनिंग दी जावेद की बहन ने बताया कि रूस में एक कर्नल ने उससे संपर्क किया और सेना में मजदूरी के तौर पर भर्ती होने का प्रस्ताव दिया। कर्नल ने कहा कि उसे सिर्फ बंकर खोदने का काम मिलेगा और इसके बदले में उसे अच्छी तनख्वाह दी जाएगी। जावेद ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे बॉर्डर पर भेज दिया गया। परिजनों का कहना है कि शुरुआत में जावेद रोजाना परिवार से फोन पर बात करता था। उसने यह भी बताया था कि हालात बेहद कठिन हैं और चारों ओर तनाव का माहौल है। लेकिन 23 दिन पहले आखिरी बार फोन पर बातचीत में जावेद ने सिर्फ इतना कहा- मेरे बच्चों और पत्नी का ख्याल रखना। उसके बाद से परिवार का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया। परिवार की आंखों में आंसू और दिल में डर जावेद की पत्नी और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी ने बताया कि जब से जावेद गया है, घर की जिम्मेदारियां उस पर आ गई हैं। अब जब उससे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा, तो पूरा परिवार बेचैनी में है। जावेद की मां ने कहा कि वह हर दिन यही दुआ करती हैं कि उनका बेटा सकुशल लौट आए। जावेद की बहन ने बताया कि उसने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि हमारा भाई मजदूर बनकर रूस गया था, लेकिन उसे युद्ध में धकेल दिया गया। अब हमें नहीं पता वह जिंदा है या नहीं। सरकार से निवेदन है कि हमारे भाई को ढूंढा जाए और सुरक्षित भारत लाया जाए। सरकार से मदद की अपील अंबाला में बैठे जावेद के परिजन अब सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री से निवेदन करते हैं कि उनके बेटे का पता लगाया जाए। परिजनों ने कहा कि अब उनके घर में केवल दुआएं और आंसू बचे हैं। हर फोन की घंटी पर उम्मीद जगती है कि शायद जावेद का कॉल आया हो- लेकिन फिर सन्नाटा छा जाता है।
अंबाला जिले से काम की तलाश में रूस गए युवक के लापता होने से परिजन सदमे में हैं। युवक रूस में मजदूरी के लिए गया था, लेकिन वहां एक कर्नल की बातों में आकर वह रूसी सेना में शामिल हो गया। प्रशिक्षण के कुछ दिनों बाद ही उसे बॉर्डर पर भेज दिया गया। अब 23 दिनों से उसका कोई अता-पता नहीं है। परिवार ने भारत सरकार से अपने बेटे को जल्द से जल्द खोजकर वापस लाने की गुहार लगाई है। बता दें कि हरियाणा के अन्य जिलों से भी रूस गए कई युवाओं को जबरन वहां की आर्मी में भर्ती करने और यूक्रेन युद्ध में झोंकने की खबरें आ चुकी हैं। हिसार जिले के गांव मदनहेड़ी के रहने वाले 28 वर्षीय जवान सोनू की वहां युद्ध हो चुकी है और 10 दिन पहले ही उसका शव भारत पहुंचा था। मदनहेड़ी का ही एक और युवक अमन भी अभी रूस में ही फंसा है। रूस में नौकरी के लिए गया था जावेद अंबाला का रहने वाला 32 वर्षीय मोहम्मद जावेद अगस्त 2025 में बेहतर कमाई की उम्मीद लेकर रूस गया था। वह अपने परिवार का एकमात्र सहारा था। घर पर बूढ़ी मां, पत्नी, तीन छोटे बच्चे और एक बहन हैं। शुरुआत में जावेद ने रूस में मजदूरी का काम किया, लेकिन कुछ समय बाद ज्यादा पैसों के लालच में वह एक एजेंट के संपर्क में आया। जिसने उसे “रूसी आर्मी में खोदाई (बंकर डिगिंग)” का काम दिलाने का झांसा दिया। रूसी कर्नल ने भर्ती करवाया, 15 दिन की ट्रेनिंग दी जावेद की बहन ने बताया कि रूस में एक कर्नल ने उससे संपर्क किया और सेना में मजदूरी के तौर पर भर्ती होने का प्रस्ताव दिया। कर्नल ने कहा कि उसे सिर्फ बंकर खोदने का काम मिलेगा और इसके बदले में उसे अच्छी तनख्वाह दी जाएगी। जावेद ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे बॉर्डर पर भेज दिया गया। परिजनों का कहना है कि शुरुआत में जावेद रोजाना परिवार से फोन पर बात करता था। उसने यह भी बताया था कि हालात बेहद कठिन हैं और चारों ओर तनाव का माहौल है। लेकिन 23 दिन पहले आखिरी बार फोन पर बातचीत में जावेद ने सिर्फ इतना कहा- मेरे बच्चों और पत्नी का ख्याल रखना। उसके बाद से परिवार का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया। परिवार की आंखों में आंसू और दिल में डर जावेद की पत्नी और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी ने बताया कि जब से जावेद गया है, घर की जिम्मेदारियां उस पर आ गई हैं। अब जब उससे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा, तो पूरा परिवार बेचैनी में है। जावेद की मां ने कहा कि वह हर दिन यही दुआ करती हैं कि उनका बेटा सकुशल लौट आए। जावेद की बहन ने बताया कि उसने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि हमारा भाई मजदूर बनकर रूस गया था, लेकिन उसे युद्ध में धकेल दिया गया। अब हमें नहीं पता वह जिंदा है या नहीं। सरकार से निवेदन है कि हमारे भाई को ढूंढा जाए और सुरक्षित भारत लाया जाए। सरकार से मदद की अपील अंबाला में बैठे जावेद के परिजन अब सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री से निवेदन करते हैं कि उनके बेटे का पता लगाया जाए। परिजनों ने कहा कि अब उनके घर में केवल दुआएं और आंसू बचे हैं। हर फोन की घंटी पर उम्मीद जगती है कि शायद जावेद का कॉल आया हो- लेकिन फिर सन्नाटा छा जाता है।