उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे पर कांग्रेस तीन गुटों में बंटी हुई दिख रही है। एक तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट कर 2027 में गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ गैरसैंण नहीं बल्कि देहरादून को ही स्थायी राजधानी के पक्ष में हैं, तो तीसरी तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा इन दोनों के ही बयानों को निजी राय बताकर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से पहले वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं। वहीं, अब इन तीनों नेताओं के अलग अलग बयानों पर भाजपा चुटकी ले रही है। धर्मपुर से बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने कहा कि गैरसैंण को लेकर कांग्रेस की कोई तय लाइन नहीं है इनके नेता सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं। सिलसिलेवार तरीके से अब तीनों कांग्रेस नेताओं का स्टैंड समझिए…
1- पूर्व सीएम हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत लगातार फेसबुक पोस्ट कर, गैरसैंण को स्थायी राजधानी की बात कह रहे हैं। फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए वो लिखते हैं। कांग्रेस ने गैरसैंण को बसाया, संवारा और अब वही 2027 में इसे स्थायी राजधानी बनाएगी। इसके अलावा भी उनके कई पोस्ट ऐसे हैं जो उन्होंने हाल ही में पोस्ट किए हैं और इनमें वह लोगों से वादा कर रहे हैं कि 2027 में अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो इसे स्थायी राजधानी बनाएगी। 2- कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़
रजत जयंती के अवसर पर बुलाए गए विशेष सत्र में सदन के बीच गैरसैंण की बात करते हुए किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज कहते हैं- गैरसैंण पहले से ग्रीष्मकालीन राजधानी है। इसे स्थायी राजधानी नहीं बनाया जा सकता। देहरादून ही स्थायी राजधानी होनी चाहिए। इतना ही नहीं वो ये भी कहते हैं कि विधानसभा की बिल्डिंग को देहरादून से बाहर की तरफ बनाया जाना चाहिए, इस दौरान वो ये भी कहते हैं कि विधानसभा को शहर के अंदर के जाम से बाहर निकालकर बाहर की तरफ बनाना चाहिए, देहरादून के चारों तरफ बहुत जमीन है। 3- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा
करन माहरा से जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया गया की आपके दो नेता अलग अलग बयान दे रहे हैं गैरसैंण पर इसपर पार्टी का क्या कहना है तो उन्होंने दोनों ही नेताओं के बयानों से अपना पल्ला झाड़ लिया। इसपर वो कहते हैं – तिलक राज बेहड़ और हरीश रावत जी, दोनों की ये व्यक्तिगत टिप्पणी हैं। ये निजी राय है, न कि कांग्रेस की। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से पहले वहां अस्पताल, स्कूल, सड़कें, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास जरूरी है। भाजपा बोली- कांग्रेस खुद असमंजस में
कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग बयानों पर भाजपा विधायक विनोद चमोली ने तीखा तंज कसा है, उन्होंने कहा- कांग्रेस गैरसैंण पर अभी तक स्पष्ट नहीं है। उनकी कोई तय लाइन ही नहीं है। एक तरफ हरीश रावत गैरसैंण को स्थायी राजधानी का वादा करते हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक विधानसभा में देहरादून को राजधानी बनाने की वकालत करते हैं। गैरसैंण में बोली जाती है गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा उत्तराखंड के गठन के समय से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठना शुरू हो गई थी, जिसके बाद 8 जून 2020 को गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया । गैरसैंण का नाम भी इसकी भौगोलिक पहचान से जुड़ा है, स्थानीय बोली में “गैर” का अर्थ है गहरी जगह और “सैंण” का मतलब समतल मैदान। यानी ऐसा स्थान जो घाटी में बसकर भी समतल दिखाई देता है। यही वजह है कि इसे पहाड़ के बीच बसा प्राकृतिक मैदान भी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 5750 फीट की ऊंचाई पर बसे इस इलाके का मौसम सालभर सुहावना रहता है। इसे उत्तराखंड का पामीर भी कहा जाता है, क्योंकि यहीं से रामगंगा नदी का उद्गम होता है। गैरसैंण की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां गढ़वाली और कुमाऊंनी दोनों संस्कृतियों का शानदार मेल मिलता है।
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे पर कांग्रेस तीन गुटों में बंटी हुई दिख रही है। एक तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट कर 2027 में गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ गैरसैंण नहीं बल्कि देहरादून को ही स्थायी राजधानी के पक्ष में हैं, तो तीसरी तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा इन दोनों के ही बयानों को निजी राय बताकर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से पहले वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं। वहीं, अब इन तीनों नेताओं के अलग अलग बयानों पर भाजपा चुटकी ले रही है। धर्मपुर से बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने कहा कि गैरसैंण को लेकर कांग्रेस की कोई तय लाइन नहीं है इनके नेता सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं। सिलसिलेवार तरीके से अब तीनों कांग्रेस नेताओं का स्टैंड समझिए…
1- पूर्व सीएम हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत लगातार फेसबुक पोस्ट कर, गैरसैंण को स्थायी राजधानी की बात कह रहे हैं। फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए वो लिखते हैं। कांग्रेस ने गैरसैंण को बसाया, संवारा और अब वही 2027 में इसे स्थायी राजधानी बनाएगी। इसके अलावा भी उनके कई पोस्ट ऐसे हैं जो उन्होंने हाल ही में पोस्ट किए हैं और इनमें वह लोगों से वादा कर रहे हैं कि 2027 में अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो इसे स्थायी राजधानी बनाएगी। 2- कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़
रजत जयंती के अवसर पर बुलाए गए विशेष सत्र में सदन के बीच गैरसैंण की बात करते हुए किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज कहते हैं- गैरसैंण पहले से ग्रीष्मकालीन राजधानी है। इसे स्थायी राजधानी नहीं बनाया जा सकता। देहरादून ही स्थायी राजधानी होनी चाहिए। इतना ही नहीं वो ये भी कहते हैं कि विधानसभा की बिल्डिंग को देहरादून से बाहर की तरफ बनाया जाना चाहिए, इस दौरान वो ये भी कहते हैं कि विधानसभा को शहर के अंदर के जाम से बाहर निकालकर बाहर की तरफ बनाना चाहिए, देहरादून के चारों तरफ बहुत जमीन है। 3- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा
करन माहरा से जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया गया की आपके दो नेता अलग अलग बयान दे रहे हैं गैरसैंण पर इसपर पार्टी का क्या कहना है तो उन्होंने दोनों ही नेताओं के बयानों से अपना पल्ला झाड़ लिया। इसपर वो कहते हैं – तिलक राज बेहड़ और हरीश रावत जी, दोनों की ये व्यक्तिगत टिप्पणी हैं। ये निजी राय है, न कि कांग्रेस की। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से पहले वहां अस्पताल, स्कूल, सड़कें, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास जरूरी है। भाजपा बोली- कांग्रेस खुद असमंजस में
कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग बयानों पर भाजपा विधायक विनोद चमोली ने तीखा तंज कसा है, उन्होंने कहा- कांग्रेस गैरसैंण पर अभी तक स्पष्ट नहीं है। उनकी कोई तय लाइन ही नहीं है। एक तरफ हरीश रावत गैरसैंण को स्थायी राजधानी का वादा करते हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक विधानसभा में देहरादून को राजधानी बनाने की वकालत करते हैं। गैरसैंण में बोली जाती है गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा उत्तराखंड के गठन के समय से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठना शुरू हो गई थी, जिसके बाद 8 जून 2020 को गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया । गैरसैंण का नाम भी इसकी भौगोलिक पहचान से जुड़ा है, स्थानीय बोली में “गैर” का अर्थ है गहरी जगह और “सैंण” का मतलब समतल मैदान। यानी ऐसा स्थान जो घाटी में बसकर भी समतल दिखाई देता है। यही वजह है कि इसे पहाड़ के बीच बसा प्राकृतिक मैदान भी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 5750 फीट की ऊंचाई पर बसे इस इलाके का मौसम सालभर सुहावना रहता है। इसे उत्तराखंड का पामीर भी कहा जाता है, क्योंकि यहीं से रामगंगा नदी का उद्गम होता है। गैरसैंण की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां गढ़वाली और कुमाऊंनी दोनों संस्कृतियों का शानदार मेल मिलता है।