
सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर मिले 3 महीने के बच्चे के 70 से अधिक माता-पिता सामने आए हैं। उन्होंने बच्चे पर अपना हक जताया है, लेकिन पुख्ता सबूत पेश नहीं करने के कारण बाल कल्याण समिति किसी का भी दावा सही नहीं माना है। वहीं, दूसरी ओर रेलवे पुलिस (GRP) ने बच्चे के असली माता-पिता का पता लगाने का दावा किया है। उनका कहना है कि कर्ज में डूबे पेरेंट्स ने क्राइम पेट्रोल सीरियल देखकर यह योजना बनाई थी। किसी के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रतन बाफना ने बताया कि सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर 21 जनवरी को मिले 3 महीने के बच्चे के कई माता-पिता सामने आए हैं। 20 पेरेंट्स ने बाल कल्याण समित के सामने पहुंचकर बच्चे पर अपना होने का दावा किया है। वहीं, 50 से अधिक दंपती ने पिंडवाड़ा स्टेशन पहुंचकर बच्चे पर अपना होने का दावा किया है। समिति ने उनसे आधार कार्ड, बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल की रिपोर्ट और बच्चे के साथ खींची गई फोटो (यदि है तो) प्रस्तुत करने को कहा, लेकिन वे कुछ भी नहीं दिखा पाए। जीआरपी के कहने से हम विश्वास नहीं कर सकते: समिति बाफना ने बताया कि अहमदाबाद का भी एक कपल आया है। ऐसा दावा किया जा रहा है वो ही बच्चे के माता-पिता हैं। हालांकि, बच्चे के साथ मिले लेटर में मां का नाम और दावा करने वाले दंपती का नाम अलग-अलग होने से मामला और उलझ गया। बाल कल्याण समिति इस मामले की जांच कर रही है। आवश्यकता पड़ने पर डीएनए टेस्ट भी कराया जा सकता है। जीआरपी के कहने से हम विश्वास नहीं कर सकते कि यह बच्चा इन्हीं का है। झूठा दावा करने पर हो सकती है एफआईआर बाल कल्याण समिति अहमदाबाद को लेटर लिखकर इस बच्चे की जांच के लिए कहा गया है। अहमदाबाद से बच्चे की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही निर्णय लिया जाए सकेगा, बच्चे के असली माता-पिता यही हैं या कोई ओर। अगर दावा गलत होता है तो इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद कोर्ट के आदेश पर ही बच्चा सौंपा जाएगा। फिलहाल बच्चा बाल कल्याण समिति की देखरेख में सुरक्षित है। असली पेरेंट्स को खोजने का दावा जीआरपी थाना आबू रोड के थानाधिकारी मनोज कुमार चौहान ने बताया कि 22 जनवरी को एक व्यक्ति पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर बच्चे के बारे में पूछताछ कर रहा था। उसके बाद वह व्यक्ति रेलवे स्टेशन आबूरोड पहुंचा। उसने अपना नाम ईश्वर भाई (35) पुत्र अमृत भाई पटनी निवासी अभिलाषा अपार्टमेंट बॉम्बे हाउसिंग सरसपुर, अहमदाबाद होना बताया। उसे बच्चे का फोटो दिखाता तो उसने उसे अपना बेटा रुद्र उर्फ किटू होना बताया। उसने कहा कि मेरी पत्नी मानसिक रूप से बीमार रहती है और उसने भूलवश पिंडवाड़ा स्टेशन पर बच्चे को छोड़ दिया। उससे पत्नी को बुलाने के लिए कहा तो थोड़ी बाद उसकी पत्नी सुनिता बेन (33) और अन्य परिजन पहुंच गए। परिजनों ने सुनिता बेन के मानसिक बीमारी व इलाज के कागज पेश किए गए। उनकी सरकारी अस्पताल में जांच कराई तो पर्चियां मानसिक रोग से संबंधित होना पाई गई। महिला से बच्चे के पास मिले लेटर के बारे में पूछा तो उसने कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया। जीआरपी पहुंचे पेरेंट्स ने बताई यह कहानी पुलिस को दंपती की कहानी पर विश्वास नहीं होने पर कड़ाई से पूछताछ की तो बच्चे का पिता ईश्वर भाई टूट गया। उसने बताया कि मैं ऑटो रिक्शा चलाता हूं। महीने का 16 से 17 हजार रुपए कमाता हूं। मेरी 18 हजार रुपए महीने की ईएमआई कटती है। घर खर्च, मकान किराया सहित प्रति महीने 30 से 32 हजार रुपए चाहिए। आमदनी कम और खर्चा ज्यादा होने के कारण परेशान रहने लगा। मेरी पत्नी के बीमार रहने के कारण सोचा दोनों मर जाते हैं। टीवी सीरियल क्राइम पेट्रोल देखकर आया आइडिया ईश्वर ने बताया कि मैं टीवी पर क्राइम पेट्रोल देखता हूं, जिस पर 15-20 दिन पहले एक एपिसोड आया था, जिसमें राधिका नाम से लेटर लिखकर पुलिस को गुमराह किया जाता है। मैंने भी उसकी नकल कर ऐसा किया था। बच्चे के अनाथ होने से कोई भी गोद ले लेगा। हमारी मौत के बाद बच्चों को मेरे दुर्घटना बीमा के 18 से 20 लाख रुपए मिल जाएगा। युवक का दावा- सुसाइड करने का प्लान था ईश्वर ने बताया कि मैंने गुजराती में एक लेटर लिखा। उसके बाद उसे हिंदी में ट्रांसलेट किया और पत्नी को बिना बताए बच्चे के पहने कपड़ों के पास रख दिया। इसके बाद दोनों को पालनपुर में सुसाइड करने का इरादा था, लेकिन बस में बैठने के बाद पत्नी ने अपनी मां से बात की। वह अपनी मां से मिलने अहमदाबाद चली गई और मैं अंबा माता के दर्शन कर सुसाइड करना चाहता था, लेकिन रात्रि में बच्चे की याद आने लगी। इस दौरान खबरों से पता लगा कि बच्चा पिंडवाड़ा में है तो यहां पहुंच गया। पूछताछ के बाद पुलिस ने पति-पत्नी को जमानत देखकर उसके परिजनों के साथ भेज दिया। पिंडवाड़ा स्टेशन के वेटिंग रूम में मिला था बच्चा 21 जनवरी की शाम को पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में लावारिस हालत में तीन महीने का बच्चा मिला था। उसके पास एक लेटर भी मिला था, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि- ‘हमने घर से भाग कर शादी की थी। शादी को 2 साल हुए हैं। पति की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। हम किराए के मकान में रहते थे। मुझे किसी बीमारी ने जकड़ लिया है। मैं इस बच्चे की परवरिश नहीं कर सकती। मैं भी कुछ दिन बाद आत्महत्या कर लूंगी।’ बच्चे के रोने की आवाज सुनकर जीआरपी के जवानों ने बच्चे को संभाला और बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था। ……. सिरोही में मिले लावारिस मासूम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 3 महीने के बेटे को स्टेशन पर छोड़ गई मां:लेटर में लिखा-घर से भागकर की थी शादी, पति की मौत; परवरिश नहीं कर सकती सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर एक मां तीन महीने के बेटे को छोड़ गई। उसने बेटे के साथ लेटर भी छोड़ा है। इसमें लिखा है- ‘हमने घर से भाग कर शादी की थी। शादी को 2 साल हुए हैं। (पढ़ें पूरी खबर)
सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर मिले 3 महीने के बच्चे के 70 से अधिक माता-पिता सामने आए हैं। उन्होंने बच्चे पर अपना हक जताया है, लेकिन पुख्ता सबूत पेश नहीं करने के कारण बाल कल्याण समिति किसी का भी दावा सही नहीं माना है। वहीं, दूसरी ओर रेलवे पुलिस (GRP) ने बच्चे के असली माता-पिता का पता लगाने का दावा किया है। उनका कहना है कि कर्ज में डूबे पेरेंट्स ने क्राइम पेट्रोल सीरियल देखकर यह योजना बनाई थी। किसी के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रतन बाफना ने बताया कि सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर 21 जनवरी को मिले 3 महीने के बच्चे के कई माता-पिता सामने आए हैं। 20 पेरेंट्स ने बाल कल्याण समित के सामने पहुंचकर बच्चे पर अपना होने का दावा किया है। वहीं, 50 से अधिक दंपती ने पिंडवाड़ा स्टेशन पहुंचकर बच्चे पर अपना होने का दावा किया है। समिति ने उनसे आधार कार्ड, बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल की रिपोर्ट और बच्चे के साथ खींची गई फोटो (यदि है तो) प्रस्तुत करने को कहा, लेकिन वे कुछ भी नहीं दिखा पाए। जीआरपी के कहने से हम विश्वास नहीं कर सकते: समिति बाफना ने बताया कि अहमदाबाद का भी एक कपल आया है। ऐसा दावा किया जा रहा है वो ही बच्चे के माता-पिता हैं। हालांकि, बच्चे के साथ मिले लेटर में मां का नाम और दावा करने वाले दंपती का नाम अलग-अलग होने से मामला और उलझ गया। बाल कल्याण समिति इस मामले की जांच कर रही है। आवश्यकता पड़ने पर डीएनए टेस्ट भी कराया जा सकता है। जीआरपी के कहने से हम विश्वास नहीं कर सकते कि यह बच्चा इन्हीं का है। झूठा दावा करने पर हो सकती है एफआईआर बाल कल्याण समिति अहमदाबाद को लेटर लिखकर इस बच्चे की जांच के लिए कहा गया है। अहमदाबाद से बच्चे की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही निर्णय लिया जाए सकेगा, बच्चे के असली माता-पिता यही हैं या कोई ओर। अगर दावा गलत होता है तो इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद कोर्ट के आदेश पर ही बच्चा सौंपा जाएगा। फिलहाल बच्चा बाल कल्याण समिति की देखरेख में सुरक्षित है। असली पेरेंट्स को खोजने का दावा जीआरपी थाना आबू रोड के थानाधिकारी मनोज कुमार चौहान ने बताया कि 22 जनवरी को एक व्यक्ति पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर बच्चे के बारे में पूछताछ कर रहा था। उसके बाद वह व्यक्ति रेलवे स्टेशन आबूरोड पहुंचा। उसने अपना नाम ईश्वर भाई (35) पुत्र अमृत भाई पटनी निवासी अभिलाषा अपार्टमेंट बॉम्बे हाउसिंग सरसपुर, अहमदाबाद होना बताया। उसे बच्चे का फोटो दिखाता तो उसने उसे अपना बेटा रुद्र उर्फ किटू होना बताया। उसने कहा कि मेरी पत्नी मानसिक रूप से बीमार रहती है और उसने भूलवश पिंडवाड़ा स्टेशन पर बच्चे को छोड़ दिया। उससे पत्नी को बुलाने के लिए कहा तो थोड़ी बाद उसकी पत्नी सुनिता बेन (33) और अन्य परिजन पहुंच गए। परिजनों ने सुनिता बेन के मानसिक बीमारी व इलाज के कागज पेश किए गए। उनकी सरकारी अस्पताल में जांच कराई तो पर्चियां मानसिक रोग से संबंधित होना पाई गई। महिला से बच्चे के पास मिले लेटर के बारे में पूछा तो उसने कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया। जीआरपी पहुंचे पेरेंट्स ने बताई यह कहानी पुलिस को दंपती की कहानी पर विश्वास नहीं होने पर कड़ाई से पूछताछ की तो बच्चे का पिता ईश्वर भाई टूट गया। उसने बताया कि मैं ऑटो रिक्शा चलाता हूं। महीने का 16 से 17 हजार रुपए कमाता हूं। मेरी 18 हजार रुपए महीने की ईएमआई कटती है। घर खर्च, मकान किराया सहित प्रति महीने 30 से 32 हजार रुपए चाहिए। आमदनी कम और खर्चा ज्यादा होने के कारण परेशान रहने लगा। मेरी पत्नी के बीमार रहने के कारण सोचा दोनों मर जाते हैं। टीवी सीरियल क्राइम पेट्रोल देखकर आया आइडिया ईश्वर ने बताया कि मैं टीवी पर क्राइम पेट्रोल देखता हूं, जिस पर 15-20 दिन पहले एक एपिसोड आया था, जिसमें राधिका नाम से लेटर लिखकर पुलिस को गुमराह किया जाता है। मैंने भी उसकी नकल कर ऐसा किया था। बच्चे के अनाथ होने से कोई भी गोद ले लेगा। हमारी मौत के बाद बच्चों को मेरे दुर्घटना बीमा के 18 से 20 लाख रुपए मिल जाएगा। युवक का दावा- सुसाइड करने का प्लान था ईश्वर ने बताया कि मैंने गुजराती में एक लेटर लिखा। उसके बाद उसे हिंदी में ट्रांसलेट किया और पत्नी को बिना बताए बच्चे के पहने कपड़ों के पास रख दिया। इसके बाद दोनों को पालनपुर में सुसाइड करने का इरादा था, लेकिन बस में बैठने के बाद पत्नी ने अपनी मां से बात की। वह अपनी मां से मिलने अहमदाबाद चली गई और मैं अंबा माता के दर्शन कर सुसाइड करना चाहता था, लेकिन रात्रि में बच्चे की याद आने लगी। इस दौरान खबरों से पता लगा कि बच्चा पिंडवाड़ा में है तो यहां पहुंच गया। पूछताछ के बाद पुलिस ने पति-पत्नी को जमानत देखकर उसके परिजनों के साथ भेज दिया। पिंडवाड़ा स्टेशन के वेटिंग रूम में मिला था बच्चा 21 जनवरी की शाम को पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में लावारिस हालत में तीन महीने का बच्चा मिला था। उसके पास एक लेटर भी मिला था, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि- ‘हमने घर से भाग कर शादी की थी। शादी को 2 साल हुए हैं। पति की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। हम किराए के मकान में रहते थे। मुझे किसी बीमारी ने जकड़ लिया है। मैं इस बच्चे की परवरिश नहीं कर सकती। मैं भी कुछ दिन बाद आत्महत्या कर लूंगी।’ बच्चे के रोने की आवाज सुनकर जीआरपी के जवानों ने बच्चे को संभाला और बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था। ……. सिरोही में मिले लावारिस मासूम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 3 महीने के बेटे को स्टेशन पर छोड़ गई मां:लेटर में लिखा-घर से भागकर की थी शादी, पति की मौत; परवरिश नहीं कर सकती सिरोही के पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन पर एक मां तीन महीने के बेटे को छोड़ गई। उसने बेटे के साथ लेटर भी छोड़ा है। इसमें लिखा है- ‘हमने घर से भाग कर शादी की थी। शादी को 2 साल हुए हैं। (पढ़ें पूरी खबर)