कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के आदेश को चुनौती दी गई थी। सिंगल जज बैंच ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सार्वजनिक जगहों पर RSS की शाखा लगाने और निजी संगठनों की बिना अनुमति गतिविधियां बैन कर दी गई थीं। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। जस्टिस एस जी पंडित और गीता के बी की बैंच ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सरकार के फैसले पर लगे स्टे को हटाने के लिए उन्हीं सिंगल जज से संपर्क करे। कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच ने 28 अक्टूबर को राज्य सरकार के उस आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें बिना परमिशन सरकारी जगहों पर RSS की शाखा लगाने और 10 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी गई थी। हाईकोर्ट के स्टे पर CM सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील करेगी। प्रियांक खड़गे ने बैन लगाने का सुझाव दिया था राज्य सरकार का फैसला कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के उस सुझाव के बाद आया था, जिसमें उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद कैबिनेट ने 18 अक्टूबर को फैसला किया था कि सार्वजनिक जगहों, सड़कों और सरकारी परिसरों में बिना परमिशन के पथ संचलन या शाखा नहीं लगाई जा सकेगी। जस्टिस नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने पूछा कि क्या कर्नाटक सरकार इस आदेश से कुछ और हासिल करना चाहती है? हाईकोर्ट ने सरकार को मामले पर दलील देने के लिए एक दिन का समय दिया और राज्य सरकार समेत होम डिपार्टमेंट, DGP, हुबली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया। राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हुबली की पुनश्चितना सेवा संस्था ने याचिका दायर की थी। सीनियर एडवोकेट अशोक हरनहल्ली ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने जो नियम बनाया है, वह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। हरनहल्ली ने कहा कि सरकारी आदेश के अनुसार अगर कोई पार्टी पार्क या मैदान में भी आयोजित हो, और वहां 10 से ज्यादा लोग इकट्ठा हों, तो इसे गैर-कानूनी माना जाएगा। उन्होंने यह भी पूछा कि जब पहले से पुलिस एक्ट लागू है तो इस तरह का नया आदेश क्यों बनाया गया। संविधान से मिले अधिकार सरकार छीन नहीं सकती ऑर्डर में कहा गया है कि सरकार ने बिना अनुमति के 10 या उससे अधिक लोगों के जमावड़े को अपराध मानकर सार्वजनिक जगहों जैसे सड़कों, पार्कों, मैदानों और झीलों में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान से मिले अधिकारों को किसी भी सरकारी आदेश के माध्यम से छीना नहीं जा सकता। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में आरएसएस गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की जा रही थी। इसके बाद राज्य सरकार ने संघ की गतिविधियों पर कंट्रोल के लिए नियम बनाने का फैसला किया था। ये खबर भी पढ़ें: 20 अक्टूबर- कर्नाटक के चित्तपुर में RSS के मार्च को परमिशन नहीं, प्रियांक खड़गे बोले- RSS कार्यकर्ताओं ने गाली-धमकी दी कर्नाटक के चित्तपुर में होने वाली RSS और भीम आर्मी के मार्च को प्रशासन ने 20 अक्टूबर को परमिशन देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि एक ही दिन दो बड़े संगठनों के रूट मार्च से इलाके में तनाव पैदा हो सकता है, जिससे शांति भंग होने का खतरा है। पूरी खबर पढ़ें… 18 अक्टूबर: सिद्धरमैया ने RSS से सावधान रहने को कहा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को कहा कि लोगों को सनातनियों की संगत से बचना चाहिए और RSS से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने इतिहास में हमेशा डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके बनाए संविधान का विरोध किया है। सीएम ने मैसूर विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह में ज्ञान दर्शन भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि अपनी संगति सही रखिए। समाज के भले के लिए काम करने वालों के साथ रहिए, न कि उन सनातनियों के साथ जो सामाजिक बदलाव का विरोध करते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के आदेश को चुनौती दी गई थी। सिंगल जज बैंच ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सार्वजनिक जगहों पर RSS की शाखा लगाने और निजी संगठनों की बिना अनुमति गतिविधियां बैन कर दी गई थीं। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। जस्टिस एस जी पंडित और गीता के बी की बैंच ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सरकार के फैसले पर लगे स्टे को हटाने के लिए उन्हीं सिंगल जज से संपर्क करे। कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच ने 28 अक्टूबर को राज्य सरकार के उस आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें बिना परमिशन सरकारी जगहों पर RSS की शाखा लगाने और 10 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी गई थी। हाईकोर्ट के स्टे पर CM सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील करेगी। प्रियांक खड़गे ने बैन लगाने का सुझाव दिया था राज्य सरकार का फैसला कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के उस सुझाव के बाद आया था, जिसमें उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद कैबिनेट ने 18 अक्टूबर को फैसला किया था कि सार्वजनिक जगहों, सड़कों और सरकारी परिसरों में बिना परमिशन के पथ संचलन या शाखा नहीं लगाई जा सकेगी। जस्टिस नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने पूछा कि क्या कर्नाटक सरकार इस आदेश से कुछ और हासिल करना चाहती है? हाईकोर्ट ने सरकार को मामले पर दलील देने के लिए एक दिन का समय दिया और राज्य सरकार समेत होम डिपार्टमेंट, DGP, हुबली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया। राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हुबली की पुनश्चितना सेवा संस्था ने याचिका दायर की थी। सीनियर एडवोकेट अशोक हरनहल्ली ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने जो नियम बनाया है, वह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। हरनहल्ली ने कहा कि सरकारी आदेश के अनुसार अगर कोई पार्टी पार्क या मैदान में भी आयोजित हो, और वहां 10 से ज्यादा लोग इकट्ठा हों, तो इसे गैर-कानूनी माना जाएगा। उन्होंने यह भी पूछा कि जब पहले से पुलिस एक्ट लागू है तो इस तरह का नया आदेश क्यों बनाया गया। संविधान से मिले अधिकार सरकार छीन नहीं सकती ऑर्डर में कहा गया है कि सरकार ने बिना अनुमति के 10 या उससे अधिक लोगों के जमावड़े को अपराध मानकर सार्वजनिक जगहों जैसे सड़कों, पार्कों, मैदानों और झीलों में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान से मिले अधिकारों को किसी भी सरकारी आदेश के माध्यम से छीना नहीं जा सकता। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में आरएसएस गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की जा रही थी। इसके बाद राज्य सरकार ने संघ की गतिविधियों पर कंट्रोल के लिए नियम बनाने का फैसला किया था। ये खबर भी पढ़ें: 20 अक्टूबर- कर्नाटक के चित्तपुर में RSS के मार्च को परमिशन नहीं, प्रियांक खड़गे बोले- RSS कार्यकर्ताओं ने गाली-धमकी दी कर्नाटक के चित्तपुर में होने वाली RSS और भीम आर्मी के मार्च को प्रशासन ने 20 अक्टूबर को परमिशन देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि एक ही दिन दो बड़े संगठनों के रूट मार्च से इलाके में तनाव पैदा हो सकता है, जिससे शांति भंग होने का खतरा है। पूरी खबर पढ़ें… 18 अक्टूबर: सिद्धरमैया ने RSS से सावधान रहने को कहा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को कहा कि लोगों को सनातनियों की संगत से बचना चाहिए और RSS से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने इतिहास में हमेशा डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके बनाए संविधान का विरोध किया है। सीएम ने मैसूर विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह में ज्ञान दर्शन भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि अपनी संगति सही रखिए। समाज के भले के लिए काम करने वालों के साथ रहिए, न कि उन सनातनियों के साथ जो सामाजिक बदलाव का विरोध करते हैं। पूरी खबर पढ़ें…