अभी हमारे स्कूल में पहली से 5वीं तक के 50 बच्चे हैं। इनमें से 40-45 बच्चे रोज आते हैं। मैं अकेली टीचर हूं, जो इन बच्चों को पढ़ाती हूं। मेरी ड्यूटी एसआईआर में लग गई है। घर-घर जाकर सर्वे करें या बच्चों को पढ़ाएं…कुछ समझ नहीं आ रहा। ये कहते हुए भोपाल के नेवरी मिडिल स्कूल की टीचर आरती शास्त्री के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आती है। दरअसल, चुनाव आयोग के निर्देश पर मध्य प्रदेश में भी वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू हो गया है। 4 नवंबर से 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर वोटर्स की जानकारी कलेक्ट करेंगे। ये पूरी प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी। जिन 65 हजार बीएलओ को इस काम में तैनात किया है, उनमें 15 हजार से ज्यादा शिक्षक भी हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो सिंगल टीचर का दायित्व निभा रहे हैं। दूसरी तरफ एसआईआर के काम में 12वीं क्लास को गणित और साइंस पढ़ाने वाले टीचर्स की भी ड्यूटी लगा दी गई है, जो नियम के मुताबिक नहीं है। खास बात ये है कि ये सभी लोग 7 फरवरी 2026 को फ्री होंगे, उसी दिन एमपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी लगाए जाने के बाद स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था क्या होगी? पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा? ये जानने भास्कर ने टीचर्स के साथ स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से लेकर शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों से बात की। 5 केस…जहां, शिक्षकों की SIR ड्यूटी के बाद पढ़ाई ठप हो जाएगी पहली से 5वीं तक एक टीचर पढ़ाती हैं सभी सब्जेक्ट
भोपाल के नेवरी स्थित पुलिस लाइन की शासकीय प्राथमिक शाला में कुल 50 बच्चे अध्ययनरत हैं। यह स्कूल पहली से पांचवीं तक संचालित होता है। स्कूल में केवल एक ही टीचर आरती शास्त्री हैं, जो कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को सभी विषय पढ़ाती हैं। आरती ने बताया कि वह पहली बार चुनाव से संबंधित किसी काम में शामिल हो रही हैं। इससे पहले उनकी कभी भी चुनाव के काम में ड्यूटी नहीं लगी थी। आरती ने कहा, ‘मुझे स्कूल और बीएलओ, दोनों की जिम्मेदारी संभालनी है। शाम चार बजे तक स्कूल चलता है, अगर मैं इस दौरान डोर-टू-डोर सर्वे के लिए जाऊंगी तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा?’ उन्होंने आगे बताया कि चुनाव आयोग की ओर से उन्हें आदेश प्राप्त हुआ है कि वह किसी भी समय जाकर बीएलओ का काम कर सकती हैं, लेकिन स्कूल ड्यूटी के दौरान यह संभव नहीं है। स्कूल के दोनों शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी लगी
भोपाल के बड़वई स्थित सरकारी स्कूल में कुल 33 छात्र और दो शिक्षक हैं। इस स्कूल के दोनों शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। इस स्कूल में अपने बेटे को पढ़ाने वाले सूरज सिंह का कहना है कि दोनों ही टीचर बीएलओ का काम करेंगे तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा? हम भी बच्चों को टीचर की गैर मौजूदगी में स्कूल नहीं भेजेंगे। ऐसे में तो अब चार महीने की छुट्टी ही समझो। सरकारी स्कूल में वैसे ही पढ़ाई कम होती है, सिर्फ दो टीचर होने के कारण बाबू का सब काम भी यही दो टीचर्स देखते हैं। आए दिन स्कूल में कोई न कोई कार्यक्रम होता है, जिसके कारण बच्चे और नहीं पढ़ पाते हैं। वहीं स्कूल के दोनों शिक्षकों ने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि हर बार चुनाव के समय उनकी ड्यूटी लगती है। 10 टीचर्स की ड्यूटी लगी, 350 बच्चों को पढ़ाएंगे 7 टीचर
शासकीय हमीदिया उच्चतर माध्यमिक शाला में कुल 350 बच्चे और 17 टीचर हैं। इनमें से 8 शिक्षकों की बीएलओ और 2 की सुपरवाइजर के तौर पर ड्यूटी लगी है। इनमें वो शिक्षक भी हैं, जो विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं। जिन टीचर्स की ड्यूटी लगी है, उनमें से एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसा हर बार होता है। शिक्षकों की हर सरकारी काम में ड्यूटी लगा दी जाती है। अभी एसआईआर का काम है। इसके बाद अगले साल जनगणना की तैयारियां होंगी, उसमें भी कई शिक्षकों की ड्यूटी लगेगी। 2027 में तो पंचायत और निकाय चुनाव है। उसके लिए मतदाता सूची बनाने का काम होगा। बीएलओ के रूप में शिक्षकों की ड्यूटी स्थानीय निकायों के चुनाव में भी लगा दी जाती है। बीएलओ के हेल्पर का काम करेंगी गणित-साइंस पढ़ाने वाली टीचर
नर्मदापुरम जिले के इटारसी में स्टेशनगंज मिडिल स्कूल में पहली से 8वीं तक कुल 50 छात्र पढ़ते हैं। यहां 5 टीचर हैं। इन्हीं में से एक टीचर पूजा सोलंकी की ड्यूटी बीएलओ के असिस्टेंट के रूप में लगाई गई है। हाल ही में उन्हें इसकी ट्रेनिंग के लिए भेजा था। पूजा सोलंकी 6वीं से 8वीं तक के स्टूडेंट को गणित और विज्ञान विषय पढ़ाती हैं। उन्होंने बताया कि एसआईआर के लिए वे बीएलओ के हेल्पर के तौर पर काम करेंगी। अभी ट्रेनिंग हुई है, जिसमें बताया गया है कि हमें अपने वार्ड में घर-घर जाकर जनगणना जैसी प्रक्रिया करनी है। बीएलओ ऐप में जिन लोगों के नाम दर्ज नहीं हैं, उनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना है, जिनके नाम दो दो जगह हैं, उनका नाम डिलीट करना है। 8 टीचर्स की ड्यूटी लगी, उनमें गणित-साइंस पढ़ाने वाले भी
इटारसी में सूरजगंज के पीएमश्री स्कूल में प्राचार्य सहित कुल आठ शिक्षकों की ड्यूटी एसआईआर में लगाई गई है। स्कूल में फिलहाल कोई स्थायी प्राचार्य नहीं है। प्राचार्य की जिम्मेदारी प्रभारी के रूप में सतीश खलखो संभाल रहे हैं। खलखो ने बताया कि इस समय स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छमाही परीक्षा चल रही हैं। इसी बीच प्राचार्य सहित मुख्य विषयों के टीचर्स की ड्यूटी बीएलओ और सुपरवाइजर के रूप में लगा दी गई है। परीक्षा के समय बीएलओ और स्कूल दोनों की जिम्मेदारी निभाना बेहद कठिन हो जाता है। आधा समय स्कूल की परीक्षाओं और स्टूडेंट्स को देना पड़ता है और बाकी समय बीएलओ के काम में लगाना पड़ता है। पांच पॉइंट्स में जानिए, टीचरों की ड्यूटी का पढ़ाई पर असर 1. बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी पर संकट: शिक्षकों की ड्यूटी 7 फरवरी तक चलेगी और इसी दिन से 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। परीक्षा से ठीक पहले के तीन महत्वपूर्ण महीने, जो रिविजन और तैयारी के लिए होते हैं, वह बर्बाद हो जाएंगे। 2. छमाही परीक्षाओं में अव्यवस्था: प्रदेश भर में छमाही परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन शिक्षक अब स्कूलों में नहीं रहेंगे। इससे न केवल परीक्षा का संचालन प्रभावित हो रहा है, बल्कि छात्रों को परीक्षा के दौरान उचित मार्गदर्शन भी नहीं मिल पा रहा है। 3. सिलेबस का पिछड़ना: तीन महीने तक शिक्षकों के कक्षा से बाहर रहने का सीधा असर सिलेबस पर पड़ेगा। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों का कोर्स पिछड़ जाएगा, जिससे छात्रों पर एकेडेमिक दबाव बढ़ेगा। 4. सिंगल टीचर वाले स्कूलों में लगेगा ताला: नेवरी और करोंद जैसे 6 हजार से ज्यादा स्कूल हैं, जो केवल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। इनमें से यदि 50 फीसदी स्कूलों के टीचर्स की ड्यूटी भी एसआईआर में लगा दी गई तो वहां पढ़ाई ठप हो जाएगी। 5. शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट: जिन स्कूलों में कुछ शिक्षक बचे भी हैं, वहां उन पर अतिरिक्त कक्षाएं लेने का बोझ बढ़ गया है। इससे शिक्षण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी और छात्र-शिक्षक अनुपात बुरी तरह प्रभावित होगा। शिक्षक संगठन बोला- सरकारी आदेश का पालन नहीं हुआ
टीचर्स की ड्यूटी लगाए जाने को लेकर शिक्षक संगठन ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने कहा- 2016 में सरकार ने ही एक आदेश जारी किया था कि गणित और विज्ञान विषय को पढ़ाने वाले टीचर्स की चुनाव या अन्य सरकारी कामों में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकेगी। इसके बावजूद इस बार आदेश का पालन नहीं हुआ है। साथ ही सरकार ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर भी ऐसा ही आदेश जारी किया था। उपेंद्र कहते हैं कि सरकार ही नहीं चाहती कि बच्चों की पढ़ाई पूरी हो। ऐसे समय में ये सारा काम हो रहा है, जब परीक्षाएं चल रही हैं। दिसंबर के बाद बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। जब स्कूलों का रिजल्ट खराब होता है तो उसका ठीकरा भी शिक्षकों पर ही फोड़ा जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर बोले- चुनाव आयोग ही देगा जवाब
टीचर्स की SIR में ड्यूटी लगने के बाद पढ़ाई पर असर पड़ेगा, जब ये सवाल स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निर्वाचन का काम है इसलिए इस विषय पर चुनाव आयोग ही जवाब दे सकेगा। हालांकि, डीपीआई के सूत्रों के मुताबिक कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी के शिक्षकों को निर्वाचन कार्य से मुक्त रखने की सिफारिश की थी। इसके बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई। नीमच में 7 बीएलओ सस्पेंड, उनमें 5 शिक्षक
4 नवंबर से डोर टू डोर सर्वे से पहले नीमच के तहसील भवन में बीएलओ को 2003 की मतदाता सूची से वर्तमान मतदाताओं का सत्यापन करने का जिम्मा सौंपा गया था। इस दौरान निर्वाचन कार्य में लापरवाही बरतने पर सात बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबित किए गए बीएलओ में प्रिया सैमुअल (शिक्षक), मंगला शर्मा (शिक्षक), ओमप्रकाश जोशी (सहायक ग्रेड-3), नजमा शेख (शिक्षक), अर्चना सैनी (सहायक ग्रेड-3), विमला थोरेचा (शिक्षक) और दिव्यानी प्रजापत (शिक्षक) शामिल हैं। इसी तरह आगर मालवा जिले में कचनारिया के बीएलओ गोपाल सिंह (प्राथमिक शिक्षक) को निलंबित किया गया है। भोपाल में बर्खास्तगी और रतलाम में निलंबन की कार्रवाई
इसी तरह 4 नवंबर को पहले ही दिन लापरवाही सामने आने पर रतलाम कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी मीशा सिंह ने सैलाना विधानसभा के मतदान केंद्र क्रमांक 54 के बीएलओ लोकेंद्र सिंह राणावत को निलंबित कर दिया। भोपाल में भी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 प्रशांत दुबे को बर्खास्त कर दिया। उनकी ड्यूटी गोविंदपुरा विधानसभा के बूथ नंबर-150 पर लगाई गई थी। मंगलवार को वे ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। इसलिए नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई। प्रशासन ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट भी तैयार कर रहा है, जो इस महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही बरत रहे हैं। ये खबर भी पढ़ें… मध्य प्रदेश में हर वोटर का वेरिफिकेशन होगा मध्य प्रदेश में बिहार की तरह वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) किया जाएगा। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के हर बूथ की वोटर लिस्ट की गहनता से जांच की जाएगी। हर वोटर को फिर से वेरिफाई किया जाएगा। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद एमपी में ट्रेनिंग हो चुकी है। पढे़ं पूरी खबर…
अभी हमारे स्कूल में पहली से 5वीं तक के 50 बच्चे हैं। इनमें से 40-45 बच्चे रोज आते हैं। मैं अकेली टीचर हूं, जो इन बच्चों को पढ़ाती हूं। मेरी ड्यूटी एसआईआर में लग गई है। घर-घर जाकर सर्वे करें या बच्चों को पढ़ाएं…कुछ समझ नहीं आ रहा। ये कहते हुए भोपाल के नेवरी मिडिल स्कूल की टीचर आरती शास्त्री के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आती है। दरअसल, चुनाव आयोग के निर्देश पर मध्य प्रदेश में भी वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू हो गया है। 4 नवंबर से 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर वोटर्स की जानकारी कलेक्ट करेंगे। ये पूरी प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी। जिन 65 हजार बीएलओ को इस काम में तैनात किया है, उनमें 15 हजार से ज्यादा शिक्षक भी हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो सिंगल टीचर का दायित्व निभा रहे हैं। दूसरी तरफ एसआईआर के काम में 12वीं क्लास को गणित और साइंस पढ़ाने वाले टीचर्स की भी ड्यूटी लगा दी गई है, जो नियम के मुताबिक नहीं है। खास बात ये है कि ये सभी लोग 7 फरवरी 2026 को फ्री होंगे, उसी दिन एमपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी लगाए जाने के बाद स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था क्या होगी? पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा? ये जानने भास्कर ने टीचर्स के साथ स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से लेकर शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों से बात की। 5 केस…जहां, शिक्षकों की SIR ड्यूटी के बाद पढ़ाई ठप हो जाएगी पहली से 5वीं तक एक टीचर पढ़ाती हैं सभी सब्जेक्ट
भोपाल के नेवरी स्थित पुलिस लाइन की शासकीय प्राथमिक शाला में कुल 50 बच्चे अध्ययनरत हैं। यह स्कूल पहली से पांचवीं तक संचालित होता है। स्कूल में केवल एक ही टीचर आरती शास्त्री हैं, जो कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को सभी विषय पढ़ाती हैं। आरती ने बताया कि वह पहली बार चुनाव से संबंधित किसी काम में शामिल हो रही हैं। इससे पहले उनकी कभी भी चुनाव के काम में ड्यूटी नहीं लगी थी। आरती ने कहा, ‘मुझे स्कूल और बीएलओ, दोनों की जिम्मेदारी संभालनी है। शाम चार बजे तक स्कूल चलता है, अगर मैं इस दौरान डोर-टू-डोर सर्वे के लिए जाऊंगी तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा?’ उन्होंने आगे बताया कि चुनाव आयोग की ओर से उन्हें आदेश प्राप्त हुआ है कि वह किसी भी समय जाकर बीएलओ का काम कर सकती हैं, लेकिन स्कूल ड्यूटी के दौरान यह संभव नहीं है। स्कूल के दोनों शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी लगी
भोपाल के बड़वई स्थित सरकारी स्कूल में कुल 33 छात्र और दो शिक्षक हैं। इस स्कूल के दोनों शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। इस स्कूल में अपने बेटे को पढ़ाने वाले सूरज सिंह का कहना है कि दोनों ही टीचर बीएलओ का काम करेंगे तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा? हम भी बच्चों को टीचर की गैर मौजूदगी में स्कूल नहीं भेजेंगे। ऐसे में तो अब चार महीने की छुट्टी ही समझो। सरकारी स्कूल में वैसे ही पढ़ाई कम होती है, सिर्फ दो टीचर होने के कारण बाबू का सब काम भी यही दो टीचर्स देखते हैं। आए दिन स्कूल में कोई न कोई कार्यक्रम होता है, जिसके कारण बच्चे और नहीं पढ़ पाते हैं। वहीं स्कूल के दोनों शिक्षकों ने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि हर बार चुनाव के समय उनकी ड्यूटी लगती है। 10 टीचर्स की ड्यूटी लगी, 350 बच्चों को पढ़ाएंगे 7 टीचर
शासकीय हमीदिया उच्चतर माध्यमिक शाला में कुल 350 बच्चे और 17 टीचर हैं। इनमें से 8 शिक्षकों की बीएलओ और 2 की सुपरवाइजर के तौर पर ड्यूटी लगी है। इनमें वो शिक्षक भी हैं, जो विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं। जिन टीचर्स की ड्यूटी लगी है, उनमें से एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसा हर बार होता है। शिक्षकों की हर सरकारी काम में ड्यूटी लगा दी जाती है। अभी एसआईआर का काम है। इसके बाद अगले साल जनगणना की तैयारियां होंगी, उसमें भी कई शिक्षकों की ड्यूटी लगेगी। 2027 में तो पंचायत और निकाय चुनाव है। उसके लिए मतदाता सूची बनाने का काम होगा। बीएलओ के रूप में शिक्षकों की ड्यूटी स्थानीय निकायों के चुनाव में भी लगा दी जाती है। बीएलओ के हेल्पर का काम करेंगी गणित-साइंस पढ़ाने वाली टीचर
नर्मदापुरम जिले के इटारसी में स्टेशनगंज मिडिल स्कूल में पहली से 8वीं तक कुल 50 छात्र पढ़ते हैं। यहां 5 टीचर हैं। इन्हीं में से एक टीचर पूजा सोलंकी की ड्यूटी बीएलओ के असिस्टेंट के रूप में लगाई गई है। हाल ही में उन्हें इसकी ट्रेनिंग के लिए भेजा था। पूजा सोलंकी 6वीं से 8वीं तक के स्टूडेंट को गणित और विज्ञान विषय पढ़ाती हैं। उन्होंने बताया कि एसआईआर के लिए वे बीएलओ के हेल्पर के तौर पर काम करेंगी। अभी ट्रेनिंग हुई है, जिसमें बताया गया है कि हमें अपने वार्ड में घर-घर जाकर जनगणना जैसी प्रक्रिया करनी है। बीएलओ ऐप में जिन लोगों के नाम दर्ज नहीं हैं, उनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना है, जिनके नाम दो दो जगह हैं, उनका नाम डिलीट करना है। 8 टीचर्स की ड्यूटी लगी, उनमें गणित-साइंस पढ़ाने वाले भी
इटारसी में सूरजगंज के पीएमश्री स्कूल में प्राचार्य सहित कुल आठ शिक्षकों की ड्यूटी एसआईआर में लगाई गई है। स्कूल में फिलहाल कोई स्थायी प्राचार्य नहीं है। प्राचार्य की जिम्मेदारी प्रभारी के रूप में सतीश खलखो संभाल रहे हैं। खलखो ने बताया कि इस समय स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छमाही परीक्षा चल रही हैं। इसी बीच प्राचार्य सहित मुख्य विषयों के टीचर्स की ड्यूटी बीएलओ और सुपरवाइजर के रूप में लगा दी गई है। परीक्षा के समय बीएलओ और स्कूल दोनों की जिम्मेदारी निभाना बेहद कठिन हो जाता है। आधा समय स्कूल की परीक्षाओं और स्टूडेंट्स को देना पड़ता है और बाकी समय बीएलओ के काम में लगाना पड़ता है। पांच पॉइंट्स में जानिए, टीचरों की ड्यूटी का पढ़ाई पर असर 1. बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी पर संकट: शिक्षकों की ड्यूटी 7 फरवरी तक चलेगी और इसी दिन से 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। परीक्षा से ठीक पहले के तीन महत्वपूर्ण महीने, जो रिविजन और तैयारी के लिए होते हैं, वह बर्बाद हो जाएंगे। 2. छमाही परीक्षाओं में अव्यवस्था: प्रदेश भर में छमाही परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन शिक्षक अब स्कूलों में नहीं रहेंगे। इससे न केवल परीक्षा का संचालन प्रभावित हो रहा है, बल्कि छात्रों को परीक्षा के दौरान उचित मार्गदर्शन भी नहीं मिल पा रहा है। 3. सिलेबस का पिछड़ना: तीन महीने तक शिक्षकों के कक्षा से बाहर रहने का सीधा असर सिलेबस पर पड़ेगा। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों का कोर्स पिछड़ जाएगा, जिससे छात्रों पर एकेडेमिक दबाव बढ़ेगा। 4. सिंगल टीचर वाले स्कूलों में लगेगा ताला: नेवरी और करोंद जैसे 6 हजार से ज्यादा स्कूल हैं, जो केवल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। इनमें से यदि 50 फीसदी स्कूलों के टीचर्स की ड्यूटी भी एसआईआर में लगा दी गई तो वहां पढ़ाई ठप हो जाएगी। 5. शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट: जिन स्कूलों में कुछ शिक्षक बचे भी हैं, वहां उन पर अतिरिक्त कक्षाएं लेने का बोझ बढ़ गया है। इससे शिक्षण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी और छात्र-शिक्षक अनुपात बुरी तरह प्रभावित होगा। शिक्षक संगठन बोला- सरकारी आदेश का पालन नहीं हुआ
टीचर्स की ड्यूटी लगाए जाने को लेकर शिक्षक संगठन ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने कहा- 2016 में सरकार ने ही एक आदेश जारी किया था कि गणित और विज्ञान विषय को पढ़ाने वाले टीचर्स की चुनाव या अन्य सरकारी कामों में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकेगी। इसके बावजूद इस बार आदेश का पालन नहीं हुआ है। साथ ही सरकार ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर भी ऐसा ही आदेश जारी किया था। उपेंद्र कहते हैं कि सरकार ही नहीं चाहती कि बच्चों की पढ़ाई पूरी हो। ऐसे समय में ये सारा काम हो रहा है, जब परीक्षाएं चल रही हैं। दिसंबर के बाद बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। जब स्कूलों का रिजल्ट खराब होता है तो उसका ठीकरा भी शिक्षकों पर ही फोड़ा जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर बोले- चुनाव आयोग ही देगा जवाब
टीचर्स की SIR में ड्यूटी लगने के बाद पढ़ाई पर असर पड़ेगा, जब ये सवाल स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निर्वाचन का काम है इसलिए इस विषय पर चुनाव आयोग ही जवाब दे सकेगा। हालांकि, डीपीआई के सूत्रों के मुताबिक कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी के शिक्षकों को निर्वाचन कार्य से मुक्त रखने की सिफारिश की थी। इसके बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई। नीमच में 7 बीएलओ सस्पेंड, उनमें 5 शिक्षक
4 नवंबर से डोर टू डोर सर्वे से पहले नीमच के तहसील भवन में बीएलओ को 2003 की मतदाता सूची से वर्तमान मतदाताओं का सत्यापन करने का जिम्मा सौंपा गया था। इस दौरान निर्वाचन कार्य में लापरवाही बरतने पर सात बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबित किए गए बीएलओ में प्रिया सैमुअल (शिक्षक), मंगला शर्मा (शिक्षक), ओमप्रकाश जोशी (सहायक ग्रेड-3), नजमा शेख (शिक्षक), अर्चना सैनी (सहायक ग्रेड-3), विमला थोरेचा (शिक्षक) और दिव्यानी प्रजापत (शिक्षक) शामिल हैं। इसी तरह आगर मालवा जिले में कचनारिया के बीएलओ गोपाल सिंह (प्राथमिक शिक्षक) को निलंबित किया गया है। भोपाल में बर्खास्तगी और रतलाम में निलंबन की कार्रवाई
इसी तरह 4 नवंबर को पहले ही दिन लापरवाही सामने आने पर रतलाम कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी मीशा सिंह ने सैलाना विधानसभा के मतदान केंद्र क्रमांक 54 के बीएलओ लोकेंद्र सिंह राणावत को निलंबित कर दिया। भोपाल में भी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 प्रशांत दुबे को बर्खास्त कर दिया। उनकी ड्यूटी गोविंदपुरा विधानसभा के बूथ नंबर-150 पर लगाई गई थी। मंगलवार को वे ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। इसलिए नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई। प्रशासन ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट भी तैयार कर रहा है, जो इस महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही बरत रहे हैं। ये खबर भी पढ़ें… मध्य प्रदेश में हर वोटर का वेरिफिकेशन होगा मध्य प्रदेश में बिहार की तरह वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) किया जाएगा। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के हर बूथ की वोटर लिस्ट की गहनता से जांच की जाएगी। हर वोटर को फिर से वेरिफाई किया जाएगा। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद एमपी में ट्रेनिंग हो चुकी है। पढे़ं पूरी खबर…