राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज नैनीताल में पहली बार कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचीं। यहां उन्होंने 20 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए। इससे पहले उन्होंने बाबा नीम करौली के दर्शन किए। यह पहली बार था जब देश का कोई राष्ट्रपति कैंची धाम में पहुंचा। राष्ट्रपति के आने से पहले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद कर दिया गया था, फिर 12 बजे के बाद लोगों के लिए खोल दिया गया। राष्ट्रपति ने पैदल ही मंदिर की परिक्रमा की। इससे पहले राष्ट्रपति ने शक्तिपीठ मां नयना देवी मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना की। उन्होंने राष्ट्र की सुख, शांति और खुशहाली की कामना की। राष्ट्रपति की PHOTOS…. नैनीताल में राष्ट्रपति की सिक्योरिटी में 1500 से ज्यादा जवान तैनात वहीं, पूरे इलाके में सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम कर दिए गए हैं। एसएसपी नैनीताल ने पूरे क्षेत्र को रेड जोन घोषित किया है और सुरक्षा के लिए 1500 से अधिक अधिकारी व जवान तैनात किए गए हैं। कैंची धाम के दर्शन के बाद राष्ट्रपति नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। वे करीब 12 बजे समारोह में पहुंचीं और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने यहां 20 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल पहनाए। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने इस साल अपना 51वां स्थापना वर्ष पूरा किया है और यह पहला मौका है जब दीक्षांत समारोह में देश की प्रथम नागरिक मुख्य अतिथि थी। हेलिकॉप्टर लैंडिंग और स्वागत राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर सोमवार शाम हल्द्वानी के आर्मी हेलीपैड में लैंड हुआ। राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल, डीएम ललित मोहन रयाल, एसएसपी मंजूनाथ टी.सी., मेयर गजराज बिष्ट और आर्मी स्टेशन कमांडेंट सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। राष्ट्रपति का काफिला सीधे नैनीताल के राजभवन के लिए रवाना हुआ, जहां उन्होंने रात्रि भोज और विश्राम किया। राजभवन की 125वीं वर्षगांठ में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीते शाम ही राजभवन नैनीताल की 125वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लिया। यहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। राजभवन की गौरवशाली विरासत, स्थापत्य सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। राष्ट्रपति ने साझा की संवैधानिक और सांस्कृतिक दृष्टि इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे स्वतंत्र भारत में राष्ट्रपति भवन गणराज्य का प्रतीक है, वैसे ही राज्यों में राजभवन लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक हैं। उन्होंने राज्यपाल कार्यालय से जुड़े सभी सदस्यों को सरलता, विनम्रता, नैतिकता और संवेदनशीलता का पालन करने की प्रेरणा दी। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड राज्य की प्रगति और समृद्धि की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल और उनकी टीम राज्य के नागरिकों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। कुमाऊं विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति आज कुमाऊं विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना वर्ष के दीक्षांत समारोह में भी मुख्य अतिथि थी। कुलपति प्रोफेसर डी.एस. रावत ने बताया कि यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहला अवसर था जब देश की प्रथम नागरिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। इससे विश्वविद्यालय को देशभर में नई पहचान मिली। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों में राजभवन लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक हैं और राज्यपाल का कार्य संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने राजभवन से जुड़े सभी अधिकारियों को सरलता, विनम्रता और नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा दी। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड राज्य की निरंतर प्रगति और समृद्धि की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि राज्य के नागरिकों को राज्यपाल और उनकी टीम से अमूल्य प्रेरणा मिलती रहेगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज नैनीताल में पहली बार कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचीं। यहां उन्होंने 20 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए। इससे पहले उन्होंने बाबा नीम करौली के दर्शन किए। यह पहली बार था जब देश का कोई राष्ट्रपति कैंची धाम में पहुंचा। राष्ट्रपति के आने से पहले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद कर दिया गया था, फिर 12 बजे के बाद लोगों के लिए खोल दिया गया। राष्ट्रपति ने पैदल ही मंदिर की परिक्रमा की। इससे पहले राष्ट्रपति ने शक्तिपीठ मां नयना देवी मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना की। उन्होंने राष्ट्र की सुख, शांति और खुशहाली की कामना की। राष्ट्रपति की PHOTOS…. नैनीताल में राष्ट्रपति की सिक्योरिटी में 1500 से ज्यादा जवान तैनात वहीं, पूरे इलाके में सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम कर दिए गए हैं। एसएसपी नैनीताल ने पूरे क्षेत्र को रेड जोन घोषित किया है और सुरक्षा के लिए 1500 से अधिक अधिकारी व जवान तैनात किए गए हैं। कैंची धाम के दर्शन के बाद राष्ट्रपति नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। वे करीब 12 बजे समारोह में पहुंचीं और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने यहां 20 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल पहनाए। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने इस साल अपना 51वां स्थापना वर्ष पूरा किया है और यह पहला मौका है जब दीक्षांत समारोह में देश की प्रथम नागरिक मुख्य अतिथि थी। हेलिकॉप्टर लैंडिंग और स्वागत राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर सोमवार शाम हल्द्वानी के आर्मी हेलीपैड में लैंड हुआ। राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल, डीएम ललित मोहन रयाल, एसएसपी मंजूनाथ टी.सी., मेयर गजराज बिष्ट और आर्मी स्टेशन कमांडेंट सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। राष्ट्रपति का काफिला सीधे नैनीताल के राजभवन के लिए रवाना हुआ, जहां उन्होंने रात्रि भोज और विश्राम किया। राजभवन की 125वीं वर्षगांठ में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीते शाम ही राजभवन नैनीताल की 125वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लिया। यहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। राजभवन की गौरवशाली विरासत, स्थापत्य सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। राष्ट्रपति ने साझा की संवैधानिक और सांस्कृतिक दृष्टि इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे स्वतंत्र भारत में राष्ट्रपति भवन गणराज्य का प्रतीक है, वैसे ही राज्यों में राजभवन लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक हैं। उन्होंने राज्यपाल कार्यालय से जुड़े सभी सदस्यों को सरलता, विनम्रता, नैतिकता और संवेदनशीलता का पालन करने की प्रेरणा दी। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड राज्य की प्रगति और समृद्धि की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल और उनकी टीम राज्य के नागरिकों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। कुमाऊं विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति आज कुमाऊं विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना वर्ष के दीक्षांत समारोह में भी मुख्य अतिथि थी। कुलपति प्रोफेसर डी.एस. रावत ने बताया कि यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहला अवसर था जब देश की प्रथम नागरिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। इससे विश्वविद्यालय को देशभर में नई पहचान मिली। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों में राजभवन लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक हैं और राज्यपाल का कार्य संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने राजभवन से जुड़े सभी अधिकारियों को सरलता, विनम्रता और नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा दी। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड राज्य की निरंतर प्रगति और समृद्धि की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि राज्य के नागरिकों को राज्यपाल और उनकी टीम से अमूल्य प्रेरणा मिलती रहेगी।