पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा की सड़क हादसे में हुई मौत को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज सोमवार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और नेशनल मेडिकल कमीशन को नोटिस जारी किया है। हादसे से लेकर उपचार देने तक पूरे मामले में जवाब तलब किया है। यह याचिका सीनियर एडवोकेट नवकिरन सिंह की ओर से दायर की गई है। उनका कहना है कि हादसे के तुरंत बाद उचित इलाज न मिलने से उसकी मौत हुई थी। जिस अस्पताल में पहले उन्हें ले जाया गया, वहां प्राथमिक उपचार भी नहीं मिला। याचिका में निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ठोस मैकेनिज्म बनाने की मांग की गई है। बता दें कि 27 सितंबर को राजवीर जवंदा बाइक पर बद्दी से शिमला जा रहे थे। रास्ते में पिंजौर के पास 2 सांडों की लड़ाई से बचने की कोशिश में उनकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। वह 11 दिन मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती रहे। 12वें दिन उन्होंने 35 साल की उम्र में दम तोड़ दिया था। जानिए, राजवीर जवंदा की जान क्यों नहीं बच सकी… अब जानिए याचिका में क्या दलील दी गई… निजी अस्पताल में तुरंत इलाज नहीं मिला
याचिका में दलील दी गई है कि हादसे के बाद जिस निजी अस्पताल में राजवीर को तुरंत ले जाया गया, वहां उन्हें उचित इलाज नहीं मिला। यहां तक कि उन्हें फर्स्ट एड (प्राथमिक उपचार) तक नहीं दिया गया। याचिका में राजवीर केस को आधार बनाकर भविष्य में पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा के अस्पतालों में उचित इलाज के लिए एक ठोस मैकेनिज्म (प्रणाली) बनाने की मांग की गई है। हादसे की सही जगह का नहीं था पता
याचिकाकर्ता एडवोकेट नवकिरण सिंह ने बताया कि शुरुआत में हमें यह जानकारी नहीं थी कि हादसा पिंजौर में हुआ है। इसी कारण हमने पहले हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। बाद में जब पता चला कि हादसा पिंजौर में हुआ है, तो मैं एक पत्रकार के साथ मौके पर गया। वहां जाकर पूरी स्थिति का जायजा लिया और डीडीआर (डेली डायरी रिपोर्ट) की कॉपी ली। ——————————-
राजवीर जवंदा की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंचा:सरकार को नोटिस; वकील ने कहा- ₹100 करोड़ काउ सेस लिया, पशुओं का क्या इंतजाम किया पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा की बेसहारा पशुओं की वजह से हुई मौत का मामला हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है। एडवोकेट नवकिरन सिंह ने याचिका दायर कर कहा कि सरकार आम लोगों से काउ सेस वसूल रही है। इसके बावजूद पशुओं की देखरेख या प्रबंधन के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। इस वजह से बेकसूर लोगों को हादसों में जान गंवानी पड़ रही है। (पूरी खबर पढ़ें)
पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा की सड़क हादसे में हुई मौत को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज सोमवार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और नेशनल मेडिकल कमीशन को नोटिस जारी किया है। हादसे से लेकर उपचार देने तक पूरे मामले में जवाब तलब किया है। यह याचिका सीनियर एडवोकेट नवकिरन सिंह की ओर से दायर की गई है। उनका कहना है कि हादसे के तुरंत बाद उचित इलाज न मिलने से उसकी मौत हुई थी। जिस अस्पताल में पहले उन्हें ले जाया गया, वहां प्राथमिक उपचार भी नहीं मिला। याचिका में निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ठोस मैकेनिज्म बनाने की मांग की गई है। बता दें कि 27 सितंबर को राजवीर जवंदा बाइक पर बद्दी से शिमला जा रहे थे। रास्ते में पिंजौर के पास 2 सांडों की लड़ाई से बचने की कोशिश में उनकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। वह 11 दिन मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती रहे। 12वें दिन उन्होंने 35 साल की उम्र में दम तोड़ दिया था। जानिए, राजवीर जवंदा की जान क्यों नहीं बच सकी… अब जानिए याचिका में क्या दलील दी गई… निजी अस्पताल में तुरंत इलाज नहीं मिला
याचिका में दलील दी गई है कि हादसे के बाद जिस निजी अस्पताल में राजवीर को तुरंत ले जाया गया, वहां उन्हें उचित इलाज नहीं मिला। यहां तक कि उन्हें फर्स्ट एड (प्राथमिक उपचार) तक नहीं दिया गया। याचिका में राजवीर केस को आधार बनाकर भविष्य में पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा के अस्पतालों में उचित इलाज के लिए एक ठोस मैकेनिज्म (प्रणाली) बनाने की मांग की गई है। हादसे की सही जगह का नहीं था पता
याचिकाकर्ता एडवोकेट नवकिरण सिंह ने बताया कि शुरुआत में हमें यह जानकारी नहीं थी कि हादसा पिंजौर में हुआ है। इसी कारण हमने पहले हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। बाद में जब पता चला कि हादसा पिंजौर में हुआ है, तो मैं एक पत्रकार के साथ मौके पर गया। वहां जाकर पूरी स्थिति का जायजा लिया और डीडीआर (डेली डायरी रिपोर्ट) की कॉपी ली। ——————————-
राजवीर जवंदा की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंचा:सरकार को नोटिस; वकील ने कहा- ₹100 करोड़ काउ सेस लिया, पशुओं का क्या इंतजाम किया पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा की बेसहारा पशुओं की वजह से हुई मौत का मामला हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है। एडवोकेट नवकिरन सिंह ने याचिका दायर कर कहा कि सरकार आम लोगों से काउ सेस वसूल रही है। इसके बावजूद पशुओं की देखरेख या प्रबंधन के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। इस वजह से बेकसूर लोगों को हादसों में जान गंवानी पड़ रही है। (पूरी खबर पढ़ें)