उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक कांड के 36 दिन बाद धामी सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद माना जा रहा है कि सीबीआई की टीम जल्द ही उत्तराखंड पहुंचकर जांच की कमान अपने हाथ में लेगी। सूत्रों के अनुसार सीबीआई टीम, वर्तमान में मामले की जांच कर रही एसआईटी से मुलाकात करेगी और अब तक हुई जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एवं साक्ष्य अपने कब्जे में लेगी। सीबीआई जल्द ही कुछ लोगों पर एक्शन की तैयारी में है। इससे पहले 11 अक्टूबर को मामले की जांच को लेकर सरकार द्वारा बनाए गए एकल सदस्यीय जांच आयोग ने सीएम धामी को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद UKSSSC ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस परीक्षा को रद्द कर दिया था। आयोग की रिपोर्ट के बाद UKSSSC ने ये फैसला सुनाया था। इसकी अध्यक्षता उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी ने की थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम ने भी कहा था कि आयोग ने कम समय में ज्यादा से ज्यादा जनसुनवाई कर स्टूडेंट्स और संबंधित पक्षों से सुझाव लिए हैं, जो सराहनीय है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट का परीक्षण कर स्टूडेंट्स के हित में निर्णय लिया जाएगा। पेपर लीक के बाद प्रदर्शन की 3 तस्वीरें… 4 पॉइंट में समझिए पेपर लीक का पूरा मामला… 1. 21 सितंबर को UKSSSC ने ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा कराई- UKSSSC ने 21 सितंबर को ग्रेजुएट लेवल की भर्ती के लिए 11 बजे एग्जाम शुरू किया। एग्जाम 1 बजे तक होना था। लेकिन 11:30 बजे ही पेपर लीक हो गया, जिसके तीन पन्ने वॉट्सऐप से बाहर आ गए थे। आरोपी खालिद मलिक नाम के व्यक्ति ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को अपने पेपर भेजे दिए थे, जिसमें खालिद की बहन साबिया भी शामिल थी। फिलहाल खालिद और उसकी बहन साबिया न्यायिक हिरासत में हैं। 2. प्रदेश भर में शुरू हुआ आन्दोलन- इसके बाद प्रदेश भर में आंदोलन शुरू हो गया। काफी लंबे समय तक बेरोजगार संगठन के लोग देहरादून के परेड ग्राउंड के बाहर धरने पर बैठे रहे। फिर सीएम पुष्कर सिंह धामी लगभग 8 दिन के बाद छात्रों से मिलने उनके धरना स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने सीबीआई जांच की बात कही। इसके बाद सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिख दिया था। छात्रों ने दूसरी मांग अपनी की थी कि इस परीक्षा को रद्द किया जाए और उसका रोस्टर दोबारा से जारी किया जाए। 3. एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया- छात्रों के बढ़ने प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यूसी ध्यानी को सौंपी गई। इस आयोग को परीक्षा में हुई अनियमितताओं, पेपर लीक की प्रक्रिया, शामिल अधिकारियों और बाहरी नेटवर्क की भूमिका की जांच का अधिकार दिया गया था। आयोग ने प्रदेश के कई जिलों में जाकर छात्रों, अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जनसंवाद किया और उन्हीं बयानों के आधार पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। 4- सरकार ने आयोग को सौंपी रिपोर्ट, पेपर रद्द- छात्रों की मांग थी कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए और परीक्षा को रद्द किया जाए। एकल सदस्यीय जांच आयोग की कई बैठकों में भी छात्रों ने इन मांगों को उठाया था। वहीं, जब आयोग ने रिपोर्ट सीएम धामी को सौंपी तो इसके कुछ ही घंटों बाद सरकार ने ये रिपोर्ट यूकेएसएसएसी को सौंपी। और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर ही यूकेएसएसएसी ने परीक्षा को रद्द कर दिया था।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक कांड के 36 दिन बाद धामी सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद माना जा रहा है कि सीबीआई की टीम जल्द ही उत्तराखंड पहुंचकर जांच की कमान अपने हाथ में लेगी। सूत्रों के अनुसार सीबीआई टीम, वर्तमान में मामले की जांच कर रही एसआईटी से मुलाकात करेगी और अब तक हुई जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एवं साक्ष्य अपने कब्जे में लेगी। सीबीआई जल्द ही कुछ लोगों पर एक्शन की तैयारी में है। इससे पहले 11 अक्टूबर को मामले की जांच को लेकर सरकार द्वारा बनाए गए एकल सदस्यीय जांच आयोग ने सीएम धामी को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद UKSSSC ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस परीक्षा को रद्द कर दिया था। आयोग की रिपोर्ट के बाद UKSSSC ने ये फैसला सुनाया था। इसकी अध्यक्षता उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी ने की थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम ने भी कहा था कि आयोग ने कम समय में ज्यादा से ज्यादा जनसुनवाई कर स्टूडेंट्स और संबंधित पक्षों से सुझाव लिए हैं, जो सराहनीय है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट का परीक्षण कर स्टूडेंट्स के हित में निर्णय लिया जाएगा। पेपर लीक के बाद प्रदर्शन की 3 तस्वीरें… 4 पॉइंट में समझिए पेपर लीक का पूरा मामला… 1. 21 सितंबर को UKSSSC ने ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा कराई- UKSSSC ने 21 सितंबर को ग्रेजुएट लेवल की भर्ती के लिए 11 बजे एग्जाम शुरू किया। एग्जाम 1 बजे तक होना था। लेकिन 11:30 बजे ही पेपर लीक हो गया, जिसके तीन पन्ने वॉट्सऐप से बाहर आ गए थे। आरोपी खालिद मलिक नाम के व्यक्ति ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को अपने पेपर भेजे दिए थे, जिसमें खालिद की बहन साबिया भी शामिल थी। फिलहाल खालिद और उसकी बहन साबिया न्यायिक हिरासत में हैं। 2. प्रदेश भर में शुरू हुआ आन्दोलन- इसके बाद प्रदेश भर में आंदोलन शुरू हो गया। काफी लंबे समय तक बेरोजगार संगठन के लोग देहरादून के परेड ग्राउंड के बाहर धरने पर बैठे रहे। फिर सीएम पुष्कर सिंह धामी लगभग 8 दिन के बाद छात्रों से मिलने उनके धरना स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने सीबीआई जांच की बात कही। इसके बाद सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिख दिया था। छात्रों ने दूसरी मांग अपनी की थी कि इस परीक्षा को रद्द किया जाए और उसका रोस्टर दोबारा से जारी किया जाए। 3. एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया- छात्रों के बढ़ने प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यूसी ध्यानी को सौंपी गई। इस आयोग को परीक्षा में हुई अनियमितताओं, पेपर लीक की प्रक्रिया, शामिल अधिकारियों और बाहरी नेटवर्क की भूमिका की जांच का अधिकार दिया गया था। आयोग ने प्रदेश के कई जिलों में जाकर छात्रों, अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जनसंवाद किया और उन्हीं बयानों के आधार पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। 4- सरकार ने आयोग को सौंपी रिपोर्ट, पेपर रद्द- छात्रों की मांग थी कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए और परीक्षा को रद्द किया जाए। एकल सदस्यीय जांच आयोग की कई बैठकों में भी छात्रों ने इन मांगों को उठाया था। वहीं, जब आयोग ने रिपोर्ट सीएम धामी को सौंपी तो इसके कुछ ही घंटों बाद सरकार ने ये रिपोर्ट यूकेएसएसएसी को सौंपी। और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर ही यूकेएसएसएसी ने परीक्षा को रद्द कर दिया था।