
धार महानपुर क्षेत्र में ब्राह्मण सभा द्वारा भगवान परशुराम मंदिर एवं सप्तऋषि मंदिर के शिलान्यास का भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस पावन अवसर पर पंडित मानसा राम जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता देवी ने अपने पवित्र करकमलों से शिलान्यास की विधि संपन्न की। कार्यक्रम में सभा के मुख्य संरक्षक, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संयोजक एवं क्षेत्र के प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ब्राह्मण सभा के सभी सदस्यों ने विशेष भूमिका निभाई। प्रमुख सदस्यों में उत्तम चंद चुगालिया, रूप चंद रैना, जगदीश राज उटरिया, ग्यान चंद उटरिया, दीपक मिश्रा, राघव दास जी महंत, सतिंदर पाठक, नरिंदर पाठक, दर्शन पाठक, एवं विपुल (अधिवक्ता) प्रमुख थे। सभा के अध्यक्ष सुभाष शर्मा एवं संयोजक डॉ. भूषण शास्त्री (प्राचार्य) ने आयोजन की पूरी योजना बनाई और इसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया।
कार्यक्रम का आरंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार एवं यज्ञ से हुआ। वैदिक पंडितों ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करवाई। मंत्रोच्चार के बीच पंडित मानसा राम जी एवं श्रीमती गीता देवी ने शिलान्यास किया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस पावन क्षण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और भगवान परशुराम से आशीर्वाद प्राप्त किया।

वक्ताओं के प्रेरणादायक उद्बोधन
सभा के अध्यक्ष सुभाष शर्मा ने अपने संबोधन में कहा,
“भगवान परशुराम का जीवन धर्म, ज्ञान, और शक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर समाज में सद्भाव और एकता का केंद्र बनेगा।”
संयोजक डॉ. भूषण शास्त्री ने कहा,
“यह आयोजन केवल एक मंदिर के निर्माण का कार्य नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को संजोने का एक पवित्र प्रयास है।”
अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए और समाज को संगठित होकर कार्य करने का संदेश दिया।
विशेष आयोजन एवं भंडारा
कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने भगवान परशुराम एवं सप्तऋषियों की महिमा का गुणगान किया। इसके पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सभा के सभी सदस्यों ने श्रद्धालुओं की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मंदिर निर्माण की योजना
सभा ने घोषणा की कि मंदिर का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ होगा। यह मंदिर क्षेत्र में धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा, जहाँ समाज के सभी लोग आकर पूजा-अर्चना कर सकेंगे।
भगवान परशुराम मंत्र
“ॐ जमदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि।
तन्नः परशुरामः प्रचोदयात्॥”
इस मंत्र के सामूहिक उच्चारण से पूरे वातावरण में एक पवित्र ऊर्जा का संचार हुआ। अंत में सभा के अध्यक्ष ने सभी उपस्थित जनों का धन्यवाद ज्ञापित किया और भविष्य में भी इसी प्रकार के सामाजिक कार्यों में सहयोग देने का आग्रह किया।
यह आयोजन पूरे क्षेत्र में श्रद्धा, भक्ति, और एकता का प्रतीक बन गया। सभा के इस प्रयास ने समाज को एकजुट किया और धार्मिक चेतना को एक नई दिशा दी।