
चुनाव आयोग (EC) ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए 800 एक्स्ट्रा वेयरहाउस की जरूरत होगी। इन वेयरहाउस में ईवीएम और अन्य उपकरण रखे जाएंगे। EC ने बयान जारी कर कहा कि वेयरहाउस बनाना कठिन काम है और इसमें बहुत लागत आती है। वेयरहाउस के लिए जमीन और कंस्ट्रक्शन की लागत राज्य सरकारें देती है। चुनाव आयोग ने मार्च 2023 में लॉ कमीशन और कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग के साथ एक साथ चुनाव कराने पर चर्चा की थी। इसकी रिपोर्ट एक देश-एक चुनाव के 2 बिलों पर चर्चा के लिए बनाई जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) को भेज दी है। अतिरिक्त बजट की जरूरत
चुनाव आयोग ने कानूनी मामलों के विभाग को बताया था कि सभी वेयरहाउस में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, हर एक और तीन महीने में निरीक्षण, फायर अलार्म और सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी, जो बहुत मुश्किल है। 326 जिलों में नए वेयरहाउस बनाए जाएंगे
चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि फिलहाल 326 जिलों में नए वेयरहाउस बनाने की जरूरत है। मार्च 2023 तक 194 वेयरहाउस बन चुके हैं, 106 बनाए जा रहे हैं। जबकि 13 वेयरहाउस बनाने के लिए जमीन की मंजूरी दे दी गई है। लेकिन अभी तक जमीन आवंटित नहीं की गई है। चुनाव आयोग के मुताबिक देश में लगभग 772 जिले हैं। जुलाई 2012 में चुनाव आयोग ने EVM और VVPAT स्टोर करने के लिए हर जिले में एक वेयरहाउस के निर्माण की पहल की थी। हर 15 साल में 10 हजार करोड़ का खर्च
20 जनवरी 2024 को चुनाव आयोग ने सरकार को लेटर लिखकर एक देश एक चुनाव पर होने वाले खर्च की जानकारी दी थी। चुनाव आयोग ने बताया था कि एक साथ चुनाव कराने पर हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। चुनाव आयोग ने बताया था कि EVM की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है। अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल 3 बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग मशीनें लगेंगी। JPC की बैठक में कम खर्च के दावे पर सवाल
एक देश-एक चुनाव के लिए संसद में पेश हुए 129वें संविधान संशोधन बिल पर 8 जनवरी को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली बैठक हुई थी। इस दौरान पक्ष और विपक्ष के सांसदों में जमकर बहस हुई। कानून मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के बाद प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी सांसदों ने एक साथ चुनाव कराने से खर्च कम होने के दावे पर सवाल उठाए। विपक्ष ने पूछा कि क्या 2004 लोकसभा चुनाव के बाद खर्च का कोई अनुमान लगाया गया था, जब पहली बार सभी 543 सीटों पर EVM का इस्तेमाल किया गया और माना जाता है कि इससे खर्च कम हुआ था। पूरी खबर पढ़ें… एक देश-एक चुनाव क्या है…
भरत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे। ————————– एक देश-एक चुनाव से जुड़ी अन्य खबरें… 2029 तक देश में हो सकते हैं एक साथ चुनाव:सरकार गिरने पर यूनिटी गवर्नमेंट बनेगी वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर लॉ पैनल संविधान में एक नया चैप्टर जोड़ सकता है। इसके जरिए आयोग 2029 तक देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश कर पाएगा। पूरी खबर पढ़ें…
चुनाव आयोग (EC) ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए 800 एक्स्ट्रा वेयरहाउस की जरूरत होगी। इन वेयरहाउस में ईवीएम और अन्य उपकरण रखे जाएंगे। EC ने बयान जारी कर कहा कि वेयरहाउस बनाना कठिन काम है और इसमें बहुत लागत आती है। वेयरहाउस के लिए जमीन और कंस्ट्रक्शन की लागत राज्य सरकारें देती है। चुनाव आयोग ने मार्च 2023 में लॉ कमीशन और कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग के साथ एक साथ चुनाव कराने पर चर्चा की थी। इसकी रिपोर्ट एक देश-एक चुनाव के 2 बिलों पर चर्चा के लिए बनाई जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) को भेज दी है। अतिरिक्त बजट की जरूरत
चुनाव आयोग ने कानूनी मामलों के विभाग को बताया था कि सभी वेयरहाउस में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, हर एक और तीन महीने में निरीक्षण, फायर अलार्म और सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी, जो बहुत मुश्किल है। 326 जिलों में नए वेयरहाउस बनाए जाएंगे
चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि फिलहाल 326 जिलों में नए वेयरहाउस बनाने की जरूरत है। मार्च 2023 तक 194 वेयरहाउस बन चुके हैं, 106 बनाए जा रहे हैं। जबकि 13 वेयरहाउस बनाने के लिए जमीन की मंजूरी दे दी गई है। लेकिन अभी तक जमीन आवंटित नहीं की गई है। चुनाव आयोग के मुताबिक देश में लगभग 772 जिले हैं। जुलाई 2012 में चुनाव आयोग ने EVM और VVPAT स्टोर करने के लिए हर जिले में एक वेयरहाउस के निर्माण की पहल की थी। हर 15 साल में 10 हजार करोड़ का खर्च
20 जनवरी 2024 को चुनाव आयोग ने सरकार को लेटर लिखकर एक देश एक चुनाव पर होने वाले खर्च की जानकारी दी थी। चुनाव आयोग ने बताया था कि एक साथ चुनाव कराने पर हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। चुनाव आयोग ने बताया था कि EVM की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है। अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल 3 बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग मशीनें लगेंगी। JPC की बैठक में कम खर्च के दावे पर सवाल
एक देश-एक चुनाव के लिए संसद में पेश हुए 129वें संविधान संशोधन बिल पर 8 जनवरी को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली बैठक हुई थी। इस दौरान पक्ष और विपक्ष के सांसदों में जमकर बहस हुई। कानून मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के बाद प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी सांसदों ने एक साथ चुनाव कराने से खर्च कम होने के दावे पर सवाल उठाए। विपक्ष ने पूछा कि क्या 2004 लोकसभा चुनाव के बाद खर्च का कोई अनुमान लगाया गया था, जब पहली बार सभी 543 सीटों पर EVM का इस्तेमाल किया गया और माना जाता है कि इससे खर्च कम हुआ था। पूरी खबर पढ़ें… एक देश-एक चुनाव क्या है…
भरत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे। ————————– एक देश-एक चुनाव से जुड़ी अन्य खबरें… 2029 तक देश में हो सकते हैं एक साथ चुनाव:सरकार गिरने पर यूनिटी गवर्नमेंट बनेगी वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर लॉ पैनल संविधान में एक नया चैप्टर जोड़ सकता है। इसके जरिए आयोग 2029 तक देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश कर पाएगा। पूरी खबर पढ़ें…