
गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस ने सुरेंद्रनगर से एक साइबर गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने गांधीनगर के सरगासण की एक दंपती को 200 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल होने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया और उनसे 2.5 लाख रुपए की ठगी की थी। जांच में पता चला कि दोनों धोखाधड़ी की रकम का 2% कमीशन लेकर बैंक खाते खोलते थे और आंगड़िया के जरिए रकम भेजते थे। ठग गिरोह ने 56 एफआईआर की प्रतियां भेजीं
गांधीनगर के सरगासण के दंपती को अलग-अलग नंबरों से वाट्सअप कॉल और वीडियो कॉल कर उनके खाते में 200 करोड़ जमा होने की जानकारी दी गई। इसके बाद दिल्ली में दर्ज 56 एफआईआर की प्रतियां भेजी गई। ठगों ने इसमें पुलिस अधिकारी, राजनेता व बैंक कर्मचारियों के शामिल होने की बात कही थी। ठगों ने दंपती को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर ढ़ाई लाख रुपए की ठगी की। इस मामले में गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दंपती को लगातार 24 घंटे तक प्रताड़ित किया
इस केस में पुलिस अधिकारी, राजनेता और बैंक कर्मचारियों के भी शामिल होने की बात कहकर इस मामले को गोपनीय रखने की भी हिदायत दी गई थी। साथ ही ईडी, सीबीआई व सुप्रीम कोर्ट के पत्र भी भेजे गए। दंपती को घर में नजरबंद कर दिया गया, उन्हें लगातार वीडियो कॉल करके रात में भी लाइट जलाए रखने को मजबूर किया गया। उनके बैंक खाते की डिटेल ले ली गई। दंपती को लगातार 24 घंटे तक मानसिक यातना दी गई। इसके बाद विजयभाई ने आरटीजीएस के माध्यम से ठगों के बैंक खाते में 2.5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। दोनों आरोपी सुरेंद्रनगर के
मामला दर्ज होने के बाद एसपी रवि तेजा वासमशेट्टी के मार्गदर्शन में गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के पीआई राकेश डामोर और उनकी टीम ने जांच शुरू की। तकनीकी सूत्रों के जरिए चंद घंटों में ही भावेश मनोजभाई निमावत (उम्र 26) और यश सुभाषभाई डांगी (उम्र 28) को गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपी सुरेंद्रनगर के जोरावरनगर के निवासी है। पीआई डामोर ने बताया कि भावेश और यश ऑनलाइन गेमिंग सट्टे के आदी है। वे डेढ़ माह से वर्चुअली साइबर ठगों के संपर्क में थे। दोनों को सेविंग-करंट बैंक खातों में गेमिंग व जीएसटी के रुपए प्राप्त होने की बात कही गई थी। उन्हें अलग-अलग बैंक खातों में प्राप्त हुई रकम का 2 फीसदी कमिशन काटकर आंगडिया के जरिए आगे भेजने का काम सौंपा गया था। इसके लिए डेढ़ माह से उन्होंने परिचित बैंक खातेधारकों को रुपयों का लालच देकर लगभग 40 से 45 सेविंग और करंट बैंक खाते भी खोले थे।
गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस ने सुरेंद्रनगर से एक साइबर गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने गांधीनगर के सरगासण की एक दंपती को 200 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल होने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया और उनसे 2.5 लाख रुपए की ठगी की थी। जांच में पता चला कि दोनों धोखाधड़ी की रकम का 2% कमीशन लेकर बैंक खाते खोलते थे और आंगड़िया के जरिए रकम भेजते थे। ठग गिरोह ने 56 एफआईआर की प्रतियां भेजीं
गांधीनगर के सरगासण के दंपती को अलग-अलग नंबरों से वाट्सअप कॉल और वीडियो कॉल कर उनके खाते में 200 करोड़ जमा होने की जानकारी दी गई। इसके बाद दिल्ली में दर्ज 56 एफआईआर की प्रतियां भेजी गई। ठगों ने इसमें पुलिस अधिकारी, राजनेता व बैंक कर्मचारियों के शामिल होने की बात कही थी। ठगों ने दंपती को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर ढ़ाई लाख रुपए की ठगी की। इस मामले में गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दंपती को लगातार 24 घंटे तक प्रताड़ित किया
इस केस में पुलिस अधिकारी, राजनेता और बैंक कर्मचारियों के भी शामिल होने की बात कहकर इस मामले को गोपनीय रखने की भी हिदायत दी गई थी। साथ ही ईडी, सीबीआई व सुप्रीम कोर्ट के पत्र भी भेजे गए। दंपती को घर में नजरबंद कर दिया गया, उन्हें लगातार वीडियो कॉल करके रात में भी लाइट जलाए रखने को मजबूर किया गया। उनके बैंक खाते की डिटेल ले ली गई। दंपती को लगातार 24 घंटे तक मानसिक यातना दी गई। इसके बाद विजयभाई ने आरटीजीएस के माध्यम से ठगों के बैंक खाते में 2.5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। दोनों आरोपी सुरेंद्रनगर के
मामला दर्ज होने के बाद एसपी रवि तेजा वासमशेट्टी के मार्गदर्शन में गांधीनगर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के पीआई राकेश डामोर और उनकी टीम ने जांच शुरू की। तकनीकी सूत्रों के जरिए चंद घंटों में ही भावेश मनोजभाई निमावत (उम्र 26) और यश सुभाषभाई डांगी (उम्र 28) को गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपी सुरेंद्रनगर के जोरावरनगर के निवासी है। पीआई डामोर ने बताया कि भावेश और यश ऑनलाइन गेमिंग सट्टे के आदी है। वे डेढ़ माह से वर्चुअली साइबर ठगों के संपर्क में थे। दोनों को सेविंग-करंट बैंक खातों में गेमिंग व जीएसटी के रुपए प्राप्त होने की बात कही गई थी। उन्हें अलग-अलग बैंक खातों में प्राप्त हुई रकम का 2 फीसदी कमिशन काटकर आंगडिया के जरिए आगे भेजने का काम सौंपा गया था। इसके लिए डेढ़ माह से उन्होंने परिचित बैंक खातेधारकों को रुपयों का लालच देकर लगभग 40 से 45 सेविंग और करंट बैंक खाते भी खोले थे।