
तमिलनाडु विधानसभा सत्र के दौरान राष्ट्रगान गाने को लेकर गवर्नर आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच जुबानी जंग जारी है। CM स्टालिन ने 6 दिसंबर को गवर्नर के अभिभाषण दिए बिना विधानसभा चले जाने को बचकाना बताया था। इस पर गवर्नर ने रविवार को कहा- CM स्टालिन का अहंकार ठीक नहीं है। गवर्नर आर एन रवि ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा, ‘स्टालिन का दावा है कि राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान और संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों को निभाने पर जोर देना बेतुका और बचकाना है। वे भारत को एक राष्ट्र नहीं मानते और उसके संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। ऐसा अहंकार ठीक नहीं है। लोग देश और संविधान का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ इससे पहले DMK प्रमुख और CM स्टालिन ने अपने बयान पर 10 जनवरी को सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि, ‘राज्यपाल विधानसभा में आते हैं, लेकिन सदन को संबोधित किए बिना लौट जाते हैं। इस वजह से उन्होंने गवर्नर की हरकतों को बचकाना कहा था।’ उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि राज्यपाल तमिलनाडु के विकास को पचा नहीं पा रहे हैं। मैं एक सामान्य व्यक्ति हो सकता हूं, लेकिन तमिलनाडु विधानसभा करोड़ों लोगों की भावनाओं का केंद्र है। ऐसी चीजें दोबारा नहीं देखने को मिलेंगी। 6 जनवरी को राज्यपाल ने विधानसभा से वॉकआउट किया 6 जनवरी से शुरू हुए तमिलनाडु विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने बिना संबोधन के वॉकआउट कर दिया था। जिसका राज्य के CM समेत अन्य मंत्रियों ने भी विरोध किया। स्टालिन ने यह भी कहा था कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राजभवन ने कहा- राज्यपाल ने सदन से राष्ट्रगान गाने की अपील की। लेकिन मना कर दिया गया। यह चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच 2021 से विवाद चल रहा
राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही खराब रिश्ते रहे हैं। DMK सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार का विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गया है। फरवरी 2024 में राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मसौदे में भ्रामक दावों वाले कई अंश हैं जो सच्चाई से कोसों दूर हैं। राजभवन ने यह भी कहा था कि राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में राष्ट्रगान को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे बजाया जाना चाहिए।राज्यपाल के सदन से बाहर चले जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाने वाला अभिभाषण दिया। 10 दिसंबर को सरकार राज्यपाल के खिलाफ SC पहुंच गई थी
इससे पहले 10 दिसंबर को तमिलनाडु के राज्यपाल को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। जिसमें राष्ट्रपति भवन से आरएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिका में दावा किया गया है कि रवि ने राज्यपाल के दायित्वों का पालन नहीं किया और लगातार संविधान का उल्लंघन किया है। याचिका लगाने वाले एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने कहा- राज्यपाल 6 जनवरी को अपना पारंपरिक संबोधन दिए बिना ही विधानसभा से चले गए। राज्यपाल ने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रगान बजाने कहा था, जबकि ऐसा आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं है। याचिका में राज्यपाल को लेकर किए गए दावे ————————— तमिलनाडु CM-राज्यपाल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका गवर्नर-स्टालिन का विवाद तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के बीच का विवाद नवंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। तब राज्यपाल के विधेयक अटकाने के मामले में सुनवाई हुई थी। बिल पर साइन न करने की शिकायत को लेकर तमिलनाडु सरकार ने याचिकाएं दायर की थीं। पढ़ें पूरी खबर… मद्रास हाईकोर्ट बोला-राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य, वे इसे नहीं बदल सकते मद्रास हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में कहा कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। वे कैबिनेट के फैसले बदल नहीं सकते। दरअसल स्टालिन कैबिनेट ने 20 साल से जेल में बंद वीरभारती की जल्दी रिहाई की मंजूरी दी, लेकिन गवर्नर आरएन रवि ने इस फैसले पर रोक लगा दी। पढ़ें पूरी खबर…
तमिलनाडु विधानसभा सत्र के दौरान राष्ट्रगान गाने को लेकर गवर्नर आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच जुबानी जंग जारी है। CM स्टालिन ने 6 दिसंबर को गवर्नर के अभिभाषण दिए बिना विधानसभा चले जाने को बचकाना बताया था। इस पर गवर्नर ने रविवार को कहा- CM स्टालिन का अहंकार ठीक नहीं है। गवर्नर आर एन रवि ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा, ‘स्टालिन का दावा है कि राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान और संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों को निभाने पर जोर देना बेतुका और बचकाना है। वे भारत को एक राष्ट्र नहीं मानते और उसके संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। ऐसा अहंकार ठीक नहीं है। लोग देश और संविधान का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ इससे पहले DMK प्रमुख और CM स्टालिन ने अपने बयान पर 10 जनवरी को सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि, ‘राज्यपाल विधानसभा में आते हैं, लेकिन सदन को संबोधित किए बिना लौट जाते हैं। इस वजह से उन्होंने गवर्नर की हरकतों को बचकाना कहा था।’ उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि राज्यपाल तमिलनाडु के विकास को पचा नहीं पा रहे हैं। मैं एक सामान्य व्यक्ति हो सकता हूं, लेकिन तमिलनाडु विधानसभा करोड़ों लोगों की भावनाओं का केंद्र है। ऐसी चीजें दोबारा नहीं देखने को मिलेंगी। 6 जनवरी को राज्यपाल ने विधानसभा से वॉकआउट किया 6 जनवरी से शुरू हुए तमिलनाडु विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने बिना संबोधन के वॉकआउट कर दिया था। जिसका राज्य के CM समेत अन्य मंत्रियों ने भी विरोध किया। स्टालिन ने यह भी कहा था कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राजभवन ने कहा- राज्यपाल ने सदन से राष्ट्रगान गाने की अपील की। लेकिन मना कर दिया गया। यह चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच 2021 से विवाद चल रहा
राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही खराब रिश्ते रहे हैं। DMK सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार का विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गया है। फरवरी 2024 में राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मसौदे में भ्रामक दावों वाले कई अंश हैं जो सच्चाई से कोसों दूर हैं। राजभवन ने यह भी कहा था कि राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में राष्ट्रगान को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे बजाया जाना चाहिए।राज्यपाल के सदन से बाहर चले जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाने वाला अभिभाषण दिया। 10 दिसंबर को सरकार राज्यपाल के खिलाफ SC पहुंच गई थी
इससे पहले 10 दिसंबर को तमिलनाडु के राज्यपाल को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। जिसमें राष्ट्रपति भवन से आरएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिका में दावा किया गया है कि रवि ने राज्यपाल के दायित्वों का पालन नहीं किया और लगातार संविधान का उल्लंघन किया है। याचिका लगाने वाले एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने कहा- राज्यपाल 6 जनवरी को अपना पारंपरिक संबोधन दिए बिना ही विधानसभा से चले गए। राज्यपाल ने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रगान बजाने कहा था, जबकि ऐसा आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं है। याचिका में राज्यपाल को लेकर किए गए दावे ————————— तमिलनाडु CM-राज्यपाल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका गवर्नर-स्टालिन का विवाद तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के बीच का विवाद नवंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। तब राज्यपाल के विधेयक अटकाने के मामले में सुनवाई हुई थी। बिल पर साइन न करने की शिकायत को लेकर तमिलनाडु सरकार ने याचिकाएं दायर की थीं। पढ़ें पूरी खबर… मद्रास हाईकोर्ट बोला-राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य, वे इसे नहीं बदल सकते मद्रास हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में कहा कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। वे कैबिनेट के फैसले बदल नहीं सकते। दरअसल स्टालिन कैबिनेट ने 20 साल से जेल में बंद वीरभारती की जल्दी रिहाई की मंजूरी दी, लेकिन गवर्नर आरएन रवि ने इस फैसले पर रोक लगा दी। पढ़ें पूरी खबर…