
सोशल मीडिया पर नाबालिगों के अकाउंट खोलने के लिए पैरेंट की सहमति के प्रावधान का एक मॉर्डल सामने आया है। आईटी मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों के पैरेंट्स के मोबाइल फोन और ईमेल पर ओटीपी (OTP) आएगा। ये ओटीपी डिजिटल स्पेस में पहले से मौजूद बच्चों और पैरेंट्स की डिजिटल आईडी कार्ड के आधार पर जनरेट होगा। इसके जरिए बच्चों या माता पिता का डेटा पब्लिक नहीं होगा। उम्र और कंफर्म की परमिशन भी पैरेंट से ली जा सकेगी। दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक पैरेंट की परमिशन हमेशा के लिए नहीं होगी। उन्हें जब लगेगा कि उनकी परमिशन का गलत यूज हो रहा है या ये परमिशन धोखे से ली गई है, परमिशन के बारे उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में वे इसे परमिशन को वापस भी ले सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने 3 जनवरी को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके तहत अब 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की सहमति लेना जरूरी होगा। जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों की होगी
केंद्र सरकार की ओर से जारी डेटा संरक्षण एक्ट 2023 में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अकांउट खोलने में पैरेंट्स की सहमति लेने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों को ही दी गई है। ओटीपी मॉडल अब तक का सबसे सुरक्षित उपाय माना जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में 18 साल के कम उम्र के लगभग 15 करोड़ बच्चे सोशल मीडिया पर हैं। कम उम्र के बच्चों की उम्र की पुष्टि कैसे होगी
डेटा प्रोटक्शन एक्ट के नियमों का ड्राफ्ट सामने आने के बाद बच्चों के लिए पैरेंटल परमिशन के सवाल को लेकर कई आशंकाएं हैं। वैसे सरकार ने इस संबंध में 18 फरवरी तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। अक्टूबर, 2023 में पास हुआ था DPDP कानून
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून अक्टूबर, 2023 में संसद से पास हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिला था। कंपनियों को यह बताना जरूरी हो गया कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपए तक था। पूरी खबर पढ़ें…
सोशल मीडिया पर नाबालिगों के अकाउंट खोलने के लिए पैरेंट की सहमति के प्रावधान का एक मॉर्डल सामने आया है। आईटी मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों के पैरेंट्स के मोबाइल फोन और ईमेल पर ओटीपी (OTP) आएगा। ये ओटीपी डिजिटल स्पेस में पहले से मौजूद बच्चों और पैरेंट्स की डिजिटल आईडी कार्ड के आधार पर जनरेट होगा। इसके जरिए बच्चों या माता पिता का डेटा पब्लिक नहीं होगा। उम्र और कंफर्म की परमिशन भी पैरेंट से ली जा सकेगी। दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक पैरेंट की परमिशन हमेशा के लिए नहीं होगी। उन्हें जब लगेगा कि उनकी परमिशन का गलत यूज हो रहा है या ये परमिशन धोखे से ली गई है, परमिशन के बारे उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में वे इसे परमिशन को वापस भी ले सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने 3 जनवरी को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके तहत अब 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की सहमति लेना जरूरी होगा। जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों की होगी
केंद्र सरकार की ओर से जारी डेटा संरक्षण एक्ट 2023 में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अकांउट खोलने में पैरेंट्स की सहमति लेने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों को ही दी गई है। ओटीपी मॉडल अब तक का सबसे सुरक्षित उपाय माना जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में 18 साल के कम उम्र के लगभग 15 करोड़ बच्चे सोशल मीडिया पर हैं। कम उम्र के बच्चों की उम्र की पुष्टि कैसे होगी
डेटा प्रोटक्शन एक्ट के नियमों का ड्राफ्ट सामने आने के बाद बच्चों के लिए पैरेंटल परमिशन के सवाल को लेकर कई आशंकाएं हैं। वैसे सरकार ने इस संबंध में 18 फरवरी तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। अक्टूबर, 2023 में पास हुआ था DPDP कानून
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून अक्टूबर, 2023 में संसद से पास हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिला था। कंपनियों को यह बताना जरूरी हो गया कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपए तक था। पूरी खबर पढ़ें…