
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को आयुष्मान भारत योजना से जुड़े एक मामले में केंद्र और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है। NHRC ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंगलुरु में राज्य सरकार के अस्पताल किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी ने 72 साल के बुजुर्ग को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए का कवर देने से मना कर दिया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2024 को बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली थी। इसी मामले में NHRC ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने नोटिस में सीनियर सीटिजन लाभार्थियों को योजना में आने वाली कुछ अन्य परेशानियों का भी जिक्र किया है। आयोग ने कहा अगर सीनयर सीटिजन को उनके लिए बनाई गई योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, तो यह स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है, जो सम्मान से जीवन जीने के लिए जरूरी है। 70+ साल के बुजुर्गों के लिए अक्टूबर, 2024 में शुरू हुई थी योजना
केंद्र सरकार ने 29 अक्टूबर 2024 से 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिए जाने की घोषणा की थी। इस योजना में मुफ्त इलाज के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई थी। इनकम, पेंशन, बैंक बैलेंस, जमीन या पुरानी बीमारियों के आधार पर किसी बुजुर्ग को इस योजना के दायरे से बाहर नहीं किया सकता। योजना शुरू करते समय सरकार ने बताया था कि 6 करोड़ सीनियर सिटिजंस को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसमें देश के करीब 4.5 करोड़ परिवार शामिल होंगे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में यह वादा किया था। इससे पहले 34 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल रहा था। केंद्र ने 2017 में योजना की शुरुआत की थी
आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी बीमा योजना है, जो देश के सबसे गरीब 40 प्रतिशत लोगों को हर साल 5 लाख रुपए तक की मुफ्त इलाज की सुविधा देती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत केंद्र सरकार ने यह योजना साल 2017 में शुरू की थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य इस योजना को मानने से इनकार कर रहे हैं और राज्य में खुद अपनी योजना चला रहे हैं। इस योजना के तहत देश भर के सिलेक्टेड सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करवाया जा सकता है। भर्ती होने के 10 दिन पहले और बाद के खर्च का भी इस योजना के तहत भुगतान का प्रावधान है। पूरी खबर पढ़ें… इस योजना में सभी बीमारियां होती हैं कवर
योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं। इस योजना के तहत अब तक साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग अपना इलाज करा चुके हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को आयुष्मान भारत योजना से जुड़े एक मामले में केंद्र और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है। NHRC ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंगलुरु में राज्य सरकार के अस्पताल किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी ने 72 साल के बुजुर्ग को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए का कवर देने से मना कर दिया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2024 को बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली थी। इसी मामले में NHRC ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने नोटिस में सीनियर सीटिजन लाभार्थियों को योजना में आने वाली कुछ अन्य परेशानियों का भी जिक्र किया है। आयोग ने कहा अगर सीनयर सीटिजन को उनके लिए बनाई गई योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, तो यह स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है, जो सम्मान से जीवन जीने के लिए जरूरी है। 70+ साल के बुजुर्गों के लिए अक्टूबर, 2024 में शुरू हुई थी योजना
केंद्र सरकार ने 29 अक्टूबर 2024 से 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिए जाने की घोषणा की थी। इस योजना में मुफ्त इलाज के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई थी। इनकम, पेंशन, बैंक बैलेंस, जमीन या पुरानी बीमारियों के आधार पर किसी बुजुर्ग को इस योजना के दायरे से बाहर नहीं किया सकता। योजना शुरू करते समय सरकार ने बताया था कि 6 करोड़ सीनियर सिटिजंस को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसमें देश के करीब 4.5 करोड़ परिवार शामिल होंगे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में यह वादा किया था। इससे पहले 34 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल रहा था। केंद्र ने 2017 में योजना की शुरुआत की थी
आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी बीमा योजना है, जो देश के सबसे गरीब 40 प्रतिशत लोगों को हर साल 5 लाख रुपए तक की मुफ्त इलाज की सुविधा देती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत केंद्र सरकार ने यह योजना साल 2017 में शुरू की थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य इस योजना को मानने से इनकार कर रहे हैं और राज्य में खुद अपनी योजना चला रहे हैं। इस योजना के तहत देश भर के सिलेक्टेड सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करवाया जा सकता है। भर्ती होने के 10 दिन पहले और बाद के खर्च का भी इस योजना के तहत भुगतान का प्रावधान है। पूरी खबर पढ़ें… इस योजना में सभी बीमारियां होती हैं कवर
योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं। इस योजना के तहत अब तक साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग अपना इलाज करा चुके हैं।