
छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर नक्सलियों ने 5000 किलोग्राम बारूद लोड वैन को लूट लिया है। इसमें 25-25 किलो के 200 पैकेट विस्फोटक थे। पत्थर खदान में लूटने के लिए 20-30 की संख्या में नक्सली पहुंचे थे। मंगलवार शाम की इस घटना के बाद से छत्तीसगढ़ में अलर्ट जारी है।
फोर्स के मुताबिक लगातार ऑपरेशन के बाद नक्सली बौखलाए हुए हैं और वो किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। एक्सपर्ट की माने तो विस्फोटक इतना है कि 200 SUV या 100 बख्तरबंद गाड़ियां उड़ाई जा सकती हैं। बारूद को झारखंड सीमा से लगे सुंदरगढ़ जिले के बैंग पत्थर खदान ले जाया जा रहा था, तभी नक्सलियों ने अटैक कर दिया। ड्राइवर को किडनैप कर वैन सहित बारूद को जंगल की ओर ले गए। विस्फोटक कितना शक्तिशाली हो सकता है, प्रदेश में हुई बड़ी IED ब्लास्ट की घटनाओं को जानने इस रिपोर्ट को पढ़िए:- छत्तीसगढ़ में हुई IED ब्लास्ट की 3 बड़ी घटनाएं अब बारूद लूट की पूरी घटना जानिए बारूद गोदाम के मालिक तरुण कुमार अग्रवाल ने बताया कि वैन लंगालकाटा इलाके पहुंची थी, तभी रात करीब 8.30 बजे खदान में हथियारबंद 20/30 नक्सली आ गए। ड्राइवर और मजदूरों को बंदूक दिखाकर धमकाया। नक्सलियों ने वैन से अनलोड किए गए बारूद के पैकेट्स को दोबारा वैन में रखने को कहा। इसके बाद माओवादी ड्राइवर देवनाथ टोप्पो को अगवा कर वैन को अपने कब्जे में लेकर जंगल की ओर ले गए। जंगल के भीतर पहले से 20/30 से अधिक नक्सली इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बारूद को वैन से जंगल में उतार लिया। इसके बाद ड्राइवर और वैन को वहीं छोड़कर बारूद लेकर जंगल में चले गए। टोप्पो के मुताबिक वो लोग कह रहे थे कि “हम जंगली लोग हैं/नक्सली लोग हैं। ट्रक लंगालकाटा इलाके के के. बालांग थाना क्षेत्र के पास पहुंचा, तभी कथित तौर पर 20 से 30 हथियारबंद संदिग्ध 24 घंटे बाद भी नहीं मिला सुराग वारदात के बाद ड्राइवर गोदाम पहुंचा। ड्राइवर ने मैनेजर को बताया कि विस्फोटक लूटने आए नक्सली हरे रंग के कपड़े पहने हुए थे। सामान्य भाषा में बातचीत कर रहे थे। वह हथियार रखे थे, जिससे वह घबरा गया। हालांकि उसे कुछ नहीं किया। जंगल में छोड़ दिया। ड्राइवर के बताते ही मैनेजर सकते में आ गया। मैनेजर ने फौरन बलगांव पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि वारदात को हुए 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट, तलाश जारी पुलिस और CRPF की टीमें तुरंत हरकत में आईं और इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया लेकिन जंगल और पहाड़ी इलाका होने के कारण ऑपरेशन में मुश्किलें पैदा हो रही हैं। राउरकेला के एसपी ने बताया कि “अब तक नक्सलियों द्वारा लूट के एंगल की पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता है। जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।” इस घटना के बाद ओडिशा पुलिस सतर्क हो गई है। दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। डीजी, डीआईजी और आईजी सहित कई आला अधिकारी मामले को लेकर बैठक कर रहे हैं और मामले से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि लूटे गए विस्फोटकों का इस्तेमाल सुरक्षाबलों या आम जनता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है, इसलिए पूरे क्षेत्र में निगरानी और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं। 2015 में झाबुआ में ब्लास्ट हुआ था, 73 जानें गई थीं झाबुआ जिले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को ब्लास्ट हुआ था। इस हादसे में 73 लोगों की जान चली गई थी। सुबह 8.15 बजे राजेंद्र कांसवा के गोदाम में रखी जिलेटिन की छड़ों में विस्फोट हुआ था। हादसे में 70 से ज्यादा लाेग घायल हुए थे। विस्फोट इतना तेज था कि 11 किमी दूर तक धमाका सुनाई दिया था। ब्लास्ट में 3 मकान पूरी तरह तहस-नहस हो गए थे। इस हादसे में 17 गांवों के लोग चपेट में आए थे। क्या है जिलेटिन और कैसे बनती है ? जिलेटिन एक विस्फोटक सामग्री है। यह विस्फोटक नाइट्रोग्लिसरीन + नाइट्रोसेलुलोज रसायन है। इसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है और आमतौर पर बिना डेटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता। जिलेटिन का उपयोग गिट्टी क्रशर पर चट्टानों को तोड़ने के लिए किया जाता है। पहाड़ों को तोड़ने के लिए भी विस्फोटक के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।
छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर नक्सलियों ने 5000 किलोग्राम बारूद लोड वैन को लूट लिया है। इसमें 25-25 किलो के 200 पैकेट विस्फोटक थे। पत्थर खदान में लूटने के लिए 20-30 की संख्या में नक्सली पहुंचे थे। मंगलवार शाम की इस घटना के बाद से छत्तीसगढ़ में अलर्ट जारी है।
फोर्स के मुताबिक लगातार ऑपरेशन के बाद नक्सली बौखलाए हुए हैं और वो किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। एक्सपर्ट की माने तो विस्फोटक इतना है कि 200 SUV या 100 बख्तरबंद गाड़ियां उड़ाई जा सकती हैं। बारूद को झारखंड सीमा से लगे सुंदरगढ़ जिले के बैंग पत्थर खदान ले जाया जा रहा था, तभी नक्सलियों ने अटैक कर दिया। ड्राइवर को किडनैप कर वैन सहित बारूद को जंगल की ओर ले गए। विस्फोटक कितना शक्तिशाली हो सकता है, प्रदेश में हुई बड़ी IED ब्लास्ट की घटनाओं को जानने इस रिपोर्ट को पढ़िए:- छत्तीसगढ़ में हुई IED ब्लास्ट की 3 बड़ी घटनाएं अब बारूद लूट की पूरी घटना जानिए बारूद गोदाम के मालिक तरुण कुमार अग्रवाल ने बताया कि वैन लंगालकाटा इलाके पहुंची थी, तभी रात करीब 8.30 बजे खदान में हथियारबंद 20/30 नक्सली आ गए। ड्राइवर और मजदूरों को बंदूक दिखाकर धमकाया। नक्सलियों ने वैन से अनलोड किए गए बारूद के पैकेट्स को दोबारा वैन में रखने को कहा। इसके बाद माओवादी ड्राइवर देवनाथ टोप्पो को अगवा कर वैन को अपने कब्जे में लेकर जंगल की ओर ले गए। जंगल के भीतर पहले से 20/30 से अधिक नक्सली इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बारूद को वैन से जंगल में उतार लिया। इसके बाद ड्राइवर और वैन को वहीं छोड़कर बारूद लेकर जंगल में चले गए। टोप्पो के मुताबिक वो लोग कह रहे थे कि “हम जंगली लोग हैं/नक्सली लोग हैं। ट्रक लंगालकाटा इलाके के के. बालांग थाना क्षेत्र के पास पहुंचा, तभी कथित तौर पर 20 से 30 हथियारबंद संदिग्ध 24 घंटे बाद भी नहीं मिला सुराग वारदात के बाद ड्राइवर गोदाम पहुंचा। ड्राइवर ने मैनेजर को बताया कि विस्फोटक लूटने आए नक्सली हरे रंग के कपड़े पहने हुए थे। सामान्य भाषा में बातचीत कर रहे थे। वह हथियार रखे थे, जिससे वह घबरा गया। हालांकि उसे कुछ नहीं किया। जंगल में छोड़ दिया। ड्राइवर के बताते ही मैनेजर सकते में आ गया। मैनेजर ने फौरन बलगांव पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि वारदात को हुए 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट, तलाश जारी पुलिस और CRPF की टीमें तुरंत हरकत में आईं और इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया लेकिन जंगल और पहाड़ी इलाका होने के कारण ऑपरेशन में मुश्किलें पैदा हो रही हैं। राउरकेला के एसपी ने बताया कि “अब तक नक्सलियों द्वारा लूट के एंगल की पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता है। जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।” इस घटना के बाद ओडिशा पुलिस सतर्क हो गई है। दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। डीजी, डीआईजी और आईजी सहित कई आला अधिकारी मामले को लेकर बैठक कर रहे हैं और मामले से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि लूटे गए विस्फोटकों का इस्तेमाल सुरक्षाबलों या आम जनता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है, इसलिए पूरे क्षेत्र में निगरानी और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं। 2015 में झाबुआ में ब्लास्ट हुआ था, 73 जानें गई थीं झाबुआ जिले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को ब्लास्ट हुआ था। इस हादसे में 73 लोगों की जान चली गई थी। सुबह 8.15 बजे राजेंद्र कांसवा के गोदाम में रखी जिलेटिन की छड़ों में विस्फोट हुआ था। हादसे में 70 से ज्यादा लाेग घायल हुए थे। विस्फोट इतना तेज था कि 11 किमी दूर तक धमाका सुनाई दिया था। ब्लास्ट में 3 मकान पूरी तरह तहस-नहस हो गए थे। इस हादसे में 17 गांवों के लोग चपेट में आए थे। क्या है जिलेटिन और कैसे बनती है ? जिलेटिन एक विस्फोटक सामग्री है। यह विस्फोटक नाइट्रोग्लिसरीन + नाइट्रोसेलुलोज रसायन है। इसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है और आमतौर पर बिना डेटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता। जिलेटिन का उपयोग गिट्टी क्रशर पर चट्टानों को तोड़ने के लिए किया जाता है। पहाड़ों को तोड़ने के लिए भी विस्फोटक के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।