
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली देसी कट्टा के अलावा अब स्नाइपर गन भी बनाने लगे हैं। करीब 20 से 25 हजार रुपए खर्च कर 1 स्नाइपर गन तैयार कर रहे हैं। इस गन से करीब 400 से 500 मीटर दूर तक निशाना लगाया जा सकता है। सालभर पहले टेकलगुडेम में इसी गन से नक्सलियों ने जवानों पर फायर किया था। मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हुए थे। स्नाइपर के अलावा नक्सली गन की बुलेट भी खुद ही बना रहे हैं। पहली बार जवानों ने बिग साइज के BGL भी बरामद किए हैं। इसकी ताकत इतनी है की अगर एक मकान पर दागा जाए तो पूरी तरह से धराशाई हो जाएगा। मैदानी इलाके में फेंका जाए तो करीब 50 से 60 मीटर के दायरे को अपनी चपेट में ले लेगा। दरसअल, कर्रेगुट्टा एनकाउंटर के बाद फोर्स ने पहली बार नक्सलियों की फैक्ट्री में तैयार हुई मेगा स्नाइपर गन और फूल BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) बरामद की है। ये सामान नक्सलियों की फैक्ट्री में तैयार होता था। जवानों ने कर्रेगुट्टा के पहाड़ पर 4 फैक्ट्री को नष्ट किया है। अब बताते हैं नक्सली अपनी फैक्ट्री में कौन-कौन से हथियार बनाते थे। 1. मेगा देसी स्नाइपर – मेगा देसी स्नाइपर बनाने के लिए पाइप, लकड़ी समेत अन्य सामान की जरूरत होती है। खासकर लेथ मशीन में पाइप को साइज के हिसाब से काटा जाता है। वहीं बट के लिए लकड़ी का इस्तेमाल होता है। ये सभी सामान बाजारों में आसानी से मिल जाते हैं। एक हथियार बनाने की लागत करीब 20 से 25 हजार रुपए तक आती है। नक्सलियों के पास स्नाइपर गन बनाने की पूरी किताब है। जिसे कर्रेगुट्टा एनकाउंटर के बाद पुलिस ने बरामद किया है। हालांकि, सुरक्षा को ध्यान में रखते और कहीं इसका कोई गलत इस्तेमाल न हो इसलिए हम गन बनाने की पूरी विधि नहीं बता रहे हैं। नक्सलियों के PLGA बटालियन नंबर 1 के पास सबसे ज्यादा मेगा स्नाइपर गन है। 14 मई को बीजापुर में CRPF DG जीपी सिंह ने भी दावा किया था कि पहली बार फोर्स ने नक्सलियों की फैक्ट्री में बनाई गई मेगा स्नाइपर बरामद की है। 2. तीर बम – नक्सली अपनी फैक्ट्री में तीर बम भी बनाते हैं। ये छोटे-छोटे वे बम होते हैं जो करीब 80 से 100 मीटर की दूरी तक आराम से दागे जा सकते हैं। इस बम के सामने ट्रिगर रहता है। यानी जैसे जी बम को फेंका गया और निशाने में लगने के बाद ट्रिगर जैसे ही दबा तो बम फट जाता है। हालांकि, नक्सलियों के लिए तीर बम काफी फैलियर रहा है। इसलिए वे अब इसे बनाना लगभग कम कर दिए हैं। 3. देसी कट्टा – नक्सली देसी कट्टा भी बनाते हैं। इसमें लगने वाला सामान भी बाजार में बड़ी आसानी से मिल जाता है। खर्च भी बेहद कम लगता है। नक्सलियों के अधिकांश एरिया कमेटी के LOC, LGS स्तर के नक्सली देसी कट्टा अपने पास रखते हैं। 4. BGL सेल – वर्तमान में नक्सली सबसे ज्यादा BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) बना रहे हैं। इसे बनाने में भी कम खर्च आता है। लेकिन ये घातक भी है। करीब 1 फीट लंबा BGL फटने के बाद 10 से 20 मीटर के दायरे को कैप्चर कर लेता है। नक्सली अपनी फैक्ट्री में BGL लॉन्चर भी बनाते हैं, जिसका इस्तेमाल इस BGL को लॉन्च करने के लिए करते हैं। वहीं अब नक्सली करीबी 2 फीट लंबा और मोटा BGL बनाने लगे हैं। इसमें बारूद भी ज्यादा भरते हैं। इसकी क्षमता करीब 50 से 60 मीटर के दायरे को कैप्चर करने की होती है। कर्रेगुट्टा के पहाड़ में नक्सली सैकड़ों की संख्या में BGL बनाते थे और इसे नक्सल संगठन के अलग-अलग एरिया कमेटी में सप्लाई करते थे। CRPF DG जीपी सिंह के मुताबिक, कैंप में जितने भी अटैक हुए हैं उसमें ज्यादातर BGL का ही इस्तेमाल नक्सलियों ने किया है। 5. IED – जवानों के लिए सबसे ज्यादा घातक जमीन के अंदर दबी IED होती है। वहीं IED बनाने नक्सली भी काफी एडवांस हो चुके हैं। टिफिन बम, प्रेशर कुकर बम, पाइप बम के अलावा नक्सली अब बियर की बोतलों से भी बम बनाने लगे हैं। बाइक से लेकर कार के रिमोट से कमांड IED भी बनाते हैं। जिसका इस्तेमाल बस्तर में जवानों के खिलाफ नक्सली लगातार करते रहते हैं। कर्रेगुट्टा पहाड़ के आसपास इलाके से जवानों ने 450 से ज्यादा IED बरामद की है। साल 2025 में ही बीजापुर जिले के कुटरू बेदरे मार्ग पर अंबेली के पास नक्सलियों ने अपनी फैक्ट्री में तैयार की कमांड IED को सड़क के नीचे दबा कर रखा था। जब जवानों से भरी एक स्कॉर्पियो वाहन गुजरी तो नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर दी थी। जिसमें 8 DRG के जवान समेत एक वाहन चालक शहीद हुए थे। सबसे महत्वपूर्ण ‘लेथ’ मशीन नक्सलियों के लिए हथियार बनाने की सबसे महत्वपूर्ण लेथ मशीन होती है। लेथ मशीन मार्केट में 4 से 5 लाख रुपए तक बड़ी आसानी से मिल जाती है। हालांकि एडवांस टेक्नोलॉजी की लेथ मशीन की कीमत काफी ज्यादा होती है। लेकिन नक्सली मिनी लेथ मशीन का ही इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए करते हैं। कर्रेगुट्टा में जवानों ने नक्सलियों की चार लेथ मशीन को नष्ट किया है। इसी से वे पाइप को साइज से काटने का काम करते थे। ये मशीन बिजली, जनरेटर या फिर डीजल से चलती है। हथियार बनाने की स्पेशल ट्रेनिंग करीब महीने भर पहले दंतेवाड़ा पुलिस ने 45 लाख रुपए की एक इनामी महिला नक्सली रेणुका को एनकाउंटर में मार गिराया था। रेणुका नक्सलियों की प्रेस टीम की सबसे बड़ी लीडर थी। उसके पास जवानों को बहुत से दस्तावेज मिले थे। नक्सलियों के टेक्निकल टीम के सदस्य भारी रिसर्च के बाद अलग-अलग हथियार बनाने, बम बनाने की विधि के साथ ही एक किताब प्रिंट करवाते हैं। जिसका काम रेणुका ही करती थी। नक्सलियों की इस किताब को नक्सलियों के PLGA बटालियन समेत अलग-अलग एरिया कमेटी में भी डिस्ट्रीब्यूट किया जाता था। नक्सलियों के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर में टेक्निकल टीम के सदस्य 3 से 4 लोगों को हथियार बनाने का प्रशिक्षण दिए। लेकिन IED बनाने का प्रशिक्षण लगभग हर एक नक्सली को दिया जाता है। सालभर पहले दैनिक भास्कर ने किया था खुलासा मई 2024 में जब जवानों ने एक एनकाउंटर में कुछ नक्सलियों को मार गिराया था, तो उनके पास से रिमोट बम बनाने की किताब बरामद हुई थी। यह किताब दैनिक भास्कर के हाथ लगी थी और सबसे पहले हमने ही इसका खुलासा किया था। ……………………………… ये खबर भी पढ़ें… 450 IED पार कर पहाड़ी पर चढ़े जवान…31 नक्सली मारे: 250 गुफाओं में ठिकाना, 4 वेपन फैक्ट्रियां तबाह; शाह बोले-2026 तक भारत नक्सलमुक्त होना तय छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर स्थित कर्रेगुट्टा के पहाड़ों पर सुरक्षाबलों ने 24 दिनों तक चले ऑपरेशन में 31 नक्सलियों को मार गिराया। इनमें 16 महिला और 15 पुरुष नक्सली शामिल हैं। दैनिक भास्कर ने पहले ही खबर दी थी कि 31 नक्सली मारे गए हैं। पढ़ें पूरी खबर
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली देसी कट्टा के अलावा अब स्नाइपर गन भी बनाने लगे हैं। करीब 20 से 25 हजार रुपए खर्च कर 1 स्नाइपर गन तैयार कर रहे हैं। इस गन से करीब 400 से 500 मीटर दूर तक निशाना लगाया जा सकता है। सालभर पहले टेकलगुडेम में इसी गन से नक्सलियों ने जवानों पर फायर किया था। मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हुए थे। स्नाइपर के अलावा नक्सली गन की बुलेट भी खुद ही बना रहे हैं। पहली बार जवानों ने बिग साइज के BGL भी बरामद किए हैं। इसकी ताकत इतनी है की अगर एक मकान पर दागा जाए तो पूरी तरह से धराशाई हो जाएगा। मैदानी इलाके में फेंका जाए तो करीब 50 से 60 मीटर के दायरे को अपनी चपेट में ले लेगा। दरसअल, कर्रेगुट्टा एनकाउंटर के बाद फोर्स ने पहली बार नक्सलियों की फैक्ट्री में तैयार हुई मेगा स्नाइपर गन और फूल BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) बरामद की है। ये सामान नक्सलियों की फैक्ट्री में तैयार होता था। जवानों ने कर्रेगुट्टा के पहाड़ पर 4 फैक्ट्री को नष्ट किया है। अब बताते हैं नक्सली अपनी फैक्ट्री में कौन-कौन से हथियार बनाते थे। 1. मेगा देसी स्नाइपर – मेगा देसी स्नाइपर बनाने के लिए पाइप, लकड़ी समेत अन्य सामान की जरूरत होती है। खासकर लेथ मशीन में पाइप को साइज के हिसाब से काटा जाता है। वहीं बट के लिए लकड़ी का इस्तेमाल होता है। ये सभी सामान बाजारों में आसानी से मिल जाते हैं। एक हथियार बनाने की लागत करीब 20 से 25 हजार रुपए तक आती है। नक्सलियों के पास स्नाइपर गन बनाने की पूरी किताब है। जिसे कर्रेगुट्टा एनकाउंटर के बाद पुलिस ने बरामद किया है। हालांकि, सुरक्षा को ध्यान में रखते और कहीं इसका कोई गलत इस्तेमाल न हो इसलिए हम गन बनाने की पूरी विधि नहीं बता रहे हैं। नक्सलियों के PLGA बटालियन नंबर 1 के पास सबसे ज्यादा मेगा स्नाइपर गन है। 14 मई को बीजापुर में CRPF DG जीपी सिंह ने भी दावा किया था कि पहली बार फोर्स ने नक्सलियों की फैक्ट्री में बनाई गई मेगा स्नाइपर बरामद की है। 2. तीर बम – नक्सली अपनी फैक्ट्री में तीर बम भी बनाते हैं। ये छोटे-छोटे वे बम होते हैं जो करीब 80 से 100 मीटर की दूरी तक आराम से दागे जा सकते हैं। इस बम के सामने ट्रिगर रहता है। यानी जैसे जी बम को फेंका गया और निशाने में लगने के बाद ट्रिगर जैसे ही दबा तो बम फट जाता है। हालांकि, नक्सलियों के लिए तीर बम काफी फैलियर रहा है। इसलिए वे अब इसे बनाना लगभग कम कर दिए हैं। 3. देसी कट्टा – नक्सली देसी कट्टा भी बनाते हैं। इसमें लगने वाला सामान भी बाजार में बड़ी आसानी से मिल जाता है। खर्च भी बेहद कम लगता है। नक्सलियों के अधिकांश एरिया कमेटी के LOC, LGS स्तर के नक्सली देसी कट्टा अपने पास रखते हैं। 4. BGL सेल – वर्तमान में नक्सली सबसे ज्यादा BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) बना रहे हैं। इसे बनाने में भी कम खर्च आता है। लेकिन ये घातक भी है। करीब 1 फीट लंबा BGL फटने के बाद 10 से 20 मीटर के दायरे को कैप्चर कर लेता है। नक्सली अपनी फैक्ट्री में BGL लॉन्चर भी बनाते हैं, जिसका इस्तेमाल इस BGL को लॉन्च करने के लिए करते हैं। वहीं अब नक्सली करीबी 2 फीट लंबा और मोटा BGL बनाने लगे हैं। इसमें बारूद भी ज्यादा भरते हैं। इसकी क्षमता करीब 50 से 60 मीटर के दायरे को कैप्चर करने की होती है। कर्रेगुट्टा के पहाड़ में नक्सली सैकड़ों की संख्या में BGL बनाते थे और इसे नक्सल संगठन के अलग-अलग एरिया कमेटी में सप्लाई करते थे। CRPF DG जीपी सिंह के मुताबिक, कैंप में जितने भी अटैक हुए हैं उसमें ज्यादातर BGL का ही इस्तेमाल नक्सलियों ने किया है। 5. IED – जवानों के लिए सबसे ज्यादा घातक जमीन के अंदर दबी IED होती है। वहीं IED बनाने नक्सली भी काफी एडवांस हो चुके हैं। टिफिन बम, प्रेशर कुकर बम, पाइप बम के अलावा नक्सली अब बियर की बोतलों से भी बम बनाने लगे हैं। बाइक से लेकर कार के रिमोट से कमांड IED भी बनाते हैं। जिसका इस्तेमाल बस्तर में जवानों के खिलाफ नक्सली लगातार करते रहते हैं। कर्रेगुट्टा पहाड़ के आसपास इलाके से जवानों ने 450 से ज्यादा IED बरामद की है। साल 2025 में ही बीजापुर जिले के कुटरू बेदरे मार्ग पर अंबेली के पास नक्सलियों ने अपनी फैक्ट्री में तैयार की कमांड IED को सड़क के नीचे दबा कर रखा था। जब जवानों से भरी एक स्कॉर्पियो वाहन गुजरी तो नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर दी थी। जिसमें 8 DRG के जवान समेत एक वाहन चालक शहीद हुए थे। सबसे महत्वपूर्ण ‘लेथ’ मशीन नक्सलियों के लिए हथियार बनाने की सबसे महत्वपूर्ण लेथ मशीन होती है। लेथ मशीन मार्केट में 4 से 5 लाख रुपए तक बड़ी आसानी से मिल जाती है। हालांकि एडवांस टेक्नोलॉजी की लेथ मशीन की कीमत काफी ज्यादा होती है। लेकिन नक्सली मिनी लेथ मशीन का ही इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए करते हैं। कर्रेगुट्टा में जवानों ने नक्सलियों की चार लेथ मशीन को नष्ट किया है। इसी से वे पाइप को साइज से काटने का काम करते थे। ये मशीन बिजली, जनरेटर या फिर डीजल से चलती है। हथियार बनाने की स्पेशल ट्रेनिंग करीब महीने भर पहले दंतेवाड़ा पुलिस ने 45 लाख रुपए की एक इनामी महिला नक्सली रेणुका को एनकाउंटर में मार गिराया था। रेणुका नक्सलियों की प्रेस टीम की सबसे बड़ी लीडर थी। उसके पास जवानों को बहुत से दस्तावेज मिले थे। नक्सलियों के टेक्निकल टीम के सदस्य भारी रिसर्च के बाद अलग-अलग हथियार बनाने, बम बनाने की विधि के साथ ही एक किताब प्रिंट करवाते हैं। जिसका काम रेणुका ही करती थी। नक्सलियों की इस किताब को नक्सलियों के PLGA बटालियन समेत अलग-अलग एरिया कमेटी में भी डिस्ट्रीब्यूट किया जाता था। नक्सलियों के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर में टेक्निकल टीम के सदस्य 3 से 4 लोगों को हथियार बनाने का प्रशिक्षण दिए। लेकिन IED बनाने का प्रशिक्षण लगभग हर एक नक्सली को दिया जाता है। सालभर पहले दैनिक भास्कर ने किया था खुलासा मई 2024 में जब जवानों ने एक एनकाउंटर में कुछ नक्सलियों को मार गिराया था, तो उनके पास से रिमोट बम बनाने की किताब बरामद हुई थी। यह किताब दैनिक भास्कर के हाथ लगी थी और सबसे पहले हमने ही इसका खुलासा किया था। ……………………………… ये खबर भी पढ़ें… 450 IED पार कर पहाड़ी पर चढ़े जवान…31 नक्सली मारे: 250 गुफाओं में ठिकाना, 4 वेपन फैक्ट्रियां तबाह; शाह बोले-2026 तक भारत नक्सलमुक्त होना तय छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर स्थित कर्रेगुट्टा के पहाड़ों पर सुरक्षाबलों ने 24 दिनों तक चले ऑपरेशन में 31 नक्सलियों को मार गिराया। इनमें 16 महिला और 15 पुरुष नक्सली शामिल हैं। दैनिक भास्कर ने पहले ही खबर दी थी कि 31 नक्सली मारे गए हैं। पढ़ें पूरी खबर