
तमिलनाड़ के विधानसभा सत्र के दौरान सोमवार को सदन में हाईलेवल ड्रामा हुआ। राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाते हुए अभिभाषण देने से इनकार कर दिया और सत्र बीच में ही छोड़कर विधानसभा से चले गए। इससे पहले फरवरी 2024 में भी वे ऐसा कर चुके हैं। परंपरा के अनुसार, सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राज्यपाल के इस व्यवहार पर CM स्टालिन ने कहा कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। जब राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते, तो वे इस पद पर क्यों बने हुए हैं। यह राज्य के लोगों का अपमान है। राजभवन ने कहा- CM और स्पीकर ने राष्ट्रगान गाने से मना किया राजभवन ने एक बयान में कहा, “आज तमिलनाडु विधानसभा में एक बार फिर भारत के संविधान और राष्ट्रगान का अपमान किया गया। राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे संविधान में निहित पहले मौलिक कर्तव्यों में से एक है। राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में इसे सभी राज्य विधानसभाओं में गाया जाता है।” “आज राज्यपाल के सदन में आने पर केवल तमिल थाई वाझथु गाया गया। राज्यपाल ने सदन को उसके संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाई और सदन के नेता मुख्यमंत्री और स्पीकर से राष्ट्रगान गाने की अपील की। हालांकि, उन्होंने मना कर दिया। यह गंभीर चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए।” फरवरी में भी राज्यपाल विधानसभा छोड़कर चले गए थे
राज्यपाल के सदन से बाहर चले जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाने वाला अभिभाषण दिया। यह पहली बार नहीं है जब राजभवन और DMK सरकार के बीच तमिलनाडु विधानसभा में इस प्रथा को लेकर बहस हुई है। फरवरी में राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मसौदे में “भ्रामक दावों वाले कई अंश हैं जो सच्चाई से कोसों दूर हैं।” राजभवन ने यह भी कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में राष्ट्रगान को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे बजाया जाना चाहिए। 2022 में, आरएन रवि ने भाषण के कुछ हिस्सों को पढ़ने से इनकार कर दिया, जिसमें बीआर अंबेडकर, पेरियार, सीएन अन्नादुरई के नाम के अलावा ‘द्रविड़ियन मॉडल’ वाक्यांश और तमिलनाडु में कानून और व्यवस्था के कुछ संदर्भ थे। सदन के केवल आधिकारिक भाषण रिकॉर्ड करने और राज्यपाल की स्पीच रिकॉर्ड न करने का प्रस्ताव पारित करने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रगान की प्रतीक्षा किए बिना ही वॉकआउट कर दिया था। सरकार का आरोप- राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करते हैं
आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल बनाए गए थे। तब से लेकर अब तक कई मुद्दों पर राज्य की एमके स्टालिन सरकार और उनके बीच विवाद हो चुका है। स्टालिन सरकार का आरोप है कि राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। वे सरकार के बिल रोकते हैं। इस पर राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट ने भी कहा था कि राज्यपालों को मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करना चाहिए।
तमिलनाड़ के विधानसभा सत्र के दौरान सोमवार को सदन में हाईलेवल ड्रामा हुआ। राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाते हुए अभिभाषण देने से इनकार कर दिया और सत्र बीच में ही छोड़कर विधानसभा से चले गए। इससे पहले फरवरी 2024 में भी वे ऐसा कर चुके हैं। परंपरा के अनुसार, सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राज्यपाल के इस व्यवहार पर CM स्टालिन ने कहा कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। जब राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते, तो वे इस पद पर क्यों बने हुए हैं। यह राज्य के लोगों का अपमान है। राजभवन ने कहा- CM और स्पीकर ने राष्ट्रगान गाने से मना किया राजभवन ने एक बयान में कहा, “आज तमिलनाडु विधानसभा में एक बार फिर भारत के संविधान और राष्ट्रगान का अपमान किया गया। राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे संविधान में निहित पहले मौलिक कर्तव्यों में से एक है। राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में इसे सभी राज्य विधानसभाओं में गाया जाता है।” “आज राज्यपाल के सदन में आने पर केवल तमिल थाई वाझथु गाया गया। राज्यपाल ने सदन को उसके संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाई और सदन के नेता मुख्यमंत्री और स्पीकर से राष्ट्रगान गाने की अपील की। हालांकि, उन्होंने मना कर दिया। यह गंभीर चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए।” फरवरी में भी राज्यपाल विधानसभा छोड़कर चले गए थे
राज्यपाल के सदन से बाहर चले जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाने वाला अभिभाषण दिया। यह पहली बार नहीं है जब राजभवन और DMK सरकार के बीच तमिलनाडु विधानसभा में इस प्रथा को लेकर बहस हुई है। फरवरी में राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मसौदे में “भ्रामक दावों वाले कई अंश हैं जो सच्चाई से कोसों दूर हैं।” राजभवन ने यह भी कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में राष्ट्रगान को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे बजाया जाना चाहिए। 2022 में, आरएन रवि ने भाषण के कुछ हिस्सों को पढ़ने से इनकार कर दिया, जिसमें बीआर अंबेडकर, पेरियार, सीएन अन्नादुरई के नाम के अलावा ‘द्रविड़ियन मॉडल’ वाक्यांश और तमिलनाडु में कानून और व्यवस्था के कुछ संदर्भ थे। सदन के केवल आधिकारिक भाषण रिकॉर्ड करने और राज्यपाल की स्पीच रिकॉर्ड न करने का प्रस्ताव पारित करने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रगान की प्रतीक्षा किए बिना ही वॉकआउट कर दिया था। सरकार का आरोप- राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करते हैं
आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल बनाए गए थे। तब से लेकर अब तक कई मुद्दों पर राज्य की एमके स्टालिन सरकार और उनके बीच विवाद हो चुका है। स्टालिन सरकार का आरोप है कि राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। वे सरकार के बिल रोकते हैं। इस पर राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट ने भी कहा था कि राज्यपालों को मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करना चाहिए।