
करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का मुद्दा पंजाब सरकार का है। हरियाणा में ऐसा कुछ नहीं है। खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत करने की कोशिश की है, और दो-तीन बार बातचीत का ऑफर भी दे चुकी है, लेकिन कोई भी किसान उस कमेटी से मिलने नहीं आया। दरअसल, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में कर्ण कमल कार्यालय के कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उनसे किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछा गया। जिस पर उन्होंने किसानों पर बातचीत न करने का आरोप लगाया। सरकार सिर्फ दिखावा करती है बातचीत का इसके जवाब में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कहा कि सरकार सिर्फ बातचीत का दिखावा करती है। जो कमेटी के लोग किसानों के साथ बैठते हैं, वो सिर्फ बातचीत करने आते हैं। उस कमेटी के लोगों के पास बातों को लागू करने की पावर नहीं है और न ही वो बैठक में हुई बातचीत की कोई जिम्मेदारी लेते हैं। किसानों से केंद्र की 4 बार बातचीत की कोशिश हुई, सभी विफल रहीं किसान आंदोलन 2.0 के दौरान केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत की 4 बार कोशिश हुई। चारों बार बैठकों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने किसानों से बातचीत का प्रयास किया था। नीचे किसानों से बातचीत की तारीखें 12 फरवरी 2024: चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक हुई, लेकिन यह बेनतीजा रही। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने किसानों से मुलाकात की, लेकिन किसान नेता बैठक छोड़कर चले गए। 14 फरवरी 2024: केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए अपनी तत्परता जताई और किसान संगठनों की ओर से प्रस्ताव का इंतजार किया। सरकार ने कहा कि वह किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए तैयार है। 15 फरवरी 2024: केंद्र की ओर से गठित समिति ने तीसरी बार किसान संगठनों से बातचीत करने की कोशिश की। यह बैठक भी चंडीगढ़ में हुई। लेकिन यह भी विफल रही। 18 फरवरी 2024: चौथे दौर की बैठक में केंद्र सरकार की समिति ने शीर्ष मंत्रियों से बातचीत के लिए समय मांगा। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पहले ही साफ कर दिया था कि एमएसपी का समाधान एक दिन में नहीं निकल सकता। इसके लिए समय चाहिए। लेकिन, किसान अपनी बात पर अड़े रहे और 21 फरवरी को आगे बढ़ने का फैसला किया।
करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का मुद्दा पंजाब सरकार का है। हरियाणा में ऐसा कुछ नहीं है। खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत करने की कोशिश की है, और दो-तीन बार बातचीत का ऑफर भी दे चुकी है, लेकिन कोई भी किसान उस कमेटी से मिलने नहीं आया। दरअसल, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में कर्ण कमल कार्यालय के कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उनसे किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछा गया। जिस पर उन्होंने किसानों पर बातचीत न करने का आरोप लगाया। सरकार सिर्फ दिखावा करती है बातचीत का इसके जवाब में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कहा कि सरकार सिर्फ बातचीत का दिखावा करती है। जो कमेटी के लोग किसानों के साथ बैठते हैं, वो सिर्फ बातचीत करने आते हैं। उस कमेटी के लोगों के पास बातों को लागू करने की पावर नहीं है और न ही वो बैठक में हुई बातचीत की कोई जिम्मेदारी लेते हैं। किसानों से केंद्र की 4 बार बातचीत की कोशिश हुई, सभी विफल रहीं किसान आंदोलन 2.0 के दौरान केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत की 4 बार कोशिश हुई। चारों बार बैठकों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने किसानों से बातचीत का प्रयास किया था। नीचे किसानों से बातचीत की तारीखें 12 फरवरी 2024: चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक हुई, लेकिन यह बेनतीजा रही। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने किसानों से मुलाकात की, लेकिन किसान नेता बैठक छोड़कर चले गए। 14 फरवरी 2024: केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए अपनी तत्परता जताई और किसान संगठनों की ओर से प्रस्ताव का इंतजार किया। सरकार ने कहा कि वह किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए तैयार है। 15 फरवरी 2024: केंद्र की ओर से गठित समिति ने तीसरी बार किसान संगठनों से बातचीत करने की कोशिश की। यह बैठक भी चंडीगढ़ में हुई। लेकिन यह भी विफल रही। 18 फरवरी 2024: चौथे दौर की बैठक में केंद्र सरकार की समिति ने शीर्ष मंत्रियों से बातचीत के लिए समय मांगा। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पहले ही साफ कर दिया था कि एमएसपी का समाधान एक दिन में नहीं निकल सकता। इसके लिए समय चाहिए। लेकिन, किसान अपनी बात पर अड़े रहे और 21 फरवरी को आगे बढ़ने का फैसला किया।