
पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले में मारे गए हरियाणा के करनाल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा कि हमले की सुबह ही उन्होंने विनय की आवाज आखिरी बार सुनी थी। अगर विनय को हमले का एहसास होता या आतंकी चैलेंज करता तो वह इतना बहादुर और फुर्तीला था कि उसकी गन छीनकर बाकी टूरिस्टों को भी बचा लेता। मगर, आर्मी वर्दी की वजह से शायद उसे एहसास नहीं हुआ। पहलगाम में सुरक्षा चूक को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार के लिए हर जिंदगी अमूल्य होती है। छींटाकशी करना आसान है। जब राहुल गांधी घर मिलने आए तो उनकी आंखों में भी आंसू थे। लेफ्टिनेंट नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने दैनिक भास्कर से विनय के बचपन से लेकर पहलगाम में हमले में हत्या होने और उसके बाद के घटनाक्रम पर विस्तृत बात की। विनय को गोली लगी, इसका पता कैसे चला
राजेश नरवाल बोले- 22 अप्रैल को दोपहर का वक्त था। मैं लाडवा के एक शादी समारोह से लौटा था। चूंकि 16 अप्रैल को ही विनय की शादी और 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन हुआ था। ऐसे में शादी की थकान भी नहीं उतरी थी। मैं अपने रूम में सो गया और मेरा मोबाइल मेरे पापा हवा सिंह के बैडरूम में रखा हुआ था। करीब साढ़े 3 बजे पापा मेरे रूम में आए। वे हड़बड़ी में थे। वे बोले-राजेश…राजेश… उठो। मैने पूछा- क्या हुआ क्या हुआ। वो बोले- फोन है फोन है। मैने पूछा- किसका फोन है? वो बोले- विनय के ससुर सुनील कुमार का फोन है। मैने फोन लिया और पूछा- हेलो, हां भाई बोलिये, सब ठीक है ना। ससुर ने बताया- विनय को गोली लग गई
सुनील घबराए हुए थे- वो बोले-भाई, पहलगाम में फायरिंग हो गई है और विनय को गोली लग गई है। मैने जब यह सुना तो मैं हैरान रह गया। मेरे पास कोई शब्द ही नहीं थे, मैं नींद में था और एक बहुत बड़ा झटका लगा। मैने चलती कॉल के साथ ही मोबाइल को बिस्तर पर रख दिया। इसके बाद मैं सुन्न सा हो गया। कुछ देर में होश सा आया तो मैने फिर से मोबाइल उठाकर सुनील से बात की। सुनील ने आगे बताया कि मैं और हिमांशी की मम्मी पूनम 6.10 बजे पहली फ्लाइट से जम्मू जा रहे है। तुम अभी चल पड़ो। जैसे भी टिकट हाेगी, मैं बुक करवा दूंगा। मैं शॉक्ड था, मैं पूरी तरह से ब्लैकआउट हो चुका था। सृष्टि ने भाभी को कॉल किया, वह रो रही थीं
घर में एकदम से अफरा- तफरी सी मच गई तो दूसरे कमरे में लेटी बेटी सृष्टि भी दौड़ी आई। उसने पूछा- पापा, हुआ क्या है? मैं उसको कुछ भी नहीं बता पा रहा था। मैं बदहवास सा कभी उस कमरे में जा रहा था तो कभी इस कमरे में। कभी इस दराज को खोलता तो कभी उस दराज को। सृष्टि ने पूछा- पापा हुआ क्या है? मैने उसको बताया कि विनय को गोली लगी है। उसने तुरंत भाभी हिमांशी को कॉल किया तो हिमांशी रो रही थी। हिमांशी ने सृष्टि को पूरी बात बताई कि गोली लगने से विनय घायल हो चुका है। आपका शरीर ही बता देता है कि अनहोनी हो चुकी है
राजेश नरवाल ने कहा- मैं सृष्टि के साथ अपनी गाड़ी लेकर निकला और रास्ते में मैने अपने कजिन को कॉल किया। उसको साथ में लिया और दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। सुबह 7.10 बजे की फ्लाइट हमें मिली। उससे हम पहलगाम गए तो वहां रात हो चुकी थी। जब कोई बड़ी अनहोनी होती है तो आपका शरीर भी आपको बता देता है। रात को मेरे पास अस्पताल से कॉल आया और सुबह हमें वहां पर बुलाया गया। अस्पताल में हाहाकार मचा हुआ था
राजेश नरवाल आगे बताते हैं- हम अस्पताल गए। जो भी फॉर्मेलिटीज थी, वो पहले ही हो चुकीं थी। वहां हाहाकार मचा हुआ था। जिन टूरिस्टों के साथ अनहोनी हुई थी, उनके परिवार वाले उनको संभाल रहे थे। इसके बाद हम दिल्ली एयरपोर्ट पर विनय का पार्थिव शरीर लेकर आए। नेवी ने उनके पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद बेटे के शव को घर लेकर आए और शाम को दाह संस्कार किया। डिफेंस से रहा है फैमिली का डीएनए
राजेश नरवाल ने बताया- हमारी फैमिली का डीएनए डिफेंस से ही रहा है। विनय के नानके (नाना का घर) की तरफ से भी और मेरे फैमिली की तरफ से भी। अब मेरी फैमिली की तरफ से बात करे तो हमारे बड़े दादा जी द्वितीय विश्व युद्ध में गए थे और दस साल बाद लौटे थे। छोटे दादा जी भी फाैज में थे। हमारे ताऊ जी और मेरे पिता जी बीएसएफ में रहे हैं। अभी मेरा कजिन भी फौज में है। बेटे का सिलेक्शन नेवी में हो गया, क्योंकि उसकी नेवी में रुचि थी। विनय के नानके की बात की जाए तो उनके ग्रेट ग्रैंड फादर आजाद हिंद फौज में रहे और सिंगापुर में शहीद हुए। सिंगापुर में उनका स्मारक है भीम सिंह दहिया जी के नाम से। ये विनय की मैटरनल साइड हो गई। राजेश कहते है कि अब अगर मैं अपने नानके की बात करू ताे मेरे नाना जी भी 1962 और 1965 की लड़ाई में थे। यानी हमारे जीन और डीएनए में देशभक्ति कोई नई बात नहीं है। स्कूटर पर खड़ा होकर आर्मी के जवानों को देखता था विनय
विनय के पिता बताते है कि जब विनय छोटा था और मेरे पास स्कूटर होता था। हम जैसे हाईवे पर जाते थे तो विनय स्कूटर में आगे खड़ा होता था, जब भी साइड में से कोई पुलिस या आर्मी की गाड़ी निकलती थी तो वह बहुत खुश होता था और उनको देखकर हाथ हिलाता था। उसका बहुत इंटरेस्ट था। वह बड़ा हो गया, तो एनडीए में अपीयर हुआ, लेकिन वह क्लियर नहीं हो पाया। उसने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया। मुझे यह था कि वह प्राइवेट सेक्टर में जाएगा और अच्छा ग्रो करेगा। जो भगवान को मंजूर होता है, होता वही है। विनय ने कहा था- पापा, मैं डिफेंस में जाऊंगा, प्राइवेट जॉब नहीं करूंगा
जब वह बीटेक थर्ड ईयर में था तो उसने माहौल को देखते हुए मुझसे कहा कि पापा, मैं प्राइवेट जॉब नहीं करूंगा। मैने उससे कहा कि भई, तू सिंपल ग्रेजुएशन कर लेता, तो जल्दी अपीयर हो जाता, एसएसए में जाता या किसी ओर फील्ड में जाता। उसने मुझसे कहा कि मुझे गवर्नमेंट जॉब करनी है और डिफेंस में जाने की इच्छा जताई। मैने उसको कभी नहीं रोका, मैने बेटे को तो क्या मैने बेटी को भी नहीं रोका। क्योंकि जो बच्चे का इंटरेस्ट होता है, उसी के अनुसार उसे आगे बढ़ने दें, यह मेरा मानना है। उसने डिफेंस की तैयारी की, वह असफल भी हुआ, लेकिन वह मेहनत करता रहा। फिर भगवान ने उसकी सुनी और कोलकाता में विनय ने एसएसबी फेस किया, वहां पर वह सिलेक्ट हो गया। हालांकि मेरे पास मेरे बेटे पर बोलने के लिए बहुत कुछ है, मैं उस पर पूरी किताब लिख सकता हूं। 22 अप्रैल की सुबह अंतिम बार सुनी बेटे की आवाज
राजेश ने बताया कि 16 अप्रैल को शादी हुई थी और 19 को रिसेप्शन हुआ था। 20 अप्रैल को विनय के सास पूनम ससुर सुनील आए हुए थे, उनके साथ वे गुरुग्राम चले गए। 21 अप्रैल को साढ़े 12 बजे की श्रीनगर के लिए फ्लाइट थी, वहां से वे पहलगाम गए और शाम को वहां पहुंचे। 22 अप्रैल की सुबह मेरी बात हुई थी उनसे। मैंने पूछा- बेटे क्या कर रहे हो। विनय ने बताया कि अभी तैयार हो रहे हैं और अब ब्रेकफास्ट करना है। मैने कहा- हिमांशी से बात करवाओ। विनय बोला- वह तैयार हो रही है। मैंने कहा ठीक है। उसके बाद शायद उनको ध्यान नहीं रहा और दोबारा कोई कॉल नहीं हुआ। इसके बाद तो मुझे न्यूज ही मिली। विनय बहादुर था, वह आतंकी से निपट सकता था
राजेश बताते है कि मुझे भी बताया गया है कि लोग इस तरह की बातें कर रहे है कि विनय को शहीद का दर्जा मिले। आतंकवाद की वजह से मेरा बेटा आज नहीं है। राजेश बताते है कि जब आदमी रिलैक्स मूड में होता है तो ज्यादा अलर्ट नहीं होता। चूंकि ये भी कहा जा रहा है कि आतंकी आर्मी की वर्दी में थे, इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया। अगर किसी तरह का इल्यूजन नहीं होता, या उसको चैलेंज करते या फिर वो समझ जाता कि ऐसा कुछ होने वाला है। भले ही वह खाली हाथ था, लेकिन बहादुर था। मुझे पता है कि उसमें चीते जैसी फुर्ती थी, वो बहुत ताकतवर था। नेवी के अधिकारियों ने बताईं विनय की खूबियां
बाद में नेवी के अधिकारियों से भी मेरी बातचीत हुई, उन्होंने विनय की क्वालिटियों के बारे में जानकारी दी। तो मैने सोचा कि मैं अपने बेटे की खूबियों से कैसे अनभिज्ञ रह गया। वह बहुत हेल्पिंग था, उसने किसी काम के लिए कभी अपने दोस्तों को भी मना नहीं किया। वह अच्छा स्विमर भी था। हालांकि नेवी में स्विमिंग सिखाते है, लेकिन विनय को पहले से ही अच्छी स्विमिंग आती थी, जबकि उसके साथ वाले लड़कों को स्विमिंग भी नहीं आती थी। वह स्विमिंग में पानी की गहराई तक नाप देता था, यह बात मुझे नेवी अफसरों ने ही बताई। विनय ने बॉक्सिंग में भी स्टेट लेवल की प्रतियोगिता खेली और वॉलीबाल भी इंटर यूनिवर्सिटी खेली थी। वह 18 फुट गहरे पानी में अपने साथियों को स्विमिंग सिखा देता था। वह कहता था- तुम पानी में उतरो, मैं हूं ना। डर नाम की चीज उसमें नहीं थी। डर होता भी कैसे, क्योंकि मैने पालन-पोषण अच्छी तरह से किया और इनवायरमेंट अच्छा दिया। विनय ने वेट लूज कैसे किया
सशस्त्र सुरक्षा बल (SSB) कोलकाता से वह रिकमेंड हुआ। टीआर बोलते है उसको, उन दिनों में उसको जॉइंडिस हुआ था, उसके बावजूद भी वह वहां पर गया। उसका वेट ज्यादा था। हालांकि वहां पर अधिकारियों ने उसको सलाह दी थी कि आप बीमार हो, इसलिए अगली बार ट्राइ कर लेना, लेकिन विनय नहीं माना और उसने कहा कि मुझे ये करना है। उसने सारा फिजिकल कवर किया। उसमें डिटरमिनेशन बहुत बढ़िया था। उसका वेट हाईट के हिसाब से 78 तक होना था, लेकिन उसका वेट 95 तक था, उसको जॉइंडिस था और उसने कहा कि पापा यह एक चैलेंज है और इसको किसी तरह से कम करना है। इसके बाद हम एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर से भी मिले। उन्होंने प्रोफाइल देखी और डाइटिशियन की देखरेख में यह वेट लूज करने का प्रोसेस किया। वह आगे बढ़ सके और उसको कुछ न हो, इसके लिए मैं भी उसके साथ दौड़ता था। जितना वो दौड़ा था, मैं भी उतना ही दौड़ा और उसका वेट 76 तक ले आए। चंडीगढ़ में उसका वेट होना था। वहां पर वेट हुआ और वह सिलेक्ट हो गया। अगर उसकी वजह से किसी की जान बचती तो बहुत खुशी होती
राजेश ने बताया कि अगर ब्लिंकिंग टाइम भी उसके पास होता तो आतंकवादी के गन करने से पहले ही वह उसको डायवर्ट कर देता। उसका रिफ्लेक्शन टाइम भी ना के बराबर होता था। भले ही उसको किसी तरह से चैलेंज करते या वह समझ जाता कि कुछ ऐसा होने वाला है तो मेरा बेटा इससे निपटने का प्रयास जरूर करता। जाे 26 कैजुअल्टी हुई हैं, उसको वह कम से कम होने देता। क्योंकि मुझे मेरे बेटे पर भरोसा है, वह आतंकी को उठाकर फेंक देता और आतंकी की गन तक छीन सकता था और दूसरे आतंकियों को छोड़ता नहीं, और जो 26 लोग मारे गए हैं उनमें से वह 25 की जान तो बचा ही लेता। अगर उसकी वजह से एक, दो, पांच लोगों की जान बचती तो मुझे बहुत खुशी होती। पहलगाम में जो हुआ वह बुजदिली
हालांकि सबकुछ परमात्मा के हाथ में होता है, हो सकता वह अपनी ही जान बचा लेता और इतना बड़ा लॉस कंट्री को नहीं होता। जो हुआ वह दुर्दांत है, निर्लज्जता है, बुजदिली है। निहत्थों पर वार करना और अटैक करना, वहां पर लोग रिलेक्स मूड में गए है और वे उन पर अटैक कर रहे है। टूरिस्ट कश्मीरियों की बैकबॉन है। कश्मीरी भाई क्या करेंगे? उनके पास टूरिज्म ही है, इस तरह से टूरिज्म ही खत्म हो जाएगा। इतने सालों में कश्मीर नॉर्मल हुआ है। आने वाले टाइम में पता नहीं कितना टाइम लगेगा नॉर्मल स्थिति होने में, तो वे लोग भूखे मरेंगे बेचारे। जलजले के बाद भी उसी जगह चले जाते हैं लोग
राजेश बताते है कि लोगों की अपनी-अपनी सोच होती है, कुछ लोग जलजले के बाद भी यह सोच लेते है कि हो गया जो होना था, अब रोज-रोज जलजला थोड़े ना आता है। लेकिन जैसा यह हुआ है, हमें ट्रस्ट था कि सबकुछ ठीक हो गया है और अचानक यह हुआ। अगर मन में कोई हिम्मत करके चला भी जाएगा, तो मन में उसके डर रहेगा कि कभी ऐसा न हो जाए, तो वह इतनी खुशी से नहीं जा पाएगा, उसके मन में डर रहेगा और जहां पर डर होता है तो वहां पर आसानी से जाने के लिए आदमी तैयार नहीं होता। कश्मीर इतनी सुंदर जगह है और इतना रोजगार वहां के लोगों को मिल रहा था, लेकिन उन्होंने अपनी बैकबॉन तोड़ दी है। वहां पर सिक्योरिटी नहीं थी, क्या सुरक्षा में चूक है?
नहीं, मैं इसको लेकर कोई भी कमेंट नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आज तक में बाइसरन घाटी गया भी नहीं हूं और मुझे वहां की ज्योग्राफी तक मालूम नहीं है। जब तक खुद किसी चीज को एनालाइज न कर लूं तो कुछ नहीं कह सकता। वहां पर जाने का समय भी नहीं मिला है और मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। क्या वाकई धर्म पूछकर अटैक किया गया?
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, उसको दहशत फैलानी है, उसके लिए हिंदू मुस्लिम, सिख ईसाई, बौद्ध या अन्य धर्म कुछ नहीं है। उनको दहशतगर्दी फैलानी है, लोगों को अनस्टेबल करना है। लोगो के माइंड को झकझोरना है, सरकार को अनस्टेबल करना है, प्रशासन को चैलेंज करना है। पैरा मिलिट्री और डिफेंस को चैलेंज करना है। हमें हर्ट करना है, हमारी सोसाइटी को जुड़ने नहीं देना है। उनका कोई धर्म नहीं होता। उसमें एक घोड़े वाला भी शहीद हुआ है, उसने प्रोटेक्ट करने का प्रयास किया है, अगर धर्म से जोड़कर देखे तो वह भी हमारा मुस्लिम भाई है, मेरे मुताबिक धर्म एक जीने का ढंग होता है, अपने ढंग से आप जी लो। बस रेडिकलनेस नहीं होना चाहिए। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। दोबारा न हो, पहलगाम जैसी घटना
बस यही चाहते है कि ऐसी घटनाएं न दोहराई जाए। अब जिन फैमिली का नुकसान हो चुका है, वह तो हो चुका है। यह तो रिवर्स नहीं हो सकती, 26 परिवारों की पहले वाली दुनिया तो नहीं हो सकती, क्योंकि हमारा तो सबकुछ खत्म ही हो गया। इसके लिए हमें थोड़ा सा ओर सेंसेटाइज हो जाना चाहिए। राहुल गांधी की आंखों में भी आंसू थे
राजेश ने बताया कि घर पर सांत्वना देने के लिए सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आम और खास सभी लोग आए। वे आए तो उनकी आंखों में भी दर्द था, उन्होंने इस दर्द को महसूस किया कि ये क्या हो गया। और सब रो रहे थे। बेंगलुरु, विशाखापटनम, लक्षद्वीप से भी आए। मेरठ, सहारनपुर से आए, उनका अपना दर्द था, जिनको मैं जानता भी नहीं, वे भी आए। राहुल गांधी भी आए तो उनके भी आंखों में आंसू थे। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक को कैसे देखते है
पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक हुई। एज ए नेशन बहुत बढ़िया हुआ है और बदला लिया है। लेकिन परिवार के तौर पर बात की जाए तो इसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। जहां तक शहीद के दर्जे की बात है, उसको लेकर सरकार गंभीर है और सरकार जो करेगी, वह ठीक करेगी।
पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले में मारे गए हरियाणा के करनाल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा कि हमले की सुबह ही उन्होंने विनय की आवाज आखिरी बार सुनी थी। अगर विनय को हमले का एहसास होता या आतंकी चैलेंज करता तो वह इतना बहादुर और फुर्तीला था कि उसकी गन छीनकर बाकी टूरिस्टों को भी बचा लेता। मगर, आर्मी वर्दी की वजह से शायद उसे एहसास नहीं हुआ। पहलगाम में सुरक्षा चूक को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार के लिए हर जिंदगी अमूल्य होती है। छींटाकशी करना आसान है। जब राहुल गांधी घर मिलने आए तो उनकी आंखों में भी आंसू थे। लेफ्टिनेंट नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने दैनिक भास्कर से विनय के बचपन से लेकर पहलगाम में हमले में हत्या होने और उसके बाद के घटनाक्रम पर विस्तृत बात की। विनय को गोली लगी, इसका पता कैसे चला
राजेश नरवाल बोले- 22 अप्रैल को दोपहर का वक्त था। मैं लाडवा के एक शादी समारोह से लौटा था। चूंकि 16 अप्रैल को ही विनय की शादी और 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन हुआ था। ऐसे में शादी की थकान भी नहीं उतरी थी। मैं अपने रूम में सो गया और मेरा मोबाइल मेरे पापा हवा सिंह के बैडरूम में रखा हुआ था। करीब साढ़े 3 बजे पापा मेरे रूम में आए। वे हड़बड़ी में थे। वे बोले-राजेश…राजेश… उठो। मैने पूछा- क्या हुआ क्या हुआ। वो बोले- फोन है फोन है। मैने पूछा- किसका फोन है? वो बोले- विनय के ससुर सुनील कुमार का फोन है। मैने फोन लिया और पूछा- हेलो, हां भाई बोलिये, सब ठीक है ना। ससुर ने बताया- विनय को गोली लग गई
सुनील घबराए हुए थे- वो बोले-भाई, पहलगाम में फायरिंग हो गई है और विनय को गोली लग गई है। मैने जब यह सुना तो मैं हैरान रह गया। मेरे पास कोई शब्द ही नहीं थे, मैं नींद में था और एक बहुत बड़ा झटका लगा। मैने चलती कॉल के साथ ही मोबाइल को बिस्तर पर रख दिया। इसके बाद मैं सुन्न सा हो गया। कुछ देर में होश सा आया तो मैने फिर से मोबाइल उठाकर सुनील से बात की। सुनील ने आगे बताया कि मैं और हिमांशी की मम्मी पूनम 6.10 बजे पहली फ्लाइट से जम्मू जा रहे है। तुम अभी चल पड़ो। जैसे भी टिकट हाेगी, मैं बुक करवा दूंगा। मैं शॉक्ड था, मैं पूरी तरह से ब्लैकआउट हो चुका था। सृष्टि ने भाभी को कॉल किया, वह रो रही थीं
घर में एकदम से अफरा- तफरी सी मच गई तो दूसरे कमरे में लेटी बेटी सृष्टि भी दौड़ी आई। उसने पूछा- पापा, हुआ क्या है? मैं उसको कुछ भी नहीं बता पा रहा था। मैं बदहवास सा कभी उस कमरे में जा रहा था तो कभी इस कमरे में। कभी इस दराज को खोलता तो कभी उस दराज को। सृष्टि ने पूछा- पापा हुआ क्या है? मैने उसको बताया कि विनय को गोली लगी है। उसने तुरंत भाभी हिमांशी को कॉल किया तो हिमांशी रो रही थी। हिमांशी ने सृष्टि को पूरी बात बताई कि गोली लगने से विनय घायल हो चुका है। आपका शरीर ही बता देता है कि अनहोनी हो चुकी है
राजेश नरवाल ने कहा- मैं सृष्टि के साथ अपनी गाड़ी लेकर निकला और रास्ते में मैने अपने कजिन को कॉल किया। उसको साथ में लिया और दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। सुबह 7.10 बजे की फ्लाइट हमें मिली। उससे हम पहलगाम गए तो वहां रात हो चुकी थी। जब कोई बड़ी अनहोनी होती है तो आपका शरीर भी आपको बता देता है। रात को मेरे पास अस्पताल से कॉल आया और सुबह हमें वहां पर बुलाया गया। अस्पताल में हाहाकार मचा हुआ था
राजेश नरवाल आगे बताते हैं- हम अस्पताल गए। जो भी फॉर्मेलिटीज थी, वो पहले ही हो चुकीं थी। वहां हाहाकार मचा हुआ था। जिन टूरिस्टों के साथ अनहोनी हुई थी, उनके परिवार वाले उनको संभाल रहे थे। इसके बाद हम दिल्ली एयरपोर्ट पर विनय का पार्थिव शरीर लेकर आए। नेवी ने उनके पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद बेटे के शव को घर लेकर आए और शाम को दाह संस्कार किया। डिफेंस से रहा है फैमिली का डीएनए
राजेश नरवाल ने बताया- हमारी फैमिली का डीएनए डिफेंस से ही रहा है। विनय के नानके (नाना का घर) की तरफ से भी और मेरे फैमिली की तरफ से भी। अब मेरी फैमिली की तरफ से बात करे तो हमारे बड़े दादा जी द्वितीय विश्व युद्ध में गए थे और दस साल बाद लौटे थे। छोटे दादा जी भी फाैज में थे। हमारे ताऊ जी और मेरे पिता जी बीएसएफ में रहे हैं। अभी मेरा कजिन भी फौज में है। बेटे का सिलेक्शन नेवी में हो गया, क्योंकि उसकी नेवी में रुचि थी। विनय के नानके की बात की जाए तो उनके ग्रेट ग्रैंड फादर आजाद हिंद फौज में रहे और सिंगापुर में शहीद हुए। सिंगापुर में उनका स्मारक है भीम सिंह दहिया जी के नाम से। ये विनय की मैटरनल साइड हो गई। राजेश कहते है कि अब अगर मैं अपने नानके की बात करू ताे मेरे नाना जी भी 1962 और 1965 की लड़ाई में थे। यानी हमारे जीन और डीएनए में देशभक्ति कोई नई बात नहीं है। स्कूटर पर खड़ा होकर आर्मी के जवानों को देखता था विनय
विनय के पिता बताते है कि जब विनय छोटा था और मेरे पास स्कूटर होता था। हम जैसे हाईवे पर जाते थे तो विनय स्कूटर में आगे खड़ा होता था, जब भी साइड में से कोई पुलिस या आर्मी की गाड़ी निकलती थी तो वह बहुत खुश होता था और उनको देखकर हाथ हिलाता था। उसका बहुत इंटरेस्ट था। वह बड़ा हो गया, तो एनडीए में अपीयर हुआ, लेकिन वह क्लियर नहीं हो पाया। उसने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया। मुझे यह था कि वह प्राइवेट सेक्टर में जाएगा और अच्छा ग्रो करेगा। जो भगवान को मंजूर होता है, होता वही है। विनय ने कहा था- पापा, मैं डिफेंस में जाऊंगा, प्राइवेट जॉब नहीं करूंगा
जब वह बीटेक थर्ड ईयर में था तो उसने माहौल को देखते हुए मुझसे कहा कि पापा, मैं प्राइवेट जॉब नहीं करूंगा। मैने उससे कहा कि भई, तू सिंपल ग्रेजुएशन कर लेता, तो जल्दी अपीयर हो जाता, एसएसए में जाता या किसी ओर फील्ड में जाता। उसने मुझसे कहा कि मुझे गवर्नमेंट जॉब करनी है और डिफेंस में जाने की इच्छा जताई। मैने उसको कभी नहीं रोका, मैने बेटे को तो क्या मैने बेटी को भी नहीं रोका। क्योंकि जो बच्चे का इंटरेस्ट होता है, उसी के अनुसार उसे आगे बढ़ने दें, यह मेरा मानना है। उसने डिफेंस की तैयारी की, वह असफल भी हुआ, लेकिन वह मेहनत करता रहा। फिर भगवान ने उसकी सुनी और कोलकाता में विनय ने एसएसबी फेस किया, वहां पर वह सिलेक्ट हो गया। हालांकि मेरे पास मेरे बेटे पर बोलने के लिए बहुत कुछ है, मैं उस पर पूरी किताब लिख सकता हूं। 22 अप्रैल की सुबह अंतिम बार सुनी बेटे की आवाज
राजेश ने बताया कि 16 अप्रैल को शादी हुई थी और 19 को रिसेप्शन हुआ था। 20 अप्रैल को विनय के सास पूनम ससुर सुनील आए हुए थे, उनके साथ वे गुरुग्राम चले गए। 21 अप्रैल को साढ़े 12 बजे की श्रीनगर के लिए फ्लाइट थी, वहां से वे पहलगाम गए और शाम को वहां पहुंचे। 22 अप्रैल की सुबह मेरी बात हुई थी उनसे। मैंने पूछा- बेटे क्या कर रहे हो। विनय ने बताया कि अभी तैयार हो रहे हैं और अब ब्रेकफास्ट करना है। मैने कहा- हिमांशी से बात करवाओ। विनय बोला- वह तैयार हो रही है। मैंने कहा ठीक है। उसके बाद शायद उनको ध्यान नहीं रहा और दोबारा कोई कॉल नहीं हुआ। इसके बाद तो मुझे न्यूज ही मिली। विनय बहादुर था, वह आतंकी से निपट सकता था
राजेश बताते है कि मुझे भी बताया गया है कि लोग इस तरह की बातें कर रहे है कि विनय को शहीद का दर्जा मिले। आतंकवाद की वजह से मेरा बेटा आज नहीं है। राजेश बताते है कि जब आदमी रिलैक्स मूड में होता है तो ज्यादा अलर्ट नहीं होता। चूंकि ये भी कहा जा रहा है कि आतंकी आर्मी की वर्दी में थे, इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया। अगर किसी तरह का इल्यूजन नहीं होता, या उसको चैलेंज करते या फिर वो समझ जाता कि ऐसा कुछ होने वाला है। भले ही वह खाली हाथ था, लेकिन बहादुर था। मुझे पता है कि उसमें चीते जैसी फुर्ती थी, वो बहुत ताकतवर था। नेवी के अधिकारियों ने बताईं विनय की खूबियां
बाद में नेवी के अधिकारियों से भी मेरी बातचीत हुई, उन्होंने विनय की क्वालिटियों के बारे में जानकारी दी। तो मैने सोचा कि मैं अपने बेटे की खूबियों से कैसे अनभिज्ञ रह गया। वह बहुत हेल्पिंग था, उसने किसी काम के लिए कभी अपने दोस्तों को भी मना नहीं किया। वह अच्छा स्विमर भी था। हालांकि नेवी में स्विमिंग सिखाते है, लेकिन विनय को पहले से ही अच्छी स्विमिंग आती थी, जबकि उसके साथ वाले लड़कों को स्विमिंग भी नहीं आती थी। वह स्विमिंग में पानी की गहराई तक नाप देता था, यह बात मुझे नेवी अफसरों ने ही बताई। विनय ने बॉक्सिंग में भी स्टेट लेवल की प्रतियोगिता खेली और वॉलीबाल भी इंटर यूनिवर्सिटी खेली थी। वह 18 फुट गहरे पानी में अपने साथियों को स्विमिंग सिखा देता था। वह कहता था- तुम पानी में उतरो, मैं हूं ना। डर नाम की चीज उसमें नहीं थी। डर होता भी कैसे, क्योंकि मैने पालन-पोषण अच्छी तरह से किया और इनवायरमेंट अच्छा दिया। विनय ने वेट लूज कैसे किया
सशस्त्र सुरक्षा बल (SSB) कोलकाता से वह रिकमेंड हुआ। टीआर बोलते है उसको, उन दिनों में उसको जॉइंडिस हुआ था, उसके बावजूद भी वह वहां पर गया। उसका वेट ज्यादा था। हालांकि वहां पर अधिकारियों ने उसको सलाह दी थी कि आप बीमार हो, इसलिए अगली बार ट्राइ कर लेना, लेकिन विनय नहीं माना और उसने कहा कि मुझे ये करना है। उसने सारा फिजिकल कवर किया। उसमें डिटरमिनेशन बहुत बढ़िया था। उसका वेट हाईट के हिसाब से 78 तक होना था, लेकिन उसका वेट 95 तक था, उसको जॉइंडिस था और उसने कहा कि पापा यह एक चैलेंज है और इसको किसी तरह से कम करना है। इसके बाद हम एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर से भी मिले। उन्होंने प्रोफाइल देखी और डाइटिशियन की देखरेख में यह वेट लूज करने का प्रोसेस किया। वह आगे बढ़ सके और उसको कुछ न हो, इसके लिए मैं भी उसके साथ दौड़ता था। जितना वो दौड़ा था, मैं भी उतना ही दौड़ा और उसका वेट 76 तक ले आए। चंडीगढ़ में उसका वेट होना था। वहां पर वेट हुआ और वह सिलेक्ट हो गया। अगर उसकी वजह से किसी की जान बचती तो बहुत खुशी होती
राजेश ने बताया कि अगर ब्लिंकिंग टाइम भी उसके पास होता तो आतंकवादी के गन करने से पहले ही वह उसको डायवर्ट कर देता। उसका रिफ्लेक्शन टाइम भी ना के बराबर होता था। भले ही उसको किसी तरह से चैलेंज करते या वह समझ जाता कि कुछ ऐसा होने वाला है तो मेरा बेटा इससे निपटने का प्रयास जरूर करता। जाे 26 कैजुअल्टी हुई हैं, उसको वह कम से कम होने देता। क्योंकि मुझे मेरे बेटे पर भरोसा है, वह आतंकी को उठाकर फेंक देता और आतंकी की गन तक छीन सकता था और दूसरे आतंकियों को छोड़ता नहीं, और जो 26 लोग मारे गए हैं उनमें से वह 25 की जान तो बचा ही लेता। अगर उसकी वजह से एक, दो, पांच लोगों की जान बचती तो मुझे बहुत खुशी होती। पहलगाम में जो हुआ वह बुजदिली
हालांकि सबकुछ परमात्मा के हाथ में होता है, हो सकता वह अपनी ही जान बचा लेता और इतना बड़ा लॉस कंट्री को नहीं होता। जो हुआ वह दुर्दांत है, निर्लज्जता है, बुजदिली है। निहत्थों पर वार करना और अटैक करना, वहां पर लोग रिलेक्स मूड में गए है और वे उन पर अटैक कर रहे है। टूरिस्ट कश्मीरियों की बैकबॉन है। कश्मीरी भाई क्या करेंगे? उनके पास टूरिज्म ही है, इस तरह से टूरिज्म ही खत्म हो जाएगा। इतने सालों में कश्मीर नॉर्मल हुआ है। आने वाले टाइम में पता नहीं कितना टाइम लगेगा नॉर्मल स्थिति होने में, तो वे लोग भूखे मरेंगे बेचारे। जलजले के बाद भी उसी जगह चले जाते हैं लोग
राजेश बताते है कि लोगों की अपनी-अपनी सोच होती है, कुछ लोग जलजले के बाद भी यह सोच लेते है कि हो गया जो होना था, अब रोज-रोज जलजला थोड़े ना आता है। लेकिन जैसा यह हुआ है, हमें ट्रस्ट था कि सबकुछ ठीक हो गया है और अचानक यह हुआ। अगर मन में कोई हिम्मत करके चला भी जाएगा, तो मन में उसके डर रहेगा कि कभी ऐसा न हो जाए, तो वह इतनी खुशी से नहीं जा पाएगा, उसके मन में डर रहेगा और जहां पर डर होता है तो वहां पर आसानी से जाने के लिए आदमी तैयार नहीं होता। कश्मीर इतनी सुंदर जगह है और इतना रोजगार वहां के लोगों को मिल रहा था, लेकिन उन्होंने अपनी बैकबॉन तोड़ दी है। वहां पर सिक्योरिटी नहीं थी, क्या सुरक्षा में चूक है?
नहीं, मैं इसको लेकर कोई भी कमेंट नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आज तक में बाइसरन घाटी गया भी नहीं हूं और मुझे वहां की ज्योग्राफी तक मालूम नहीं है। जब तक खुद किसी चीज को एनालाइज न कर लूं तो कुछ नहीं कह सकता। वहां पर जाने का समय भी नहीं मिला है और मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। क्या वाकई धर्म पूछकर अटैक किया गया?
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, उसको दहशत फैलानी है, उसके लिए हिंदू मुस्लिम, सिख ईसाई, बौद्ध या अन्य धर्म कुछ नहीं है। उनको दहशतगर्दी फैलानी है, लोगों को अनस्टेबल करना है। लोगो के माइंड को झकझोरना है, सरकार को अनस्टेबल करना है, प्रशासन को चैलेंज करना है। पैरा मिलिट्री और डिफेंस को चैलेंज करना है। हमें हर्ट करना है, हमारी सोसाइटी को जुड़ने नहीं देना है। उनका कोई धर्म नहीं होता। उसमें एक घोड़े वाला भी शहीद हुआ है, उसने प्रोटेक्ट करने का प्रयास किया है, अगर धर्म से जोड़कर देखे तो वह भी हमारा मुस्लिम भाई है, मेरे मुताबिक धर्म एक जीने का ढंग होता है, अपने ढंग से आप जी लो। बस रेडिकलनेस नहीं होना चाहिए। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। दोबारा न हो, पहलगाम जैसी घटना
बस यही चाहते है कि ऐसी घटनाएं न दोहराई जाए। अब जिन फैमिली का नुकसान हो चुका है, वह तो हो चुका है। यह तो रिवर्स नहीं हो सकती, 26 परिवारों की पहले वाली दुनिया तो नहीं हो सकती, क्योंकि हमारा तो सबकुछ खत्म ही हो गया। इसके लिए हमें थोड़ा सा ओर सेंसेटाइज हो जाना चाहिए। राहुल गांधी की आंखों में भी आंसू थे
राजेश ने बताया कि घर पर सांत्वना देने के लिए सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आम और खास सभी लोग आए। वे आए तो उनकी आंखों में भी दर्द था, उन्होंने इस दर्द को महसूस किया कि ये क्या हो गया। और सब रो रहे थे। बेंगलुरु, विशाखापटनम, लक्षद्वीप से भी आए। मेरठ, सहारनपुर से आए, उनका अपना दर्द था, जिनको मैं जानता भी नहीं, वे भी आए। राहुल गांधी भी आए तो उनके भी आंखों में आंसू थे। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक को कैसे देखते है
पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक हुई। एज ए नेशन बहुत बढ़िया हुआ है और बदला लिया है। लेकिन परिवार के तौर पर बात की जाए तो इसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। जहां तक शहीद के दर्जे की बात है, उसको लेकर सरकार गंभीर है और सरकार जो करेगी, वह ठीक करेगी।