
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज सोमवार को मुर्शिदाबाद जाएंगी। 11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने बसें जलाईं, पथराव किया। 3 लोगों की मौत हो गई। कई परिवार इलाके से पलायन कर गए। पश्चिम बंगाल के कृषि मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने बताया कि CM ममता बनर्जी पहले भी वहां जाना चाहती थीं, लेकिन हालात ठीक नहीं थे। अब जब स्थिति नियंत्रण में है, वह जाएंगी और लोगों से बात करेंगी कि कैसे सभी मिलकर शांतिपूर्वक रह सकते हैं। इससे पहले रविवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर सी. वी. आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद दंगे पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कट्टरपंथ और उग्रवाद को पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा खतरा बताया गया है। गवर्नर ने कहा- बंगाल के बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में दोहरा खतरा है क्योंकि यहां हिंदू आबादी अल्पसंख्यक हैं। मुर्शिदाबाद हिंसा पर गवर्नर की रिपोर्ट की मुख्य बातें… 16 दिन पहले राज्यपाल मुर्शिदाबाद पहुंचे थे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस 19 अप्रैल को हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद पहुंचे थे। राज्यपाल हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार से भी मिले। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को फोन नंबर उपलब्ध कराया गया है, जिससे लोग मुझसे सीधे बात करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची। NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर गुरुवार को कोलकाता पहुंची थीं। 11 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान मारे गए बाप-बेटे के परिवार से मिलने के बाद, विजया रहाटकर ने कहा था, ‘ये लोग इतने दर्द में हैं कि मैं अभी बोल नहीं पा रही हूं। मेरे पास उनके दर्द को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।’ पश्चिम बंगाल हिंसा की 4 तस्वीरें… मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहास
मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है। दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दी गई थीं। 2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव
पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे। …………………………….. मुर्शिदाबाद दंगे पर ये खबर भी पढ़ें… क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज सोमवार को मुर्शिदाबाद जाएंगी। 11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने बसें जलाईं, पथराव किया। 3 लोगों की मौत हो गई। कई परिवार इलाके से पलायन कर गए। पश्चिम बंगाल के कृषि मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने बताया कि CM ममता बनर्जी पहले भी वहां जाना चाहती थीं, लेकिन हालात ठीक नहीं थे। अब जब स्थिति नियंत्रण में है, वह जाएंगी और लोगों से बात करेंगी कि कैसे सभी मिलकर शांतिपूर्वक रह सकते हैं। इससे पहले रविवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर सी. वी. आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद दंगे पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कट्टरपंथ और उग्रवाद को पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा खतरा बताया गया है। गवर्नर ने कहा- बंगाल के बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में दोहरा खतरा है क्योंकि यहां हिंदू आबादी अल्पसंख्यक हैं। मुर्शिदाबाद हिंसा पर गवर्नर की रिपोर्ट की मुख्य बातें… 16 दिन पहले राज्यपाल मुर्शिदाबाद पहुंचे थे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस 19 अप्रैल को हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद पहुंचे थे। राज्यपाल हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार से भी मिले। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को फोन नंबर उपलब्ध कराया गया है, जिससे लोग मुझसे सीधे बात करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची। NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर गुरुवार को कोलकाता पहुंची थीं। 11 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान मारे गए बाप-बेटे के परिवार से मिलने के बाद, विजया रहाटकर ने कहा था, ‘ये लोग इतने दर्द में हैं कि मैं अभी बोल नहीं पा रही हूं। मेरे पास उनके दर्द को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।’ पश्चिम बंगाल हिंसा की 4 तस्वीरें… मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहास
मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है। दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दी गई थीं। 2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव
पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे। …………………………….. मुर्शिदाबाद दंगे पर ये खबर भी पढ़ें… क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…