
अरुण त्रिसल
कठुआ, 03 जनवरी:अद्भुत और भव्य आयोजन था। इस नगर कीर्तन की शुरुआत पंज प्यारों की अगुवाई में हुई, जिनका विभिन्न स्थानों पर बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ स्वागत किया गया।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा इस आयोजन की तैयारी विशेष रूप से की गई थी। पालकी साहिब को बड़े आकर्षक ढंग से सजाया गया, जिससे संगत को आध्यात्मिक आनंद और प्रेरणा मिली। इस नगर कीर्तन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भजन-कीर्तन के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह जी की महिमा का गुणगान किया।

यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रेरित करने वाला था, बल्कि संगत के बीच एकता और भक्ति का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का यह प्रयास सराहनीय है।

358वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में निकाले गए नगर कीर्तन का स्वागत कठुआ शहर में पुष्प वर्षा के साथ अत्यंत भव्यता और श्रद्धा से किया गया। श्रद्धालुओं ने पूरे मार्ग में पुष्पों की वर्षा कर नगर कीर्तन में शामिल संगत और पंज प्यारों का अभिनंदन किया।


इस आयोजन में कलाकारों ने भी अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विभिन्न स्थानों पर कलाकारों द्वारा दिखाए गए हैरतअंगेज करतब, जैसे तलवारबाजी, गतका कला और अन्य शौर्य प्रदर्शन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया। इन कलाओं ने न केवल गुरु गोबिंद सिंह जी की वीरता और शौर्य की शिक्षाओं की झलक प्रस्तुत की, बल्कि युवाओं को भी उनकी परंपराओं और संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा दी।

पूरे नगर कीर्तन में भजन-कीर्तन, गुरुवाणी और धार्मिक उत्साह का माहौल बना रहा, जिससे पूरा शहर गुरु गोबिंद सिंह जी की महिमा में डूबा नजर आया। यह आयोजन कठुआ की धरती पर भक्ति, संस्कृति और एकता का अनुपम उदाहरण बना।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 358वें प्रकाशोत्सव पर निकाले गए नगर कीर्तन ने श्रद्धालुओं के दिलों में भक्ति और आस्था की गहरी छाप छोड़ी। नगर कीर्तन के दर्शन करते ही संगत भाव-विभोर हो गई और गुरु साहिब की कृपा से अपने आपको धन्य महसूस किया।
पालकी साहिब, जिसे बड़े आकर्षक ढंग से सजाया गया था, में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छवि ने संगत को आध्यात्मिक शांति प्रदान की। पंज प्यारों की अगुवाई में निकले नगर कीर्तन और उसमें गूंजती गुरुवाणी के मधुर स्वर ने वातावरण को पूरी तरह पवित्र कर दिया।

संगत ने श्रद्धा और उत्साह के साथ नगर कीर्तन में भाग लिया और गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए अपनी श्रद्धा प्रकट की। कई श्रद्धालु अपने परिवार सहित दर्शन करने पहुंचे और इसे अपने जीवन का अनमोल क्षण बताया।
यह आयोजन न केवल धर्म और आध्यात्मिकता से भरा हुआ था, बल्कि संगत के बीच भाईचारे, प्रेम और एकता की भावना को भी मजबूत करता हुआ दिखाई दिया। नगर कीर्तन के दर्शन कर संगत सचमुच निहाल हो गई।