
सात साल की बच्ची को कुत्तों ने मार डाला। उसके सिर और पैर को खा गए। पेट को इतना नोचा कि आंते बाहर आ गईं। चमड़ी सहित बाल उखाड़ डाले। लहूलुहान बॉडी जिसने भी देखी, उसका कलेजा मुंह को आया। बच्ची अपनी बहनों के साथ खेत से घर लौट रही थी। तभी यह हादसा हो गया। घटना खैरथल-तिजारा के किरवारी गांव में बुधवार दोपहर करीब 2 बजे हुई। जिस खेत में कुत्तों ने लड़की पर हमला किया, वहां सरसों की फसल पूरी तरह टूट चुकी है। वहां की स्थिति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुत्तों ने किस तरह से बच्ची को खाया होगा। मौके पर बच्ची के सिर के पूरे बाल चमड़ी के साथ पड़े हुए थे। वहां की मिट्टी खून से सन गई थी। घर से डेढ़ किमी दूर खेत में गई थी
किरवारी गांव के रहने वाले आस मोहम्मद ने बताया- मेरे छोटे भाई साहुन की इकलौती बेटी इकराना (7) एक जनवरी की दोपहर में खेत में बने कुएं पर गई थी। कुएं की घर से दूरी करीब डेढ़ किमी है। उसके साथ जानिस्ता (9), अलफिजा (6), वफाना (9), रोनिसा (8) भी थीं। जानिस्ता और अलफिजा मेरे भाई फारूक की, वफाना मेरे भतीजे अनीश की बेटी है। रिश्ते में मेरे दामाद लगने वाले ओसाफ की बेटी रोनिसा है। खेत पर मेरे पिता सरदार खान पहले से मौजूद थे। दादा के बाजार जाने के बाद हुई घटना
सरदार खान लड़कियों को इधर-उधर न जाने की बात बोलकर बाजार चले गए। इसके बाद सभी लड़कियां खेतों के बीच से पगडंडी के रास्ते होते हुए अपने घर लौट रही थीं। सभी के पास थोड़ी-थोड़ी सूखी लकड़ियां थीं। खेत से निकलकर एक किलोमीटर चलने के बाद कुत्तों ने लड़कियों को घेर लिया। देखते ही देखते हमला कर दिया। इकराना को छोड़कर सभी लड़कियां मौके से भाग खड़ी हुईं। कुत्तों ने इकराना पर हमला कर दिया। उसे घसीटते हुए सरसों के खेत में ले गए। पड़ोसी खेत वालों ने कुत्तों को भगाया
पास में खेत में काम कर रहे बलराम यादव और कृष्ण यादव के पास बाकी लड़कियां भागते हुए पहुंचीं। पूरी घटनाक्रम के बारे में बताया। बलराम और कृष्ण लोहे के पाइप लेकर उस ओर दौड़े। वहां देखा कि सरसों के खेत में 5 से 6 कुत्ते एक बच्ची को नोच रहे हैं। उन्होंने तुरंत कुत्तों को मारकर भगाया और बच्ची को ट्रैक्टर में लेकर सैटेलाइट हॉस्पिटल खैरथल के लिए भागे। इस दौरान कुत्तों ने उनका पीछा भी किया। जाम में ट्रैक्टर फंसा तो बाइक से ले गए हॉस्पिटल
इधर पास में पेड़ों की छंटाई कर रहे किरवारी निवासी मुस्ताक ने घटना की सूचना बच्ची के परिजनों को दी। परिजन भी बाइक लेकर हॉस्पिटल की तरफ भागे। रेलवे फाटक नंबर 91 बंद होने के कारण ट्रैक्टर जाम में फंस गया। इसके बाद बच्ची को बाइक से सैटेलाइट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। सिर के बाल चमड़ी के साथ घटनास्थल पर मिला
हादसे के बाद भास्कर डिजिटल रिपोर्टर घटनास्थल पर पहुंचा। घर से खेत की तरफ जाते समय रास्ता कीचड़ से भरा हुआ था, जहां पैदल चलना आसान नहीं है। इसी वजह से लोग खेतों की पगडंडी से होते हुए घर पहुंचते हैं। बच्ची के दादा सरदार खान के खेत से करीब 1 किलोमीटर दूर घटनास्थल पर पहुंचे तो पगडंडी पर सूखी लकड़ियां बिखरी पड़ी थीं। इससे पहले कुछ दूरी पर ही पांच कुत्ते बैठे हुए थे। कुत्तों ने भास्कर रिपोर्टर पर भी हमला करने का प्रयास किया, जिन्हें लकड़ी दिखाकर भगाया गया। हादसे के बाद सदमे में पिता साहुन खान कुछ भी नहीं बोल पा रहे थे। वे चुपचाप एक तरफ बैठे हुए थे। घर में कोहराम मचा हुआ था। एक दिन पहले ही बुआ के घर से आई थी
इकराना की मां बरकती ने बताया- मैं कुएं से लकड़ी लेकर आ रही थी और वह चार बच्चियों के साथ कुएं पर जा रही थी। वह हमेशा मेरे साथ ही खाना खाती थी। मुझे क्या पता था कि वह खेत पर जाने के बाद वापस नहीं लौटेगी। अलवर के बलवंड गांव में इकराना की बुआ रहती है। बुआ के बच्चे होने पर इकराना बुआ के घर गई थी। वहां से 31 दिसंबर को ही वापस आई थी। फूफा ने इकराना को रोका भी था, लेकिन वह जिद करके वापस आ गई थी। परिजनों ने बताया कि इकराना कक्षा तीन में पढ़ रही थी। वह अपने पिता साहुन खान की इकलौती बेटी थी। साहुन खान की शादी साल 2012 में हुई थी। पहले भी कुत्ते कर चुके हैं हमला
इकराना (मृतक) के दादा सरदार खान ने बताया कि एक साल पहले भी इस तरह की घटना हुई थी। इकराना अपनी दादी और मां के साथ गांव से खेत पर आ रही थी। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उसके हाथ से टिफिन छीन लिया था। हाथ को काट लिया था। तब उसको इंजेक्शन लगवाए गए थे। इस बार वह कुत्तों से नहीं बच पाई। आवारा कुत्ते पशुओं के छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ते
गांव के ही बलवीर यादव ने बताया- आवारा कुत्तों का आतंक इतना है कि गाय-भैंस के छोटे बच्चों पर मौका पाकर हमला करते हैं। पूर्व में फतेह यादव और वेद प्रकाश सैनी के बछड़ों पर हमला कर मार डाला था। एक भैंस के बच्चे को भी मार डाला था। इन आवारा कुत्तों की वजह से बाइक सवार भी परेशान हैं। ये कुत्ते बाइकों के पीछे दौड़ते हैं। इस तरह की घटनाएं खैरथल के यादव मोहल्ले में हो चुकी हैं। ग्रामीणों की ओर से कई बार नगर परिषद और कलेक्टर को ज्ञापन देकर आवारा कुत्तों को पकड़ने की मांग की गई थी। फिर भी कुछ नहीं किया गया। नतीजा एक बच्ची को कुत्तों ने मार डाला। सैटेलाइट हॉस्पिटल के पीएमओ डॉ. नितिन शर्मा ने बताया – जिस समय बच्ची को लेकर आए थे, मैं हॉस्पिटल में था। बच्ची को देखकर मैं परेशान हो गया। उसके चेहरे, गर्दन, सिर सहित पूरे शरीर पर 40 से 50 घाव थे। लगता है कम से कम 5 से 6 कुत्तों ने हमला किया होगा। सिर के बाल चमड़ी सहित खड़ गए थे। पेट में 10 से 12 जगह जख्म के निशान थे। आंतें बाहर आ गई थीं। नीचे दोनों पैरों में 15 से 20 घाव थे। दाएं पैर के घुटने से नीचे लगभग आधा हिस्सा कुत्ते खा गए थे। बच्ची को मृत अवस्था में ही यहां लाया गया था। नगरपरिषद आयुक्त जगदीश खीचड़ ने बताया कि क्षेत्र में आवारा कुत्तों की पूर्व में भी शिकायत मिली है। उनके वैक्सीनेशन और बधियाकरण के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। शीघ्र ही इस योजना पर काम किया जाएगा।
सात साल की बच्ची को कुत्तों ने मार डाला। उसके सिर और पैर को खा गए। पेट को इतना नोचा कि आंते बाहर आ गईं। चमड़ी सहित बाल उखाड़ डाले। लहूलुहान बॉडी जिसने भी देखी, उसका कलेजा मुंह को आया। बच्ची अपनी बहनों के साथ खेत से घर लौट रही थी। तभी यह हादसा हो गया। घटना खैरथल-तिजारा के किरवारी गांव में बुधवार दोपहर करीब 2 बजे हुई। जिस खेत में कुत्तों ने लड़की पर हमला किया, वहां सरसों की फसल पूरी तरह टूट चुकी है। वहां की स्थिति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुत्तों ने किस तरह से बच्ची को खाया होगा। मौके पर बच्ची के सिर के पूरे बाल चमड़ी के साथ पड़े हुए थे। वहां की मिट्टी खून से सन गई थी। घर से डेढ़ किमी दूर खेत में गई थी
किरवारी गांव के रहने वाले आस मोहम्मद ने बताया- मेरे छोटे भाई साहुन की इकलौती बेटी इकराना (7) एक जनवरी की दोपहर में खेत में बने कुएं पर गई थी। कुएं की घर से दूरी करीब डेढ़ किमी है। उसके साथ जानिस्ता (9), अलफिजा (6), वफाना (9), रोनिसा (8) भी थीं। जानिस्ता और अलफिजा मेरे भाई फारूक की, वफाना मेरे भतीजे अनीश की बेटी है। रिश्ते में मेरे दामाद लगने वाले ओसाफ की बेटी रोनिसा है। खेत पर मेरे पिता सरदार खान पहले से मौजूद थे। दादा के बाजार जाने के बाद हुई घटना
सरदार खान लड़कियों को इधर-उधर न जाने की बात बोलकर बाजार चले गए। इसके बाद सभी लड़कियां खेतों के बीच से पगडंडी के रास्ते होते हुए अपने घर लौट रही थीं। सभी के पास थोड़ी-थोड़ी सूखी लकड़ियां थीं। खेत से निकलकर एक किलोमीटर चलने के बाद कुत्तों ने लड़कियों को घेर लिया। देखते ही देखते हमला कर दिया। इकराना को छोड़कर सभी लड़कियां मौके से भाग खड़ी हुईं। कुत्तों ने इकराना पर हमला कर दिया। उसे घसीटते हुए सरसों के खेत में ले गए। पड़ोसी खेत वालों ने कुत्तों को भगाया
पास में खेत में काम कर रहे बलराम यादव और कृष्ण यादव के पास बाकी लड़कियां भागते हुए पहुंचीं। पूरी घटनाक्रम के बारे में बताया। बलराम और कृष्ण लोहे के पाइप लेकर उस ओर दौड़े। वहां देखा कि सरसों के खेत में 5 से 6 कुत्ते एक बच्ची को नोच रहे हैं। उन्होंने तुरंत कुत्तों को मारकर भगाया और बच्ची को ट्रैक्टर में लेकर सैटेलाइट हॉस्पिटल खैरथल के लिए भागे। इस दौरान कुत्तों ने उनका पीछा भी किया। जाम में ट्रैक्टर फंसा तो बाइक से ले गए हॉस्पिटल
इधर पास में पेड़ों की छंटाई कर रहे किरवारी निवासी मुस्ताक ने घटना की सूचना बच्ची के परिजनों को दी। परिजन भी बाइक लेकर हॉस्पिटल की तरफ भागे। रेलवे फाटक नंबर 91 बंद होने के कारण ट्रैक्टर जाम में फंस गया। इसके बाद बच्ची को बाइक से सैटेलाइट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। सिर के बाल चमड़ी के साथ घटनास्थल पर मिला
हादसे के बाद भास्कर डिजिटल रिपोर्टर घटनास्थल पर पहुंचा। घर से खेत की तरफ जाते समय रास्ता कीचड़ से भरा हुआ था, जहां पैदल चलना आसान नहीं है। इसी वजह से लोग खेतों की पगडंडी से होते हुए घर पहुंचते हैं। बच्ची के दादा सरदार खान के खेत से करीब 1 किलोमीटर दूर घटनास्थल पर पहुंचे तो पगडंडी पर सूखी लकड़ियां बिखरी पड़ी थीं। इससे पहले कुछ दूरी पर ही पांच कुत्ते बैठे हुए थे। कुत्तों ने भास्कर रिपोर्टर पर भी हमला करने का प्रयास किया, जिन्हें लकड़ी दिखाकर भगाया गया। हादसे के बाद सदमे में पिता साहुन खान कुछ भी नहीं बोल पा रहे थे। वे चुपचाप एक तरफ बैठे हुए थे। घर में कोहराम मचा हुआ था। एक दिन पहले ही बुआ के घर से आई थी
इकराना की मां बरकती ने बताया- मैं कुएं से लकड़ी लेकर आ रही थी और वह चार बच्चियों के साथ कुएं पर जा रही थी। वह हमेशा मेरे साथ ही खाना खाती थी। मुझे क्या पता था कि वह खेत पर जाने के बाद वापस नहीं लौटेगी। अलवर के बलवंड गांव में इकराना की बुआ रहती है। बुआ के बच्चे होने पर इकराना बुआ के घर गई थी। वहां से 31 दिसंबर को ही वापस आई थी। फूफा ने इकराना को रोका भी था, लेकिन वह जिद करके वापस आ गई थी। परिजनों ने बताया कि इकराना कक्षा तीन में पढ़ रही थी। वह अपने पिता साहुन खान की इकलौती बेटी थी। साहुन खान की शादी साल 2012 में हुई थी। पहले भी कुत्ते कर चुके हैं हमला
इकराना (मृतक) के दादा सरदार खान ने बताया कि एक साल पहले भी इस तरह की घटना हुई थी। इकराना अपनी दादी और मां के साथ गांव से खेत पर आ रही थी। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उसके हाथ से टिफिन छीन लिया था। हाथ को काट लिया था। तब उसको इंजेक्शन लगवाए गए थे। इस बार वह कुत्तों से नहीं बच पाई। आवारा कुत्ते पशुओं के छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ते
गांव के ही बलवीर यादव ने बताया- आवारा कुत्तों का आतंक इतना है कि गाय-भैंस के छोटे बच्चों पर मौका पाकर हमला करते हैं। पूर्व में फतेह यादव और वेद प्रकाश सैनी के बछड़ों पर हमला कर मार डाला था। एक भैंस के बच्चे को भी मार डाला था। इन आवारा कुत्तों की वजह से बाइक सवार भी परेशान हैं। ये कुत्ते बाइकों के पीछे दौड़ते हैं। इस तरह की घटनाएं खैरथल के यादव मोहल्ले में हो चुकी हैं। ग्रामीणों की ओर से कई बार नगर परिषद और कलेक्टर को ज्ञापन देकर आवारा कुत्तों को पकड़ने की मांग की गई थी। फिर भी कुछ नहीं किया गया। नतीजा एक बच्ची को कुत्तों ने मार डाला। सैटेलाइट हॉस्पिटल के पीएमओ डॉ. नितिन शर्मा ने बताया – जिस समय बच्ची को लेकर आए थे, मैं हॉस्पिटल में था। बच्ची को देखकर मैं परेशान हो गया। उसके चेहरे, गर्दन, सिर सहित पूरे शरीर पर 40 से 50 घाव थे। लगता है कम से कम 5 से 6 कुत्तों ने हमला किया होगा। सिर के बाल चमड़ी सहित खड़ गए थे। पेट में 10 से 12 जगह जख्म के निशान थे। आंतें बाहर आ गई थीं। नीचे दोनों पैरों में 15 से 20 घाव थे। दाएं पैर के घुटने से नीचे लगभग आधा हिस्सा कुत्ते खा गए थे। बच्ची को मृत अवस्था में ही यहां लाया गया था। नगरपरिषद आयुक्त जगदीश खीचड़ ने बताया कि क्षेत्र में आवारा कुत्तों की पूर्व में भी शिकायत मिली है। उनके वैक्सीनेशन और बधियाकरण के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। शीघ्र ही इस योजना पर काम किया जाएगा।