
‘बहुत सौभाग्य की बात है…आज शायद पहला सत्र होगा, जब सदन में 200 के 200 सदस्य उपस्थित हैं। पहले तो सदस्यों की संख्या एक-दो कम होती रही है।’ यह बात विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि वास्तुकारों से सुझाव लेकर उन्हें लागू करवाया गया है। राजस्थान विधानसभा के नए भवन का इतिहास देखें तो बीते 25 साल में जितने भी सत्र हुए, एक साथ 200 विधायक कभी उपस्थित नहीं हो पाए। ऐसी परिस्थितियां बनीं कि कभी कोई सदस्य जेल चला गया तो कभी किसी विधायक के आकस्मिक निधन की खबर आई। जानकार इसके पीछे सबसे बड़ा कारण विधानसभा भवन में वास्तु दोष मानते आए हैं। ये वास्तु दोष सच में है या कोई मिथक? वास्तुकारों ने क्या सुझाव दिए और कौन से बदलाव विधानसभा में कराए गए? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब स्पीकर वासुदेव देवनानी और बदलाव करने वाले वास्तुकारों से लिया। पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में… सबसे पहले जानते है क्या-क्या बदलाव किए गए और उनके कारण क्या? नंबर-1 : विधायकों का प्रवेश द्वार बदला पश्चिम द्वार (दरवाजा नंबर-6) की बजाय अब पूर्वी द्वार (दरवाजा नंबर 7) को प्रवेश द्वार बनाया गया। क्यों : एक्सपर्ट मानते हैं कि पश्चिम में गलत स्थान पर एंट्री होने से दोपहर 3 बजे के बाद नेगेटिव एनर्जी प्रवेश करती है, इसलिए एंट्री बदली गई। नंबर- 2 : कारपेट का रंग बदला सदन के अंदर सीटिंग फ्लोर पर कारपेट का रंग हरे से हल्का गुलाबी किया गया है। सीट का कलर भी बदलकर हल्के गुलाबी रंग का किया गया है। क्यों : विशेषज्ञ मानते हैं कि हल्का गुलाबी रंग वास्तु के अनुसार लाभदायक है, जबकि हरा रंग हर दिशा में नहीं कर सकते, क्योंकि विधानसभा में सीटिंग चारों दिशाओं में फैली है। नंबर- 3 : सीटिंग अरेंजमेंट में बदलाव विधायकों के बैठक के स्थान में भी आंशिक संशोधन किया गया है। क्यों : एक्सपर्ट के अनुसार, बैठक का स्थान जोन अनुसार तय होता है। समय-समय पर विधायकों के बैठने की जगह बदली जाती है। नंबर-4 : स्पीकर टेबल पर दो झंडे
विधानसभा अध्यक्ष की टेबल पर दो प्रतीकात्मक तिरंगे स्थापित किए गए हैं, जो पहले नहीं थे। क्यों : झंडे देश की पहचान और कारक हैं। इससे सदन की शक्ति में वृद्धि होती है। नंबर-5 : विधानसभा अध्यक्ष के चेम्बर में एंट्री और एग्जिट बदला गया है।
क्यों : दिशाओं के आधार पर वास्तु विशेषज्ञों की राय पर बदला गया है, ताकि सकारात्मक एनर्जी का प्रवेश हो। नंबर-6 : दर्शक दीर्घा में कई चीजों पर रोक
काला धागा, काली शर्ट, काली पैंट और काले रंग की किसी भी वस्तु को दर्शक दीर्घा में ले जाने पर पाबंदी लगाई गई है। क्यों? : एक्सपर्ट की मानें तो शास्त्रों में काले वस्त्र को अशुभ माना गया है। यह संघर्ष का रंग है। वास्तु दोष की स्टडी करने वाले बोले- 16 जोन में बांटकर स्टडी की जरूरत
विधानसभा में वास्तु दोष की स्टडी कर सुझाव देने वाले एक्सपर्ट पंडित बंशीलाल शास्त्री ने बताया कि यह उनका प्रारंभिक अध्ययन है। इसके आधार पर उन्होंने सुझाव दिए थे। विधानसभा के नक्शा के आधार पर शक्ति चक्र स्थापित कर पूरे नक्शे को 16 जोन में बांटकर स्टडी की जरूरत है। इससे तमाम दोष दूर किए जा सकते हैं। विधानसभा भवन को लेकर दिए अन्य सुझाव… पंडित बंशीलाल शास्त्री के अनुसार, विधानसभा में अभी कई दोष शेष हैं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है। जैसे- विधानसभा के ठीक पास श्मशान का होना, बेसमेंट में मंदिर, उत्तर-पूर्व में भारीपन होना। यहां से आ रही नकारात्मक उर्जा वास्तु विशेषज्ञ शास्त्री भवानी शंकर शर्मा ने अपनी स्टडी के आधार पर बताया कि जयपुर हिंदुस्तान का एकमात्र शहर है, जो वास्तु पर आधारित है। जब जयपुर स्टेट राजस्थान राज्य में शामिल हुआ, तब की सरकार ने उसी भवन से कामकाज शुरू किया था जहां राजा अपनी सत्ता चलाते थे। पहली बार वहीं विधानसभा का सत्र हुआ। लेकिन विधानसभा का स्थान परिवर्तन हुआ तो पुरानी विधानसभा को सुनसान स्थिति में छोड़ दिया गया। वहां पर वास्तु के अनुसार वैक्यूम क्रिएट हो गया। साथ ही जो नया स्थान चुना गया वहां पर भी भूमि का शोधन वास्तु अनुसार नहीं किया गया, जिससे नेगेटिव एनर्जी बन रही है। इस मिथक के कारण वास्तु दोष की लगातार हो रही चर्चा
वास्तु एक्सपर्ट भवानी शंकर के अनुसार, राजस्थान विधानसभा भवन को लेकर साल 2001 से लेकर लगातार यह चर्चा चली आ रही है कि यहां वास्तु दोष हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि पिछले 24-25 साल से किसी भी सत्र में पूरे समय 200 विधायक नहीं रहे। मिथक यह भी जुड़ा हुआ है कि राजस्थान विधानसभा के भवन का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन को करना था मगर उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और बिना उद्घाटन के ही विधानसभा में सत्र बुला लिया गया था। इसके बाद से हर सत्र में किसी न किसी विधायक की मृत्यु के समाचार आते रहे हैं। यह भी अजीब है कि पिछले 25 सालों में 16 विधायक की मृत्यु हो चुकी है, जिनके पीछे कहीं न कहीं वास्तु दोष को माना गया। ऐसा नहीं है कि पहली बार वास्तु दोष दूर करने पर काम शुरू किया गया हो। इससे पहले वर्ष 2018 में वास्तु शास्त्री गणेश महाराज ने राजस्थान विधानसभा में वास्तुदोष ढूंढे थे। मौजूदा सत्र से पूर्व के सत्र में वर्ष 2023 में सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा के हार्ट अटैक से मौत के बाद इन चर्चाओं को और हवा मिली थी। इसके बाद वास्तु दोष दूर करने पर काम शुरू किया गया है। विधानसभा स्पीकर बोले- सुझाव लिए और बदलाव करवाए
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भास्कर को बताया कि- यह सदन का पहला सत्र है कि पूरे 200 सदस्य उपस्थित रहे। पहले तो किसी ना किसी कारण से एक दो सदस्यों की संख्या कम होती रही है। पिछले दिनों कुछ वास्तु वालों को भी बुलाया गया था। उन्होंने जो सुझाव दिए उनमें कुछ लागू किए गए हैं। कुछ सुझाव और भी हैं जिन्हें भी लागू किया जाएगा, ताकि पूरे 4 साल सभी 200 विधानसभा के सदस्य सत्र में शामिल होते रहें। हिंदु शास्त्रों में वास्तु का महत्व
वास्तु एक्सपर्ट पं. बंशीलाल शास्त्री की मानें तो वास्तु एक तरह रहने, काम करने की जगहों पर ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने का विज्ञान है। यह पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – को वैज्ञानिक रूप से संयोजित करने पर आधारित है। हिन्दू शास्त्रों में वास्तु शास्त्र का बड़ा महत्व बताया गया है। प्राचीन ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश के अनुसार किसी भी भवन में अगर वास्तु दोष होगा तो वहां प्रगति तरक्की नहीं होती है। इसलिए वास्तु शास्त्र को निवास का विज्ञान कहा जाता है। वास्तु विधान के अनुसार चारों दिशाओं को माना गया है, जिनके आधार पर हम निर्माण आदि करते हैं।
’बहुत सौभाग्य की बात है…आज शायद पहला सत्र होगा, जब सदन में 200 के 200 सदस्य उपस्थित हैं। पहले तो सदस्यों की संख्या एक-दो कम होती रही है।’ यह बात विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि वास्तुकारों से सुझाव लेकर उन्हें लागू करवाया गया है। राजस्थान विधानसभा के नए भवन का इतिहास देखें तो बीते 25 साल में जितने भी सत्र हुए, एक साथ 200 विधायक कभी उपस्थित नहीं हो पाए। ऐसी परिस्थितियां बनीं कि कभी कोई सदस्य जेल चला गया तो कभी किसी विधायक के आकस्मिक निधन की खबर आई। जानकार इसके पीछे सबसे बड़ा कारण विधानसभा भवन में वास्तु दोष मानते आए हैं। ये वास्तु दोष सच में है या कोई मिथक? वास्तुकारों ने क्या सुझाव दिए और कौन से बदलाव विधानसभा में कराए गए? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब स्पीकर वासुदेव देवनानी और बदलाव करने वाले वास्तुकारों से लिया। पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में… सबसे पहले जानते है क्या-क्या बदलाव किए गए और उनके कारण क्या? नंबर-1 : विधायकों का प्रवेश द्वार बदला पश्चिम द्वार (दरवाजा नंबर-6) की बजाय अब पूर्वी द्वार (दरवाजा नंबर 7) को प्रवेश द्वार बनाया गया। क्यों : एक्सपर्ट मानते हैं कि पश्चिम में गलत स्थान पर एंट्री होने से दोपहर 3 बजे के बाद नेगेटिव एनर्जी प्रवेश करती है, इसलिए एंट्री बदली गई। नंबर- 2 : कारपेट का रंग बदला सदन के अंदर सीटिंग फ्लोर पर कारपेट का रंग हरे से हल्का गुलाबी किया गया है। सीट का कलर भी बदलकर हल्के गुलाबी रंग का किया गया है। क्यों : विशेषज्ञ मानते हैं कि हल्का गुलाबी रंग वास्तु के अनुसार लाभदायक है, जबकि हरा रंग हर दिशा में नहीं कर सकते, क्योंकि विधानसभा में सीटिंग चारों दिशाओं में फैली है। नंबर- 3 : सीटिंग अरेंजमेंट में बदलाव विधायकों के बैठक के स्थान में भी आंशिक संशोधन किया गया है। क्यों : एक्सपर्ट के अनुसार, बैठक का स्थान जोन अनुसार तय होता है। समय-समय पर विधायकों के बैठने की जगह बदली जाती है। नंबर-4 : स्पीकर टेबल पर दो झंडे
विधानसभा अध्यक्ष की टेबल पर दो प्रतीकात्मक तिरंगे स्थापित किए गए हैं, जो पहले नहीं थे। क्यों : झंडे देश की पहचान और कारक हैं। इससे सदन की शक्ति में वृद्धि होती है। नंबर-5 : विधानसभा अध्यक्ष के चेम्बर में एंट्री और एग्जिट बदला गया है।
क्यों : दिशाओं के आधार पर वास्तु विशेषज्ञों की राय पर बदला गया है, ताकि सकारात्मक एनर्जी का प्रवेश हो। नंबर-6 : दर्शक दीर्घा में कई चीजों पर रोक
काला धागा, काली शर्ट, काली पैंट और काले रंग की किसी भी वस्तु को दर्शक दीर्घा में ले जाने पर पाबंदी लगाई गई है। क्यों? : एक्सपर्ट की मानें तो शास्त्रों में काले वस्त्र को अशुभ माना गया है। यह संघर्ष का रंग है। वास्तु दोष की स्टडी करने वाले बोले- 16 जोन में बांटकर स्टडी की जरूरत
विधानसभा में वास्तु दोष की स्टडी कर सुझाव देने वाले एक्सपर्ट पंडित बंशीलाल शास्त्री ने बताया कि यह उनका प्रारंभिक अध्ययन है। इसके आधार पर उन्होंने सुझाव दिए थे। विधानसभा के नक्शा के आधार पर शक्ति चक्र स्थापित कर पूरे नक्शे को 16 जोन में बांटकर स्टडी की जरूरत है। इससे तमाम दोष दूर किए जा सकते हैं। विधानसभा भवन को लेकर दिए अन्य सुझाव… पंडित बंशीलाल शास्त्री के अनुसार, विधानसभा में अभी कई दोष शेष हैं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है। जैसे- विधानसभा के ठीक पास श्मशान का होना, बेसमेंट में मंदिर, उत्तर-पूर्व में भारीपन होना। यहां से आ रही नकारात्मक उर्जा वास्तु विशेषज्ञ शास्त्री भवानी शंकर शर्मा ने अपनी स्टडी के आधार पर बताया कि जयपुर हिंदुस्तान का एकमात्र शहर है, जो वास्तु पर आधारित है। जब जयपुर स्टेट राजस्थान राज्य में शामिल हुआ, तब की सरकार ने उसी भवन से कामकाज शुरू किया था जहां राजा अपनी सत्ता चलाते थे। पहली बार वहीं विधानसभा का सत्र हुआ। लेकिन विधानसभा का स्थान परिवर्तन हुआ तो पुरानी विधानसभा को सुनसान स्थिति में छोड़ दिया गया। वहां पर वास्तु के अनुसार वैक्यूम क्रिएट हो गया। साथ ही जो नया स्थान चुना गया वहां पर भी भूमि का शोधन वास्तु अनुसार नहीं किया गया, जिससे नेगेटिव एनर्जी बन रही है। इस मिथक के कारण वास्तु दोष की लगातार हो रही चर्चा
वास्तु एक्सपर्ट भवानी शंकर के अनुसार, राजस्थान विधानसभा भवन को लेकर साल 2001 से लेकर लगातार यह चर्चा चली आ रही है कि यहां वास्तु दोष हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि पिछले 24-25 साल से किसी भी सत्र में पूरे समय 200 विधायक नहीं रहे। मिथक यह भी जुड़ा हुआ है कि राजस्थान विधानसभा के भवन का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन को करना था मगर उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और बिना उद्घाटन के ही विधानसभा में सत्र बुला लिया गया था। इसके बाद से हर सत्र में किसी न किसी विधायक की मृत्यु के समाचार आते रहे हैं। यह भी अजीब है कि पिछले 25 सालों में 16 विधायक की मृत्यु हो चुकी है, जिनके पीछे कहीं न कहीं वास्तु दोष को माना गया। ऐसा नहीं है कि पहली बार वास्तु दोष दूर करने पर काम शुरू किया गया हो। इससे पहले वर्ष 2018 में वास्तु शास्त्री गणेश महाराज ने राजस्थान विधानसभा में वास्तुदोष ढूंढे थे। मौजूदा सत्र से पूर्व के सत्र में वर्ष 2023 में सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा के हार्ट अटैक से मौत के बाद इन चर्चाओं को और हवा मिली थी। इसके बाद वास्तु दोष दूर करने पर काम शुरू किया गया है। विधानसभा स्पीकर बोले- सुझाव लिए और बदलाव करवाए
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भास्कर को बताया कि- यह सदन का पहला सत्र है कि पूरे 200 सदस्य उपस्थित रहे। पहले तो किसी ना किसी कारण से एक दो सदस्यों की संख्या कम होती रही है। पिछले दिनों कुछ वास्तु वालों को भी बुलाया गया था। उन्होंने जो सुझाव दिए उनमें कुछ लागू किए गए हैं। कुछ सुझाव और भी हैं जिन्हें भी लागू किया जाएगा, ताकि पूरे 4 साल सभी 200 विधानसभा के सदस्य सत्र में शामिल होते रहें। हिंदु शास्त्रों में वास्तु का महत्व
वास्तु एक्सपर्ट पं. बंशीलाल शास्त्री की मानें तो वास्तु एक तरह रहने, काम करने की जगहों पर ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने का विज्ञान है। यह पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – को वैज्ञानिक रूप से संयोजित करने पर आधारित है। हिन्दू शास्त्रों में वास्तु शास्त्र का बड़ा महत्व बताया गया है। प्राचीन ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश के अनुसार किसी भी भवन में अगर वास्तु दोष होगा तो वहां प्रगति तरक्की नहीं होती है। इसलिए वास्तु शास्त्र को निवास का विज्ञान कहा जाता है। वास्तु विधान के अनुसार चारों दिशाओं को माना गया है, जिनके आधार पर हम निर्माण आदि करते हैं।