
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- अपने देश को इंडिया नहीं, भारत कहना चाहिए। इसे ठीक करना पड़ेगा। देश को दो नामों से क्यों जाना जा रहा है? इसे ठीक करना ही पड़ेगा। भारत है, तो भारत ही कहो। दत्तात्रेय होसबाले नोएडा में सोमवार को ‘विमर्श भारत का’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा- क्या भारत एक जमीन का टुकड़ा है? या संविधान से चलने वाला केवल एक भारत? केवल ऐसा नहीं है, भारत एक जीवन दर्शन है, आध्यात्मिक प्रतिभूत है। विश्व को संदेश देने वाला विश्वगुरु है। अब पढ़िए दत्तात्रेय के बयान की 5 बड़ी बातें… 1- भारत है, तो भारत ही कहो
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- पिछले दिनों सरकार ने जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति आवास पर भोज के लिए निमंत्रण में रिपब्लिक ऑफ भारत लिखा गया। कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया यानी भारत का संविधान, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी भारत का रिजर्व बैंक। इस पर सवाल उठना चाहिए। 2- भारत के इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया
आज भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है, उसका मस्तिष्क स्वतंत्र है। पूरी दुनिया में विमर्श की लड़ाई है। पहले के दशकों में पढ़ाया जाता था कि भारत का गणित और विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं। भारत के इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, जबकि इसका इतिहास समृद्धि से भरा पड़ा है। 3- भारत बारे में भ्रामक बातें फैलाई गईं
भारत के बारे में बहुत भ्रामक बातें फैलाई गईं। कहा गया कि भारत केवल एक कृषि प्रधान देश है। यहां किसी भी प्रकार का उद्योग नहीं है, जबकि यह सत्य नहीं है। हम किसी भी क्षेत्र में कम नहीं थे। हमने अपने स्वाभिमान को खोया। हमारी शिक्षा पद्धतियां नष्ट हुईं। जो बाहरी आक्रांता आए, उन्होंने हमारे देश का दमन किया। 4- महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोला
महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोल दिया है। महाकुंभ से निकले हुए ऐसे कई विमर्श अलग-अलग दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। भारत में हजारों पंथ हैं। भारत में हमारे जो पूर्वज थे, उन्होंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी स्थिति में अपनी संस्कृति की रक्षा करना है। अपने विचार को बचा कर रखना है। काल के प्रवाह में भी इस देश की कभी संस्कृति नष्ट नहीं हुई। हमारे देश के मनीषियों ने इसको अलग-अलग रूप में पेश किया है। 5- हमें सत्य लिखना और बोलना है
हमारा दायित्व बनता है कि हम पूरे भारत में शांति स्थापित करें। पूरे भारत में तरह-तरह के विमर्श नरेटिव के रूप में चलाए जाते हैं। हमें सत्य लिखना है, सत्य बोलना है। सत्य ही दिखाना है। यह बौद्धिक संघर्ष की बात है। जब बौद्धिक संघर्ष की बात आती है तो हमारा ध्येय सत्य की स्थापना, खोज और जीना होना चाहिए। जानिए कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले? दत्तात्रेय होसबाले का जन्म 1 दिसंबर, 1954 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ था। उनका परिवार पहले से ही संघ से जुड़ा था। इसलिए 1968 में वह भी संघ में शामिल हो गए। वह जब संघ के स्वयंसेवक बने, तब 13 सेल के थे। उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 1978 में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद वह संघ के प्रचारक बन गए थे। देश में इमरजेंसी के दौरान दत्तात्रेय होसबाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य थे। वह 14 महीने से ज्यादा समय तक जेल में भी रहे थे। 1972 में ABVP से जुड़े थे, जहां उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियां मिलीं। 1992 से 2003 तक यानी 11 साल तक वह ABVP के संगठन मंत्री रहे। 2003 में आरएसएस के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बने। दत्तात्रेय 2009 से 2021 तक आरएसएस के सह-सरकार्यवाह रहे। वर्तमान में वह सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। —————————– ये खबर भी पढ़ें- मंत्री रघुराज सिंह बोले-तिरपाल का हिजाब पहनकर निकलें:सफेद टोपी वालों को रंग का डर तो घर में नमाज पढ़ें योगी सरकार में राज्यमंत्री ठाकुर रघुराज सिंह ने कहा- अगर सफेद टोपी वाले को रंग से डर लगता है तो होली के दिन घर में ही नमाज पढ़ें। जैसे होली पर मस्जिद को तिरपाल से ढक दिया जाता है। महिलाएं हिजाब पहनती हैं, वैसे ही सफेद टोपी वाले तिरपाल का हिजाब पहनकर घर से नमाज पढ़ने के लिए निकलें। इससे उनकी टोपी और सफेद कपड़े रंग और गुलाल से बचे रहेंगे। दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री ने सोमवार को अलीगढ़ में मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि होली साल में केवल एक बार आती है। होली खेलने वाले रंग डालते समय यह नहीं देखते कि रंग कितनी दूर तक जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- अपने देश को इंडिया नहीं, भारत कहना चाहिए। इसे ठीक करना पड़ेगा। देश को दो नामों से क्यों जाना जा रहा है? इसे ठीक करना ही पड़ेगा। भारत है, तो भारत ही कहो। दत्तात्रेय होसबाले नोएडा में सोमवार को ‘विमर्श भारत का’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा- क्या भारत एक जमीन का टुकड़ा है? या संविधान से चलने वाला केवल एक भारत? केवल ऐसा नहीं है, भारत एक जीवन दर्शन है, आध्यात्मिक प्रतिभूत है। विश्व को संदेश देने वाला विश्वगुरु है। अब पढ़िए दत्तात्रेय के बयान की 5 बड़ी बातें… 1- भारत है, तो भारत ही कहो
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- पिछले दिनों सरकार ने जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति आवास पर भोज के लिए निमंत्रण में रिपब्लिक ऑफ भारत लिखा गया। कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया यानी भारत का संविधान, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी भारत का रिजर्व बैंक। इस पर सवाल उठना चाहिए। 2- भारत के इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया
आज भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है, उसका मस्तिष्क स्वतंत्र है। पूरी दुनिया में विमर्श की लड़ाई है। पहले के दशकों में पढ़ाया जाता था कि भारत का गणित और विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं। भारत के इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, जबकि इसका इतिहास समृद्धि से भरा पड़ा है। 3- भारत बारे में भ्रामक बातें फैलाई गईं
भारत के बारे में बहुत भ्रामक बातें फैलाई गईं। कहा गया कि भारत केवल एक कृषि प्रधान देश है। यहां किसी भी प्रकार का उद्योग नहीं है, जबकि यह सत्य नहीं है। हम किसी भी क्षेत्र में कम नहीं थे। हमने अपने स्वाभिमान को खोया। हमारी शिक्षा पद्धतियां नष्ट हुईं। जो बाहरी आक्रांता आए, उन्होंने हमारे देश का दमन किया। 4- महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोला
महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोल दिया है। महाकुंभ से निकले हुए ऐसे कई विमर्श अलग-अलग दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। भारत में हजारों पंथ हैं। भारत में हमारे जो पूर्वज थे, उन्होंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी स्थिति में अपनी संस्कृति की रक्षा करना है। अपने विचार को बचा कर रखना है। काल के प्रवाह में भी इस देश की कभी संस्कृति नष्ट नहीं हुई। हमारे देश के मनीषियों ने इसको अलग-अलग रूप में पेश किया है। 5- हमें सत्य लिखना और बोलना है
हमारा दायित्व बनता है कि हम पूरे भारत में शांति स्थापित करें। पूरे भारत में तरह-तरह के विमर्श नरेटिव के रूप में चलाए जाते हैं। हमें सत्य लिखना है, सत्य बोलना है। सत्य ही दिखाना है। यह बौद्धिक संघर्ष की बात है। जब बौद्धिक संघर्ष की बात आती है तो हमारा ध्येय सत्य की स्थापना, खोज और जीना होना चाहिए। जानिए कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले? दत्तात्रेय होसबाले का जन्म 1 दिसंबर, 1954 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ था। उनका परिवार पहले से ही संघ से जुड़ा था। इसलिए 1968 में वह भी संघ में शामिल हो गए। वह जब संघ के स्वयंसेवक बने, तब 13 सेल के थे। उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 1978 में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद वह संघ के प्रचारक बन गए थे। देश में इमरजेंसी के दौरान दत्तात्रेय होसबाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य थे। वह 14 महीने से ज्यादा समय तक जेल में भी रहे थे। 1972 में ABVP से जुड़े थे, जहां उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियां मिलीं। 1992 से 2003 तक यानी 11 साल तक वह ABVP के संगठन मंत्री रहे। 2003 में आरएसएस के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बने। दत्तात्रेय 2009 से 2021 तक आरएसएस के सह-सरकार्यवाह रहे। वर्तमान में वह सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। —————————– ये खबर भी पढ़ें- मंत्री रघुराज सिंह बोले-तिरपाल का हिजाब पहनकर निकलें:सफेद टोपी वालों को रंग का डर तो घर में नमाज पढ़ें योगी सरकार में राज्यमंत्री ठाकुर रघुराज सिंह ने कहा- अगर सफेद टोपी वाले को रंग से डर लगता है तो होली के दिन घर में ही नमाज पढ़ें। जैसे होली पर मस्जिद को तिरपाल से ढक दिया जाता है। महिलाएं हिजाब पहनती हैं, वैसे ही सफेद टोपी वाले तिरपाल का हिजाब पहनकर घर से नमाज पढ़ने के लिए निकलें। इससे उनकी टोपी और सफेद कपड़े रंग और गुलाल से बचे रहेंगे। दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री ने सोमवार को अलीगढ़ में मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि होली साल में केवल एक बार आती है। होली खेलने वाले रंग डालते समय यह नहीं देखते कि रंग कितनी दूर तक जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर