हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस व्यक्ति विशेष की पार्टी बन गई है। कांग्रेस को अगर प्रदेश में जिंदा होना है तो इससे आगे बढ़ना होगा। व्यक्ति विशेष उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए कहा। उन्होंने EVM को लेकर कहा कि सवाल मशीन पर नहीं बल्कि उसे बनाने और चलाने वालों पर है। आखिर उसे भी किसी मानव ने ही बनाया है। वह कभी भी उसमें कमी कर सकता है। उन्होंने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। पूर्व मंत्री ने ये भी कहा कि क्षेत्रीय दलों (JJP और इनेलो) को अपने निजी स्वार्थों को छोड़ कांग्रेस के साथ जुड़ना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस बड़ी पार्टी है। भाजपा के साथ का अंजाम JJP भुगत चुकी है। भाजपा की नीति है कि क्षेत्रीय दलों को अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए जोड़ लें और उसे कमजोर कर दें। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की 6 अहम बातें… 1. हुड्डा ने कांग्रेस को अपने तक सीमित रखा
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 15 साल से भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश कांग्रेस में मुख्य रूप से नंबर एक के नेता रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को अपने तक सीमित रखा। कांग्रेस का मतलब ये कतई नहीं होना चाहिए कि केवल ही एक व्यक्ति विशेष के पास सारी शक्तियां हों। अगर जनता की पार्टी होती और संगठन मजबूत होता तो विधानसभा चुनावों में नतीजे और बेहतर आ सकते थे। 2. उदयभान को इस्तीफा देना चाहिए था
बीरेंद्र सिंह ने ये भी कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार हुई। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को नैतिकता के आधार पर कम से कम इस्तीफे की पेशकश तो करनी चाहिए थी। कांग्रेस में संगठन की कमी है। पिछले 15 सालों से संगठन नहीं बना। इससे फौज या सिपाही उस तरह से नहीं लड़ पाए, जैसे लड़ना चाहिए था। 3. प्रदेश में भाजपा भी हार मान चुकी थी
प्रजातंत्र को अगर स्वस्थ बनाना है तो फिर EVM के बजाय पर्ची (बैलेट) से वोट डालने का अधिकार होना चाहिए। अगर विस चुनाव बैलेट पेपर से होते तो परिणाम कुछ और ही होते, क्योंकि मीडिया से लेकर भाजपा नेता भी ये मान रहे थे कि वह इस बार जीत नहीं पाएंगे। 4. कांग्रेस में कई इच्छाधारी नेता आ गए थे
बीरेंद्र सिंह ने कहा- विधानसभा चुनावों में 2 हजार से ज्यादा टिकटार्थियों ने आवेदन किया। कुछ इच्छाधारी नेता तो अपने निजी स्वार्थों के लिए कांग्रेस से जुड़े थे। वो कांग्रेस के माध्यम से राजनीति में आना चाहते थे। टिकट नहीं मिली तो कांग्रेस से कोई मतलब नहीं रहा। उल्टा उन्होंने विरोध में चुनाव लड़कर नुकसान किया। 15-20 सीटें कांग्रेस टिकट मांगने वाले नेताओं की वजह से हारी। 5. जो व्यक्ति सर्वे कराएगा, एजेंसी उसी का साथ देगी
बीरेंद्र सिंह ने टिकट बंटवारे पर कहा- सही टिकटों का बंटवारा तब होता, जब संगठन मजबूत हो। संगठन ही नहीं होगा तो ये कौन बताएगा कि टिकट सही बंटी हैं या गलत। जो व्यक्ति विशेष सर्वे करवा रहा है, जो वो चाहेगा, वहीं सर्वे में आएगा, क्योंकि सर्वे के लिए जिसने एजेंसी को हायर किया है, एजेंसी उसे नाराज क्यों करेगी। 6. JJP-इनेलो ने क्षेत्रीय भावनाओं की हत्या की
बीरेंद्र सिंह से जेजेपी और इनेलो के भविष्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इन्होंने क्षेत्रीय भावनाओं की हत्या की। दुष्यंत चौटाला ने पार्टी खड़ी कर भाजपा के खिलाफ वोट मांगे और कहा कि उन्हें जमुना पार भेज देगा। लोगों ने भाजपा के खिलाफ उसे वोट दिए और बाद में वो उन्हीं से जुड़ गया। 43 साल कांग्रेस में रहे, हुड्डा से मतभेद पर कांग्रेस छोड़ी
जाटों के दबदबे वाले जींद और इससे लगते एरिया को बांगर बेल्ट कहा जाता है और इस इलाके में किसानों के बड़े नेता रहे सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह की मजबूत पकड़ रही है। बीरेंद्र सिंह के परिवार का हिसार इलाके में भी बड़ा जनाधार है। एक बार खुद बीरेंद्र सिंह तो 2019 में उनके बेटे इस सीट से सांसद रहे हैं। जींद की उचाना सीट से 5 बार विधायक और दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद BJP में शामिल हो गए थे। कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह उनके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेद रहे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में लौट गए। CM बनने का सपना नहीं हुआ पूरा
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव उचाना से 1977 में लड़ा और वह बड़े मार्जिन से जीत हासिल करते हुए MLA बने। इसके बाद 1982 में फिर से वह उचाना से ही विधायक चुने गए। हालांकि बीरेंद्र सिंह चर्चा में उस वक्त आए जब उन्होंने हिसार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को बड़े मार्जिन से हरा दिया था। ये ही वो वक्त था जब बीरेंद्र सिंह जींद से बाहर निकलकर हिसार तक अपनी छाप छोड़ चुके थे।इसके बाद बीरेंद्र सिंह 1991 में फिर से उचाना से विधायक बने और लगातार 2009 तक इस सीट पर विधायक रहे। हालांकि बीरेंद्र सिंह का सीएम बनने का सपना था, जो पूरा नहीं हो पाया। कभी CM नहीं बन पाने की टीस उन्हें हमेशा से रही। वह खुद अनेक बार अलग-अलग मंचों से इसका जिक्र भी करते रहे। कांग्रेस ने लोकसभा टिकट नहीं दी, विधानसभा हार गए
पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे 2019 में हिसार लोकसभा सीट से BJP की टिकट पर सांसद चुने गए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली। वह हिसार और सोनीपत सीट से लोकसभा टिकट की दावेदारी जताते रहे। हालांकि हिसार में जयप्रकाश जेपी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दे दी। इसके बाद बीरेंद्र के बेटे को उचाना से विधानसभा की टिकट दी गई लेकिन वह भाजपा के देवेंद्र अत्री से चुनाव हार गए। ************************** ये खबर भी पढ़ें… राजीव गांधी बोले- ‘बीरेंद्र सिंह, बहुमत मिला तो तुम मुख्यमंत्री’:रिजल्ट से 2 दिन पहले राजीव की हत्या, भजनलाल CM बन गए हरियाणा में वैसा ही हुआ जैसा बीरेंद्र सिंह ने राजीव गांधी से बताया था। कांग्रेस को 90 में से 51 सीटें मिलीं। अब बारी मुख्यमंत्री चुनने की थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद बीरेंद्र सिंह का दिल्ली में कोई अपना नहीं था (पूरी खबर पढ़ें)
हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस व्यक्ति विशेष की पार्टी बन गई है। कांग्रेस को अगर प्रदेश में जिंदा होना है तो इससे आगे बढ़ना होगा। व्यक्ति विशेष उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए कहा। उन्होंने EVM को लेकर कहा कि सवाल मशीन पर नहीं बल्कि उसे बनाने और चलाने वालों पर है। आखिर उसे भी किसी मानव ने ही बनाया है। वह कभी भी उसमें कमी कर सकता है। उन्होंने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। पूर्व मंत्री ने ये भी कहा कि क्षेत्रीय दलों (JJP और इनेलो) को अपने निजी स्वार्थों को छोड़ कांग्रेस के साथ जुड़ना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस बड़ी पार्टी है। भाजपा के साथ का अंजाम JJP भुगत चुकी है। भाजपा की नीति है कि क्षेत्रीय दलों को अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए जोड़ लें और उसे कमजोर कर दें। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की 6 अहम बातें… 1. हुड्डा ने कांग्रेस को अपने तक सीमित रखा
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 15 साल से भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश कांग्रेस में मुख्य रूप से नंबर एक के नेता रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को अपने तक सीमित रखा। कांग्रेस का मतलब ये कतई नहीं होना चाहिए कि केवल ही एक व्यक्ति विशेष के पास सारी शक्तियां हों। अगर जनता की पार्टी होती और संगठन मजबूत होता तो विधानसभा चुनावों में नतीजे और बेहतर आ सकते थे। 2. उदयभान को इस्तीफा देना चाहिए था
बीरेंद्र सिंह ने ये भी कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार हुई। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को नैतिकता के आधार पर कम से कम इस्तीफे की पेशकश तो करनी चाहिए थी। कांग्रेस में संगठन की कमी है। पिछले 15 सालों से संगठन नहीं बना। इससे फौज या सिपाही उस तरह से नहीं लड़ पाए, जैसे लड़ना चाहिए था। 3. प्रदेश में भाजपा भी हार मान चुकी थी
प्रजातंत्र को अगर स्वस्थ बनाना है तो फिर EVM के बजाय पर्ची (बैलेट) से वोट डालने का अधिकार होना चाहिए। अगर विस चुनाव बैलेट पेपर से होते तो परिणाम कुछ और ही होते, क्योंकि मीडिया से लेकर भाजपा नेता भी ये मान रहे थे कि वह इस बार जीत नहीं पाएंगे। 4. कांग्रेस में कई इच्छाधारी नेता आ गए थे
बीरेंद्र सिंह ने कहा- विधानसभा चुनावों में 2 हजार से ज्यादा टिकटार्थियों ने आवेदन किया। कुछ इच्छाधारी नेता तो अपने निजी स्वार्थों के लिए कांग्रेस से जुड़े थे। वो कांग्रेस के माध्यम से राजनीति में आना चाहते थे। टिकट नहीं मिली तो कांग्रेस से कोई मतलब नहीं रहा। उल्टा उन्होंने विरोध में चुनाव लड़कर नुकसान किया। 15-20 सीटें कांग्रेस टिकट मांगने वाले नेताओं की वजह से हारी। 5. जो व्यक्ति सर्वे कराएगा, एजेंसी उसी का साथ देगी
बीरेंद्र सिंह ने टिकट बंटवारे पर कहा- सही टिकटों का बंटवारा तब होता, जब संगठन मजबूत हो। संगठन ही नहीं होगा तो ये कौन बताएगा कि टिकट सही बंटी हैं या गलत। जो व्यक्ति विशेष सर्वे करवा रहा है, जो वो चाहेगा, वहीं सर्वे में आएगा, क्योंकि सर्वे के लिए जिसने एजेंसी को हायर किया है, एजेंसी उसे नाराज क्यों करेगी। 6. JJP-इनेलो ने क्षेत्रीय भावनाओं की हत्या की
बीरेंद्र सिंह से जेजेपी और इनेलो के भविष्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इन्होंने क्षेत्रीय भावनाओं की हत्या की। दुष्यंत चौटाला ने पार्टी खड़ी कर भाजपा के खिलाफ वोट मांगे और कहा कि उन्हें जमुना पार भेज देगा। लोगों ने भाजपा के खिलाफ उसे वोट दिए और बाद में वो उन्हीं से जुड़ गया। 43 साल कांग्रेस में रहे, हुड्डा से मतभेद पर कांग्रेस छोड़ी
जाटों के दबदबे वाले जींद और इससे लगते एरिया को बांगर बेल्ट कहा जाता है और इस इलाके में किसानों के बड़े नेता रहे सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह की मजबूत पकड़ रही है। बीरेंद्र सिंह के परिवार का हिसार इलाके में भी बड़ा जनाधार है। एक बार खुद बीरेंद्र सिंह तो 2019 में उनके बेटे इस सीट से सांसद रहे हैं। जींद की उचाना सीट से 5 बार विधायक और दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद BJP में शामिल हो गए थे। कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह उनके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेद रहे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में लौट गए। CM बनने का सपना नहीं हुआ पूरा
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव उचाना से 1977 में लड़ा और वह बड़े मार्जिन से जीत हासिल करते हुए MLA बने। इसके बाद 1982 में फिर से वह उचाना से ही विधायक चुने गए। हालांकि बीरेंद्र सिंह चर्चा में उस वक्त आए जब उन्होंने हिसार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को बड़े मार्जिन से हरा दिया था। ये ही वो वक्त था जब बीरेंद्र सिंह जींद से बाहर निकलकर हिसार तक अपनी छाप छोड़ चुके थे।इसके बाद बीरेंद्र सिंह 1991 में फिर से उचाना से विधायक बने और लगातार 2009 तक इस सीट पर विधायक रहे। हालांकि बीरेंद्र सिंह का सीएम बनने का सपना था, जो पूरा नहीं हो पाया। कभी CM नहीं बन पाने की टीस उन्हें हमेशा से रही। वह खुद अनेक बार अलग-अलग मंचों से इसका जिक्र भी करते रहे। कांग्रेस ने लोकसभा टिकट नहीं दी, विधानसभा हार गए
पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे 2019 में हिसार लोकसभा सीट से BJP की टिकट पर सांसद चुने गए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली। वह हिसार और सोनीपत सीट से लोकसभा टिकट की दावेदारी जताते रहे। हालांकि हिसार में जयप्रकाश जेपी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दे दी। इसके बाद बीरेंद्र के बेटे को उचाना से विधानसभा की टिकट दी गई लेकिन वह भाजपा के देवेंद्र अत्री से चुनाव हार गए। ************************** ये खबर भी पढ़ें… राजीव गांधी बोले- ‘बीरेंद्र सिंह, बहुमत मिला तो तुम मुख्यमंत्री’:रिजल्ट से 2 दिन पहले राजीव की हत्या, भजनलाल CM बन गए हरियाणा में वैसा ही हुआ जैसा बीरेंद्र सिंह ने राजीव गांधी से बताया था। कांग्रेस को 90 में से 51 सीटें मिलीं। अब बारी मुख्यमंत्री चुनने की थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद बीरेंद्र सिंह का दिल्ली में कोई अपना नहीं था (पूरी खबर पढ़ें)