
भोपाल में पहली बार 24-25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए मानव संग्रहालय नए रूप में तैयार हो रहा है। समिट की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मोदी बोट क्लब के रास्ते मानव संग्रहालय के गेट नंबर 2 से एंट्री करेंगे। इसी रास्ते से आगे बढ़ते हुए करीब 150 मीटर की दूरी पर संग्रहालय का डेजर्ट विलेज यानी रेगिस्तानी गांव है। इसी के पास समिट का मुख्य पंडाल आकार ले रहा है। डोम बनाने का काम दिल्ली की एक कंपनी कर रही है। इसके 400 मजदूर यहां 24 घंटे काम में जुटे हैं। डोम के पास डबल डेकर पेवेलियन भी बनाया जाएगा ताकि समिट में आने वाले उद्योगपति और देश-विदेश के डेलिगेट्स को यहां से भोपाल की खूबसूरती की झलक दिख सके। इस जगह से बड़ा तालाब नजर आता है, वन विहार भी सटा हुआ है। सबसे पहले जानते हैं, कहां-क्या बन रहा है… मानव संग्रहालय का 13 एकड़ का हिस्सा रिजर्व ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के मुख्य कार्यक्रम के लिए बोट क्लब छोर का 13 एकड़ हिस्सा रिजर्व किया गया है। इस हिस्से में डेजर्ट विलेज यानी रेगिस्तान के गांव की बसाहट है। यहीं पास में आवृत्ति भवन का ओपन थिएटर है। संग्रहालय के अधिकारियों के मुताबिक, इसी हिस्से में सबसे ज्यादा ओपन स्पेस है। दूसरी बड़ी बात ये भी है कि इस हिस्से से बड़े तालाब का मनोरम दृश्य नजर आएगा। वीवीआईपी की एंट्री भी यहां से बोट क्लब के रास्ते ज्यादा आसान होगी। 24 और 25 फरवरी को बोट क्लब और वन विहार आम लोगों के लिए पूरी तरह बंद रहेंगे। चार बड़े स्ट्रक्चर में क्या आयोजन होंगे… 1. मुख्य कार्यक्रम का डोम: साइज 40×100 मीटर (43055 हजार वर्गफुट)
यही सबसे बड़ा डोम है। इसमें इन्वेस्टर्स मीट का बड़ा मंच होगा। प्रधानमंत्री मोदी और वीवीआईपी इंडस्ट्रियलिस्ट इसी मंच पर बैठेंगे। इसी डोम में प्रधानमंत्री का भाषण होगा। 2. एमपी पेवेलियन: साइज 625 वर्ग मीटर (6727 वर्गफुट)
इसमें मध्यप्रदेश की कला-संस्कृति को बताने वाली प्रदर्शनी होगी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से ये बताया जाएगा कि मध्यप्रदेश में विविध संस्कृतियों का संगम है। मुख्य कार्यक्रम में पहुंचने से पहले पीएम मोदी इस प्रदर्शनी को देखेंगे। 3. पीएम लाउंज: 1200 वर्ग मीटर (12916 वर्गफुट)
एमपी पेवेलियन से इन्वेस्टर्स मीट के मंच पर पहुंचने से पहले पीएम मोदी लाउंज पहुंचेंगे। यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव और चुनिंदा उद्योगपतियों से उनकी मुलाकात संभव है। 4. समिट हॉल: 900 वर्ग मीटर (9687 वर्गफुट)
अलग-अलग सेक्टर की इंडस्ट्री के लिए सेक्टोरल हॉल बनाए जा रहे हैं। इस समिट में रिन्युएबल एनर्जी, टूरिज्म, माइनिंग, एमएसएमई-स्टार्टअप के अलावा अर्बन डेवलपमेंट सेक्टर पर खास फोकस है। 3 पॉइंट्स में जानते हैं, क्या तैयारियां चल रही हैं… 1. आयोजन स्थल पर पर्यटकों की एंट्री बंद
इन्वेस्टर्स समिट वाली जगह पर पर्यटकों की एंट्री प्रतिबंधित कर दी गई है। ये पूरा हिस्सा सुरक्षा घेरे में है। जिस हिस्से में कार्यक्रम के लिए तैयारी हो रही है, वहां लिटमस मेरोफॉर्म इवेंट्स एंड एग्जीबिशन्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के 400 कर्मचारी रात-दिन काम में जुटे हैं। इवेंट कंपनी के ट्रकों को भी सुरक्षा जांच के बाद ही भीतर जाने दिया जा रहा है। उद्योग विभाग और एमपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPSIDC) के अधिकारी पूरी व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 2. गेट नंबर 2 आम लोगों के लिए बंद
पीएम मोदी जिस रास्ते से होकर मुख्य पंडाल तक पहुंचेंगे, उसे डबल लेन किया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से अभी से गेट नंबर 2 से आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है। जिस एरिया में प्रधानमंत्री और उद्योगपति जुटेंगे, उसे हाई सिक्योरिटी जोन में तब्दील कर दिया गया है। यहां आम लोगों के आने-जाने की मनाही है। चप्पे-चप्पे पर सिक्योरिटी तैनात है। उधर, डिपो चौराहे से संग्रहालय के गेट नंबर वन की ओर जाने वाली सड़क की चौड़ाई भी बढ़ाई जा रही है। गेट के सामने सड़क चौड़ी कर इसके दोनों ओर पेवर ब्लॉक्स लगाए जा रहे हैं। 3. प्रदर्शनियों को संवारा जा रहा
संग्रहालय के भीतर की तमाम प्रदर्शनियों को संवारा जा रहा है। वीथि संकुल, कुम्हारपारा से लेकर हिमालयन विलेज तक रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। संग्रहालय के भीतर की सड़कों को भी दुरुस्त किया गया है। खाली जगह को समतल किया जा रहा है। संग्रहालय के भीतर के फुटपाथ भी संवारे जा रहे हैं। मानव संग्रहालय के डायरेक्टर अमिताभ पांडेय ने बताया- ये बहुत ही अलग अनुभव है। ये वो स्थान है, जहां मानव सभ्यता की विकास गाथा को दर्शाया गया है। यहां 40 हजार साल पुराने रॉक शेल्टर्स हैं। इसी जगह पर पीएम मोदी और बड़े उद्योगपति जुट रहे हैं। इन्वेस्टर्स को कैसे मिलेगी एंट्री? 5 किलोमीटर दूर तक पार्किंग, बैटरी वाली गाड़ियों से आएंगे मेहमान
आयोजन स्थल से 5 किलोमीटर दूर तक पार्किंग बनाई गई है। पॉलिटेक्निक चौराहे के पास एमएलबी कॉलेज, रीजनल कॉलेज, स्मार्ट सिटी पार्क सहित 9 पार्किंग एरिया चिह्नित किए गए हैं। यहां से बैटरी वाली गाड़ियां मेहमानों को लेकर आयोजन स्थल तक जाएंगी। मानव संग्रहालय के भीतर सिर्फ व्यवस्था में लगी चुनिंदा गाड़ियां ही जा पाएंगी। 24 फरवरी यानी जिस दिन समिट होगी, उस दिन बोट क्लब पर नो व्हीकल जोन होगा। 11 कलर कोड; वीआईपी को गोल्ड नहीं, ग्रे पास मिलेगा
समिट के आयोजन के लिए 11 कलर कोडिंग की गई हैं। इसमें हर डेलीगेट्स के लिए अलग कलर के पास बनाए जा रहे हैं। वीआईपी को ग्रे कलर का पास मिलेगा। इससे पहले वीआईपी को गोल्ड कलर दिया जाता था। हालांकि, अभी इस पर अंतिम सहमति नहीं बनी है। विदेशी प्रतिनिधियों के अलग, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए अलग और मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों के लिए अलग-अलग कलर के पास होंगे। समिट के लिए मानव संग्रहालय को चुनने की क्या वजह? मध्यप्रदेश में 2007 से इन्वेस्टर्स समिट की शुरुआत हुई। तब से अब तक 7 समिट हो चुकी है। ये आठवीं समिट है। ज्यादातर समिट इंदौर में हुई हैं। इन्वेस्टर्स समिट के बदले हुए कंसेप्ट को बताते हुए एमपीएसआईडीसी के एक अधिकारी कहते हैं, अब तक भोपाल की पहचान गैस त्रासदी से होती रही है। भोपाल में समिट करने का पहला उद्देश्य यही है कि राजधानी की पहचान अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदले। जब भोपाल का ख्याल आया तो ये भी सोचा गया कि समिट का कंसेप्ट भी बदला जाए। इंदौर समिट इनडोर बिल्डिंग में होता रहा लेकिन पहली बार ये खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच होगी। 200 एकड़ के म्यूजियम की खास बातें, जो इसे अलग बनाती हैं… भारत का 3 डी मैप: गेट नंबर एक से भीतर दाखिल होते ही भारत का स्कल्पचर 3 डी मैप बना है। इसे भी संवारा जा रहा है। कुम्हार पारा: यहां देश के अलग-अलग राज्यों के कुम्हारों के बनाए मिट्टी के बर्तनों की एक्जीबिशन है। ऐसा नहीं है कि ये बर्तन यहां लाकर रख दिए गए हैं। हर राज्य के कुम्हार अपने प्रदेश की मिट्टी लाकर यहां इन बर्तनों को आकार देते हैं। यहां काम करने वाले राकेश बताते हैं- संग्रहालय की खासियत ये है कि जो रचना जिस राज्य की है, वहीं के लोग उसी राज्य से पूरा सामान लाकर यहां काम करते हैं। यही इस संग्रहालय को सबसे अलग बनाता है। वीथि संकुल: यहां मानव के विकास का पूरा क्रम बताया गया है। डीएनए को समझाया गया है। मनुष्य आज जहां पहुंचा है, उस यात्रा के पड़ावों को यहां दिखाया गया है। इसमें ये भी बताया है कि मनुष्य के क्रोमोसोम चिंपाजी और गोरिल्ला के क्रोमोसोम से समानता रखते हैं। ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी पार्क: 200 साल पुरानी गन्ने की चरखी और तेल की घानी याद दिलाते हैं कि आज से पहले हम किन तकनीकों से अपने रोजमर्रा की जरूरत पूरी किया करते थे। मिथक वीथी: यहां जनजातियों के मिथक को चित्रों में दर्शाया गया है। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के कलाकार प्यारेलाल व्याम और सुखनंदी ने सृष्टि की रचना के मिथक को इन चित्रों में उकेरा है। इस संग्रहालय में हिमालय के गांवों में बने ढलानदार खपरैल वाले मकान बने हैं। यहां देश के अलग-अलग राज्यों की जनजातियों के रहन-सहन को दिखाने वाले आवास भी हैं। संग्रहालय के अधिकारी कहते हैं- इसकी खासियत ये है कि ये उसी राज्य से आए जनजातियों ने बनाए हैं। मिट्टी से लेकर बांस तक ये वहीं से लाते हैं। ये खबर भी पढ़ें… GIS के लिए भोपाल में 100 टेंट की ‘सिटी’ भोपाल में 24 और 25 फरवरी को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) होगी। इसमें देश-विदेश से करीब 20 हजार मेहमान आएंगे। इनके लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं। 2 से 5 स्टार रेटिंग वाले होटलों में 1 लाख रुपए तक के रूम बुक हो चुके हैं तो दो जगह 100 टेंट की टेम्परेरी ‘टेंट सिटी’ भी बनेगी। दोनों टेंट सिटी कलियासोत और केरवा डैम किनारे बनेगी ताकि मेहमान प्रकृति के नजारे भी देख सकें। पढ़ें पूरी खबर…
भोपाल में पहली बार 24-25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए मानव संग्रहालय नए रूप में तैयार हो रहा है। समिट की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मोदी बोट क्लब के रास्ते मानव संग्रहालय के गेट नंबर 2 से एंट्री करेंगे। इसी रास्ते से आगे बढ़ते हुए करीब 150 मीटर की दूरी पर संग्रहालय का डेजर्ट विलेज यानी रेगिस्तानी गांव है। इसी के पास समिट का मुख्य पंडाल आकार ले रहा है। डोम बनाने का काम दिल्ली की एक कंपनी कर रही है। इसके 400 मजदूर यहां 24 घंटे काम में जुटे हैं। डोम के पास डबल डेकर पेवेलियन भी बनाया जाएगा ताकि समिट में आने वाले उद्योगपति और देश-विदेश के डेलिगेट्स को यहां से भोपाल की खूबसूरती की झलक दिख सके। इस जगह से बड़ा तालाब नजर आता है, वन विहार भी सटा हुआ है। सबसे पहले जानते हैं, कहां-क्या बन रहा है… मानव संग्रहालय का 13 एकड़ का हिस्सा रिजर्व ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के मुख्य कार्यक्रम के लिए बोट क्लब छोर का 13 एकड़ हिस्सा रिजर्व किया गया है। इस हिस्से में डेजर्ट विलेज यानी रेगिस्तान के गांव की बसाहट है। यहीं पास में आवृत्ति भवन का ओपन थिएटर है। संग्रहालय के अधिकारियों के मुताबिक, इसी हिस्से में सबसे ज्यादा ओपन स्पेस है। दूसरी बड़ी बात ये भी है कि इस हिस्से से बड़े तालाब का मनोरम दृश्य नजर आएगा। वीवीआईपी की एंट्री भी यहां से बोट क्लब के रास्ते ज्यादा आसान होगी। 24 और 25 फरवरी को बोट क्लब और वन विहार आम लोगों के लिए पूरी तरह बंद रहेंगे। चार बड़े स्ट्रक्चर में क्या आयोजन होंगे… 1. मुख्य कार्यक्रम का डोम: साइज 40×100 मीटर (43055 हजार वर्गफुट)
यही सबसे बड़ा डोम है। इसमें इन्वेस्टर्स मीट का बड़ा मंच होगा। प्रधानमंत्री मोदी और वीवीआईपी इंडस्ट्रियलिस्ट इसी मंच पर बैठेंगे। इसी डोम में प्रधानमंत्री का भाषण होगा। 2. एमपी पेवेलियन: साइज 625 वर्ग मीटर (6727 वर्गफुट)
इसमें मध्यप्रदेश की कला-संस्कृति को बताने वाली प्रदर्शनी होगी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से ये बताया जाएगा कि मध्यप्रदेश में विविध संस्कृतियों का संगम है। मुख्य कार्यक्रम में पहुंचने से पहले पीएम मोदी इस प्रदर्शनी को देखेंगे। 3. पीएम लाउंज: 1200 वर्ग मीटर (12916 वर्गफुट)
एमपी पेवेलियन से इन्वेस्टर्स मीट के मंच पर पहुंचने से पहले पीएम मोदी लाउंज पहुंचेंगे। यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव और चुनिंदा उद्योगपतियों से उनकी मुलाकात संभव है। 4. समिट हॉल: 900 वर्ग मीटर (9687 वर्गफुट)
अलग-अलग सेक्टर की इंडस्ट्री के लिए सेक्टोरल हॉल बनाए जा रहे हैं। इस समिट में रिन्युएबल एनर्जी, टूरिज्म, माइनिंग, एमएसएमई-स्टार्टअप के अलावा अर्बन डेवलपमेंट सेक्टर पर खास फोकस है। 3 पॉइंट्स में जानते हैं, क्या तैयारियां चल रही हैं… 1. आयोजन स्थल पर पर्यटकों की एंट्री बंद
इन्वेस्टर्स समिट वाली जगह पर पर्यटकों की एंट्री प्रतिबंधित कर दी गई है। ये पूरा हिस्सा सुरक्षा घेरे में है। जिस हिस्से में कार्यक्रम के लिए तैयारी हो रही है, वहां लिटमस मेरोफॉर्म इवेंट्स एंड एग्जीबिशन्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के 400 कर्मचारी रात-दिन काम में जुटे हैं। इवेंट कंपनी के ट्रकों को भी सुरक्षा जांच के बाद ही भीतर जाने दिया जा रहा है। उद्योग विभाग और एमपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPSIDC) के अधिकारी पूरी व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 2. गेट नंबर 2 आम लोगों के लिए बंद
पीएम मोदी जिस रास्ते से होकर मुख्य पंडाल तक पहुंचेंगे, उसे डबल लेन किया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से अभी से गेट नंबर 2 से आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है। जिस एरिया में प्रधानमंत्री और उद्योगपति जुटेंगे, उसे हाई सिक्योरिटी जोन में तब्दील कर दिया गया है। यहां आम लोगों के आने-जाने की मनाही है। चप्पे-चप्पे पर सिक्योरिटी तैनात है। उधर, डिपो चौराहे से संग्रहालय के गेट नंबर वन की ओर जाने वाली सड़क की चौड़ाई भी बढ़ाई जा रही है। गेट के सामने सड़क चौड़ी कर इसके दोनों ओर पेवर ब्लॉक्स लगाए जा रहे हैं। 3. प्रदर्शनियों को संवारा जा रहा
संग्रहालय के भीतर की तमाम प्रदर्शनियों को संवारा जा रहा है। वीथि संकुल, कुम्हारपारा से लेकर हिमालयन विलेज तक रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। संग्रहालय के भीतर की सड़कों को भी दुरुस्त किया गया है। खाली जगह को समतल किया जा रहा है। संग्रहालय के भीतर के फुटपाथ भी संवारे जा रहे हैं। मानव संग्रहालय के डायरेक्टर अमिताभ पांडेय ने बताया- ये बहुत ही अलग अनुभव है। ये वो स्थान है, जहां मानव सभ्यता की विकास गाथा को दर्शाया गया है। यहां 40 हजार साल पुराने रॉक शेल्टर्स हैं। इसी जगह पर पीएम मोदी और बड़े उद्योगपति जुट रहे हैं। इन्वेस्टर्स को कैसे मिलेगी एंट्री? 5 किलोमीटर दूर तक पार्किंग, बैटरी वाली गाड़ियों से आएंगे मेहमान
आयोजन स्थल से 5 किलोमीटर दूर तक पार्किंग बनाई गई है। पॉलिटेक्निक चौराहे के पास एमएलबी कॉलेज, रीजनल कॉलेज, स्मार्ट सिटी पार्क सहित 9 पार्किंग एरिया चिह्नित किए गए हैं। यहां से बैटरी वाली गाड़ियां मेहमानों को लेकर आयोजन स्थल तक जाएंगी। मानव संग्रहालय के भीतर सिर्फ व्यवस्था में लगी चुनिंदा गाड़ियां ही जा पाएंगी। 24 फरवरी यानी जिस दिन समिट होगी, उस दिन बोट क्लब पर नो व्हीकल जोन होगा। 11 कलर कोड; वीआईपी को गोल्ड नहीं, ग्रे पास मिलेगा
समिट के आयोजन के लिए 11 कलर कोडिंग की गई हैं। इसमें हर डेलीगेट्स के लिए अलग कलर के पास बनाए जा रहे हैं। वीआईपी को ग्रे कलर का पास मिलेगा। इससे पहले वीआईपी को गोल्ड कलर दिया जाता था। हालांकि, अभी इस पर अंतिम सहमति नहीं बनी है। विदेशी प्रतिनिधियों के अलग, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए अलग और मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों के लिए अलग-अलग कलर के पास होंगे। समिट के लिए मानव संग्रहालय को चुनने की क्या वजह? मध्यप्रदेश में 2007 से इन्वेस्टर्स समिट की शुरुआत हुई। तब से अब तक 7 समिट हो चुकी है। ये आठवीं समिट है। ज्यादातर समिट इंदौर में हुई हैं। इन्वेस्टर्स समिट के बदले हुए कंसेप्ट को बताते हुए एमपीएसआईडीसी के एक अधिकारी कहते हैं, अब तक भोपाल की पहचान गैस त्रासदी से होती रही है। भोपाल में समिट करने का पहला उद्देश्य यही है कि राजधानी की पहचान अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदले। जब भोपाल का ख्याल आया तो ये भी सोचा गया कि समिट का कंसेप्ट भी बदला जाए। इंदौर समिट इनडोर बिल्डिंग में होता रहा लेकिन पहली बार ये खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच होगी। 200 एकड़ के म्यूजियम की खास बातें, जो इसे अलग बनाती हैं… भारत का 3 डी मैप: गेट नंबर एक से भीतर दाखिल होते ही भारत का स्कल्पचर 3 डी मैप बना है। इसे भी संवारा जा रहा है। कुम्हार पारा: यहां देश के अलग-अलग राज्यों के कुम्हारों के बनाए मिट्टी के बर्तनों की एक्जीबिशन है। ऐसा नहीं है कि ये बर्तन यहां लाकर रख दिए गए हैं। हर राज्य के कुम्हार अपने प्रदेश की मिट्टी लाकर यहां इन बर्तनों को आकार देते हैं। यहां काम करने वाले राकेश बताते हैं- संग्रहालय की खासियत ये है कि जो रचना जिस राज्य की है, वहीं के लोग उसी राज्य से पूरा सामान लाकर यहां काम करते हैं। यही इस संग्रहालय को सबसे अलग बनाता है। वीथि संकुल: यहां मानव के विकास का पूरा क्रम बताया गया है। डीएनए को समझाया गया है। मनुष्य आज जहां पहुंचा है, उस यात्रा के पड़ावों को यहां दिखाया गया है। इसमें ये भी बताया है कि मनुष्य के क्रोमोसोम चिंपाजी और गोरिल्ला के क्रोमोसोम से समानता रखते हैं। ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी पार्क: 200 साल पुरानी गन्ने की चरखी और तेल की घानी याद दिलाते हैं कि आज से पहले हम किन तकनीकों से अपने रोजमर्रा की जरूरत पूरी किया करते थे। मिथक वीथी: यहां जनजातियों के मिथक को चित्रों में दर्शाया गया है। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के कलाकार प्यारेलाल व्याम और सुखनंदी ने सृष्टि की रचना के मिथक को इन चित्रों में उकेरा है। इस संग्रहालय में हिमालय के गांवों में बने ढलानदार खपरैल वाले मकान बने हैं। यहां देश के अलग-अलग राज्यों की जनजातियों के रहन-सहन को दिखाने वाले आवास भी हैं। संग्रहालय के अधिकारी कहते हैं- इसकी खासियत ये है कि ये उसी राज्य से आए जनजातियों ने बनाए हैं। मिट्टी से लेकर बांस तक ये वहीं से लाते हैं। ये खबर भी पढ़ें… GIS के लिए भोपाल में 100 टेंट की ‘सिटी’ भोपाल में 24 और 25 फरवरी को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) होगी। इसमें देश-विदेश से करीब 20 हजार मेहमान आएंगे। इनके लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं। 2 से 5 स्टार रेटिंग वाले होटलों में 1 लाख रुपए तक के रूम बुक हो चुके हैं तो दो जगह 100 टेंट की टेम्परेरी ‘टेंट सिटी’ भी बनेगी। दोनों टेंट सिटी कलियासोत और केरवा डैम किनारे बनेगी ताकि मेहमान प्रकृति के नजारे भी देख सकें। पढ़ें पूरी खबर…