पांढुर्णा जिले की सौसर तहसील स्थित सिलेवानी घाटी में मक्के से भरा ट्रक लगभग 200 फीट गहरी खाई में गिर गया। इस हादसे के बाद ड्राइवर तीन दिनों तक ट्रक में फंसा रहा। गुरुवार सुबह मालिक को जीपीएस के जरिए घटना का पता चला। इसके बाद ट्रक के मालिक ने टीम के साथ मौके पर पहुंचकर ड्राइवर को खाई से सुरक्षित बाहर निकलवाया। वहीं, क्रेन की मदद से ट्रक को भी निकाला गया। ट्रक मालिक रवि बघेल ने बताया कि ट्रक मंगलवार को ग्राम चांद से औद्योगिक क्षेत्र बोरगांव के लिए रवाना हुआ था। लगभग 130 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी, लेकिन तीन दिन बाद भी ट्रक बोरगांव नहीं पहुंचा। कोई पता न चलने पर मालिक रवि बघेल ने सिवनी निवासी ड्राइवर आसिफ खान से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका मोबाइल बंद आ रहा था। इसके बाद उन्होंने जीपीएस की मदद ली। पता चला कि ट्रक सिलेवानी घाटी में एक अंधे मोड़ की खाई में है। देखिए दो तस्वीरें… हादसे में ड्राइवर का पैर ट्रक के नीचे फंसा
जीपीएस के जरिए बचाव टीम घटनास्थल पर पहुंची। ड्राइवर आसिफ खान का पैर ट्रक के नीचे फंसा हुआ था। वह तीन दिन से इसी हालत में रहा। कड़ी मशक्कत के बाद उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया। तीन से ज्यादा क्रेन की मदद से कई घंटे बाद ट्रक को भी खाई से बाहर निकाला गया। उमरानाला चौकी प्रभारी पारसनाथ मार्को ने बताया कि जैसे ही हम लोगों को ट्रक की लोकेशन मिली हम लोग वहां पहुंचे। पुलिस के साथ ट्रक मालिक रवि बघेल और 30-35 लोग थे। सबसे पहले जैसे-तैसे ड्राइवर आसिफ को बाहर निकाला। मार्को के मुताबिक उसकी हालत बेहद खराब थी। बोल नहीं पा रहा था। पानी ओर थोड़ा सा नाश्ता कराया। उसके पैर में फ्रैक्चर था। उसे तुरंत छिंदवाड़ा अस्पताल भेजा गया। हमने अस्पताल में पहले ही इमरजेंसी के लिए फोन कर दिया था। वहां उसके पैर का ऑपरेशन हुआ है। ड्राइवर बोला- ट्रक मेरी तरफ ही गिरा
ड्राइवर आसिफ ने बताया कि वह चांद गांव से बोरगांव करीब 30 टन मक्का लेकर जा रहा था अंधे मोड़ पर क्रॉसिंग के दौरान ट्रक खाई में गिर गया। ट्रक ने दो-तीन पलटी खाई। आखिरी पलटी के वक्त मैंने केबिन से निकलने की कोशिश की, लेकिन ट्रक मेरी तरफ ही गिरा। मैंने मदद के लिए कई बार चिल्लाया
आसिफ ने कहा- मेरे पैर ट्रक केबिन के नीचे दब गए। मोबाइल ट्रक के अंदर रखा था। रात हो गई थी। वहीं पड़ा रहा। घाटी से जब भी कोई ट्रक निकलता, ऊपर की तरफ देखता रहता। कई बार मदद के लिए चिल्लाया। पैर में बहुत दर्द हो रहा था। पहली रात तो जैसे-तैसे कट गई। लग रहा था ऐसे ही मर जाऊंगा
आसिफ के मुताबिक, भूख-प्यास से हालत और खराब हो रही थी। ठंड के कारण दिमाग जाम सा हो रहा था। पूरा शरीर अकड़ रहा था। लग रहा था ऐसे ही मर जाऊंगा। मेरे परिवार का क्या होगा। पत्नी और दो बच्चों की देख-रेख कौन करेगा। अंदर से उम्मीद थी कि कोई तो मदद के लिए आएगा। हालांकि हिम्मत टूट सी रही थी। कई बार उठकर बैठता और फिर वहीं लेट जाता। कब सोया कब जागा, पता नहीं। ये खबर भी पढ़ें…
धुंध में नहीं दिखा ट्रक…कार टकराई;2 की मौत, 3 गंभीर सीहोर में इंदौर-भोपाल स्टेट हाईवे पर भीषण सड़क हादसा हो गया। दरबार ढाबे के पास एक तेज रफ्तार कार सड़क किनारे खड़े ट्रक में जा घुसी। हादसे में एक ही परिवार के दो लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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जीपीएस के जरिए बचाव टीम घटनास्थल पर पहुंची। ड्राइवर आसिफ खान का पैर ट्रक के नीचे फंसा हुआ था। वह तीन दिन से इसी हालत में रहा। कड़ी मशक्कत के बाद उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया। तीन से ज्यादा क्रेन की मदद से कई घंटे बाद ट्रक को भी खाई से बाहर निकाला गया। उमरानाला चौकी प्रभारी पारसनाथ मार्को ने बताया कि जैसे ही हम लोगों को ट्रक की लोकेशन मिली हम लोग वहां पहुंचे। पुलिस के साथ ट्रक मालिक रवि बघेल और 30-35 लोग थे। सबसे पहले जैसे-तैसे ड्राइवर आसिफ को बाहर निकाला। मार्को के मुताबिक उसकी हालत बेहद खराब थी। बोल नहीं पा रहा था। पानी ओर थोड़ा सा नाश्ता कराया। उसके पैर में फ्रैक्चर था। उसे तुरंत छिंदवाड़ा अस्पताल भेजा गया। हमने अस्पताल में पहले ही इमरजेंसी के लिए फोन कर दिया था। वहां उसके पैर का ऑपरेशन हुआ है। ड्राइवर बोला- ट्रक मेरी तरफ ही गिरा
ड्राइवर आसिफ ने बताया कि वह चांद गांव से बोरगांव करीब 30 टन मक्का लेकर जा रहा था अंधे मोड़ पर क्रॉसिंग के दौरान ट्रक खाई में गिर गया। ट्रक ने दो-तीन पलटी खाई। आखिरी पलटी के वक्त मैंने केबिन से निकलने की कोशिश की, लेकिन ट्रक मेरी तरफ ही गिरा। मैंने मदद के लिए कई बार चिल्लाया
आसिफ ने कहा- मेरे पैर ट्रक केबिन के नीचे दब गए। मोबाइल ट्रक के अंदर रखा था। रात हो गई थी। वहीं पड़ा रहा। घाटी से जब भी कोई ट्रक निकलता, ऊपर की तरफ देखता रहता। कई बार मदद के लिए चिल्लाया। पैर में बहुत दर्द हो रहा था। पहली रात तो जैसे-तैसे कट गई। लग रहा था ऐसे ही मर जाऊंगा
आसिफ के मुताबिक, भूख-प्यास से हालत और खराब हो रही थी। ठंड के कारण दिमाग जाम सा हो रहा था। पूरा शरीर अकड़ रहा था। लग रहा था ऐसे ही मर जाऊंगा। मेरे परिवार का क्या होगा। पत्नी और दो बच्चों की देख-रेख कौन करेगा। अंदर से उम्मीद थी कि कोई तो मदद के लिए आएगा। हालांकि हिम्मत टूट सी रही थी। कई बार उठकर बैठता और फिर वहीं लेट जाता। कब सोया कब जागा, पता नहीं। ये खबर भी पढ़ें…
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