
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 27 जुलाई की रात राउ IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से 3 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बेसमेंट के चारों मालिकों को जमानत दे दी है। जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि हम आरोपियों की इस बात से सहमत हैं कि वे सिर्फ उस प्रॉपर्टी के मालिक हैं। बेसमेंट में पानी भरने से स्टूडेंट्स के डूबने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। जज ने यह भी कहा है कि स्टेटस रिपोर्ट या कहीं और ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है जिससे चारों को-ओनर्स परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई केस बने। ऐसे में आरोपियों को राहत दी जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने 13 सितंबर 2024 को चारों आरोपियों को दी गई अंतरिम जमानत को रेगुलर बेल में बदल दिया। कोर्ट ने 21 जनवरी को यह आदेश दिया था, जो अब सामने आया है। बेसमेंट किराए पर देना अपराध है या नहीं, ट्रायल कोर्ट तय करेगा कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दायर की गई है। हालांकि जो आरोप लगाए गए हैं, वे गंभीर प्रकृति के हैं। लेकिन इसमें बेसमेंट के मालिकों की जो भूमिका बताई गई है, उस पर हमें ध्यान देना होगा। कोर्ट ने कहा कि चारों को-ओनर्स पर आरोप है कि उन्होंने कॉमर्शियल काम के लिए बेसमेंट को किराए पर दिया था, जिसकी अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि, सबूतों के आधार पर ये तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है कि क्या बेसमेंट को किराए पर देना BNS के सेक्शन 105 और 106 के तहत अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने MCD से कहा- जो निर्देश दिए गए थे, उन पर क्या काम किया मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD से सवाल किया कि छात्रों की मौत के मामले में MCD ने अपने अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने नोट किया कि CBI इस बारे में जांच कर रही है कि MCD के अधिकारियों ने इस मामले में कोई अपराध तो नहीं किया। कोर्ट ने MCD के वकील से पूछा कि 2 अगस्त की सुनवाई में MCD कमिश्नर को जो निर्देश दिए थे, उन पर क्या काम किया गया है। कोर्ट ने कहा कि आपके सर्विस कॉन्ट्रैक्ट के तहत जनता के प्रति आपके कुछ कर्तव्य हैं। हमें आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि प्रशासनिक कार्रवाई क्या होती है। क्या आपको मंजूर होगा कि फिर से ऐसी मौतें हों? तीन जिंदगियां खत्म हुई थीं। बेसमेंट के ओनर्स ने कहा था- बेसमेंट को लाइब्रेरी बनाने के लिए नहीं दिया था 12 अगस्त को चार को-ओनर्स की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब कोर्ट ने आरोपियों से पूछा था कि क्या आपने किराएदारों को बेसमेंट के अधिकार का सर्टिफिकेट दिया था? इस पर आरोपियों के वकील अमित चड्ढा ने जवाब दिया था कि यह कॉमर्शियल प्रॉपर्टी है। इसे कॉमर्शियल इस्तेमाल या कोचिंग इंस्टीट्यूट के तौर पर किराए पर दिया गया था। इसे लाइब्रेरी के तौर पर इस्तेमाल के लिए नहीं दिया गया था। आरोपियों के वकील ने इमारत के फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का भी जिक्र किया। यह सर्टिफिकेट 9 जुलाई 2024 को तीन साल के लिए जारी किया गया था। 6 पॉइंट में समझिए स्टूडेंट कैसे डूबे सुप्रीम कोर्ट बोला था- कोचिंग संस्थान डेथ चैम्बर बन चुके हैं सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त को सुनवाई हुई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की बेंच ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर्स को डेथ चैम्बर बताया। बेंच ने कहा था- हम कोचिंग सेटर्स की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कोचिंग सेंटर्स बच्चों की जिंदगी के साथ खेल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर पूछा कि कोचिंग सेंटर्स में क्या सेफ्टी के नियम लागू किए गए हैं? पूरी खबर पढ़ें
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 27 जुलाई की रात राउ IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से 3 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बेसमेंट के चारों मालिकों को जमानत दे दी है। जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि हम आरोपियों की इस बात से सहमत हैं कि वे सिर्फ उस प्रॉपर्टी के मालिक हैं। बेसमेंट में पानी भरने से स्टूडेंट्स के डूबने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। जज ने यह भी कहा है कि स्टेटस रिपोर्ट या कहीं और ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है जिससे चारों को-ओनर्स परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई केस बने। ऐसे में आरोपियों को राहत दी जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने 13 सितंबर 2024 को चारों आरोपियों को दी गई अंतरिम जमानत को रेगुलर बेल में बदल दिया। कोर्ट ने 21 जनवरी को यह आदेश दिया था, जो अब सामने आया है। बेसमेंट किराए पर देना अपराध है या नहीं, ट्रायल कोर्ट तय करेगा कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दायर की गई है। हालांकि जो आरोप लगाए गए हैं, वे गंभीर प्रकृति के हैं। लेकिन इसमें बेसमेंट के मालिकों की जो भूमिका बताई गई है, उस पर हमें ध्यान देना होगा। कोर्ट ने कहा कि चारों को-ओनर्स पर आरोप है कि उन्होंने कॉमर्शियल काम के लिए बेसमेंट को किराए पर दिया था, जिसकी अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि, सबूतों के आधार पर ये तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है कि क्या बेसमेंट को किराए पर देना BNS के सेक्शन 105 और 106 के तहत अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने MCD से कहा- जो निर्देश दिए गए थे, उन पर क्या काम किया मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD से सवाल किया कि छात्रों की मौत के मामले में MCD ने अपने अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने नोट किया कि CBI इस बारे में जांच कर रही है कि MCD के अधिकारियों ने इस मामले में कोई अपराध तो नहीं किया। कोर्ट ने MCD के वकील से पूछा कि 2 अगस्त की सुनवाई में MCD कमिश्नर को जो निर्देश दिए थे, उन पर क्या काम किया गया है। कोर्ट ने कहा कि आपके सर्विस कॉन्ट्रैक्ट के तहत जनता के प्रति आपके कुछ कर्तव्य हैं। हमें आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि प्रशासनिक कार्रवाई क्या होती है। क्या आपको मंजूर होगा कि फिर से ऐसी मौतें हों? तीन जिंदगियां खत्म हुई थीं। बेसमेंट के ओनर्स ने कहा था- बेसमेंट को लाइब्रेरी बनाने के लिए नहीं दिया था 12 अगस्त को चार को-ओनर्स की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब कोर्ट ने आरोपियों से पूछा था कि क्या आपने किराएदारों को बेसमेंट के अधिकार का सर्टिफिकेट दिया था? इस पर आरोपियों के वकील अमित चड्ढा ने जवाब दिया था कि यह कॉमर्शियल प्रॉपर्टी है। इसे कॉमर्शियल इस्तेमाल या कोचिंग इंस्टीट्यूट के तौर पर किराए पर दिया गया था। इसे लाइब्रेरी के तौर पर इस्तेमाल के लिए नहीं दिया गया था। आरोपियों के वकील ने इमारत के फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का भी जिक्र किया। यह सर्टिफिकेट 9 जुलाई 2024 को तीन साल के लिए जारी किया गया था। 6 पॉइंट में समझिए स्टूडेंट कैसे डूबे सुप्रीम कोर्ट बोला था- कोचिंग संस्थान डेथ चैम्बर बन चुके हैं सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त को सुनवाई हुई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की बेंच ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर्स को डेथ चैम्बर बताया। बेंच ने कहा था- हम कोचिंग सेटर्स की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कोचिंग सेंटर्स बच्चों की जिंदगी के साथ खेल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर पूछा कि कोचिंग सेंटर्स में क्या सेफ्टी के नियम लागू किए गए हैं? पूरी खबर पढ़ें