तारीख- 8 दिसंबर 1989… जगह- श्रीनगर का लाल देद अस्पताल… तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का 1989 में घर से आधा किलोमीटर दूर अपहरण कर लिया गया। रुबैया, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन हैं। अपहरण के पांच दिन बाद केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने पांच आतंकवादियों को रिहा किया, तब जाकर आतंकियों ने रुबैया को छोड़ा था। इस घटना के 35 साल बाद सोमवार को किडनैपिंग केस में भगोड़ा घोषित शफात अहमद शांगलू को CBI ने श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया। शांगलू पर JKLF की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है। शांगलू ने रणबीर पीनल कोड और TADA एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत यासीन मलिक और दूसरों के साथ मिलकर किडनैपिंग को अंजाम दिया था। शांगलू जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चीफ यासीन मलिक का करीबी माना जाता है। उस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी था। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि शांगलू को जम्मू के TADA कोर्ट में पेश किया जाएगा। शांगलू JKLF में एक ऑफिसर था। वह ऑर्गनाइजेशन का फाइनेंस संभाल रहा था। सरकारी गवाह बनी मुफ्ती सईद की बेटी तमिलनाडु में रह रहीं सईद को CBI ने सरकारी गवाह के तौर पर लिस्ट किया है। जांच एजेंसी ने 1990 में यह केस अपने हाथ में लिया था। सईद ने मलिक के अलावा चार और आरोपियों की पहचान इस जुर्म में शामिल होने के तौर पर की गई थी। एक स्पेशल TADA कोर्ट ने सईद के किडनैपिंग केस में मलिक और नौ अन्य के खिलाफ पहले ही चार्ज फ्रेम कर दिए हैं। वहीं, JKLF चीफ यासीन मलिक, टेरर फाइनेंसिंग केस में दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है। पढ़िए रुबैया के किडनैपिंग की सिलसिलेवार कहानी… रुबैया की रिहाई के लिए जेकेएलएफ ने जेल में बंद अपने 7 साथियों शेख हामिद, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, जावेद जगरार, अल्ताफ बट, मकबूल भट के भाई गुलाम नबी भट और अहद वाज की रिहाई की शर्त रखी थी। लेकिन इनमें से 5 को ही छोड़ा गया। दिल्ली समेत पूरे देश में मच गया था हड़कंप होम मिनिस्टर की बेटी की किडनैपिंग की खबर से दिल्ली सरकार के साथ देशभर में हड़कंप मच गया। कई बड़े अफसर दिल्ली से श्रीनगर रवाना हो गए। एक बिचौलिए के जरिए आतंकियों से बातचीत शुरू हुई। जेकेएलएफ पांच आतंकियों की रिहाई पर राजी हो गया। सुरक्षा एजेंसियां घाटी के चप्पे-चप्पे पर रुबैया को तलाश रही थीं। उसे सोपोर शिफ्ट कर दिया था और सिर्फ पांच लोगों को ही इसकी जानकारी थी। सरकार को झुकना पड़ा और पांच आतंकियों को छोड़ दिया गया। 13 दिसंबर की शाम रुबैया सोनवर स्थित जस्टिस भट के घर सुरक्षित पहुंच गईं। इस घटना के मास्टरमाइंड अशफाक वानी को 31 मार्च 1990 में सिक्योरिटी फोर्सेस ने एक एनकाउंटर में मारा गिराया था। अलगाववादी नेता का दावा- ड्रामा था अपहरण कांड अलगाववादी नेता हिलाल वार ने अपनी किताब ‘ग्रेट डिस्क्लोजरः सीक्रेट अनमास्क्ड’ में बताया है कि कश्मीर को अस्थिर करने की पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी। इसका असली काम शुरु हुआ 13 दिसंबर 1989 को। 90 के दशक में इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो कश्मीर के हालत ठीक-ठाक थे। हिलाल वार के अनुसार आतंकवाद की शुरुआत करने वाला रुबैया सईद अपहरण कांड एक ड्रामा था। इसके बाद कश्मीर के हालात बिगड़ते चले गए। आईसी 814 विमान को हाईजैक, संसद हमला और घाटी में बड़ी आतंकी घटनाएं इसी अपहरण कांड के बाद से ही शुरु हुईं। आतंकियों की रिहाई से पहले भारत सरकार ने शर्त रखी थी कि आतंकवादियों की रिहाई के बाद कोई जुलूस नहीं निकाला जाएगा। लेकिन जब ये जेल से छूटे तो लोग सड़कों पर उतर आए। हर तरफ आजादी-आजादी के नारे लग रहे थे। उस दिन पूरी रात कश्मीर में जश्न मनाया गया। रुबैया के अपहरण की सफलता के बाद कश्मीर घाटी में अपहरण और हत्या का सिलसिला चल निकला। एक और दावा- मुफ्ती नहीं चाहते थे बेटी जल्द रिहा हो जुलाई 2012 में नेशनल सिक्योरिटी ग्रुप (NSG) के पूर्व मेजर जनरल ओपी कौशिक ने रुबैया सईद अपहरण मामले में सनसनीखेज दावा किया था। उन्होंने कहा था कि रुबैया के पिता और तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी जल्द रिहा हो। उन्होंने बताया कि अपहरण की सूचना मिलने के पांच मिनट के भीतर ही NSG ने पता लगा लिया था कि रुबैया को कहां रखा गया है। कौशिक ने खुद गृहमंत्री को बताया कि रुबैया को कुछ देर में ही सुरक्षित रिहा करा लिया जाएगा। लेकिन गृहमंत्री ने उनकी बात को अनसुना कर निर्देश दिए कि वे तत्काल मीटिंग से बाहर जाकर NSG को पीछे हटाएं। इसके बाद रुबिया को छुड़ाने के लिए पांच खूंखार आतंकियों को छोड़ दिया। ——————————— ये खबर भी पढ़ें… पूर्व PM मनमोहन-अटल से मिला यासीन, मुलाकात कराने वाले जर्नलिस्ट बोले- मुशर्रफ का करीबी था, कांग्रेस-BJP दोनों ने बातचीत की तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में 85 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उसने कई बड़े लीडर्स से मुलाकातों का दावा किया था। यासीन मालिक ने अपने एफिडेविट में भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्री, ब्यूरोक्रेट, खुफिया एजेंसियों के चीफ और कैबिनेट मंत्रियों से मीटिंग का दावा किया है। इन सभी दावों की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
तारीख- 8 दिसंबर 1989… जगह- श्रीनगर का लाल देद अस्पताल… तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का 1989 में घर से आधा किलोमीटर दूर अपहरण कर लिया गया। रुबैया, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन हैं। अपहरण के पांच दिन बाद केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने पांच आतंकवादियों को रिहा किया, तब जाकर आतंकियों ने रुबैया को छोड़ा था। इस घटना के 35 साल बाद सोमवार को किडनैपिंग केस में भगोड़ा घोषित शफात अहमद शांगलू को CBI ने श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया। शांगलू पर JKLF की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है। शांगलू ने रणबीर पीनल कोड और TADA एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत यासीन मलिक और दूसरों के साथ मिलकर किडनैपिंग को अंजाम दिया था। शांगलू जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चीफ यासीन मलिक का करीबी माना जाता है। उस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी था। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि शांगलू को जम्मू के TADA कोर्ट में पेश किया जाएगा। शांगलू JKLF में एक ऑफिसर था। वह ऑर्गनाइजेशन का फाइनेंस संभाल रहा था। सरकारी गवाह बनी मुफ्ती सईद की बेटी तमिलनाडु में रह रहीं सईद को CBI ने सरकारी गवाह के तौर पर लिस्ट किया है। जांच एजेंसी ने 1990 में यह केस अपने हाथ में लिया था। सईद ने मलिक के अलावा चार और आरोपियों की पहचान इस जुर्म में शामिल होने के तौर पर की गई थी। एक स्पेशल TADA कोर्ट ने सईद के किडनैपिंग केस में मलिक और नौ अन्य के खिलाफ पहले ही चार्ज फ्रेम कर दिए हैं। वहीं, JKLF चीफ यासीन मलिक, टेरर फाइनेंसिंग केस में दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है। पढ़िए रुबैया के किडनैपिंग की सिलसिलेवार कहानी… रुबैया की रिहाई के लिए जेकेएलएफ ने जेल में बंद अपने 7 साथियों शेख हामिद, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, जावेद जगरार, अल्ताफ बट, मकबूल भट के भाई गुलाम नबी भट और अहद वाज की रिहाई की शर्त रखी थी। लेकिन इनमें से 5 को ही छोड़ा गया। दिल्ली समेत पूरे देश में मच गया था हड़कंप होम मिनिस्टर की बेटी की किडनैपिंग की खबर से दिल्ली सरकार के साथ देशभर में हड़कंप मच गया। कई बड़े अफसर दिल्ली से श्रीनगर रवाना हो गए। एक बिचौलिए के जरिए आतंकियों से बातचीत शुरू हुई। जेकेएलएफ पांच आतंकियों की रिहाई पर राजी हो गया। सुरक्षा एजेंसियां घाटी के चप्पे-चप्पे पर रुबैया को तलाश रही थीं। उसे सोपोर शिफ्ट कर दिया था और सिर्फ पांच लोगों को ही इसकी जानकारी थी। सरकार को झुकना पड़ा और पांच आतंकियों को छोड़ दिया गया। 13 दिसंबर की शाम रुबैया सोनवर स्थित जस्टिस भट के घर सुरक्षित पहुंच गईं। इस घटना के मास्टरमाइंड अशफाक वानी को 31 मार्च 1990 में सिक्योरिटी फोर्सेस ने एक एनकाउंटर में मारा गिराया था। अलगाववादी नेता का दावा- ड्रामा था अपहरण कांड अलगाववादी नेता हिलाल वार ने अपनी किताब ‘ग्रेट डिस्क्लोजरः सीक्रेट अनमास्क्ड’ में बताया है कि कश्मीर को अस्थिर करने की पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी। इसका असली काम शुरु हुआ 13 दिसंबर 1989 को। 90 के दशक में इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो कश्मीर के हालत ठीक-ठाक थे। हिलाल वार के अनुसार आतंकवाद की शुरुआत करने वाला रुबैया सईद अपहरण कांड एक ड्रामा था। इसके बाद कश्मीर के हालात बिगड़ते चले गए। आईसी 814 विमान को हाईजैक, संसद हमला और घाटी में बड़ी आतंकी घटनाएं इसी अपहरण कांड के बाद से ही शुरु हुईं। आतंकियों की रिहाई से पहले भारत सरकार ने शर्त रखी थी कि आतंकवादियों की रिहाई के बाद कोई जुलूस नहीं निकाला जाएगा। लेकिन जब ये जेल से छूटे तो लोग सड़कों पर उतर आए। हर तरफ आजादी-आजादी के नारे लग रहे थे। उस दिन पूरी रात कश्मीर में जश्न मनाया गया। रुबैया के अपहरण की सफलता के बाद कश्मीर घाटी में अपहरण और हत्या का सिलसिला चल निकला। एक और दावा- मुफ्ती नहीं चाहते थे बेटी जल्द रिहा हो जुलाई 2012 में नेशनल सिक्योरिटी ग्रुप (NSG) के पूर्व मेजर जनरल ओपी कौशिक ने रुबैया सईद अपहरण मामले में सनसनीखेज दावा किया था। उन्होंने कहा था कि रुबैया के पिता और तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी जल्द रिहा हो। उन्होंने बताया कि अपहरण की सूचना मिलने के पांच मिनट के भीतर ही NSG ने पता लगा लिया था कि रुबैया को कहां रखा गया है। कौशिक ने खुद गृहमंत्री को बताया कि रुबैया को कुछ देर में ही सुरक्षित रिहा करा लिया जाएगा। लेकिन गृहमंत्री ने उनकी बात को अनसुना कर निर्देश दिए कि वे तत्काल मीटिंग से बाहर जाकर NSG को पीछे हटाएं। इसके बाद रुबिया को छुड़ाने के लिए पांच खूंखार आतंकियों को छोड़ दिया। ——————————— ये खबर भी पढ़ें… पूर्व PM मनमोहन-अटल से मिला यासीन, मुलाकात कराने वाले जर्नलिस्ट बोले- मुशर्रफ का करीबी था, कांग्रेस-BJP दोनों ने बातचीत की तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में 85 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उसने कई बड़े लीडर्स से मुलाकातों का दावा किया था। यासीन मालिक ने अपने एफिडेविट में भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्री, ब्यूरोक्रेट, खुफिया एजेंसियों के चीफ और कैबिनेट मंत्रियों से मीटिंग का दावा किया है। इन सभी दावों की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…