
ISRO चीफ वी. नारायणन ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के मौजूदा डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स) और वैज्ञानिक एम. मोहन को इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) का डायरेक्टर नियुक्त किया है। एम मोहन 2008 में चंद्रयान-1 मिशन के तहत मून इम्पैक्ट प्रॉब (MIP) प्रोजेक्ट के सिस्टम लीडर थे, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। एम मोहन केरल के अलप्पुझा के रहने वाले हैं। उन्होंने कई और भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। मोहन की उपलब्धियों को 2016 में इसरो परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवॉर्ड और 2010 में इसरो मेरिट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। GSLV प्रोग्राम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे
उन्होंने GSLV प्रोग्राम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया और 2018 में पूरे हुए दो मिशन – GSLV-F08/GSAT-6A और GSLV-F11/GSAT-7A – के मिशन डायरेक्टर रहे। वे क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, LPSC के मेटेरियल्स और मैन्युफैक्चरिंग एंटिटी के डिप्टी डायरेक्टर, और VSSC के स्पेस कैप्सूल रिकवरी प्रोजेक्ट (SRE-2) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर शामिल हैं। वह एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के फैलो हैं और सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर्स (SAME) के अध्यक्ष हाई एनर्जी मेटेरियल्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (HEMSI), और इंडियन सोसाइटी फॉर एयरोस्पेस एंड रिलेटेड मैकेनिज्म (INSARM) जैसी कई संस्थाओं के लाइफटाइम सदस्य भी हैं। वी. नारायणन के ISRO चीफ बनने के बाद मोहन को दी गई LPSC की जिम्मेदारी 14 जनवरी को स्पेस साइंटिस्ट वी. नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए चेयरमैन का पद संभाला। उन्हें स्पेस डिपार्टमेंट का सचिव भी बनाया गया है। उन्होंने ISRO चीफ एस. सोमनाथ की जगह ली। नारायणन का कार्यकाल 2 साल का रहेगा। वे वलियामाला स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर थे। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।
ISRO चीफ वी. नारायणन ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के मौजूदा डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स) और वैज्ञानिक एम. मोहन को इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) का डायरेक्टर नियुक्त किया है। एम मोहन 2008 में चंद्रयान-1 मिशन के तहत मून इम्पैक्ट प्रॉब (MIP) प्रोजेक्ट के सिस्टम लीडर थे, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। एम मोहन केरल के अलप्पुझा के रहने वाले हैं। उन्होंने कई और भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। मोहन की उपलब्धियों को 2016 में इसरो परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवॉर्ड और 2010 में इसरो मेरिट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। GSLV प्रोग्राम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे
उन्होंने GSLV प्रोग्राम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया और 2018 में पूरे हुए दो मिशन – GSLV-F08/GSAT-6A और GSLV-F11/GSAT-7A – के मिशन डायरेक्टर रहे। वे क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, LPSC के मेटेरियल्स और मैन्युफैक्चरिंग एंटिटी के डिप्टी डायरेक्टर, और VSSC के स्पेस कैप्सूल रिकवरी प्रोजेक्ट (SRE-2) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर शामिल हैं। वह एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के फैलो हैं और सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर्स (SAME) के अध्यक्ष हाई एनर्जी मेटेरियल्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (HEMSI), और इंडियन सोसाइटी फॉर एयरोस्पेस एंड रिलेटेड मैकेनिज्म (INSARM) जैसी कई संस्थाओं के लाइफटाइम सदस्य भी हैं। वी. नारायणन के ISRO चीफ बनने के बाद मोहन को दी गई LPSC की जिम्मेदारी 14 जनवरी को स्पेस साइंटिस्ट वी. नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए चेयरमैन का पद संभाला। उन्हें स्पेस डिपार्टमेंट का सचिव भी बनाया गया है। उन्होंने ISRO चीफ एस. सोमनाथ की जगह ली। नारायणन का कार्यकाल 2 साल का रहेगा। वे वलियामाला स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर थे। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।