दिल्ली ब्लास्ट मामले में मध्य प्रदेश के महू के मूल निवासी जवाद अहमद सिद्दीकी को पुलिस तलाश रही है। जवाद फरीदाबाद की उस अल फलाह यूनिवर्सिटी का संस्थापक चेयरमैन है, जिसमें धमाके का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी पढ़ाता था। वह अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का संचालक भी है। जवाद का आतंकी कनेक्शन जांचने के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम आज महू पहुंच रही है। ये टीम महू के कायस्थ मोहल्ले में बने जवाद के परिवार के मकान की तलाशी भी लेगी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों से पूछताछ भी करेगी। जांच के दौरान पता लगा है कि जवाद ने सबसे पहले महू में अल फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम से कारोबार शुरू किया था। मुनाफे का लालच देकर लोगों से निवेश कराया। फिर 2001 में आर्थिक गड़बड़ी के बाद परिवार समेत दिल्ली भाग गया। फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत की। पिता शहर काजी रहे, सौतेला भाई जेल जा चुका है
जवाद का परिवार करीब 25 साल पहले महू के कायस्थ मोहल्ले में रहता था। उसके दो भाई भी यहीं पढ़े-लिखे हैं। पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी महू के शहर काजी रह चुके हैं। उसका सौतेला भाई अफाम हत्या के मामले में जेल जा चुका है।
जवाद ने इंदौर के गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (GSITS) से बीटेक की डिग्री ली थी। इससे पहले वह महू के क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल राजेश्वर विद्यालय से 11वीं तक पढ़ा था। उसने सिविल सर्विसेज परीक्षा में तीन बार इंटरव्यू तक दिया, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो सका। जवाद के मुनीम पर भी कई केस, जेल काटी
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि जवाद का मुनीम खालिक बाउजी भी जल्द अमीर बनने के चक्कर में उसी की राह पर चल पड़ा। पहले उसने बोन क्रेशर प्लांट लगाया, फिर गोल्डन पब्लिक स्कूल खोला। कुछ समय बाद इंदौर में शोरूम और नवनीत टॉवर में अल हिलाल इन्वेस्टमेंट कंपनी शुरू की, जिससे वह तेजी से पैसा कमाने लगा। यह भी बताया गया है कि 1990 के आसपास खालिक की सुपारी छोटा राजन को मिली, जिसके बाद छोटा राजन ने खालिक को किडनैप कर लिया था। बाद में पुलिस ने उसे छुड़वाया। जवाद के इस मुनीम पर कई आपराधिक आरोप लगे। उसे जेल भी जाना पड़ा। फिलहाल वह मंडलेश्वर के पास किसी गुप्त स्थान पर रह रहा है। महू के जवाद सिद्दीकी ने खोली अल फलाह युनिवर्सिटी
दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद चर्चाओं में आया है। यूनिवर्सिटी की स्थापना महू के रहने वाले जवाद अहमद सिद्दीकी ने की थी। जवाद 1993 में महू छोड़ चुका है, लेकिन उसका पैतृक घर अब भी यहीं है। पता चला है कि 30 साल पहले जवाद ने हरियाणा में कुछ नेताओं से संबंध बनाकर इस यूनिवर्सिटी को खोला था। उसी आधार पर लाखों की फंडिंग भी ली। अब केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी के फंडिंग की जांच के आदेश दिए हैं। इस युनिवर्सिटी में तीन ऐसे डॉक्टर पढ़ाते थे, जिनका नाम दिल्ली ब्लास्ट में आया है। एक डॉ. उमर तो खुद हमले में मारा गया है। महू के कायस्थ मोहल्ले में लाखों की कीमत वाला एक मकान वर्षों से खाली है, लेकिन पिछले तीन दिन से हर किसी की निगाहें इसी पर है। यह मकान जवाद के पिता के नाम पर है, जो शहर काजी भी रह चुके हैं। जवाद कहां है यह पुलिस को भी नहीं पता। अफसरों ने बताया कि 1993 तक जवाद महू में था। उसने 12वीं महू से की और बीई इंदौर से किया। पुराने छात्र बोलेः ऐसा कनेक्शन निकलेगा सोचा नहीं था इंदौर के कॉलेज में जवाद से पढ़ चुके छात्रों ने कहा कि वे एक ऐसे शिक्षक जिनकी हर क्लास की शुरुआत और उनका प्रेजेंटेशन लाजवाब होता था। बोर्ड पर मोतियों से अक्षर, तथ्यात्मक बातें उनकी सादगी की छाप छात्रों पर हमेशा पड़ती रही। जवाद कट्टर धार्मिक और 5 बार के नमाजी थे। इनका इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, प्रोसेस प्लानिंग, मेथड स्टडी और वर्क स्टडी में खासा ज्ञान था। अल फलाह यूनिवर्सिटी में 3 कॉलेज, 600 बेड का अस्पताल
अल फलाह यूनिवर्सिटी के तहत तीन कॉलेज संचालित हैं- अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग। यूनिवर्सिटी परिसर में ही 600 बिस्तरों वाला अस्पताल भी है, जहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले डॉक्टर ही इलाज करते थे। साल 2015 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा इसे मान्यता दी गई थी। पिता के नाम पर है मकान
महू में जवाद के परिवार का मकान कायस्थ मोहल्ले में बना है। चार मंजिला इमारत में 25 से ज्यादा खिड़कियां हैं। एक बड़ा तलघर भी है। 90 के दशक में बने इस मकान को स्थानीय लोग मौलाना की बिल्डिंग के नाम से जानते हैं। मकान जवाद के पिता हम्माद के नाम पर हैं, उनकी 1995 में मौत हो चुकी है। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… दिल्ली कार ब्लास्ट मामले का महू से कनेक्शन दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट और हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक के मामले में एक नया मोड़ आया है। जांच में सामने आया है कि आतंकी साजिश के आरोपों से घिरी अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी मूल रूप से महू का रहने वाला है। पढ़ें पूरी खबर… दिल्ली ब्लास्ट का नया CCTV फुटेज सामने आया दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके का नया CCTV फुटेज सामने आया है। यह फुटेज ठीक 6:51 बजे का है, जब ब्लास्ट हुआ था। वीडियो में रेड सिग्नल पर गाड़ियों की भीड़ नजर आ रही है। तभी i-20 कार में धमाका हो जाता है। पढ़ें पूरी खबर…
दिल्ली ब्लास्ट मामले में मध्य प्रदेश के महू के मूल निवासी जवाद अहमद सिद्दीकी को पुलिस तलाश रही है। जवाद फरीदाबाद की उस अल फलाह यूनिवर्सिटी का संस्थापक चेयरमैन है, जिसमें धमाके का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी पढ़ाता था। वह अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का संचालक भी है। जवाद का आतंकी कनेक्शन जांचने के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम आज महू पहुंच रही है। ये टीम महू के कायस्थ मोहल्ले में बने जवाद के परिवार के मकान की तलाशी भी लेगी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों से पूछताछ भी करेगी। जांच के दौरान पता लगा है कि जवाद ने सबसे पहले महू में अल फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम से कारोबार शुरू किया था। मुनाफे का लालच देकर लोगों से निवेश कराया। फिर 2001 में आर्थिक गड़बड़ी के बाद परिवार समेत दिल्ली भाग गया। फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत की। पिता शहर काजी रहे, सौतेला भाई जेल जा चुका है
जवाद का परिवार करीब 25 साल पहले महू के कायस्थ मोहल्ले में रहता था। उसके दो भाई भी यहीं पढ़े-लिखे हैं। पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी महू के शहर काजी रह चुके हैं। उसका सौतेला भाई अफाम हत्या के मामले में जेल जा चुका है।
जवाद ने इंदौर के गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (GSITS) से बीटेक की डिग्री ली थी। इससे पहले वह महू के क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल राजेश्वर विद्यालय से 11वीं तक पढ़ा था। उसने सिविल सर्विसेज परीक्षा में तीन बार इंटरव्यू तक दिया, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो सका। जवाद के मुनीम पर भी कई केस, जेल काटी
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि जवाद का मुनीम खालिक बाउजी भी जल्द अमीर बनने के चक्कर में उसी की राह पर चल पड़ा। पहले उसने बोन क्रेशर प्लांट लगाया, फिर गोल्डन पब्लिक स्कूल खोला। कुछ समय बाद इंदौर में शोरूम और नवनीत टॉवर में अल हिलाल इन्वेस्टमेंट कंपनी शुरू की, जिससे वह तेजी से पैसा कमाने लगा। यह भी बताया गया है कि 1990 के आसपास खालिक की सुपारी छोटा राजन को मिली, जिसके बाद छोटा राजन ने खालिक को किडनैप कर लिया था। बाद में पुलिस ने उसे छुड़वाया। जवाद के इस मुनीम पर कई आपराधिक आरोप लगे। उसे जेल भी जाना पड़ा। फिलहाल वह मंडलेश्वर के पास किसी गुप्त स्थान पर रह रहा है। महू के जवाद सिद्दीकी ने खोली अल फलाह युनिवर्सिटी
दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद चर्चाओं में आया है। यूनिवर्सिटी की स्थापना महू के रहने वाले जवाद अहमद सिद्दीकी ने की थी। जवाद 1993 में महू छोड़ चुका है, लेकिन उसका पैतृक घर अब भी यहीं है। पता चला है कि 30 साल पहले जवाद ने हरियाणा में कुछ नेताओं से संबंध बनाकर इस यूनिवर्सिटी को खोला था। उसी आधार पर लाखों की फंडिंग भी ली। अब केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी के फंडिंग की जांच के आदेश दिए हैं। इस युनिवर्सिटी में तीन ऐसे डॉक्टर पढ़ाते थे, जिनका नाम दिल्ली ब्लास्ट में आया है। एक डॉ. उमर तो खुद हमले में मारा गया है। महू के कायस्थ मोहल्ले में लाखों की कीमत वाला एक मकान वर्षों से खाली है, लेकिन पिछले तीन दिन से हर किसी की निगाहें इसी पर है। यह मकान जवाद के पिता के नाम पर है, जो शहर काजी भी रह चुके हैं। जवाद कहां है यह पुलिस को भी नहीं पता। अफसरों ने बताया कि 1993 तक जवाद महू में था। उसने 12वीं महू से की और बीई इंदौर से किया। पुराने छात्र बोलेः ऐसा कनेक्शन निकलेगा सोचा नहीं था इंदौर के कॉलेज में जवाद से पढ़ चुके छात्रों ने कहा कि वे एक ऐसे शिक्षक जिनकी हर क्लास की शुरुआत और उनका प्रेजेंटेशन लाजवाब होता था। बोर्ड पर मोतियों से अक्षर, तथ्यात्मक बातें उनकी सादगी की छाप छात्रों पर हमेशा पड़ती रही। जवाद कट्टर धार्मिक और 5 बार के नमाजी थे। इनका इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, प्रोसेस प्लानिंग, मेथड स्टडी और वर्क स्टडी में खासा ज्ञान था। अल फलाह यूनिवर्सिटी में 3 कॉलेज, 600 बेड का अस्पताल
अल फलाह यूनिवर्सिटी के तहत तीन कॉलेज संचालित हैं- अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग। यूनिवर्सिटी परिसर में ही 600 बिस्तरों वाला अस्पताल भी है, जहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले डॉक्टर ही इलाज करते थे। साल 2015 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा इसे मान्यता दी गई थी। पिता के नाम पर है मकान
महू में जवाद के परिवार का मकान कायस्थ मोहल्ले में बना है। चार मंजिला इमारत में 25 से ज्यादा खिड़कियां हैं। एक बड़ा तलघर भी है। 90 के दशक में बने इस मकान को स्थानीय लोग मौलाना की बिल्डिंग के नाम से जानते हैं। मकान जवाद के पिता हम्माद के नाम पर हैं, उनकी 1995 में मौत हो चुकी है। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… दिल्ली कार ब्लास्ट मामले का महू से कनेक्शन दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट और हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक के मामले में एक नया मोड़ आया है। जांच में सामने आया है कि आतंकी साजिश के आरोपों से घिरी अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी मूल रूप से महू का रहने वाला है। पढ़ें पूरी खबर… दिल्ली ब्लास्ट का नया CCTV फुटेज सामने आया दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके का नया CCTV फुटेज सामने आया है। यह फुटेज ठीक 6:51 बजे का है, जब ब्लास्ट हुआ था। वीडियो में रेड सिग्नल पर गाड़ियों की भीड़ नजर आ रही है। तभी i-20 कार में धमाका हो जाता है। पढ़ें पूरी खबर…