बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव खत्म होने के बाद कुछ देर में एग्जिट पोल के नतीजे सामने आएंगे। चुनाव के पहले किए गए ओपिनियन पोल में राज्य में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। हालांकि, बिहार के पिछले चुनाव के एग्जिट पोल पर नजर डालें तो सभी एग्जिट पोल गलत निकले, सिर्फ भास्कर ने बताया था सबसे सटीक रिजल्ट। हमने कहा था कि NDA को 120 से 127 सीटें मिलेंगी और 125 सीटें मिलीं। 2015 में भी सिर्फ एक एग्जिट पोल सही निकला था। 2010 में 5 से ज्यादा अनुमान सही रहे थे। इस बार क्या होगा। यह स्थिति कुछ देर में साफ हो जाएगी। राज्य में 243 सीटों पर दो फेज में चुनाव हुआ था। पहले फेज में 121 सीटों पर 65% वोटिंग हुई है। दूसरे फेज में 122 सीटों पर 00% मतदान हुआ। रिजल्ट 14 नवंबर को आएगा। पहले बात ओपिनियन पोल की, इनमें एनडीए को बहुमत पिछले 3 विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल कितना सही रहा… एग्जिट पोल क्या होता है चुनाव के दौरान जनता का मूड जानने के लिए दो तरह के सर्वे किए जाते हैं। वोटिंग से पहले के सर्वे को ओपिनियन पोल कहते हैं। वोटिंग के दौरान होने वाले सर्वे को एग्जिट पोल कहा जाता है। आम तौर पर एग्जिट पोल के नतीजे आखिरी फेज की वोटिंग खत्म होने के एक घंटे बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के वॉलंटियर वोटिंग के दिन वोटिंग बूथ पर मौजूद होते हैं। ये वॉलंटियर वोट देकर लौट रहे लोगों से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं। वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसी आधार पर चुनाव के नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। अब बात CM चेहरे की… NDA की तरफ से नीतीश सीएम फेस, क्या हैं इसके मायने नीतीश कुमार वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री हैं और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में NDA ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है। नीतीश 2005 से अब तक 9 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह बिहार की राजनीति में सबसे अनुभवी चेहरा हैं। नीतीश कुर्मी समुदाय से आते हैं, जो बिहार में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) एक बड़ा समूह है। नीतीश को आगे रखकर NDA ने OBC + सवर्ण + महिला वोटर का संतुलन बनाना चाहा। नीतीश को CM चेहरा बनाकर BJP ने यह संदेश दिया कि अब NDA में कोई टूट की संभावना नहीं है। महागठबंधन से तेजस्वी यादव सीएम का चेहरा, क्या हैं इसके मायने NDA जहां नीतीश कुमार को अनुभव और स्थिरता का चेहरा बना रही है। वहीं महागठबंधन ने तेजस्वी को नई पीढ़ी और परिवर्तन का चेहरा बनाकर मैदान में उतारा है। तेजस्वी 35 साल से भी कम उम्र के हैं। उनका टारगेट युवा और फर्स्ट टाइम वोटर्स हैं। तेजस्वी को सीएम फेस बनाने का मतलब है कि लालू यादव की विरासत को आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे महागठबंधन में नेतृत्व की एकजुटता का संदेश भी जाता है कांग्रेस और लेफ्ट ने भी RJD नेतृत्व को स्वीकार किया है। RJD का आधार परंपरागत रूप से Yadav + Muslim (MY) वोट बैंक रहा है। तेजस्वी इस गठबंधन को OBC, दलित और अल्पसंख्यक युवाओं तक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव खत्म होने के बाद कुछ देर में एग्जिट पोल के नतीजे सामने आएंगे। चुनाव के पहले किए गए ओपिनियन पोल में राज्य में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। हालांकि, बिहार के पिछले चुनाव के एग्जिट पोल पर नजर डालें तो सभी एग्जिट पोल गलत निकले, सिर्फ भास्कर ने बताया था सबसे सटीक रिजल्ट। हमने कहा था कि NDA को 120 से 127 सीटें मिलेंगी और 125 सीटें मिलीं। 2015 में भी सिर्फ एक एग्जिट पोल सही निकला था। 2010 में 5 से ज्यादा अनुमान सही रहे थे। इस बार क्या होगा। यह स्थिति कुछ देर में साफ हो जाएगी। राज्य में 243 सीटों पर दो फेज में चुनाव हुआ था। पहले फेज में 121 सीटों पर 65% वोटिंग हुई है। दूसरे फेज में 122 सीटों पर 00% मतदान हुआ। रिजल्ट 14 नवंबर को आएगा। पहले बात ओपिनियन पोल की, इनमें एनडीए को बहुमत पिछले 3 विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल कितना सही रहा… एग्जिट पोल क्या होता है चुनाव के दौरान जनता का मूड जानने के लिए दो तरह के सर्वे किए जाते हैं। वोटिंग से पहले के सर्वे को ओपिनियन पोल कहते हैं। वोटिंग के दौरान होने वाले सर्वे को एग्जिट पोल कहा जाता है। आम तौर पर एग्जिट पोल के नतीजे आखिरी फेज की वोटिंग खत्म होने के एक घंटे बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के वॉलंटियर वोटिंग के दिन वोटिंग बूथ पर मौजूद होते हैं। ये वॉलंटियर वोट देकर लौट रहे लोगों से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं। वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसी आधार पर चुनाव के नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। अब बात CM चेहरे की… NDA की तरफ से नीतीश सीएम फेस, क्या हैं इसके मायने नीतीश कुमार वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री हैं और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में NDA ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है। नीतीश 2005 से अब तक 9 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह बिहार की राजनीति में सबसे अनुभवी चेहरा हैं। नीतीश कुर्मी समुदाय से आते हैं, जो बिहार में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) एक बड़ा समूह है। नीतीश को आगे रखकर NDA ने OBC + सवर्ण + महिला वोटर का संतुलन बनाना चाहा। नीतीश को CM चेहरा बनाकर BJP ने यह संदेश दिया कि अब NDA में कोई टूट की संभावना नहीं है। महागठबंधन से तेजस्वी यादव सीएम का चेहरा, क्या हैं इसके मायने NDA जहां नीतीश कुमार को अनुभव और स्थिरता का चेहरा बना रही है। वहीं महागठबंधन ने तेजस्वी को नई पीढ़ी और परिवर्तन का चेहरा बनाकर मैदान में उतारा है। तेजस्वी 35 साल से भी कम उम्र के हैं। उनका टारगेट युवा और फर्स्ट टाइम वोटर्स हैं। तेजस्वी को सीएम फेस बनाने का मतलब है कि लालू यादव की विरासत को आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे महागठबंधन में नेतृत्व की एकजुटता का संदेश भी जाता है कांग्रेस और लेफ्ट ने भी RJD नेतृत्व को स्वीकार किया है। RJD का आधार परंपरागत रूप से Yadav + Muslim (MY) वोट बैंक रहा है। तेजस्वी इस गठबंधन को OBC, दलित और अल्पसंख्यक युवाओं तक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।