सोनीपत जिले के बरोदा गांव में सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 4 दोस्तों की कहानी किसी दुखद अंत वाले उपन्यास जैसी है। चारों दोस्तों का बचपन साथ गुजरा। साथ खेले-साथ पढ़े। खाना-पानी सब साथ। जीवन की हर खुशी सांझा की। अब उनकी जिंदगी से विदाई भी एक साथ ही हुई। शनिवार को चारों का एक ही चिता में संस्कार हुआ।गम में डूबे गांव में इनकी दोस्ती के ही चर्चे रहे। गांव में जिससे भी बात की, उनकी आंखें नम हो गईं। शुक्रवार रात को साहिल मोर, आशीष मोर, परमजीत मोर व विवेक मोर स्विफ्ट कार में सोनीपत से हरिद्वार के लिए निकले थे। रविवार को परमजीत की बारात राजस्थन जानी थी। उससे पहले उन्होंने हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बनाया। रास्ते में पानीपत-खटीमा हाईवे पर कार रेस्टोरेंट के बाहर खड़े कैंटर से टकरा गई और चारों की मौत हो गई।उनके बचपन की दोस्ती को देखते हुए परिजनों ने चारों की अंतिम विदाई एक साथ करने का फैसला लिया। इसी वजह से अंतिम रस्मों से लेकर आखिरी यात्रा तक साथ निकाली। फिर चारों की एक ही चिता पर लेटाकर अग्नि के हवाले किए गए। अब उनकी मौत ने पूरे गांव को गहरे दुख में डुबो दिया है। हर ग्रामीण की आंख नम थी। यहां जानिए चारों दोस्त और उनके परिवार की कहानी… एक साथ पढ़ाई, एक साथ खेल और एक साथ विदाई
गांव के लोग बताते हैं कि चारों दोस्तों ने बचपन से लेकर 12वीं कक्षा तक गांव के सरकारी स्कूल में साथ पढ़ाई की। इसके बाद भले ही वे अलग-अलग कामों में जुट गए, लेकिन रोजाना शाम को एक साथ मिलना उनकी आदत थी। वे अक्सर सुबह-शाम बास्केटबॉल खेलते और छुट्टियों में क्रिकेट खेला करते थे। परिवार के लोग बताते हैं कि वे शाम को गांव के जोहड़ के पास बैठकर घंटों बातें करते थे। दो महीने बाद होनी थी परमजीत की बहन की शादी
परमजीत अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसकी दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी पहले ही हो चुकी थी, जबकि दूसरी की शादी दो महीने बाद होनी तय थी। घर में एक तरफ बहन की शादी की तैयारी चल रही थी, वहीं अब मातम छा गया। परिवार के लोग बताते हैं कि रविवार को परमजीत की बारात राजस्थान जाने वाली थी, जिसके बाद बड़ा कार्यक्रम गांव में होना था। लेकिन उससे पहले ही घर की खुशियां मातम में बदल गईं। गांव में पसरा सन्नाटा, घरों में चूल्हा नहीं जला
गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतना बड़ा हादसा नहीं देखा। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है और हर कोई यही कह रहा है कि गांव को किसी की नजर लग गई। जब चारों दोस्तों की एक साथ चिता जली, तो पूरे बरोदा गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। हर आंख नम थी, और हर दिल रो रहा था। अब सिलसिलेवार ढंग से चारों युवकों के बारे में पढ़िए… —————————–
ये खबर भी पढ़ें… पानीपत–खटीमा हाईवे पर 4 दोस्तों की मौत:सोनीपत से हरिद्वार जाते वक्त कैंटर में कार घुसाई; एक की कल, दूसरे की अगले महीने शादी थी हरियाणा के सोनीपत से हरिद्वार जा रहे 4 दोस्तों की कार शुक्रवार देर रात उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हादसे का शिकार हो गई। पानीपत–खटीमा हाईवे पर हुए इस भीषण हादसे में चारों युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। (पूरी खबर पढ़ें)
सोनीपत जिले के बरोदा गांव में सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 4 दोस्तों की कहानी किसी दुखद अंत वाले उपन्यास जैसी है। चारों दोस्तों का बचपन साथ गुजरा। साथ खेले-साथ पढ़े। खाना-पानी सब साथ। जीवन की हर खुशी सांझा की। अब उनकी जिंदगी से विदाई भी एक साथ ही हुई। शनिवार को चारों का एक ही चिता में संस्कार हुआ।गम में डूबे गांव में इनकी दोस्ती के ही चर्चे रहे। गांव में जिससे भी बात की, उनकी आंखें नम हो गईं। शुक्रवार रात को साहिल मोर, आशीष मोर, परमजीत मोर व विवेक मोर स्विफ्ट कार में सोनीपत से हरिद्वार के लिए निकले थे। रविवार को परमजीत की बारात राजस्थन जानी थी। उससे पहले उन्होंने हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बनाया। रास्ते में पानीपत-खटीमा हाईवे पर कार रेस्टोरेंट के बाहर खड़े कैंटर से टकरा गई और चारों की मौत हो गई।उनके बचपन की दोस्ती को देखते हुए परिजनों ने चारों की अंतिम विदाई एक साथ करने का फैसला लिया। इसी वजह से अंतिम रस्मों से लेकर आखिरी यात्रा तक साथ निकाली। फिर चारों की एक ही चिता पर लेटाकर अग्नि के हवाले किए गए। अब उनकी मौत ने पूरे गांव को गहरे दुख में डुबो दिया है। हर ग्रामीण की आंख नम थी। यहां जानिए चारों दोस्त और उनके परिवार की कहानी… एक साथ पढ़ाई, एक साथ खेल और एक साथ विदाई
गांव के लोग बताते हैं कि चारों दोस्तों ने बचपन से लेकर 12वीं कक्षा तक गांव के सरकारी स्कूल में साथ पढ़ाई की। इसके बाद भले ही वे अलग-अलग कामों में जुट गए, लेकिन रोजाना शाम को एक साथ मिलना उनकी आदत थी। वे अक्सर सुबह-शाम बास्केटबॉल खेलते और छुट्टियों में क्रिकेट खेला करते थे। परिवार के लोग बताते हैं कि वे शाम को गांव के जोहड़ के पास बैठकर घंटों बातें करते थे। दो महीने बाद होनी थी परमजीत की बहन की शादी
परमजीत अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसकी दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी पहले ही हो चुकी थी, जबकि दूसरी की शादी दो महीने बाद होनी तय थी। घर में एक तरफ बहन की शादी की तैयारी चल रही थी, वहीं अब मातम छा गया। परिवार के लोग बताते हैं कि रविवार को परमजीत की बारात राजस्थान जाने वाली थी, जिसके बाद बड़ा कार्यक्रम गांव में होना था। लेकिन उससे पहले ही घर की खुशियां मातम में बदल गईं। गांव में पसरा सन्नाटा, घरों में चूल्हा नहीं जला
गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतना बड़ा हादसा नहीं देखा। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है और हर कोई यही कह रहा है कि गांव को किसी की नजर लग गई। जब चारों दोस्तों की एक साथ चिता जली, तो पूरे बरोदा गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। हर आंख नम थी, और हर दिल रो रहा था। अब सिलसिलेवार ढंग से चारों युवकों के बारे में पढ़िए… —————————–
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