पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) फॉर्म स्वीकार करने के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जब तक बंगाल का हर व्यक्ति फॉर्म नहीं भरता, तब तक वह ऐसा नहीं करेंगी। तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागो बांग्ला समेत दूसरे मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि ममता ने स्थानीय बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) से व्यक्तिगत रूप से SIR फॉर्म लिया था। सीएम ने फेसबुक पर लिखा- BLO बुधवार को हमारे कालीघाट इलाके में आए थे और कुछ लोगों को SIR फॉर्म दिया। वह मेरे घर में बने ऑफिस में भी आए। उन्होंने परिसर में वोटर्स की संख्या के बारे में पूछताछ की और फॉर्म दिए। उन्होंने पोस्ट में लिखा- कई मीडिया संस्थानों ने खबर दी कि मैं अपने घर से बाहर आई और अपने हाथों से BLO से SIR फॉर्म लिया। यह खबर पूरी तरह से झूठी, भ्रामक और जानबूझकर किया गया प्रचार है। मैंने कोई फॉर्म नहीं भरा है। जब तक हर बंगाली फॉर्म नहीं भरता, तब तक मैं भी फॉर्म नहीं भरूंगी। SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च निकाला ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल और 11 अन्य राज्यों में चल रही SIR प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं। उन्होंने 4 नवंबर को SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च भी निकाला था। इस रैली में उनके साथ पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और बड़ी संख्या में पार्टी वर्कर्स मौजूद थे। सीएम ने कहा था कि अगर वोटर लिस्ट झूठी है, तो केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार भी झूठी है। SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में चुपचाप धांधली की जा सके। जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बांग्लाभाषी, बांग्लादेशी नहीं होता। 4 नवंबर से BLO घर-घर पहुंच रहे हैं देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए बूथ लेवल अधिकारी (BLO) 4 नवंबर से घर-घर पहुंच रहे हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट SIR के लिए BLO की ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हुई। पूरी प्रोसेस 7 फरवरी को खत्म होगी। SIR में वोटर लिस्ट का अपडेशन होगा। नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा। 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे। SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। SIR में नागरिकता की जांच पर फोकस 12 राज्यों में SIR के दौरान आयोग का फोकस नागरिकता की जांच पर है। सूत्रों के अनुसार असम में मतदाता सूची की गहन समीक्षा तो होगी, लेकिन नागरिकता की जांच नहीं होगी। राज्य में नागरिकता के उलझे हुए मुद्दे के बीच आयोग ये नया मॉडल तैयार कर रहा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने SIR की घोषणा करते वक्त कहा था कि असम में नागरिकता को लेकर अलग प्रावधान हैं। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। ऐसे में, असम के लिए अलग आदेश जारी होगा। SIR का मकसद क्या है 1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना। डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। SIR के लिए कौन से दस्तावेज मान्य यह भी जानिए… नाम सूची से कट गया तो क्या करें? ड्राफ्ट मतदाता सूची के आधार पर एक महीने तक अपील कर सकते हैं। ईआरओ के फैसले के खिलाफ डीएम और डीएम के फैसले के खिलाफसीईओ तक अपील कर सकते हैं। शिकायत या सहायता कहां से लें? हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। अपने बीएलओ या जिला चुनाव कार्यालय सेसंपर्क करें। बिहार की मतदाता सूची दस्तावेजों में क्यों जोड़ी गई? यदि कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक में अपना नाम मतदाता सूची मेंशामिल करवाना चाहता है और वह बिहार की एसआईआर के बाद की सूचीका अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसेनागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फजन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा। क्या आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है? सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के चुनावअधिकारियों को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचानस्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार कियाजाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप मेंस्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं। ——————————— ममता से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ममता बोलीं- फूट डालो-राज करो की राजनीति न करें, TMC का दावा- SIR के डर से दो सुसाइड चुनाव आयोग के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि हर असली वोटर को सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी तरह की फूट डालो-राज करो की राजनीति नहीं होनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) फॉर्म स्वीकार करने के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जब तक बंगाल का हर व्यक्ति फॉर्म नहीं भरता, तब तक वह ऐसा नहीं करेंगी। तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागो बांग्ला समेत दूसरे मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि ममता ने स्थानीय बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) से व्यक्तिगत रूप से SIR फॉर्म लिया था। सीएम ने फेसबुक पर लिखा- BLO बुधवार को हमारे कालीघाट इलाके में आए थे और कुछ लोगों को SIR फॉर्म दिया। वह मेरे घर में बने ऑफिस में भी आए। उन्होंने परिसर में वोटर्स की संख्या के बारे में पूछताछ की और फॉर्म दिए। उन्होंने पोस्ट में लिखा- कई मीडिया संस्थानों ने खबर दी कि मैं अपने घर से बाहर आई और अपने हाथों से BLO से SIR फॉर्म लिया। यह खबर पूरी तरह से झूठी, भ्रामक और जानबूझकर किया गया प्रचार है। मैंने कोई फॉर्म नहीं भरा है। जब तक हर बंगाली फॉर्म नहीं भरता, तब तक मैं भी फॉर्म नहीं भरूंगी। SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च निकाला ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल और 11 अन्य राज्यों में चल रही SIR प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं। उन्होंने 4 नवंबर को SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च भी निकाला था। इस रैली में उनके साथ पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और बड़ी संख्या में पार्टी वर्कर्स मौजूद थे। सीएम ने कहा था कि अगर वोटर लिस्ट झूठी है, तो केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार भी झूठी है। SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में चुपचाप धांधली की जा सके। जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बांग्लाभाषी, बांग्लादेशी नहीं होता। 4 नवंबर से BLO घर-घर पहुंच रहे हैं देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए बूथ लेवल अधिकारी (BLO) 4 नवंबर से घर-घर पहुंच रहे हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट SIR के लिए BLO की ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हुई। पूरी प्रोसेस 7 फरवरी को खत्म होगी। SIR में वोटर लिस्ट का अपडेशन होगा। नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा। 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे। SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। SIR में नागरिकता की जांच पर फोकस 12 राज्यों में SIR के दौरान आयोग का फोकस नागरिकता की जांच पर है। सूत्रों के अनुसार असम में मतदाता सूची की गहन समीक्षा तो होगी, लेकिन नागरिकता की जांच नहीं होगी। राज्य में नागरिकता के उलझे हुए मुद्दे के बीच आयोग ये नया मॉडल तैयार कर रहा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने SIR की घोषणा करते वक्त कहा था कि असम में नागरिकता को लेकर अलग प्रावधान हैं। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। ऐसे में, असम के लिए अलग आदेश जारी होगा। SIR का मकसद क्या है 1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना। डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। SIR के लिए कौन से दस्तावेज मान्य यह भी जानिए… नाम सूची से कट गया तो क्या करें? ड्राफ्ट मतदाता सूची के आधार पर एक महीने तक अपील कर सकते हैं। ईआरओ के फैसले के खिलाफ डीएम और डीएम के फैसले के खिलाफसीईओ तक अपील कर सकते हैं। शिकायत या सहायता कहां से लें? हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। अपने बीएलओ या जिला चुनाव कार्यालय सेसंपर्क करें। बिहार की मतदाता सूची दस्तावेजों में क्यों जोड़ी गई? यदि कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक में अपना नाम मतदाता सूची मेंशामिल करवाना चाहता है और वह बिहार की एसआईआर के बाद की सूचीका अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसेनागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फजन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा। क्या आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है? सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के चुनावअधिकारियों को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचानस्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार कियाजाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप मेंस्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं। ——————————— ममता से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ममता बोलीं- फूट डालो-राज करो की राजनीति न करें, TMC का दावा- SIR के डर से दो सुसाइड चुनाव आयोग के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि हर असली वोटर को सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी तरह की फूट डालो-राज करो की राजनीति नहीं होनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…