सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) को बताया कि मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ की गई है। दावा किया गया था कि इस ऑडियो क्लिप में पूर्व CM ने मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की इजाजत देने की बात कबूली थी। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि गुजरात के गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी की एक गोपनीय रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ऑडियो क्लिप की एडिटिंग की गई थी। वह आवाज की तुलना के लिए साइंटिफिक रूप से फिट नहीं थी। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि प्राइवेट फोरेंसिक संस्था, ट्रुथ लैब्स की रिपोर्ट में क्लिप की आवाज 93% तक बीरेन सिंह की आवाज से मेल खाती बताई गई थी। उसमें कोई कट या एडिटिंग नहीं मिली थी। भूषण ने कहा कि सरकार को ऑडियो टेप एक साल से भी पहले भेजे गए थे, फिर भी उनकी जांच नहीं हुई। जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि गांधीनगर यूनिवर्सिटी देश की प्रमुख फॉरेंसिक संस्था है और उसकी रिपोर्ट पर शक करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को रिपोर्ट साझा करने और दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। क्या है बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप का मामला
मणिपुर में 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा शुरू हुई थी। करीब दो साल तक चले हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2024 के अंत में एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें कथित तौर पर बीरेन सिंह को कहते सुना गया कि उन्होंने मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति दी। KOHUR ने फरवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें ऑडियो क्लिप की जांच की मांग की गई। KOHUR ने आरोप लगाया कि ऑडियो क्लिप में बीरेन सिंह हिंसा भड़काने और हमलावरों को बचाने की बात कह रहे थे। कुकी समूह ने राज्य सरकार पर क्लिप की जांच में देरी और इसे दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। सरकार ने कहा था- ऑडियो क्लिप गलत, इससे छेड़छाड़ की गई
बीरेन सिंह मैतेई समुदाय से आते हैं। कुकी समुदाय ने हिंसा के दौरान उन पर एकतरफा कार्रवाई और पक्षपात के आरोप लगाए। कई संगठनों का कहना था कि सरकार ने मैतेई समूहों पर कार्रवाई में ढिलाई बरती, जिससे हिंसा बढ़ी। हालांकि, मणपुर सरकार ने कहा था कि यह ऑडियो क्लिप गलत है और इससे छेड़छाड़ की गई है। सरकार ने दावा किया कि ऑडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर फैलाकर राज्य में जातीय हिंसा भड़काना और शांति भंग करने की साजिश की जा रही है। बीरेन सिंह ने फरवरी में CM पद से इस्तीफा दिया था
मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी, 2025 को इस्तीफा दे दिया था। दो साल से ज्यादा समय तक जारी हिंसा न रोक पाने के कारण उनपर लगातार राजनीतिक दबाव बन रहा था। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। इसे फरवरी, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। ——————————— सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- हर थाने में CCTV जरूरी, रिकॉर्डिंग जांचने के लिए कंट्रोल रूम बनें, जिसमें इंसानी दखल कम हो सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे की कमी से जुड़े मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि थानों में CCTV न होने से निगरानी में मुश्किल हो रही है। कोर्ट ने राजस्थान से जुड़ी दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट पर एक्शन लेते हुए सुनवाई की। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) को बताया कि मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ की गई है। दावा किया गया था कि इस ऑडियो क्लिप में पूर्व CM ने मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की इजाजत देने की बात कबूली थी। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि गुजरात के गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी की एक गोपनीय रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ऑडियो क्लिप की एडिटिंग की गई थी। वह आवाज की तुलना के लिए साइंटिफिक रूप से फिट नहीं थी। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि प्राइवेट फोरेंसिक संस्था, ट्रुथ लैब्स की रिपोर्ट में क्लिप की आवाज 93% तक बीरेन सिंह की आवाज से मेल खाती बताई गई थी। उसमें कोई कट या एडिटिंग नहीं मिली थी। भूषण ने कहा कि सरकार को ऑडियो टेप एक साल से भी पहले भेजे गए थे, फिर भी उनकी जांच नहीं हुई। जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि गांधीनगर यूनिवर्सिटी देश की प्रमुख फॉरेंसिक संस्था है और उसकी रिपोर्ट पर शक करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को रिपोर्ट साझा करने और दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। क्या है बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप का मामला
मणिपुर में 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा शुरू हुई थी। करीब दो साल तक चले हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2024 के अंत में एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें कथित तौर पर बीरेन सिंह को कहते सुना गया कि उन्होंने मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति दी। KOHUR ने फरवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें ऑडियो क्लिप की जांच की मांग की गई। KOHUR ने आरोप लगाया कि ऑडियो क्लिप में बीरेन सिंह हिंसा भड़काने और हमलावरों को बचाने की बात कह रहे थे। कुकी समूह ने राज्य सरकार पर क्लिप की जांच में देरी और इसे दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। सरकार ने कहा था- ऑडियो क्लिप गलत, इससे छेड़छाड़ की गई
बीरेन सिंह मैतेई समुदाय से आते हैं। कुकी समुदाय ने हिंसा के दौरान उन पर एकतरफा कार्रवाई और पक्षपात के आरोप लगाए। कई संगठनों का कहना था कि सरकार ने मैतेई समूहों पर कार्रवाई में ढिलाई बरती, जिससे हिंसा बढ़ी। हालांकि, मणपुर सरकार ने कहा था कि यह ऑडियो क्लिप गलत है और इससे छेड़छाड़ की गई है। सरकार ने दावा किया कि ऑडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर फैलाकर राज्य में जातीय हिंसा भड़काना और शांति भंग करने की साजिश की जा रही है। बीरेन सिंह ने फरवरी में CM पद से इस्तीफा दिया था
मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी, 2025 को इस्तीफा दे दिया था। दो साल से ज्यादा समय तक जारी हिंसा न रोक पाने के कारण उनपर लगातार राजनीतिक दबाव बन रहा था। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। इसे फरवरी, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। ——————————— सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- हर थाने में CCTV जरूरी, रिकॉर्डिंग जांचने के लिए कंट्रोल रूम बनें, जिसमें इंसानी दखल कम हो सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे की कमी से जुड़े मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि थानों में CCTV न होने से निगरानी में मुश्किल हो रही है। कोर्ट ने राजस्थान से जुड़ी दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट पर एक्शन लेते हुए सुनवाई की। पूरी खबर पढ़ें…